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Tashkent Files: शास्त्री जी की मौत का राज़ हमेशा ही सवाल खड़े करता है

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 26 मार्च, 2019 04:19 PM
  • 26 मार्च, 2019 04:19 PM
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The Tashkent Files फिल्म का ट्रेलर बताता है कि भारत के पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की मौत की गुत्थी किस तरह दबाई जा रही है. शास्त्री जी की मौत से जुड़े राज़ आज भी बहुत गहरे हैं.

इन दिनों बॉलीवुड में बेहद अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां मल्टी स्टारर फिल्मों से ज्यादा लो बजट वाली आम आदमी की फिल्में ज्यादा चल रही हैं जैसे 'बधाई हो', 'अंधाधुन', 'स्त्री' आदि और दूसरी तरफ बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक थ्रिलर फिल्मों का दौर शुरू हो गया है. हाल ही में फिल्म 'बदला' का बेहतरीन प्रदर्शन हुआ और अब आने वाली है वो फिल्म जो बॉलीवुड की नहीं बल्कि भारत के सबसे बड़े राज़ पर बनी है. ये राज़ है भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत का राज़.

विवेक रंजन अग्निहोत्री जो इसके पहले 'बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम', 'जुनूनियत', 'मोहम्मद और ऊर्वशी' जैसी फिल्में बना चुके हैं. अब वो लाल बहादुर शास्त्री की मौत की कहानी लेकर आए हैं. कहानी ऐसी जो हिंदुस्तान की सबसे बड़ी मिस्ट्री के कुछ राज़ पर्दे पर दिखाएगी. लाल बहादुर शास्त्री की मौत एक बेहद संजीदा मामला है जो आज तक हल नहीं हो पाया.

'The Tashkent Files' फिल्म का ट्रेलर अपने आप में इतिहास की कई उलझी हुई गुत्थियों की कहानी बताता है. ये ट्रेलर नसीरुद्दीन शाह, श्वेता बासू प्रसाद, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती, पंकज त्रिपाठी जैसे मंझे हुए कलाकार हैं जो खास तौर पर इसे एक बेहतरीन फिल्म बनाते हैं.

जहां एक ओर ये ट्रेलर अपनी अलग गुत्थी बताता है वहीं लाल बहादुर शास्त्री की जिंदगी और उनकी मौत से जुड़े कुछ राज़ इस ट्रेलर में दिखाए नहीं गए हैं. शास्त्री जी की मौत आज भी भारत के लिए एक ऐसा राज़ है जिसे न तो किसी सरकार, न ही किसी कमेटी, न ही भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने हल किया. उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में 11 जनवरी 1966 की दर्मियानी रात में शास्त्री जी के साथ क्या हुआ था ये राज़ हमेशा छुपाया गया और आज भी इसे भारत के सबसे गहरे राज़ों में से एक माना जाता है. एक दिन पहले भारत-पाक के बीच ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. विवेक अग्निहोत्री की फिल्म कहती है कि लाल बहादुर शास्त्री की मौत का संबंध सुभाष चंद्र बोस से था और ये राज़ शास्त्री जी के साथ ही इस दुनिया से...

इन दिनों बॉलीवुड में बेहद अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां मल्टी स्टारर फिल्मों से ज्यादा लो बजट वाली आम आदमी की फिल्में ज्यादा चल रही हैं जैसे 'बधाई हो', 'अंधाधुन', 'स्त्री' आदि और दूसरी तरफ बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक थ्रिलर फिल्मों का दौर शुरू हो गया है. हाल ही में फिल्म 'बदला' का बेहतरीन प्रदर्शन हुआ और अब आने वाली है वो फिल्म जो बॉलीवुड की नहीं बल्कि भारत के सबसे बड़े राज़ पर बनी है. ये राज़ है भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत का राज़.

विवेक रंजन अग्निहोत्री जो इसके पहले 'बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम', 'जुनूनियत', 'मोहम्मद और ऊर्वशी' जैसी फिल्में बना चुके हैं. अब वो लाल बहादुर शास्त्री की मौत की कहानी लेकर आए हैं. कहानी ऐसी जो हिंदुस्तान की सबसे बड़ी मिस्ट्री के कुछ राज़ पर्दे पर दिखाएगी. लाल बहादुर शास्त्री की मौत एक बेहद संजीदा मामला है जो आज तक हल नहीं हो पाया.

