• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

मिसाल है Annu Kapoor की जिंदगी का सफर, कभी चाय बेचकर करते थे गुजारा!

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 20 फरवरी, 2021 11:15 PM
  • 20 फरवरी, 2021 11:15 PM
offline
Annu Kapoor Birthday: मशहूर एक्टर अन्नू कपूर बॉलीवुड के एक ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपनी एक्टिंग से हमेशा दर्शकों का मन मोह लिया है. लेकिन लोगों के दिलों में जगह बनाने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष भी किया है. उनको ये मुकाम इतनी आसानी से हासिल नहीं हुआ है.

'मैंने अपने जीविकोपार्जन के लिए चाय बेची. फ्राइड फूड का स्टाल तक लगाया. इसलिए मेरे जीवन में कठिनाइयां कोई नई नहीं थीं. समस्याओं को तो बचपन से ही मैंने जिया है. फिल्म इंडस्ट्री में जब काम करना शुरू किया, तब तक मुझे पता चल गया था कि संघर्ष का क्या मतलब है. किसी भी कार्यक्षेत्र में प्रतिभा को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, ऐसा करके वे अपना ही नुकसान करते हैं. जो लोग कड़ी मेहनत करते हैं, वे कहीं भी, किसी भी हाल में जीवित रह सकते हैं, हासिल कर सकते हैं. 29 जून 1982 को मैं महज 419 रुपये 25 पैसे लेकर मुंबई आया था.' जी हां, ये सारी बातें सदाबहार एक्टर, सिंगर और एंकर अन्नू कपूर ने कही हैं, जिनका आज जन्मदिन है. उनके जीवन के 65, तो करियर के 39 साल पूरे हो गए हैं.

हर सफलता के पीछे एक संघर्ष की दास्तान होती है. बिना संघर्ष सफलता हासिल नहीं होती. फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष (Struggle) एक पैमाना है. संघर्ष करने वाला यानि संघर्षकर्ता के लिए 'स्ट्रगलर' (Struggler) एक तमगा है, जो लंबे समय तक उसकी पहचान बनी रहती है. खासकर के आउटसाइडर के लिए. बॉलीवुड के शहंशाह और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी बहुत संघर्ष किया था. उनको आल इंडिया रेडियो से यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया कि उनकी आवाज खराब है. फिल्मों में रोल इसलिए नहीं मिलते थे कि उनकी लंबाई अधिक है. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज उनकी 'कमियां' उनकी 'खूबियां' बनकर लोगों के सिर चढ़कर बढकर बोल रही हैं. लेकिन बिगबी के भी जीवन संघर्ष को मैं उतना बड़ा नहीं मानता, जितना की अन्नू कपूर का है.

29 जून 1982 को महज 419 रुपये 25 पैसे लेकर मुंबई पहुंचे थे अन्नू कपूर.

अन्नू कपूर साल 1982 में मुंबई पहुंचे. उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत उस दौर के मशहूर फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल...

'मैंने अपने जीविकोपार्जन के लिए चाय बेची. फ्राइड फूड का स्टाल तक लगाया. इसलिए मेरे जीवन में कठिनाइयां कोई नई नहीं थीं. समस्याओं को तो बचपन से ही मैंने जिया है. फिल्म इंडस्ट्री में जब काम करना शुरू किया, तब तक मुझे पता चल गया था कि संघर्ष का क्या मतलब है. किसी भी कार्यक्षेत्र में प्रतिभा को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, ऐसा करके वे अपना ही नुकसान करते हैं. जो लोग कड़ी मेहनत करते हैं, वे कहीं भी, किसी भी हाल में जीवित रह सकते हैं, हासिल कर सकते हैं. 29 जून 1982 को मैं महज 419 रुपये 25 पैसे लेकर मुंबई आया था.' जी हां, ये सारी बातें सदाबहार एक्टर, सिंगर और एंकर अन्नू कपूर ने कही हैं, जिनका आज जन्मदिन है. उनके जीवन के 65, तो करियर के 39 साल पूरे हो गए हैं.

