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Wasim Rizvi: धर्मांतरण की चर्चा के बीच धर्म के स्याह पक्ष को दर्शाती 5 फिल्में

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 07 दिसम्बर, 2021 01:15 PM
  • 07 दिसम्बर, 2021 01:15 PM
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उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म (Wasim Rizvi Converts to Hinduism) अपना लिया है. उनका नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी है. उनके धर्मांतरण का मुद्दा इस वक्त सुर्खियों में है.

कभी लव जिहाद (Love Jihad) जैसे सनसनीखेज मुद्दों की वजह से चर्चा में रहने वाला 'धर्मांतरण' (Religious Conversion) का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. इसकी वजह हैं उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी, जिन्होंने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन यानी हिंदू धर्म (Wasim Rizvi Converts to Hinduism) अपना लिया है. धर्मांतरण के बाद उनको नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी दिया गया है. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने उनके धर्मांतरण की प्रक्रिया पूरी कराई है. वसीम रिजवी के इस कदम की हर तरफ चर्चा हो रहा है. कोई इसे उनकी इच्छा बता रहा है, तो कोई राजनीतिक चाल बताकर यूपी चुनाव से जोड़ने की कोशिश कर रहा है. वजह जो भी हो, लेकिन मुद्दा सियासी जरूर है.

'धर्म' और 'धर्मांतरण' सिनेमा का भी प्रिय विषय रहा है. चूंकि ऐसे मुद्दे सीधे समाज को प्रभावित करते हैं, इसलिए अक्सर उन पर फिल्में बनाई जाती रही हैं. ऐसी फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर सफलता भी इस बात की गवाह है कि लोग इन्हें देखते भी बड़े चाव से हैं. उनमें रुचि लेते हैं और उन पर चर्चा भी करते हैं. हालांकि, कई फिल्में ऐसी भी रिलीज हुई हैं, जिनके ऊपर धर्म को बदनाम करने का आरोप लगाकर विरोध भी किया गया है. लेकिन उन फिल्मों के मेकर्स का दावा रहा है कि वो ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाने की बजाए, उन कुरुतियों और बुराइयों का विरोध करते हैं, जिनको समाप्त किया जाना चाहिए. ऐसी फिल्मों की फेहरिस्त में आमिर खान की फिल्म 'पीके' और अक्षय कुमार-परेश रावल की फिल्म 'ओह माय गॉड' का नाम जरूर शामिल किया जाता है.

आइए उन फिल्मों के बारे में जानते हैं जो धर्म के स्याह पक्ष दर्शाती हैं...

धर्म और आस्था के साथ आने वाले अंधविश्वास को इन फिल्मों ने रूपहले पर्दे पर बखूबी दिखाया...

कभी लव जिहाद (Love Jihad) जैसे सनसनीखेज मुद्दों की वजह से चर्चा में रहने वाला 'धर्मांतरण' (Religious Conversion) का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. इसकी वजह हैं उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी, जिन्होंने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन यानी हिंदू धर्म (Wasim Rizvi Converts to Hinduism) अपना लिया है. धर्मांतरण के बाद उनको नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी दिया गया है. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने उनके धर्मांतरण की प्रक्रिया पूरी कराई है. वसीम रिजवी के इस कदम की हर तरफ चर्चा हो रहा है. कोई इसे उनकी इच्छा बता रहा है, तो कोई राजनीतिक चाल बताकर यूपी चुनाव से जोड़ने की कोशिश कर रहा है. वजह जो भी हो, लेकिन मुद्दा सियासी जरूर है.

'धर्म' और 'धर्मांतरण' सिनेमा का भी प्रिय विषय रहा है. चूंकि ऐसे मुद्दे सीधे समाज को प्रभावित करते हैं, इसलिए अक्सर उन पर फिल्में बनाई जाती रही हैं. ऐसी फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर सफलता भी इस बात की गवाह है कि लोग इन्हें देखते भी बड़े चाव से हैं. उनमें रुचि लेते हैं और उन पर चर्चा भी करते हैं. हालांकि, कई फिल्में ऐसी भी रिलीज हुई हैं, जिनके ऊपर धर्म को बदनाम करने का आरोप लगाकर विरोध भी किया गया है. लेकिन उन फिल्मों के मेकर्स का दावा रहा है कि वो ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाने की बजाए, उन कुरुतियों और बुराइयों का विरोध करते हैं, जिनको समाप्त किया जाना चाहिए. ऐसी फिल्मों की फेहरिस्त में आमिर खान की फिल्म 'पीके' और अक्षय कुमार-परेश रावल की फिल्म 'ओह माय गॉड' का नाम जरूर शामिल किया जाता है.

आइए उन फिल्मों के बारे में जानते हैं जो धर्म के स्याह पक्ष दर्शाती हैं...

धर्म और आस्था के साथ आने वाले अंधविश्वास को इन फिल्मों ने रूपहले पर्दे पर बखूबी दिखाया है.

