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World Suicide Prevention Day: 5 फिल्में जो खुदकुशी के विचार से उबरना सिखाती हैं!

    • आईचौक
    • Updated: 11 सितम्बर, 2022 08:48 PM
  • 10 सितम्बर, 2022 11:02 PM
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हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस होता है. इस दिन उन सभी कारणों पर विस्तृत परिचर्चा होती है, जिससे कि लोग खुदकुशी जैसा घातक कदम उठाते हैं. बॉलीवुड में भी ऐसी कई फिल्में बनाई गई हैं, जिनमें खुदकुशी की वजहों पर बातचीत की गई है. उससे उबरने के रास्ते बताए गए हैं. आइए उन फिल्मों के बारे में जानते हैं.

दुनिया भर में हर साल 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं. केवल हिंदुस्तान की बात करें तो पिछले साल करीब दो लाख लोगों ने अपने ही हाथों अपना जीवन खत्म कर लिया. दुनिया में मौत का 10वां सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. टीनएजर, खासकर 35 साल से कम उम्र के लोगों की मौत का बड़ा कारण खुदकुशी करना ही है. दुनिया में हर साल एक से दो करोड़ लोग खुदकुशी की कोशिश करते हैं, लेकिन सबकी मौत नहीं होती. इसमें जो बच जाते हैं, वो कई बार ताऊम्र बड़ी बीमारियों का शिकार बने रहते हैं. उनकी जिंदगी मौत से भी बदतर हो जाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि लोग आखिर खुदकुशी क्यों करते हैं?

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जीवन के सामने जब आने वाली चुनौतियों के साथ समायोजन करना कठिन हो जाता है, हम असफल हो जाते हैं, तो मन में घोर निराशा उत्पन्न होती है. इससे जीवन जीने की इच्छा समाप्त हो जाती है. संवेगात्मक अंतर्द्वंद, जिसमें मन हार जाता है. निराशा जीत जाती है. इसके बाद इंसान खुदकुशी जैसा विभीषक कदम उठा लेता है. खुदकुशी की प्रवृति हर उम्र के लोगों में देखी गई है, लेकिन बच्चों में ज्यादा नजर आती है. सही समय पर सही कदम उठाने पर आत्महत्या की प्रवृति को रोका जा सकता है. इसके लिए डिप्रेशन का लक्षण दिखते ही सबसे पहले किसी मनोचिकित्स की सलाह लेनी चाहिए. वैसे बॉलीवुड में भी ऐसी कई अच्छी फिल्में बनी हैं, जिसमें खुदकुशी की वजहों की बात की गई हैं. इसमें ये बताया गया है कि ऐसे नकारात्मक विचार आने पर किस तरह से बचा जाए.

चलिए हम कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में जानते हैं, जो खुदकुशी के विचार से उबरने में मदद करती हैं...

1. फिल्म- छिछोरे

''हम हर जीत, सक्सेस, फेलियर में इतना उलझ गए हैं कि जिंदगी जीना भूल गए हैं. जिंदगी में अगर कुछ सबसे ज्यादा जरूरी है तो वो है खुद की जिंदगी''...साल...

दुनिया भर में हर साल 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं. केवल हिंदुस्तान की बात करें तो पिछले साल करीब दो लाख लोगों ने अपने ही हाथों अपना जीवन खत्म कर लिया. दुनिया में मौत का 10वां सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. टीनएजर, खासकर 35 साल से कम उम्र के लोगों की मौत का बड़ा कारण खुदकुशी करना ही है. दुनिया में हर साल एक से दो करोड़ लोग खुदकुशी की कोशिश करते हैं, लेकिन सबकी मौत नहीं होती. इसमें जो बच जाते हैं, वो कई बार ताऊम्र बड़ी बीमारियों का शिकार बने रहते हैं. उनकी जिंदगी मौत से भी बदतर हो जाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि लोग आखिर खुदकुशी क्यों करते हैं?

