• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
संस्कृति

दिलों के मिलने का मौसम है वसंत, लेकिन एक शर्त यहां भी है!

    • देवेन्द्रराज सुथार
    • Updated: 22 जनवरी, 2018 08:02 PM
  • 22 जनवरी, 2018 08:02 PM
offline
बसंत मतलब तितलियों का फूलों पर मंडराने, भौंरे के गुनगुनाने, कामदेव का प्रेमबाण चलाने, खेत में सरसों के चमकने और आम के साथ आम आदमी के बौरा जाने का दिन.

वसंत मतलब कवियों और साहित्यकारों के लिए थोक में रचनाएं लिखने का मौसम. वसंत मतलब तितलियों का फूलों पर मंडराने. भौंरे के गुनगुनाने. कामदेव का प्रेमबाण चलाने. खेत में सरसों के चमकने और आम के साथ आम आदमी के बौरा जाने का मौसम. वसंत मतलब कवियों व शायरों के लिए सरस्वती पूजन के नाम पर कवि सम्मेलन व मुशायरों के आयोजन का ख़ास बहाना. वसंत मतलब 'बागों में बहार है, कलियों पे निखार है. हां है, तो तुमको मुझसे प्यार है' हर दिलफेंक आशिक़ का ये कहना.

वसंत मतलब पत्नियों के भाव में अचनाक वृद्धि होना और पतियों को मयाके जाने की 'खुल्लम खुल्ला' धमकी देना. वसंत मतलब 'कुछ कुछ होता है' की जगह अब 'बहुत कुछ' होना. और फिर इस 'बहुत कुछ' को पाने के लिए प्रेमी का घर के बर्तन और कपड़े तक धोना. जिस तरह सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखता है उसी तरह वसंत के अंधे को पीला ही पीला नज़र आता है.

वसंत मतलब फेसबुक पर फेसबुकियों के द्वारा कृत्रिम प्रेम दिखाने के लिए रंगीन स्टेटस चिपकाने और खुद को अपने प्रिये की स्मृति में घनानंद घोषित करने का अवसर. वसंत मतलब बजरंग दल और पिंक स्क्वॉड जैसे संस्कृति के रक्षक दलों के मुखियाओं के लिए अपनी छवि में चार चांद लगाने का सुनहरा मौका. वसंत मतलब पतझड़ के भूने हुए के लिए शीतल समीर का झोंका. वसंत मतलब जीवन का श्रेष्ठतम अहसास. इसलिए वसंत न सिर्फ युवाओं बल्कि बुजुर्गों के लिए भी ख़ास है. क्योंकि सयाने लोग कहे गये हैं कि आदमी उम्र से नहीं, मन से बूढ़ा होता है.

दिलों के मिलने का मौसम

वसंत में महुआ, केवड़ा और टेसू के फूलों की गंध से अभिभूत होकर मन हिलोरे मारने लगता है. सोये हुए अरमान जागने लगते हैं. इस प्यार करने के मौसम में दिल के भीतर से फीलिंग ऑसम वाली आने लगती है. सचमुच ये बासंती बहार तो खुशियों का त्योहार है. वसंत में चलने वाली इन हवाओं...

वसंत मतलब कवियों और साहित्यकारों के लिए थोक में रचनाएं लिखने का मौसम. वसंत मतलब तितलियों का फूलों पर मंडराने. भौंरे के गुनगुनाने. कामदेव का प्रेमबाण चलाने. खेत में सरसों के चमकने और आम के साथ आम आदमी के बौरा जाने का मौसम. वसंत मतलब कवियों व शायरों के लिए सरस्वती पूजन के नाम पर कवि सम्मेलन व मुशायरों के आयोजन का ख़ास बहाना. वसंत मतलब 'बागों में बहार है, कलियों पे निखार है. हां है, तो तुमको मुझसे प्यार है' हर दिलफेंक आशिक़ का ये कहना.

वसंत मतलब पत्नियों के भाव में अचनाक वृद्धि होना और पतियों को मयाके जाने की 'खुल्लम खुल्ला' धमकी देना. वसंत मतलब 'कुछ कुछ होता है' की जगह अब 'बहुत कुछ' होना. और फिर इस 'बहुत कुछ' को पाने के लिए प्रेमी का घर के बर्तन और कपड़े तक धोना. जिस तरह सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखता है उसी तरह वसंत के अंधे को पीला ही पीला नज़र आता है.

