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Pokhran Test: परमाणु परीक्षण के इर्द-गिर्द बनी देखिए ये चार अहम फिल्में

    • आईचौक
    • Updated: 11 मई, 2022 11:21 PM
  • 11 मई, 2022 11:00 PM
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24 साल पहले आज के ही दिन राजस्थान के पोखरण में लगातार पांच परमाणु परीक्षण करके भारत ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. यह सबकुछ बहुत ही गोपनीय तरीके से अमेरिकी सेटलाइट की नाक के नीचे अंजाम दिया गया था. इस ऐतिहासिक घटना को जॉन अब्राहम की फिल्म 'परमाणु' में बहुत विस्तार से दिखाया गया है.

''जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान'' के नारे के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब कहा, ''आज 15.45 बजे भारत ने पोखरण रेंज में अंडरग्राउड तीन न्यूक्लियर टेस्ट किए हैं'', पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई. दुनिया स्तब्ध रह गई. अमेरिका हैरान रह गया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी इतनी मुस्तैदी के बावजूद हिंदुस्तान ने आखिरकार ये किया कैसे है? लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया था. इसका असली श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है. उनकी वजह से ही राजस्थान के पोखरण में ऑपरेशन शक्ति' के तहत किए इन परीक्षणों के जरिए भारत ने अटल इरादों का परिचय देते हुए सशक्त भारत के सपने को साकार किया था. अटलजी से पहले इंदिरा गांधी के नेतृत्व में साल 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया गया था.

इस परीक्षण के बाद अमेरिका सहित उसके पिछलग्गू दुनिया के तमाम देशों ने भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. लेकिन अपना देश अडिग रहा. उसने दुनिया को बताया कि हमने परमाणु परीक्षण किसी को डराने के लिए नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए किया है. श्री रामचरित मानस में तुलसी दास ने लिखा है, ''भय बिनु होइ न प्रीति''. कई बार बिना डर के प्रेम नहीं होता है. सभी जानते हैं कि हिंदुस्तान के दो पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान किसी तरह की साजिश करते रहते हैं. हर समय दोनों ओर से युद्ध का खतरा बना रहता है. सीमा पर लगातार बना रहने वाला तनाव इसका प्रमाण है. ऐसे में परमाणु जैसा हथियार होना किसी देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है. यही वजह है कि इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी की दूरगामी सोच की वजह से परीक्षण संभव हो पाया, वरना आज चीन-पाक हमारे सिर पर सवार होते. हालांकि, ये भी सच है कि परमाणु हथियार का इस्तेमाल समूची सृष्टि के लिए खतरा है. इसकी विभीषिका पूरी दुनिया ने जापान के नागासाकी और हिरोशिमा में देख लिया है.

''जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान'' के नारे के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब कहा, ''आज 15.45 बजे भारत ने पोखरण रेंज में अंडरग्राउड तीन न्यूक्लियर टेस्ट किए हैं'', पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई. दुनिया स्तब्ध रह गई. अमेरिका हैरान रह गया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी इतनी मुस्तैदी के बावजूद हिंदुस्तान ने आखिरकार ये किया कैसे है? लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने इस असंभव को भी संभव कर दिखाया था. इसका असली श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है. उनकी वजह से ही राजस्थान के पोखरण में ऑपरेशन शक्ति' के तहत किए इन परीक्षणों के जरिए भारत ने अटल इरादों का परिचय देते हुए सशक्त भारत के सपने को साकार किया था. अटलजी से पहले इंदिरा गांधी के नेतृत्व में साल 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया गया था.

इस परीक्षण के बाद अमेरिका सहित उसके पिछलग्गू दुनिया के तमाम देशों ने भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. लेकिन अपना देश अडिग रहा. उसने दुनिया को बताया कि हमने परमाणु परीक्षण किसी को डराने के लिए नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए किया है. श्री रामचरित मानस में तुलसी दास ने लिखा है, ''भय बिनु होइ न प्रीति''. कई बार बिना डर के प्रेम नहीं होता है. सभी जानते हैं कि हिंदुस्तान के दो पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान किसी तरह की साजिश करते रहते हैं. हर समय दोनों ओर से युद्ध का खतरा बना रहता है. सीमा पर लगातार बना रहने वाला तनाव इसका प्रमाण है. ऐसे में परमाणु जैसा हथियार होना किसी देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है. यही वजह है कि इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी की दूरगामी सोच की वजह से परीक्षण संभव हो पाया, वरना आज चीन-पाक हमारे सिर पर सवार होते. हालांकि, ये भी सच है कि परमाणु हथियार का इस्तेमाल समूची सृष्टि के लिए खतरा है. इसकी विभीषिका पूरी दुनिया ने जापान के नागासाकी और हिरोशिमा में देख लिया है.

उन प्रमुख फिल्मों के बारे में जानते हैं जिनमें परमाणु परीक्षण की प्रक्रिया और प्रभाव को विस्तार से दिखाया गया है...