हर सफलता के पीछे एक संघर्ष की दास्तान होती है. बिना संघर्ष सफलता हासिल नहीं होती. फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष (Struggle) एक पैमाना है. संघर्ष करने वाला यानि संघर्षकर्ता के लिए 'स्ट्रगलर' (Struggler) एक तमगा है, जो लंबे समय तक उसकी पहचान बनी रहती है. खासकर के आउटसाइडर के लिए. बॉलीवुड के शहंशाह और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी बहुत संघर्ष किया था. उनको आल इंडिया रेडियो से यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया कि उनकी आवाज खराब है. फिल्मों में रोल इसलिए नहीं मिलते थे कि उनकी लंबाई अधिक है. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज उनकी 'कमियां' उनकी 'खूबियां' बनकर लोगों के सिर चढ़कर बढकर बोल रही हैं. लेकिन बिगबी के भी जीवन संघर्ष को मैं उतना बड़ा नहीं मानता, जितना की अन्नू कपूर का है.

29 जून 1982 को महज 419 रुपये 25 पैसे लेकर मुंबई पहुंचे थे अन्नू कपूर.

अन्नू कपूर साल 1982 में मुंबई पहुंचे. उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत उस दौर के मशहूर फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल की फिल्म मंडी से साल 1983 में की थी. इस फिल्म में अन्नू कपूर ने डॉक्टर की भूमिका निभाई थी। हालांकि उनका रोल ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन उनकी बेहतरीन अदाकारी से उन्होंने हर किसी का ध्यान अपनी ओर जरूर खींच लिया. दरअसल, उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग के गुर सीखे थे. 'एक रुका हुआ फैसला' नाटक में उन्होंने 23 साल की उम्र में 70 साल के बुजुर्ग शख्स का किरदार निभाया था. उनका यही किरदार श्याम बेनेगल को बेहद पसंद आया, जिसके बाद उन्होंने अन्नू को अपनी फिल्म मंडी में कास्ट करने का मन बनाया था. श्याम बेनेगल की फिल्म से करियर की शुरूआत, हर एक्टर का सपना हुआ करता था. लेकिन अन्नू की किस्मत में शायद अभी संघर्ष करना लिखा था. इस अच्छी शुरूआत के बाद भी उनको अच्छे रोल की दरकार रही.

लंबे संघर्ष के बाद खुला किस्मत का ताला

फिल्म मंडी के बाद उन्होंने बेताब, मशाल, उत्सव, अर्जुन, चमेली की शादी और तेजाब जैसी कई बड़ी फिल्मों में काम किया, लेकिन रोल छोटे ही मिले. हालांकि, छोटे रोल में ही वह दमदार छाप छोड़ जाते थे. अन्नू कपूर आज जिस छवि के साथ हमारे सामने मौजूद हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उनको करीब 20 वर्षों का लंबा संघर्ष करना पड़ा. सही मायने में उनकी किस्मत जागी, जब उन्होंने टेलीविजन प्रोग्राम करने शुरू किए. साल 1993 में दूरदर्शन पर अंताक्षरी प्रोग्राम शुरू हुआ, जिसमें अन्नू एंकर हुआ करते थे. उनके बोलने का अंदाज लोगों को बहुत पसंद आया. इसके बाद 'व्हील स्मार्ट श्रीमती' टीवी शो के जरिए तो वो घर-घर पहुंच गए. उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी. फिल्मों में भी उनको अच्छे और बड़े रोल ऑफर होने लगे. ड्रीम गर्ल, जॉली एलएलबी 2, कंधार, विक्की डोनर, सात खून माफ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया. हालही में उनकी एक वेब सीरीज पौरषपुर (Paurashpur) रिलीज हुई है.

पर्सनल लाइफ में भी आए उतार-चढ़ाव

अन्नू कपूर की पर्सनल लाइफ में भी बहुत से उतार-चढ़ाव आए. उनकी पत्नी अनुपमा उनसे 13 साल छोटी थीं. शादी के बाद दोनों 17 साल तक साथ रहे, लेकिन साल 1993 में तलाक हो गया. साल 1995 में अंताक्षरी प्रोग्राम के सेट पर अन्नू की अरुनिता से मुलाकात हुई. दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और फिर शादी कर ली. उनकी एक बेटी अराधिता भी है, जो साल 2001 में हुई थी. इसी बीच अन्नू कपूर और उनकी पहली पत्नी अनुपमा के बीच संबंध दोबोरा प्रगाढ़ हो गए. दोनों एक-दूसरे से मिलने लगे. दोनों गुपचुप होटल में मिला करते थे. अरुनिता को जब ये सारी बातें पता चलीं, तो उन्होंने अन्नू से अलग होना ही ठीक समझा. दोनों ने तलाक ले लिया. फिर साल 2008 में अन्नू ने एक बार फिर अपनी पहली पत्नी अनुपमा से शादी कर ली.

