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आतंकवाद और ऑफिस पॉलिटिक्स की कहानी के बीच Crackdown वेब सीरीज निराश करती है

    • आईचौक
    • Updated: 24 सितम्बर, 2020 05:08 PM
  • 24 सितम्बर, 2020 05:08 PM
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डिजिटल प्लैटफॉर्म वूट सेलेक्ट (Voot Select) पर सकीब सलीम (Saqib Saleem), राजेश तेलांग, श्रिया पिलगांवकर, इकबाल खान और अंकुर भाटिया की प्रमुख भूमिका वाली वेब सीरीज क्रैकडाउन (Crackdown Web Series) रिलीज हो गई है. अपूर्व लाखिया की यह वेब सीरीज कहानी और एक्टिंग के साथ ही निर्देशन के मामले में भी कमजोर साबित होती है.

ओटीटी प्लैटफॉर्म्स पर वेब सीरीज की दौड़ में वूट सेलेक्ट की एक वेब सीरीज शामिल हो गई है, जिसका नाम है क्रैकडाउन. जाने माने निर्देशक अपूर्व लाखिया के इस डिजिटल डेब्यू में सकीब सलीम, इकबाल खान, श्रिया पिलगांवकर, राजेश तेलांग, वालुश्चा डिसूजा और अंकुर भाटिया प्रमुख भूमिका में हैं. वूट सेलेक्ट की वेब सीरीज क्रैकडाउन भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की आंतरिक राजनीति और आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने की कोशिश करने वाले कुछ तेजतर्रार अधिकारियों की काल्पनिक कहानी है, जिसमें इतने ट्विस्ट और टर्न हैं कि यह वेब सीरीज आपको बांधे रहती है. हालांकि, यहां जिक्र करना जरूरी है कि अगर आप डिज्नी हॉटस्टार की वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स या अमेजन प्राइम वीडियो की द फैमिली मैन जैसा रोमांच क्रैकडाउन में ढूंढ़ेंगे तो आपको जरूर निराशा होगी, क्योंकि रॉ चीफ की भूमिका में राजेश तेलांग और न ही रॉ अफसर की भूमिका में सकीब सलीम उतने प्रभावी दिखते हैं.

वूट सेलेक्ट पर लंबे समय के बाद कोई ऐसी वेब सीरीज रिलीज हुई है, जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था. इससे पहले अशरद वारसी की वेब सीरीज असुर ने कमाल कर दिया था. हालांकि, शूटआउट ऑफ लोखंडवाला जैसी फ़िल्म बनाने वाले अपूर्व लाखिया ने क्रैकडाउन को बेहतरीन तरीके से पेश करने की कोशिश की है, लेकिन इसमें कुछ कमी रह गई है, जो कि आपको आसानी से पता चल जाती है. दरअसल, देशभक्ति की चासनी में डूबी किसी कहानी में फास्ट पेस होना बेहद जरूरी है, ताकि दर्शक पूरी तरह इस फ़िल्म या वेब सीरीज में डूब जाए, लेकिन क्रैकडाउन की कहानी धीमी है और इसमें काफी बिखराव देखने को मिलता है. साथ ही इसके कलाकार भी एक्सप्रेशन के मामले में कहानी और इसकी जरूरतों को समझ नहीं पाते हैं. सकीब सलीम के पास करने को बहुत कुछ था, लेकिन वह फायदा नहीं उठा सके. कुल मिलाकर इस वेब सीरीज दो देखने की वजहें ज्यादा नहीं हैं, लेकिन इस हफ्ते आपके पास देखने को कुछ बेहतर चीजें हैं नहीं तो आप क्रैकडाउन के 30-30 मिनट के 8 एपिसोड आसानी से निपटा सकते हैं और आपको यह वेब सीरीज ठीक-ठीक लगेगी.

