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संस्कृति

पाकिस्तान के मंदिर में अनूठी रामलीला का मंचन

    • जगत सिंह
    • Updated: 07 अक्टूबर, 2016 10:16 PM
  • 07 अक्टूबर, 2016 10:16 PM
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भारत और पाकिस्तान में आज भले ही तनाव की स्थिति हो, लेकिन आज भी पाकिस्तान में हिंदुओं के पर्व उतने ही उल्लास और समर्पण से मनाए जाते हैं, जैसा की भारत में मनाए जाते हैं

भारत और पाकिस्तान की सरहद ने भले ही दोनों मुल्कों को दो भागों में बांट दिया, पर दोनों देशों ने बिलकुल एक सामान इतिहास और संस्कृति को साझा किया है. आज भी पाकिस्तान में हिंदुओं के पर्व उतने ही उल्लास और समर्पण से मनाए जाते हैं, जैसा की भारत में मनाए जाते हैं.

अभी भारत में नवरात्र का उत्सव पूरे शबाब पर है, भले ही उरी अटैक के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच जबरदस्त तनाव चल रहा हो, लेकिन नवरात्रि के महीने में पाकिस्तान में मौजूद हिंदू समाज के लोग रामलीला का मंचन करते हैं.

 कराची में स्थित है श्री स्वामीनारायण का 162 साल पुराना मंदिर

यहां पाकिस्तानी हिंदू अपना माथा तो टेकते हैं, साथ ही यहां पर होने वाले सभी धार्मिक आयोजनों में हिंदु-मुस्लिम भी भागीदार होते हैं. पाकिस्तान में कराची स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर 162 साल पुराना है. यहां न सिर्फ हिंदू, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. 

ये भी पढ़ें- तो यहां उर्दू में बात करते हैं राम-रावण-हनुमान

यहां हर साल होता है मालीला का...

भारत और पाकिस्तान की सरहद ने भले ही दोनों मुल्कों को दो भागों में बांट दिया, पर दोनों देशों ने बिलकुल एक सामान इतिहास और संस्कृति को साझा किया है. आज भी पाकिस्तान में हिंदुओं के पर्व उतने ही उल्लास और समर्पण से मनाए जाते हैं, जैसा की भारत में मनाए जाते हैं.

अभी भारत में नवरात्र का उत्सव पूरे शबाब पर है, भले ही उरी अटैक के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच जबरदस्त तनाव चल रहा हो, लेकिन नवरात्रि के महीने में पाकिस्तान में मौजूद हिंदू समाज के लोग रामलीला का मंचन करते हैं.

 कराची में स्थित है श्री स्वामीनारायण का 162 साल पुराना मंदिर

यहां पाकिस्तानी हिंदू अपना माथा तो टेकते हैं, साथ ही यहां पर होने वाले सभी धार्मिक आयोजनों में हिंदु-मुस्लिम भी भागीदार होते हैं. पाकिस्तान में कराची स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर 162 साल पुराना है. यहां न सिर्फ हिंदू, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. 

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यहां हर साल होता है मालीला का मंचन

यहां पर दशहरा के पहले रामलीला का मंचन किया जाता है. इतना ही नहीं, रामायण के किरदारों की अहम भूमिकाओं में मुस्लिम भी हिस्सा लेते हैं.

मुस्लिम भी बनते हैं रामलीला के पात्र

सन् 1747 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान कराची स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर को रिफ्यूजी कैंप बनाया गया था. इस मंदिर की वास्तविक मूर्ती को बंटवारे के वक्त भारत ले आया गया था, जिसे राजस्थान के खान गांव में स्थापित किया गया.

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 1747 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त इस मंदिर को रिफ्यूजी कैंप बनाया गया था

इस मंदिर में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में अहम भूमिका निभाने वाले पाकिस्तान के मुहम्मद अली जिन्ना यहां आकर दर्शन कर चुके हैं. आजादी और बंटवारे के 42 साल बाद पहली बार अहमदाबाद स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर के साधुओं के एक समूह ने पाकिस्तान में जाकर इस मंदिर में दर्शन किए थे. इसके बाद से अहमदाबाद मंदिर से हर साल साधुओं के छोटे-छोटे समूह दर्शन के लिए आते रहे हैं.

 हिंदुओं के सारे त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाए जाते हैं

पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के अनुसार इस मंदिर में स्वामीनारायण जयंती, राम नवमी, जन्माष्टमी, दशहरा, दीवाली जैसे त्यौहारों पर हिंदू समुदाय के लोग उत्सव मनाते हैं.

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 पाकिस्तान की 19 करोड़ की आबादी में केवल 35 लाख हिंदू हैं

इस दौरान रामलीला का भव्य रूप में आयोजन किया जाता है. इतना ही नहीं बल्कि होली पर भी धूमधाम से रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. जन्माष्टमी में भजन और भक्तिमय गाने गाए जाते हैं, जबकि दीवाली पर दीप जलाए जाते हैं.

 श्री स्वामी नारायण मंदिर में स्थित प्रतिमा

पाकिस्तान की 19 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1.6 प्रतिशत है, हिंदू पाकिस्तान में दूसरे सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक समूह हैं, जिनकी आबादी करीब 35 लाख है. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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