1. फिल्म- परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण

रिलीज डेट- 25 मई 2018

स्टारकास्ट- जॉन अब्राहम, डायना पेंटी, बोमन ईरानी, अनुजा साठे

डायरेक्टर- अभिषेक शर्मा

कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स

'परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण' अभिषेक शर्मा के निर्देशन में बनी है. फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है, जो कि साल 1998 में राजस्थान के पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण की दास्तान है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे यूएस द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से नजर रखने के बावजूद भारतीय वैज्ञानिक परमाणु परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम देते हैं. इसमें परमाणु परीक्षण की प्रक्रिया को सिलसिलेवार तरीके से दिखाया गया है. इतना ही नहीं इस दौरान आड़े आने वाले राजनीतिक रोड़ों और महत्वाकांक्षओं के बारे में भी विस्तार से दिखाया गया है. फिल्म को सच के करीब दिखाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का रियल फुटेज इस्तेमाल किया गया है. जेए एंटरटेनमेंट, जी स्टूडियो, केवायटीए प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म में जॉन अब्राहम लीड रोल में हैं. वो फिल्म में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के किरदार में हैं. 'परमाणु' बॉलीवुड की पहली फिल्म में है, जिसमें परमाणु परीक्षण को आधार बनाकर इतना विस्तार से दिखाया गया है. इसे देखने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि आप 24 साल पहले हुए इस परीक्षण में शरीक हैं.

2. फिल्म- ट्रिनिटी एंड बियॉन्ड

रिलीज डेट- 29 सितंबर, 1995

डायरेक्टर- पीटर कुरान

कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो

'ट्रिनिटी एंड बियॉन्ड' परमाणु परीक्षण और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल होने के बाद होने वाली त्रासदी को दर्शाती अमेरिकन डॉक्यूमेंट्री है. इसका निर्माण और निर्देशन पीटर कुरान ने किया है. विलियम शैटनर इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में नैरेटर की भूमिका में हैं. इसमें साल 1945 में हुए अमेरिकी परमाणु परीक्षण से लेकर साल 1964 में हुए चाइना न्यूक्लियर टेस्ट तक के रियल फुटेज इस्तेमाल किए गए हैं. कहीं-कहीं स्पेशल इफेक्ट का भी इस्तेमाल किया गया है, ताकि लोगों के सामने वास्तविक सच्चाई को बेहतर तरीके से पेश किया जा सके. अमेरिका ने 16 जुलाई 1945 को अपना पहला परमाणु परीक्षण करके दुनिया की दशा और दिशा बदल दी थी. अमेरिका ने 16 जुलाई 1945 को न्‍यू मेक्सिको के रेगिस्‍तान में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था. इस मिशन को नाम 'ट्रिनिटी' दिया गया था. परमाणु बम को 'द गैजेट' नाम दिया गया था. इसके बाद से ही दुनिया में परमाणु हथियारों की होड़ शुरू हो गई थी. इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से यही बताने की कोशिश की गई है कि परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल फायदे से ज्यादा नुकसान के लिए किया गया है.

3. फिल्म- द एटॉमिक कैफे

रिलीज डेट- 17 मार्च 1982

डायरेक्टर- केविन रैफर्टी, जेने लोडर और पियर्स रैफर्टी

कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो

साल 1982 में बनी अमेरिकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'द एटॉमिक कैफे' का निर्देशन केविन रैफर्टी, जेन लोडर और पियर्स रैफर्टी ने किया है. इस फिल्म में परमाणु हथियारों की होड़ दिखाई गई है. अमेरिका और चीन द्वारा किेए गए परमाणु परीक्षणों के बाद पूरी दुनिया में एटमी हथियारों की होड़ शुरू हो गई. इसी बीच जब संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध शुरू हुआ तो स्थिति पहले से ज्यादा भयावह हो गई. इसी फेज को इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में रियल फुटेज, मिलिट्री ट्रेनिंग फिल्म के फुटेज और न्यूज फुटेज को कम्पाइल करके दिखाया गया है. इसमें बिना किसी नैरेशन के फुटेज को एडिट करके फिल्म बनाई गई है और यह दिखाने की कोशिश की गई है कि किस तरह से अमेरिकी सरकार ने गलत सूचनाओं को प्रसार और प्रोपेगैंडा के जरिए वहां के लोगों को इस भ्रम में रखा था कि परमाणु हथियारों से किसी तरह का नुकसान नहीं हो सकता है.

4. फिल्म- द डे ऑफ्टर ट्रिनिटी

रिलीज डेट- 20 जून 1981

स्टारकास्ट- हंस बेथे, रॉबर्ट सर्बे, रॉबर्ट विल्सन, फ्रैंक ओपेनहाइमर और फ्रीमैन डायसन

डायरेक्टर- रशमोर डीनूयर

कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स

डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'द डे आफ्टर ट्रिनिटी का निर्देशन और निर्माण जॉन एच एल्स ने सैन जोस के सहयोग से किया है. यह फिल्म जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर (1904-1967) की कहानी बताती है, जो सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने जुलाई 1945 में न्यू मैक्सिको में ट्रिनिटी साइट पर किए परमाणु परीक्षण का नेतृत्व किया था. डॉक्यूमेंट्री फिल्म में अमेरिकी परमाणु परीक्षण के बाद के समय का जिक्र किया गया है. परीक्षण के बाद क्या प्रभाव हुआ था? इस बारे में फिल्म में विस्तार से दिखाया और बताया गया है. इसमें परीक्षण में शामिल वैज्ञानिकों का इंटरव्यू भी शामिल किया गया है. रियल फुटेज के साथ नाटकीय रूपांतरण भी किया गया है, ताकि दर्शकों को आसानी से समझ में आ सके.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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