• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Vikram में अगर एक्टिंग के लिहाज से कमल सेर हैं, तो विजय सेतुपति भी सवा सेर से कम नहीं!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 जुलाई, 2022 05:49 PM
  • 13 जुलाई, 2022 05:49 PM
offline
लोकेश कनगराज की फिल्म विक्रम को भले ही कमल हासन की फिल्म कहा जाए. लेकिन जैसी एक्टिंग विलेन के रूप में विजय सेतुपति ने की है. तस्दीख हो जाती है कि साउथ के साथ साथ अगर आज बॉलीवुड भी विजय सेतुपति का दीवाना हो रहा है तो ये यूं ही नहीं है.

अक्षय कुमार की सुपर फ्लॉप फिल्मों में शुमार सम्राट पृथ्वीराज के साथ के साथ रिलीज हुई लोकेश कनगराज द्वारा निर्देशित कमल हासन की मेगा मल्टीस्टारर 'विक्रम' अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है. फिल्म कैसी है इसका अंदाजा उसके बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. फिल्म 450 करोड़ का मार्क बहुत पहले ही पार गयी है और हर गुजरते दिन के साथ सफलता की नयी परिभाषाएं लिख रही है. चाहे स्टार कास्ट हो या फिर फिल्म का प्लाट विक्रम में हर उस चीज का पूरा ख्याल रखा गया है जो किसी फिल्म को परफेक्ट एंटरटेनर बनती हैं. इसे फिल्म की खासियत ही कहा जाएगा कि जब आप कमल हासन स्टारर विक्रम देखना शुरू करते हैं तो फिर ख़त्म करके ही उठते हैं और फिल्म ख़त्म होने के बाद जो सबसे पहला विचार दिमाग में आता है कि काश ऐसा ही कुछ हमें बॉलीवुड या ये कहें कि हिंदी सिनेमा में भी देखने को मिलता. इन तमाम बातों के बाद सवाल ये है कि क्या फिल्म में कमल का होना ही इसे सम्पूर्ण करता है? जवाब है नही. फिल्म के लिए जितने प्रासंगिक कमल हैं उतनी ही जरूरत फिल्म में विजय सेतुपति जैसे विलेन की भी थी. जैसी एक्टिंग विक्रम में विजय ने की है, अगर साउथ के साथ साथ बॉलीवुड भी विजय सेतुपति का दीवाना हो रहा है तो ये यूं ही नहीं है.

विक्रम में अपनी एक्टिंग के जरिये विजय ने बता दिया कि बॉलीवुड में उनकी दीवानगी इन दिनों यूं ही नहीं है

ध्यान रहे विजय सेतुपति का शुमार साउथ के उन एक्टर्स में हैं जिन्हें बॉलीवुड अपनी फिल्मों में कास्ट करने के लिए बेक़रार है. बात अगर सबसे लेटेस्ट गॉसिप की हो तो खबर यही है कि शाहरुख़ की आने वाली फिल्म जवान में भी हमें विजय सेतुपति की एक्टिंग के जलवे दिखेंगे. 

अक्षय कुमार की सुपर फ्लॉप फिल्मों में शुमार सम्राट पृथ्वीराज के साथ के साथ रिलीज हुई लोकेश कनगराज द्वारा निर्देशित कमल हासन की मेगा मल्टीस्टारर 'विक्रम' अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है. फिल्म कैसी है इसका अंदाजा उसके बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. फिल्म 450 करोड़ का मार्क बहुत पहले ही पार गयी है और हर गुजरते दिन के साथ सफलता की नयी परिभाषाएं लिख रही है. चाहे स्टार कास्ट हो या फिर फिल्म का प्लाट विक्रम में हर उस चीज का पूरा ख्याल रखा गया है जो किसी फिल्म को परफेक्ट एंटरटेनर बनती हैं. इसे फिल्म की खासियत ही कहा जाएगा कि जब आप कमल हासन स्टारर विक्रम देखना शुरू करते हैं तो फिर ख़त्म करके ही उठते हैं और फिल्म ख़त्म होने के बाद जो सबसे पहला विचार दिमाग में आता है कि काश ऐसा ही कुछ हमें बॉलीवुड या ये कहें कि हिंदी सिनेमा में भी देखने को मिलता. इन तमाम बातों के बाद सवाल ये है कि क्या फिल्म में कमल का होना ही इसे सम्पूर्ण करता है? जवाब है नही. फिल्म के लिए जितने प्रासंगिक कमल हैं उतनी ही जरूरत फिल्म में विजय सेतुपति जैसे विलेन की भी थी. जैसी एक्टिंग विक्रम में विजय ने की है, अगर साउथ के साथ साथ बॉलीवुड भी विजय सेतुपति का दीवाना हो रहा है तो ये यूं ही नहीं है.