ओटीटी प्लैटफॉर्म्स पर वेब सीरीज की दौड़ में वूट सेलेक्ट की एक वेब सीरीज शामिल हो गई है, जिसका नाम है क्रैकडाउन. जाने माने निर्देशक अपूर्व लाखिया के इस डिजिटल डेब्यू में सकीब सलीम, इकबाल खान, श्रिया पिलगांवकर, राजेश तेलांग, वालुश्चा डिसूजा और अंकुर भाटिया प्रमुख भूमिका में हैं. वूट सेलेक्ट की वेब सीरीज क्रैकडाउन भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की आंतरिक राजनीति और आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने की कोशिश करने वाले कुछ तेजतर्रार अधिकारियों की काल्पनिक कहानी है, जिसमें इतने ट्विस्ट और टर्न हैं कि यह वेब सीरीज आपको बांधे रहती है. हालांकि, यहां जिक्र करना जरूरी है कि अगर आप डिज्नी हॉटस्टार की वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स या अमेजन प्राइम वीडियो की द फैमिली मैन जैसा रोमांच क्रैकडाउन में ढूंढ़ेंगे तो आपको जरूर निराशा होगी, क्योंकि रॉ चीफ की भूमिका में राजेश तेलांग और न ही रॉ अफसर की भूमिका में सकीब सलीम उतने प्रभावी दिखते हैं.

वूट सेलेक्ट पर लंबे समय के बाद कोई ऐसी वेब सीरीज रिलीज हुई है, जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था. इससे पहले अशरद वारसी की वेब सीरीज असुर ने कमाल कर दिया था. हालांकि, शूटआउट ऑफ लोखंडवाला जैसी फ़िल्म बनाने वाले अपूर्व लाखिया ने क्रैकडाउन को बेहतरीन तरीके से पेश करने की कोशिश की है, लेकिन इसमें कुछ कमी रह गई है, जो कि आपको आसानी से पता चल जाती है. दरअसल, देशभक्ति की चासनी में डूबी किसी कहानी में फास्ट पेस होना बेहद जरूरी है, ताकि दर्शक पूरी तरह इस फ़िल्म या वेब सीरीज में डूब जाए, लेकिन क्रैकडाउन की कहानी धीमी है और इसमें काफी बिखराव देखने को मिलता है. साथ ही इसके कलाकार भी एक्सप्रेशन के मामले में कहानी और इसकी जरूरतों को समझ नहीं पाते हैं. सकीब सलीम के पास करने को बहुत कुछ था, लेकिन वह फायदा नहीं उठा सके. कुल मिलाकर इस वेब सीरीज दो देखने की वजहें ज्यादा नहीं हैं, लेकिन इस हफ्ते आपके पास देखने को कुछ बेहतर चीजें हैं नहीं तो आप क्रैकडाउन के 30-30 मिनट के 8 एपिसोड आसानी से निपटा सकते हैं और आपको यह वेब सीरीज ठीक-ठीक लगेगी.

क्रैकडाउन की कहानी क्या है

डिजिटल प्लैटफॉर्म वूट सेलेक्ट पर रिलीज वेब सीरीज क्रैकडाउन की कहानी सुरेश नायर ने लिखी है, जिसमें भारतीय खु्फिया एजेंसी और आतंक का मुकाबला करने स जुड़ी रणनीति और एक्शन के बारे में विस्तार से बताया गया है. क्रैकडाउन की कहानी में काफी सारे ट्विस्ट और टर्न है. इस वेब सीरीज की शुरुआत होती है एक एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन से, जिसमें आतंकी तारिक (अंकुर भाटिया) के भाई को मार गिराया जाता है. इस ऑपरेशन में मरियम (श्रिया पिलगांवकर) की भी मौत हो जाती है, जो कि रॉ के अंडर कवर एजेंट के रूप में काम करती थी. इस घटना के बाद रॉ के चीफ अश्विनी राव और रॉ के डिप्टी डायरेक्टर जोरावर (इकबाल खान) के बीच कहासुनी देखने को मिलती है. रियाज पठान (सकीब सलीम) रॉ का सक्रिय अधिकारी और रॉ चीफ का प्यारा होता है, जो ज्यादातर आतंक रोधी कार्रवाई को लीड करता है. मरियम की मौत के बाद उसके पास से एक पेन ड्राइव मिलता है, जिसमें ऐसे-ऐसे राज छुपे हैं कि यह जानकर रॉ चीफ की रातों की नींद उड़ जाती है और वह रियाज पठान को केस सॉल्व करने का आदेश देते हैं. इस बीच जोरावर को मरियम की मौत का पता चल जाता है और वह अपने तरीके से अश्विनी राव को परेशान करने की कोशिश करने लगता है, ताकि उसे रॉ का चीफ बना दिया जाए.