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जीवन के सामने जब आने वाली चुनौतियों के साथ समायोजन करना कठिन हो जाता है, हम असफल हो जाते हैं, तो मन में घोर निराशा उत्पन्न होती है. इससे जीवन जीने की इच्छा समाप्त हो जाती है. संवेगात्मक अंतर्द्वंद, जिसमें मन हार जाता है. निराशा जीत जाती है. इसके बाद इंसान खुदकुशी जैसा विभीषक कदम उठा लेता है. खुदकुशी की प्रवृति हर उम्र के लोगों में देखी गई है, लेकिन बच्चों में ज्यादा नजर आती है. सही समय पर सही कदम उठाने पर आत्महत्या की प्रवृति को रोका जा सकता है. इसके लिए डिप्रेशन का लक्षण दिखते ही सबसे पहले किसी मनोचिकित्स की सलाह लेनी चाहिए. वैसे बॉलीवुड में भी ऐसी कई अच्छी फिल्में बनी हैं, जिसमें खुदकुशी की वजहों की बात की गई हैं. इसमें ये बताया गया है कि ऐसे नकारात्मक विचार आने पर किस तरह से बचा जाए.

चलिए हम कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में जानते हैं, जो खुदकुशी के विचार से उबरने में मदद करती हैं...

1. फिल्म- छिछोरे

''हम हर जीत, सक्सेस, फेलियर में इतना उलझ गए हैं कि जिंदगी जीना भूल गए हैं. जिंदगी में अगर कुछ सबसे ज्यादा जरूरी है तो वो है खुद की जिंदगी''...साल 2019 में रिलीज हुई दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म छिछोरे का ये डायलॉग सही मायने में हमें जिंदगी की सच्ची सीख देता है. लेकिन अफसोस इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले सुशांत खुद इस पर अमल नहीं कर पाए और मौत को गले लगा लिया. इस फिल्म में सुशांत के साथ श्रद्धा कपूर, प्रतीक बब्बर, वरुण शर्मा और तुषार पांडे अहम रोल में हैं. फिल्म 6 सितम्‍बर 2019 को रिलीज हुई थी. इसे साजिद नाडियाडवाला ने प्रोड्यूस किया है, जबकि निर्देशन नितेश तिवारी ने किया है. फिल्म की कहानी एक छात्र पर आधारित है, जो परीक्षा में असफल होने के बाद खुदकुशी की कोशिश करता है. उसका पिता उसे अपने कॉलेज लाइफ के किस्से सुनाकर मोटिवेट करता है. इस फिल्म को साल 2019 का सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का 67वां राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार मिला था. फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत के अभिनय की खूब तारीफ हुई थी. इससे पहले 'एमएस धोनी' में भी धांसू एक्टिंग की थी.

2. फिल्म- 3 इडियट्स

राज कुमार हिरानी के निर्देशन में बनी फिल्म '3 इडियट्स' को विधु विनोद चोपड़ा ने प्रोड्यूस किया था. ये फिल्म साल 2009 में रिलीज हुई थी. इसमें आमिर खान, शरमन जोशी, आर माधवन, करीना कपूर, बोमन ईरानी और ओमी वैद्या लीड रोल में हैं. फिल्म की कहानी इंजनीयरिंग के तीन छात्रों पर आधारित है, जिनकी कॉलेज में दाखिला लेने के बाद जिंदगी ही बदल जाती है. इनमें से एक रैंचो (आमिर खान) होता है, जिसकी संगत में आने के बाद फरहान कुरैशी (आर. माधवन) और राजू रस्तोगी (शरमन जोशी) का जिंदगी जीने और पढ़ाई करने का नजरिया बदल जाता है. इसी कॉलेज में जॉय लोबो (अली फजल) भी पढ़ाई करता है, जो कि अपना ड्रीम प्रोजेक्ट रिजेक्ट होने के बाद खुदकुशी कर लेता है. इसके साथ ही रैंचों का दोस्त राजू रस्तोगी भी खुदकुशी की कोशिश करता है, लेकिन समय रहते उसके दोस्त उसे बचा लेते हैं. इस फिल्म में सच्चा जीवन दर्शन देखने को मिलेगा. जिसे बहुत ही सहज तरीके से पेश किया गया है. फिल्म के गाने भी बहुत लोकप्रिय हुए थे. 'जुबी डुबी' और 'ऑल इज वेल' जैसे गाने तो आज भी लोगों की जुबान पर हैं.