विक्रम में अपनी एक्टिंग के जरिये विजय ने बता दिया कि बॉलीवुड में उनकी दीवानगी इन दिनों यूं ही नहीं है

ध्यान रहे विजय सेतुपति का शुमार साउथ के उन एक्टर्स में हैं जिन्हें बॉलीवुड अपनी फिल्मों में कास्ट करने के लिए बेक़रार है. बात अगर सबसे लेटेस्ट गॉसिप की हो तो खबर यही है कि शाहरुख़ की आने वाली फिल्म जवान में भी हमें विजय सेतुपति की एक्टिंग के जलवे दिखेंगे. 

एक्टिंग के लिहाज से विजय सेतुपति का कद क्या है? इसका अंदाजा हमें विक्रम देखते हुए आसानी से लग सकता है. फिल्म में ड्रग्स माफिया बने विजय की  एंट्री ही इतनी धांसू है कि बतौर दर्शक मुंह से सीटी निकल ही जाएगी. आगे कुछ और बात हो लेकिन हमें इस चीज को भी समझना होगा कि विजय का साउथ में एक ऑरा है और विक्रम के लिए निर्माता निर्देशकों ने उसका पूरा ख्याल रखा है.

कैसे? आइये इस बात को फिल्म के उस सीन से समझें जिसमें चंदन बने विजय की एंट्री को पर्दे पर दर्शकों के सामने लाया गया है. जैसा कि ज्ञात है फिल्म में विजय ड्रग्स माफिया हैं जिनका अपना एक साम्राज्य है. एक कॉन्सटेबल उन्हें पकड़ लेता है और ऑटो में बिठा के थाने ला रहा होता है. कॉन्स्टेबल को नहीं पता कि उसने किसे पकड़ा है लेकिन जब तक उसे इस बात का एहसास होता है तब तक विजय उसे उसी की सर्विस गन से गोली मार देता है.

ये सब चलते हुए ऑटो में हो रहा होता है तो इस छीना  झपटी में ऑटो पलट जाता है. बाद में उस ऑटो से विजय को निकलते हुए दिखाया गया है.जिस तरह से इस सीन को फिल्माया गया है वो तो बेहतरीन है ही साथ ही इस सीन के दौरान ही ये एहसास हो जाता है कि फिल्म के लिहाज से चंदन कितना खतरनाक है.

चाहे वो फिल्म के लिए विजय का लुक हो या फिर उनके सोने के दांत एक्टिंग से लेकर एक्सप्रेशन तक फिल्म में विजय ऐसा बहुत कुछ कर गए हैं जो उनकी परफॉरमेंस को एक अवार्ड विनिंग परफॉरमेंस में तब्दील करता है. फिल्म में एक सीन है जहां स्पेशल एजेंट बने फहाद विजय के घर पर आरडीएक्स लगा देते हैं इस सीन में भी चाहे वो अपने परिवार के प्रति चंदन का समर्पण हो या फिर अपने आदमियों की जान की परवाह जैसे विजय ने इस सीन को निभाया है वो इतिहास में दर्ज हो चुका है.

हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि विक्रम सिर्फ कमल की फिल्म नहीं है. अगर फिल्म में निर्माता निर्देशक किसी और को कास्ट करते तो भले ही ये फिल्म बनकर तैयार हो जाती लेकिन हमें इस बात का भी पूरा विश्वास है कि फिल्म में वो बात हरगिज न आ पाती जो सिर्फ विजय के कारण आई.

विक्रम का हर वो सीन जिसमें हमने विजय को पर्दे पर अपनी एक्टिंग के जौहर दिखाते देखा, इस बात की तस्दीख कर देता है कि विजय अपने आप में एक्टिंग का एक चलता फिरता स्कूल हैं. जिनकी एक्टिंग सिनेमा की दुनिया में भविष्य तलाशते नवांकुरित एक्टर्स से लेकर सिनेमा के शौकीनों तक सभी को देखनी चाहिए.

बहरहाल विक्रम में कमल और फहाद के साथ तो विजय अपना जलवा दिखा ही चुके हैं लेकिन जिस तरह अब बॉलीवुड की नजर उनपर गयी है साफ़ हो गया है कि बॉलीवुड के निर्माता निर्देशक उनका ऑरा देखकर इस बात को बखूबी समझ चुके हैं कि बायकॉट बॉलीवुड के इस दौर में विजय सेतुपति ही वो संजीवनी हैं जो दम तोड़ते हुए बॉलीवुड को नयी ज़िन्दगी दे सकते हैं. 

ये भी पढ़ें -

सेक्सुअलिटी पर मोनिका डोगरा के खुलासे के बीच जानिए 'पैनसेक्सुअल' क्या होता है?

आमिर खान की तमाम कोशिशों के बावजूद Laal Singh Chaddha के लिए माहौल नहीं बन पा रहा है!

Ranveer vs Wild With Bear Grylls Review: रणवीर की ओवरएक्टिंग का लोग मजाक उड़ा रहे हैं! 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