1. मि. एंड मिसेज अय्यर (Mr. and Mrs. Iyer)

साल 2002 में रिलीज हुई फिल्म 'मि. एंड मिसेज अय्यर' मूलत: एक अंग्रेजी भाषी फिल्म है, जिसे अपर्णा सेन ने निर्देशित किया है. फिल्म में अपर्णा सेन की बेटी कोंकणा सेन शर्मा ने मीनाक्षी अय्यर नामक एक लड़की का किरदार निभाया है, जो एक तमिल अय्यर ब्राह्मण है. हिंदू लड़की मीनाक्षी को एक बंगाली मुस्लिम फोटोग्राफर राजा चौधरी (राहुल बोस) से प्यार हो जाता है. दोनों की मुलाकात एक दंगे के दौरान बस में होती है. मीनाक्षी और राजा उन्मादी भीड़ का शिकार होने से बचने के लिए हिंदू कपल बन जाते हैं. इस फिल्म में हिंदू और मुस्लिम धर्म के बीच व्याप्त सामाजिक खाई को बखूबी दिखाया गया है. कैसे दोनों धर्मों के लोग एक-दूसरे के साथ रहते हुए भी कितने दूर हैं, इसे समझने के लिए ये फिल्म जरूर देखी जानी चाहिए. फिल्म का निर्देशन गौतम घोष ने किया है, जबकि संगीत जाकिर हुसैन ने दिया है.

2. वाटर (Water)

साल 2005 में रिलीज हुई फिल्म 'वाटर' को दीपा मेहता ने निर्देशित किया है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि अपने देश हिंदुस्तान में विधवाओं की हालत कैसी है. देश के कुछ हिस्सों में आज भी विधवा महिलाओं को दोबारा शादी करने की इजाजत नहीं है. इसके साथ ही उन्हें विधवा जीवन बिताते हुए पूरी जिंदगी आश्रम में गुजारनी पड़ती है. फिल्म में विधवा प्रथा निभाने वाली औरतों की जिंदगी में रोशनी डाली गई है. इस फिल्म के रिलीज होने से पहले ही मेकर्स को बहुत ज्यादा विवादों का सामना करना पड़ा था. यहां तक कि कई बार शूटिंग सेट पर भी हमला हुआ था. कुछ संस्थाओं ने शूटिंग रोकने के लिए सुसाइड प्रोटेस्ट का भी सहारा लिया था. इसमें अभिनेत्री मनोरमा, सीमा बिस्वास, लीसा रे और अभिनेता जॉन अब्राहम अहम किरदारों में नजर आए थे. फिल्म को कई नेशनल और इंटरनेशन अवॉर्ड भी मिले थे.

3. माय नेम इज खान (My Name is Khan)

साल 2010 में रिलीज हुई फिल्म 'माय नेम इज खान' का निर्देशन करण जौहर ने किया है. इसमें सुपरस्टार शाहरुख खान ने रिजवान खान नामक ऐसे शख्स का किरदार निभाया है, जो एस्पर्गर्स सिंड्रोम का शिकार है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के बाद मुस्लिमों के साथ भेदभाव झेलना पड़ा. इसी बीच एक हिंसा में रिजवान के बच्चे की हत्या हो जाती है. उसकी हिंदू मां का किरदार अभिनेत्री काजोल ने किया है. उसका मानना है कि बेटा इसलिए मारा गया क्योंकि उसका नाम खान था. वो नाराज होकर अपने पति से कहती हैं कि वो पूरी दुनिया को बताएं कि खान टेरेरिस्ट नहीं है. इसके बाद रिजवान तय करता है कि वो यूके के प्रेसीडेंट से मिलकर कहेगा, ''माय नेम इज खान, एंड आई एम नॉट ए टेरेरिस्ट''. इस फिल्म में मुस्लिम धर्म के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय घृणा को दिखाया गया है.

4. ओह माय गॉड (Oh My God)

साल 2012 में रिलीज हुई फिल्म 'ओह माय गॉड' में अक्षय कुमार और परेश रावल ने लीड भूमिका निभाई थी. फिल्म में एक व्यापारी की कहानी दिखाई गई है, जो भगवान की मूर्तियां बेचता है, लेकिन आस्था से नास्तिक है. परेश रावल ने व्यापारी कांजीलाल मेहता का किरदार निभाया था. एक दिन भूकंप के कारण व्यापारी की दुकान में ध्वस्त हो जाती है. कांजी जब इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम मांगता है, तो उसे बताया जाता है कि आपदा या एक्ट ऑफ गॉड के कारण हुए नुकसान पर मुआवजा नहीं दिया जाता. इससे नाराज होकर वो भगवान के खिलाफ केस दर्ज कर देता है. अपना केस खुद लड़ता है. फिल्म में धर्म को गलत तरह से पेश करने वालों का जमकर पर्दाफाश किया गया है. हालांकि, इसकी रिलीज के बाद जमकर विरोध हुआ था. फिल्म को बैन करने की मांग तक की गई थी.

5. पीके (PK)

साल 2014 में रिलीज हुई आमिर खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म पीके सुपरहिट हुई थी. इस फिल्म में दिखाया गया है कि एक एलियन रिसर्च मिशन पर भारत पहुंचता है. वहां उसका सिग्नल भेजने वाला एक यंत्र गांव के व्यक्ति द्वारा चोरी कर लिया जाता है. अपने यंत्र की तलाश में वो अंधविश्वास फैलाने वालों से होकर गुजरता है. इसमें एलियन का किरदार आमिर खान ने निभाया था. इस एलियन का हर चीज को देखने का नजरिया बेहद अलग होता है. फिल्म के जरिए देश में धर्म को गलत तरह से पेश करने वाले बाबाओं का भांडाफोड़ किया गया है. इस फिल्म का विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाकर विरोध किया था. उनका आरोप था कि इसमें हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया है. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार किया था.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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