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सिनेमा में श्रीराम: सत्ता बदलते ही कैसे खत्म हुआ मर्यादा पुरुषोत्तम का वनवास!

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 11 अप्रिल, 2022 11:22 PM
  • 11 अप्रिल, 2022 01:22 PM
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सिनेमा से श्रीराम का वनवास खत्म हो गया. कभी गैंगस्टर और माफिया डॉन पर फिल्में बनाने वाला बॉलीवुड अब राममय हो चुका है. फिल्म निर्माण के केंद्र में अब रामायण और उसके पात्र हैं. इस फेहरिस्त में कई फिल्में हैं.

''हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥ रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥''...श्रीरामचरितमानस की इस चौपाई का अर्थ है, जिस प्रकार श्री हरि विष्णु अनंत हैं, उसी प्रकार उनकी कथा भी अनंत है. सभी लोग उसे बहुत प्रकार से सुनते और सुनाते हैं. कुछ ऐसे ही जैसे कई हिंदी फिल्म मेकर्स ने अपने-अपने अनुसार श्रीराम की कहानी को रूहपहले पर्दे पर जीवंत किया है. अलग-अलग दौर में श्रीराम के जीवन और उनकी कहानी पर आधारित कई फिल्में बनाई गई हैं. इनमें 'चंद्रसेन' (1931), 'भरत मिलाप' (1942), 'राम राज्य' (1943), 'रामबाण' (1948), 'हनुमान पाताल विजय' (1951), 'रामायण' (1954), 'संपूर्ण रामायण' (1961), 'राम राज्य' (1967), 'बजरंग बली' (1976) और 'लव कुश' (1997) जैसी फिल्मों का नाम प्रमुख है. इसी दौरान साल 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित 'रामायण' सीरियल की लोकप्रियता से भी हर कोई वाकिफ है. लेकिन साल 1990 के बाद एक ऐसा दौर आया जब देश में तुष्टीकरण की राजनीति होने लगी, तब समाज में भी इसका व्यापक असर दिखा. इसके बाद सिनेमा से श्रीराम का वनवास हो गया.

ओम राउत के निर्देशन में बन रही फिल्म 'आदिपुरुष' में प्रभास श्रीराम के किरदार में नजर आएंगे.

इस दौरान श्रीराम के नाम की सियासत करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने मर्यादा पुरुषोत्तम का अलख जगाए रखा. उनको पता था कि तुष्टीकरण का जवाब ध्रुवीकरण हो सकता है, जिसके लिए राम नाम का सहारा लेना ही पड़ेगा. इसमें उनको सफलता भी मिली. राम मंदिर आंदोलन और हिंदुत्व के एजेंडे के जरिए भारतीय जनता पार्टी साल 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ गई. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी. इसके बाद पूरे हिंदुस्तान में प्रखर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का तेजी से प्रसार हुआ. लोगों में हिंदू धर्म के प्रति आस्था बढ़ती गई. देश...

''हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥ रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥''...श्रीरामचरितमानस की इस चौपाई का अर्थ है, जिस प्रकार श्री हरि विष्णु अनंत हैं, उसी प्रकार उनकी कथा भी अनंत है. सभी लोग उसे बहुत प्रकार से सुनते और सुनाते हैं. कुछ ऐसे ही जैसे कई हिंदी फिल्म मेकर्स ने अपने-अपने अनुसार श्रीराम की कहानी को रूहपहले पर्दे पर जीवंत किया है. अलग-अलग दौर में श्रीराम के जीवन और उनकी कहानी पर आधारित कई फिल्में बनाई गई हैं. इनमें 'चंद्रसेन' (1931), 'भरत मिलाप' (1942), 'राम राज्य' (1943), 'रामबाण' (1948), 'हनुमान पाताल विजय' (1951), 'रामायण' (1954), 'संपूर्ण रामायण' (1961), 'राम राज्य' (1967), 'बजरंग बली' (1976) और 'लव कुश' (1997) जैसी फिल्मों का नाम प्रमुख है. इसी दौरान साल 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित 'रामायण' सीरियल की लोकप्रियता से भी हर कोई वाकिफ है. लेकिन साल 1990 के बाद एक ऐसा दौर आया जब देश में तुष्टीकरण की राजनीति होने लगी, तब समाज में भी इसका व्यापक असर दिखा. इसके बाद सिनेमा से श्रीराम का वनवास हो गया.

ओम राउत के निर्देशन में बन रही फिल्म 'आदिपुरुष' में प्रभास श्रीराम के किरदार में नजर आएंगे.