3. फिल्म- मसान

नीरज घायवन के निर्देशन में बनी फिल्म मसान को 24 जुलाई 2015 को रिलीज किया गया था. दृश्यम फिल्म्स, फैंटम फिल्म्स, मैकसार प्रोडक्शंस और सिख्या एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी ये फिल्म 8वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में फेडरेशन इंटरनेशनल प्रेस सिनेमैटोग्राफिक इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म क्रिटिक्स (एफआईपीआरईएससीआई) कैटेगरी और अनसर्टेन रिगार्ड सेक्शन में प्रॉमिसिंग फ्यूचर जैसे अवॉर्ड्स जीत चुकी है. फिल्म की कहानी काशी के पांच किरदारों के इर्दगिर्द ही बुनी गई है. इन सबकी ज़िंदगी में कुछ ना कुछ ऐसा है जो मर चुका है लेकिन अभी तक मसान (शमशान) पर नहीं पहुंचा है. सही मायने में कहें तो इस फिल्म में, मौत और उसके बाद के अवसाद भरे माहौल के बीच आकार लेती जिंदगियां. छोटे शहरों के जीवन के अलग-अलग दंश. धीमी और जकड़ी जिंदगी से बाहर निकलने की जद्दोजहद. आजाद ख्याल जीवन जीने की चाहत पर समाज का विकृत साया. जातिवाद के जाल में उलझा प्यार. ऐसे विषय जिनसे हम नजर नहीं चुरा सकते लेकिन अपनी भाग-दौड़ की जिंदगी में अकसर नजर अंदाज कर जाते हैं, सभी नजर आते हैं.

4. फिल्म- कार्तिक कॉलिंग कार्तिक

साल 2010 में रिलीज साइकोलॉजिकल ड्रामा 'कार्तिक कॉलिंग कार्तिक' का निर्देशन विजय लालवानी ने किया है. इसमें फरहान अख्तर, दीपिका पादुकोण, राम कपूर और शेफाली शाह अहम रोल में हैं. फिल्म की कहानी एक ऐसे इंसान पर आधारित है जो दिमागी तौर पर बीमार होता है. इसकी वजह से दो बार खुदकुशी की कोशिश करता है, लेकिन बच जाता है. फिल्म में फरहान ने कार्तिक नामक शख्स का रोल किया है, जो कि अंतर्मुखी इंसान है. बेहद शर्मीला है. उसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर के गुजर जाते हैं. वो अपने ही ऑफिस में काम करने वाली एक खूबसूरत लड़की से प्यार करता है. लेकिन चार साल तक अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाता. उसकी निराशा की वजह ये सभी कारण है, जो उसे खुदकुशी के लिए प्रेरित करते हैं. उसे मानसिक रूप से बीमार करते हैं. लेकिन प्यार धीरे-धीरे उसकी जिंदगी को बदल देता है. फिल्म में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी अहम रोल में हैं.

5. फिल्म- अंजाना अनजानी

साल 2010 में रिलीज हुई रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा फिल्म 'अंजाना अनजानी' का निर्देशन सिद्दार्थ आनंद ने किया है. फिल्म में रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में हैं. इस फिल्म की कहानी एक लड़के और लड़की की जिंदगी पर आधारित है. इसमें लड़का (रणबीर कपूर) बिजनेस में नुकसान होने पर, तो लड़की (प्रियंका चोपड़ा) अपने प्रेमी से धोखा मिलने पर खुदकुशी करने की कोशिश करते हैं. इसके लिए दोनों एक नदी के पुल पर एक साथ मिलते हैं. वहां एक घटनाक्रम के बाद दोनों वापस चले जाते हैं. लेकिन अलग-अलग कई बार खुदकुशी की कोशिश करते हैं, जिसमें सफल नहीं हो पाते. एक बार फिर दोनों की मुलाकात होती है, तो दोनों फैसला करते हैं कि पहले जिंदगी के बचे अरमान पूरे कर ले. उसके बाद साथ में जान दे देंगे. इस तरह दोनों में प्यार हो जाता है. यही प्यार दोनों को फैसला बदलने पर मजबूर कर देता है. इसलिए कहा गया है कि दुख-दर्द की सबसे बड़ी दवा प्रेम है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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