कहानी आगे बढ़ती है और इसमें फिर से श्रिया पिलगांवकर की एंट्री होती है, जो मरियम की हमशक्ल है और उसका नाम दिव्या है. रियाज काफी कोशिशों के बाद दिव्या को अंडरकवर एजेंट के रूप में काम करने के लिए मनाता है और फिर दिव्या का मरियम के रूप में ट्रांसफॉर्मेशन होता है और वह आतंकियों से मिलकर उसकी खबर रॉ को देने लगती है. इस बीच जोरावर भी अश्विनी राव और रियाज पठान को परेशान करने और उनके काम में बाधा पहुंचाने की पूरी कोशिश करता रहता है. क्या रियाज मेनन रॉ के सामने आई चुनौतियों के साथ ही आतंकी मंसूबों को नाकाम करने की कोशिश में सफल होता है? क्या जोरावर को सजा मिलती है और तारिक के साथ क्या होता है? इसी कहानी को निर्देशक अपूर्व लाखिया ने रोमांच और रहस्य के साथ दिखाने की कोशिश की है, जिसकी रफ्तार अगर तेज होती तो यह दर्शकों को बेहद पसंद आती.

एक्टिंग और निर्देशन

क्रैकडाउन वेब सीरीज में सकीब सलीम प्रमुख भूमिका में हैं. इससे पहले सकीब को आपने फ़िल्मों में शर्ट उतार हीरोइन के साथ डांस और रोमांस करने के साथ ही जी5 की वेब सीरीज रंगबाज में देखा है. रंगबाज ने सकीब सलीम के एक्टिंग करियर की सबसे जानदार भूमिका निभाई थी. अब क्रैकडाउन में सकीब सलीम का अलग रूप देखने को मिल रहा है. हालांकि, सकीब के पास करने को बहुत कुछ था, लेकिन एक्सप्रेशन और बॉडी लैंग्वेज के मामले में सकीब रियाज के किरदार में फिट नहीं बैठ रहे हैं. डायरेक्टर अपूर्व लाखिया ने उन्हें बेहद ढीले तरीके से पेश किया है, जो कि किरदार की डिमांड ही नहीं थी. अगर आप स्पेशल ऑप्स, हे बेबी, द फैमिली मैन और बार्ड ऑफ ब्लड जैसी वेब सीरीज और फ़िल्म देखते हैं तो उसके किरदार इतने एक्टिव दिखते हैं कि आप उनसे कनेक्ट हो जाते हैं, लेकिन सकीब सलीम की एक्टिंग में वह जान नहीं दिखती. वहीं रॉ चीफ अश्विनी राव की भूमिका में राजेश तेलांग ठीक-ठाक लगे हैं. जोरावर के किरदार में इकबाल खान का काम अच्छा है. वहीं, श्रिया पिलगांवकर मरियम और दिव्या के रूप में अपनी भूमिका के साथ न्याय करती दिखती हैं. अंकूर भाटिया ने विलेन के रूप में जबरदस्त काम किया है. अपूर्व लाखिया ने क्रैकडाउन के जरिये अपने डिजिटल डेब्यू में ठीक-ठीक काम किया है. हालांकि, इस वेब सीरीज को और बेहतर बनाया जा सकता था और इसके किरदारों को भी बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता था.

Crackdown देखें या न देखें

सकीब सलीम, श्रिया पिलगांवकर और राजेश तेलांग की वेब सीरीज क्रैकडाउन देखने की सबसे बड़ी वजह तो यही है कि आपके पास इस हफ्ते देखने के लिए ज्यादा बेहतर चीजें और है नहीं. ऐसे में आप छुट्टी के दिन 4 घंटे में यह पूरी वेब सीरीज निपटा सकते हैं. अपूर्व लाखिया की वेब सीरीज क्रैकडाउन में तो वैसे काफी टर्न और ट्विस्ट हैं, लेकिन यह आपको कई जगह निराश भी करती है. लेकिन कुल मिलाकर क्रैकडाउन वन टाइम वॉच है, जिसे देखकर आपको सरकारी एजेंसी के भीतर भी अधिकारियों के बीच मनमुटाव और व्यक्तिगत लाभ के लिए एक-दूसरे के रास्ते में पत्थर बिछाने की परंपरा का काल्पनिक स्वरूप देखने को मिलेगा. अगर आपके पास समय है तो क्रैकडाउन देख लीजिए. इससे बहुत ज्यादा निराश नहीं होंगे.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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