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'बाला' और 'उजडा चमन' जैसी फिल्मों का बनना भी जरूरी है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 02 अक्टूबर, 2019 10:45 AM
  • 02 अक्टूबर, 2019 10:44 AM
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फिल्म Bala और Ujda Chaman उस वक्त आई हैं जब गंजेपन के आंकड़े डराने वाले हैं. अमेरिका में करीब 66 प्रतिशत लोग गंजे हैं जबकि भारत में प्रत्येक 10 में से कम से कम 2 व्यक्ति गंजेपन के शिकार हैं.

लड़की को लड़का पसंद नहीं आया, कह रही है कि लड़के के सिर पर बाल कम हैं. रंग को छोड़कर शायद यही एक बात ऐसी है जो लड़कों को सबसे ज्यादा परेशान करती होगी. एक बार को मोटापे को कम किया जा सकता है लेकिन, जिस तरह रंग रूप पर किसी का जोर नहीं उसी तरह बालों के झड़ने पर भी नहीं है. बाल तो वक्त की तरह हैं, जो एक बार चले जाएं तो फिर लौटकर नहीं आते.

कम उम्र में जिन पुरुषों के बाल झड़ जाते हैं उनके लिए बालों को झड़ना ठीक उसी तरह की पीड़ा देता है जिस तरह एक सांवली लड़की को उसका रंग देता है. लेकिन आज समाज से दो सांत्वना सांवली लड़कियों को मिलती है वो इन पुरुषों को नहीं मिली. क्या गंजापन एक तरह की body shaming नहीं है? अफसोस कि गंजेपन की वजह से हीन भावना और आत्मविश्वास की कमी से आज भी न जाने कितने पुरुष जूझ रहे हैं.

उम्र होने पर बाल गिरना आम है लेकिन समय से पहले गिरने वाले बाल परेशान करते हैं

लेकिन कहते हैं फिल्में समाज का आईना होती हैं. और खुशी हो रही है ये देखकर कि आज के फिल्म मेकर्स हर छोटे-से छोटे और बड़े से बडे मुद्दे पर फिल्म बना देते हैं. जो बात अब तक आम आदमी की परेशानी या फिर शर्म हुआ करती थी, वो फिल्म के रूप में दर्शकों के सामने आ जाती है. और इसीलिए पसंद भी की जाती है. क्योंकि हर व्यक्ति उसके साथ खुद को रिलेट कर लेता है. याद काजिए फिल्म 'दम लगाके हइशा' को. एक मोटी महिला की जब शादी होती है तो किस तरह का जीवन होता है वो इस फिल्म में बड़ी खूबसूरती के साथ दिखाया गया था.

खैर बात जब गंजेपन की हो रही है तो बता दें कि कुछ समय पहले ही आयुष्मान खुराना की आने वाली एक फिल्म 'बाला' का टीजर रिलीज किया गया था, जिसमें वो गंजेपन के शिकार हैं. वो बड़े अच्छे मूड में सिर पर टोपी लगाए गाने गाते हुए बाइक चला रहे हैं, लेकिन हवा के झोंके ने सारी...

लड़की को लड़का पसंद नहीं आया, कह रही है कि लड़के के सिर पर बाल कम हैं. रंग को छोड़कर शायद यही एक बात ऐसी है जो लड़कों को सबसे ज्यादा परेशान करती होगी. एक बार को मोटापे को कम किया जा सकता है लेकिन, जिस तरह रंग रूप पर किसी का जोर नहीं उसी तरह बालों के झड़ने पर भी नहीं है. बाल तो वक्त की तरह हैं, जो एक बार चले जाएं तो फिर लौटकर नहीं आते.

कम उम्र में जिन पुरुषों के बाल झड़ जाते हैं उनके लिए बालों को झड़ना ठीक उसी तरह की पीड़ा देता है जिस तरह एक सांवली लड़की को उसका रंग देता है. लेकिन आज समाज से दो सांत्वना सांवली लड़कियों को मिलती है वो इन पुरुषों को नहीं मिली. क्या गंजापन एक तरह की body shaming नहीं है? अफसोस कि गंजेपन की वजह से हीन भावना और आत्मविश्वास की कमी से आज भी न जाने कितने पुरुष जूझ रहे हैं.