अन्नू कपूर को बदलना पड़ा असली नाम

फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद अन्नू कपूर को अपना नाम बदलना पड़ा था. इसका भी एक बड़ा दिलचस्प किस्सा है. अन्नू कपूर और अनिल कपूर ने 'मशाल' नामक फ़िल्म में एक साथ काम किया था. इसमें अनिल हीरो थे, जबकि अन्नू को एक छोटा सा रोल मिला था. उनको सिर्फ चार लाइनें बोलनी थीं, जिसके बदले उन्हें चार हजार रुपए मेहनताना दिया जाना था. 'मशाल' यशराज प्रोडक्शन की फ़िल्म थी. अन्नू अपना चेक लेने गए, तो उन्हें 10 हजार का चेक मिला. इतने पैसे का चेक देखकर वो हैरान रह गए. लेकिन उस वक्त पैसों की सख्त जरूरत थी, सो चुपचाप रख लिए.

इधर अनिल कपूर के भाई बोनी कपूर ने प्रोडक्शन से शिकायत की कि उनके भाई को चार हजार रुपये का चेक दिया गया है. अकाउंटेंट ने चेक किया तो पता चला कि अनिल कपूर के नाम से दो चेक कटे थे. एक 4 हजार दूसरा 10 हजार का, लेकिन चेक अदला-बदली हो गया. दरअसल, अन्नू का असली नाम भी अनिल कपूर ही था. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना बदल दिया था. एक ही इंडस्ट्री में दो लोग एक नाम से रहते, तो ऐसी समस्या उनको बार-बार फेस करनी पड़ती. वैसे उत्तर भारत में अनुराग, अनवर या अनुपम जैसे नामों के लिए अन्नू बहुत ही पॉपुलर निक नेम होता है, इसलिए उन्होंने अपना नाम अनिल से अन्नू कपूर रखने का फैसला कर लिया.

डॉक्टर या IAS अफसर चाहते थे बनना

अन्नू कपूर का जन्म 20 फरवरी 1956 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ था. उनके पिता का नाम मदनलाल कपूर था, जो पंजाबी थे. उनकी माता का नाम कमल कपूर था, जो बंगाली थीं. मदनलाल कपूर ट्रेवलिंग पारसी थियेटर कंपनी के मालिक हुआ करते थे, जो शहर-शहर जा-जाकर गली नुक्कड़ पर नाटक किया करती थी. उनकी माता एक कवियत्री और क्लासिकल डांसर थीं. दादाजी डॉ. कृपा राम कपूर ब्रिटिश आर्मी में चिकित्सक थे. उनकी दादी गंगा राम कपूर स्वतंत्र संग्राम सेनानी थी. इस तरह अन्नू कपूर का फैमिली बैकग्राउंड तो बहुत शानदार था, लेकिन बाद के दिनों में आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी. यहां तक की खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया था.

अन्नू कपूर के दो भाई और एक बहन है. बड़े भाई रंजीत कपूर फिल्म डायरेक्टर और स्क्रीन राइटर हैं. उनके छोटे भाई निखिल कपूर राइटर हैं. छोटी बहन सीमा कपूर एक्ट्रेस हैं. तीनों भाई और बहन ने अपनी मेहनत और प्रतीभा के दम पर फिल्म इंडस्ट्री में अपना मुकाम हासिल किया है. वैसे अन्नू पहले डॉक्टर या आईएएस अफसर बनने का सपना देखते थे, लेकिन परिवार की हालत देख उन्होंने 10वीं के बाद ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद काम के साथ उन्होंने एक्टिंग सीखनी शुरू कर दी. इस दौरान वह नाटक में रोल किया करते थे. आज अभिनेता अन्नू कपूर सिनेमा जगत में अपने लीक से हटकर अभिनय और वाकपटुता के लिए जाने जाते हैं. एक्टिंग हो या सिंगिंग या फिर एंकरिंग उन्होंने अपनी एक अलग जगह बना ली है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