इस दौरान श्रीराम के नाम की सियासत करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने मर्यादा पुरुषोत्तम का अलख जगाए रखा. उनको पता था कि तुष्टीकरण का जवाब ध्रुवीकरण हो सकता है, जिसके लिए राम नाम का सहारा लेना ही पड़ेगा. इसमें उनको सफलता भी मिली. राम मंदिर आंदोलन और हिंदुत्व के एजेंडे के जरिए भारतीय जनता पार्टी साल 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ गई. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी. इसके बाद पूरे हिंदुस्तान में प्रखर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का तेजी से प्रसार हुआ. लोगों में हिंदू धर्म के प्रति आस्था बढ़ती गई. देश में मोदी युग के उदय के साथ ही रामयुग भी शुरू हुआ. इसी दौरान राम मंदिर को लेकर हिंदुओं के हक में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो समाज में राम नाम की लहर दौड़ गई. ऐसे में भला सिनेमा जगत कैसे अछूता रह सकता था. फिल्म इंडस्ट्री में श्रीराम पर फिल्में बनाने की होड़ लग गई. सिनेमा से श्रीराम का वनवास खत्म हो गया. कभी गैंगस्टर और माफिया डॉन पर फिल्में बनाने वाला बॉलीवुड अब राममय हो चुका है. फिल्म निर्माण के केंद्र में अब रामायण और उसके पात्र हैं. इस फेहरिस्त में कई फिल्में हैं.

समाज के प्रति पेश किए गए श्रीराम के आदर्श हर दौर में प्रासंगिक रहे हैं. यही वजह है कि उनकी कहानी और दुनिया फिल्म मेकर्स को आकर्षित करती रही है. काल, किरदार, कलाकार और नजरिया भले ही बदलते रहे, लेकिन बदलते समय के अनुसार श्रीराम की कहानी में फिल्म मेकर्स को कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं होती है. उनकी कहानी में हर रस मौजूद है. श्रृंगार, करुणा, हास्य, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत इन सभी नौ रसों से सराबोर उनकी कहानी का पान हर कोई करना चाहता है. यहां तक कि फिल्म मेकर्स अपने अनुसार श्रीराम से जुड़े भावों और किरदारों को अपने नजरिए से अपनी फिल्मों में पेश करते रहे हैं. कई बार उनको प्रतीक रूप में भी इस्तेमाल किया गया है. 25 मार्च को रिलीज हुई राजामौली की चर्चित फिल्म 'आरआरआर' को ही ले लीजिए. इसमें रामायण के तीन प्रमुख पात्रों से प्रेरित किरदारों को प्रमुखता से फिल्म में जगह दी गई है. श्रीराम, सीता और हनुमान. इसमें फिल्म के लीड एक्टर रामचरण को राम, आलिया भट्ट को सीता और जूनियर एनटीआर को हनुमान के रूप में देखा जा सकता है. आने वाले समय में रिलीज होने वाली करीब आधा दर्जन से अधिक फिल्में राम नाम पर ही आधारित हैं.

इस कड़ी में सबसे प्रमुख फिल्म 'आदिपुरुष' है, जो कि हिंदू महाकाव्य रामायण का ऑन-स्क्रीन रूपांतरण है. श्रीराम के जीवन पर आधारित है. डायरेक्टर ओम राउत के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में श्रीराम का किरदार 'बाहुबली' फेम सुपरस्टार प्रभास, सीता का किरदार एक्ट्रेस कृति सेनन, लक्ष्मण का किरदार अभिनेता सनी सिंह और रावण का किरदार सैफ अली खान निभा रहे हैं. 3डी फॉर्मेट में बन रही इस फिल्म में 8000 वीएफएक्स शॉट्स का इस्तेमाल किया गया है. करीब 500 करोड़ रुपए के मेगा बजट में बन रही इस फिल्म को पैन इंडिया पांच भाषाओं हिंदी, तेलुगू, तमिल, मलयालम और कन्नड़ में रिलीज किया जाएगा. फिल्म को भूषण कुमार, ओम राउत, प्रसाद सुतर और राजेश नायर मिलकर प्रोड्यूस कर रहे हैं. राम नवमी के मौके पर निर्देशक ओम राउत ने इसका पोस्टर शेयर किया है, जिसमें राम के किरदार में प्रभास दिव्य लग रहे हैं. फिल्म में बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत को दिखाए जाने की बात कहते हुए राउत लिखते हैं, ''उफनता वीरता का सागर, छलकती वात्सल्य की गागर. जन्म हुआ प्रभु श्रीराम का, झूमें नाचे हर जन घर नगर.''