उम्र होने पर बाल गिरना आम है लेकिन समय से पहले गिरने वाले बाल परेशान करते हैं

लेकिन कहते हैं फिल्में समाज का आईना होती हैं. और खुशी हो रही है ये देखकर कि आज के फिल्म मेकर्स हर छोटे-से छोटे और बड़े से बडे मुद्दे पर फिल्म बना देते हैं. जो बात अब तक आम आदमी की परेशानी या फिर शर्म हुआ करती थी, वो फिल्म के रूप में दर्शकों के सामने आ जाती है. और इसीलिए पसंद भी की जाती है. क्योंकि हर व्यक्ति उसके साथ खुद को रिलेट कर लेता है. याद काजिए फिल्म 'दम लगाके हइशा' को. एक मोटी महिला की जब शादी होती है तो किस तरह का जीवन होता है वो इस फिल्म में बड़ी खूबसूरती के साथ दिखाया गया था.

खैर बात जब गंजेपन की हो रही है तो बता दें कि कुछ समय पहले ही आयुष्मान खुराना की आने वाली एक फिल्म 'बाला' का टीजर रिलीज किया गया था, जिसमें वो गंजेपन के शिकार हैं. वो बड़े अच्छे मूड में सिर पर टोपी लगाए गाने गाते हुए बाइक चला रहे हैं, लेकिन हवा के झोंके ने सारी सच्चाई लोगों के सामने रख दी. चौड़ा माथा या यूं कहें कि बाल झड़ने की तकलीफ उनके चेहरे पर साफ दिख रही है. भले ही इस बेहद सामान्य से ट्रेलर को देखने के बाद लोगों की हंसी न रुक रही हो, लेकिन असल में ये ऐसी जगह चोट करता है जो किसी को नजर नहीं आता.

अभी बाला के टीजर का एक्साइटमेंट खत्म नहीं हुआ था कि एक और फिल्म का ट्रेलर सामने आया. फिल्म का नाम है 'उजड़ा चमन'और जैसा कि नाम से जाहिर है कि यहां भी मामला वही है. अक्सर जिस व्यक्ति के बाल उड़ जाते हैं उसे समाज बड़ी बेदर्दी के साथ 'उजड़ा चमन' या फिर 'टकला' कहकर ही बुलाता है. बता दें कि ये शब्द भी उतना ही दर्द देते हैं जितना कि मोटी लड़कियों को 'मोटी' कहकर बुलाना. हां वो बात और है कि इसकी तासीर वही बता सकता है जिसके लिए ये बोले गए हों.

खैर फिल्म का ट्रेलर कहता है कि ये कहानी है एक 30 साल के शख्स चमन की जिसके बाल समय से पहले गए. और अब इसी वजह से उसे रिश्ते नहीं मिल रहे. कैसे घरवाले परेशान हैं और किस तरह मायूस वो खुद है. फिल्म में चमन बने हैं सन्नी सिंह जिनकी पिछली फिल्म थी Sonu Ke Titu Ki Sweety.

ये फिल्में उस वक्त आई हैं जब गंजेपन के आंकड़े डराने वाले हैं. अमेरिका में करीब 66 प्रतिशत लोग गंजे हैं जबकि भारत में प्रत्येक 10 में से कम से कम 2 व्यक्ति गंजेपन के शिकार हैं. और तो और भारत में गंजापन उम्र के 20वें साल से शुरू हो जाता है. एक ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्म का आना अपने आप प्रशंसनीय होता है जिसपर अमूमन न तो चर्चा की जाती है और न उसे तरजीह दी जाती है. ऐसे में फिल्म के लेखक और निर्देशक दोनों तारीफ के काबिल हैं. जिन्होंने इस सब्जेक्ट पर पिल्म बनाई जो body shaming का एक प्रकार है. फिल्म 'बाला' के निर्देशक हैं Amar Kaushik जिनकी पिछली फिल्म थी 'स्त्री'. और 'उजड़ा चमन' बनाई है Abhishek Pathak ने जो Pyaar Ka Punchnama सीरीज बना चुके हैं.

एक ही सब्जेक्ट पर बनी इन दोनों फिल्मों की खास बात ये हैं कि दोनों फिल्मों के कलाकार आयुष्मान खुराना और सन्नी सिंह इस गेटअप में पहचाने नहीं जा रहे हैं. इससे ये भी साबित होता है कि समय से पहले बालों का झड़ जाना व्यक्ति के लुक को किस कदर बदल देता है. वो लुक जिसकी वो कल्पना नहीं करते और वो लुक जो धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास को खत्म करता जाता है. अगर ये मुद्दा फिल्म में उठा है तो ये फिल्में ही बताएंगी कि इसका समाधान क्या है. इसलिए इस फिल्म का इंतजार करना तो बनता है. ये फिल्में करीब-करीब साथ ही में रिलीज हो रही हैं. उजड़ा चमन 8 नवंबर को रिलीज हो रही है जबकि बाला 22 नवंबर को.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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