वसंत मतलब फेसबुक पर फेसबुकियों के द्वारा कृत्रिम प्रेम दिखाने के लिए रंगीन स्टेटस चिपकाने और खुद को अपने प्रिये की स्मृति में घनानंद घोषित करने का अवसर. वसंत मतलब बजरंग दल और पिंक स्क्वॉड जैसे संस्कृति के रक्षक दलों के मुखियाओं के लिए अपनी छवि में चार चांद लगाने का सुनहरा मौका. वसंत मतलब पतझड़ के भूने हुए के लिए शीतल समीर का झोंका. वसंत मतलब जीवन का श्रेष्ठतम अहसास. इसलिए वसंत न सिर्फ युवाओं बल्कि बुजुर्गों के लिए भी ख़ास है. क्योंकि सयाने लोग कहे गये हैं कि आदमी उम्र से नहीं, मन से बूढ़ा होता है.

दिलों के मिलने का मौसम

वसंत में महुआ, केवड़ा और टेसू के फूलों की गंध से अभिभूत होकर मन हिलोरे मारने लगता है. सोये हुए अरमान जागने लगते हैं. इस प्यार करने के मौसम में दिल के भीतर से फीलिंग ऑसम वाली आने लगती है. सचमुच ये बासंती बहार तो खुशियों का त्योहार है. वसंत में चलने वाली इन हवाओं में लगता है किसी ने भांग मिला दी हैं. भांग का वो सबको मदहोश कर रहा है. इसके ऊपर से कोयल की कुहू कुहू और पपिये की पिहू पिहू सुनकर किसका मन आधी रात को बहक नहीं जायेगा?

इस वसंत ने महंगाई की तरह किसी को शेष नहीं छोड़ा हैं. सबको इसने अपनी गिरफ्त में ले रखा है. कालिदास, भारवि, विद्यापति, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामधारी सिंह दिनकर सहित कई बड़े-बड़े साहित्य के सूरमा और धुरंधरों को इसने अपने जादू से वश में कर रखा है. बिल्कुल इसी तरह जिस तरह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने सभी को 'भाईयों और बहनों' कहकर अपने जाल में जकड़ रखा है. इन साहित्यजीवियों और रचना धर्मियों ने वसंत की प्रसन्नता में सारे कीर्तिमान भंग कर दिए हैं. इनके मुंह से वसंत की इतने तारीफें सुनकर बाकी की ऋतुओं को वसंत से 'हिस्टीरिया' होने लग गया है.

वसंत तो चार दिन की चांदनी और फिर अंधेरी रात है. क्षण भर का मज़ा है और फिर ज़िंदगी भर सजा है. आदमी को वसंत के आवेश में अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिए. वसंत के चक्कर में यह नही भूलना चाहिए कि इसके बाद गर्मी के गर्म होते तेवरों में तवे पर सेंकी जाने वाली रोटी की तरह तपना ही है. अब भले ही भंवरों की गुनगुन सुनकर खुश हो लो, प्यारे! फिर बाद में तो मच्छरों की टें-टें सुननी ही है. और अपना रक्त मच्छरों को दान करना ही है.

वसंत को लेकर सभी के अलग-अलग मायने हैं. नेताओं के लिए चुनाव वसंत है. इस वसंत में कई नेता पुष्प (कांटे) की भांति प्रस्फुटित होते हैं और चुनाव के बाद परिणाम जानकर कई नेता बौरा जाते हैं. इस चुनावी रण में बहुतों की हवा निकल जाती है और बहुतों में हवा भर भी जाती है. चुनावी समय में ये नेता कुर्सी के इर्द-गिर्द भौंरे और तितलियों की तरह मंडराते हैं. फूलों के रस का आस्वादन लेने के बाद ये भौंरे विरह की आग में जनता को अकेले छोड़ जाते हैं. और तो और कुछ तो वसंत में अपने वर्चस्व को चमकाने के आस में उल्टा चारा और कोयला खाकर जेल की सलाखों में पतझड़ भोगते हैं.

सच तो यह है कि यदि जेब में विटामिन एम हो तो हर दिन वसंत ही वसंत है. इस विटामिन एम के आगे तो पतझड़ भी मारा जाता है. इसलिए वसंत! तू भी पूंजीपतियों का पर्व कहलाता है.

ये भी पढ़ें-

दिल्ली स्मॉग: क्या आपको भी मौत नजर नहीं आती ?

गूगल पर सबसे अधिक पूछा गया सवाल- What is Cancer? जवाब यहां है...

क्या वाकई ऊंटनी का दूध पीने से लंबे हो रहे हैं लोग? जवाब यहां है...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    गीता मय हुआ अमेरिका... कृष्‍ण को अपने भीतर उतारने का महाभियान
  • offline
    वो पहाड़ी, जहां महाकश्यप को आज भी है भगवान बुद्ध के आने का इंतजार
  • offline
    अंबुबाची मेला : आस्था और भक्ति का मनोरम संगम!
  • offline
    नवाब मीर जाफर की मौत ने तोड़ा लखनऊ का आईना...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