इसके साथ ही बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत आलौकिक देसाई की बिग बजट माइथोलॉजिकल ड्रामा फिल्म 'सीता द इनकारेशन' में लीड रोल में नजर आने वाली हैं. इस फिल्म में कंगना सीता के किरदार में दिखाई देने वाली है. वहीं, फिल्म 'पद्मावत' में अलाउद्दीन खिलजी का नेगेटिव रोल निभाने वाले अभिनेता रणवीर सिंह लंकेश रावण के किरदार में नजर आएंगे. पूरी फिल्म को सीता के नजरिए से पेश किया जाएगा. कंगना से पहले इस फिल्म में करीना कपूर खान को सीता का रोल दिया जा रहा था, हालांकि ज्यादा फीस की मांग करने पर उन्हें फिल्म से रिप्लेस कर दिया गया. फिल्म के डायलॉग और लिरिक्स मनोज मुंतशिर ने तैयार की है, जिन्होंने फिल्म 'बाहुबली' के गाने और डायलॉग लिखे थे. इसे सलोनी शर्मा और अंशिता देसाई मिलकर प्रोड्यूस कर रहे हैं. सुपरस्टार अक्षय कुमार भी राम नाम पर आधारित एक फिल्म कर रहे हैं. उनकी फिल्म राम सेतु में एक पुरातत्वविद के नजरिए से राम सेतु से जुड़ी कहानी प्रस्तुत की जाएगी. फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है. इसके पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है. फिल्म को इसी साल दिवाली पर रिलीज किया जाएगा.

राम मंदिर पर जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो उसी वक्त अभिनेत्री कंगना रनौत ने फिल्म 'अपराजित अयोध्या' का ऐलान किया था. कंगना के प्रोडक्शन हाउस में बन रही इस फिल्म में श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के महत्व और उसके इतिहास को दर्शाया जाएगा. इस फिल्म के बारे में एक इंटरव्यू में कंगना ने कहा था, "राम मंदिर सैकड़ों वर्षों से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है. 80 के दशक में पैदा हुए एक बच्चे के रूप में मैं जमीन विवाद के कारण अयोध्या का नाम एक नकारात्मक विषय के रूप में सुनती आई हूं. इस केस ने भारतीय राजनीति का चेहरा बदल दिया. इसके फैसले ने भारत की धर्मनिरपेक्ष भावना को मूर्त रूप देते हुए सदियों पुराने विवाद को खत्म कर दिया. अपराजित अयोध्या की इस यात्रा को जो चीज अलग बनाती है वह है एक नास्तिक का आस्तिक बनने तक का सफर. कहीं न कहीं, यह मेरे सफर को भी दर्शाएगा. मैंने तय किया है कि यही मेरे प्रोडक्शन हाउस का सबसे सही विषय होगा. राम मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं है, बल्कि एक भावना है, मेरे लिए अयोध्या बहुत प्रतीकात्मक है. पिछले 500-600 वर्षों की यह यात्रा बहुत ही रोमांचक है."

अंत में, श्रीराम जैसे पौराणिक किरदार जिस पर पहले भी कई बार फिल्में और सीरियल बन चुके हैं, उनके जीवन पर बनने वाली किसी नई फिल्म में 500 करोड़ रुपए लगाया जा रहा है, ये इस बात का सबूत है कि राम आस्था के साथ कमर्शियल सिनेमा के लिए भी उपयुक्त विषय हैं. वरना इस दौर में किसी फिल्म पर इतनी बड़ी रकम लगाने से पहले कोई भी प्रोड्यूसर 100 बार सोचेगा, लेकिन फिल्म मेकर्स को इस बात का भरोसा है कि राम नाम के सागर में जितनी बार गोता लगाएंगे, उतनी बार नई कहानी लेकर सामने आएंगे. जो समाज को प्रभावित करने के साथ ही दर्शकों को रोमांचित करेगा. क्योंकि आज के दौर में फिल्म निर्माण के लिए कैमरे से लेकर, मेकअप, एक्शन, एडिटिंग और वीएफएक्स हर चीज के लिए उत्तम तकनीक उपलब्ध है. ऐसे में फिल्म मेकर्स श्रीराम के पराक्रम और उनकी दुनिया को भव्यता के साथ पर्दे पर प्रस्तुत कर सकते हैं. जो कि फिल्म 'आदिपुरुष' के मेकर्स प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं. भारतीय सिनेमा में श्रीराम का वनवास खत्म हो चुका है. आने वाले समय में उन पर आधारित एक से बढ़कर सिनेमा देखने को मिलने वाला है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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