'The Tashkent Files' फिल्म का ट्रेलर अपने आप में इतिहास की कई उलझी हुई गुत्थियों की कहानी बताता है. ये ट्रेलर नसीरुद्दीन शाह, श्वेता बासू प्रसाद, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती, पंकज त्रिपाठी जैसे मंझे हुए कलाकार हैं जो खास तौर पर इसे एक बेहतरीन फिल्म बनाते हैं.

जहां एक ओर ये ट्रेलर अपनी अलग गुत्थी बताता है वहीं लाल बहादुर शास्त्री की जिंदगी और उनकी मौत से जुड़े कुछ राज़ इस ट्रेलर में दिखाए नहीं गए हैं. शास्त्री जी की मौत आज भी भारत के लिए एक ऐसा राज़ है जिसे न तो किसी सरकार, न ही किसी कमेटी, न ही भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने हल किया. उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में 11 जनवरी 1966 की दर्मियानी रात में शास्त्री जी के साथ क्या हुआ था ये राज़ हमेशा छुपाया गया और आज भी इसे भारत के सबसे गहरे राज़ों में से एक माना जाता है. एक दिन पहले भारत-पाक के बीच ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. विवेक अग्निहोत्री की फिल्म कहती है कि लाल बहादुर शास्त्री की मौत का संबंध सुभाष चंद्र बोस से था और ये राज़ शास्त्री जी के साथ ही इस दुनिया से चला गया.

- शास्त्री जी की मृत्यु की मिस्ट्री क्या है?

शास्त्री जी को भारत का एक ऐसा प्रधानमंत्री माना जाता है जिसपर चाह कर भी कोई उंगली नहीं उठा सकता. वो प्रधानमंत्री जिसने लोन लेकर अपनी पहली कार खरीदी थी जिसकी मौत के बाद भी उसके परिवार ने वो लोन चुकाया. लाल बहादुर शास्त्री की मौत एक ऐसे समय पर हुई थी जब भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते सुधर सकते थे. भारत न्यूक्लियर टेस्ट सालों पहले कर सकता था.

कई पीढ़ियां बीत गईं, लेकिन शास्त्री जी की मौत के राज़ से पर्दा नहीं हट सका. ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 10 जनवरी 1966 को शाम 4 बजे शास्त्री जी अपने रूसी मेज़बान द्वारा दिए गए विला में पहुंचे. उन्होंने देर रात हल्का खाना खाया. जिसे टीएन कौल (मॉस्को के भारतीय अम्बैसेडर) के निजी खानसामे जान मोहम्मद ने बनाया था. शास्त्री जी की सेवा में एक रूसी बटलर भी था जिसने 11.30 बजे शास्त्री जी को एक ग्लास दूध दिया था. तब तक वो पूरी तरह से ठीक थे.

इस फिल्म में लाल बहादुर शास्त्री की मौत को बोस के गायब होने से जोड़ा गया है

रात 1.25 पर 11 जनवरी को शास्त्री जी उठते हैं और बहुत खांसते हैं. जिस कमरे में भारत का प्रधानमंत्री था उसमें कोई भी इंटरकॉम या फोन नहीं था ये बहुत आश्चर्य की बात है. वो उठकर दूसरे कमरे में जाते हैं और अपने निजी डॉक्टर आरएन चुघ को बुलाने को कहते हैं. जब तक डॉक्टर आते हैं शास्त्री जी की हालत बेहद खराब हो जाती है. उन्हें दिल के दौरे के लक्ष्ण हो रहे होते हैं. आरएन चुघ ज्यादा कुछ नहीं कर पाए और शास्त्री जी चल बसे.

उसके बाद जो हुआ वो सबसे बड़ा राज़ है. शास्त्री जी के लंग्स और गले में कट थे. जो जहर की ओर इशारा कर रहे थे. शास्त्री जी का शरीर भी नीला पड़ने लगा था, लेकिन इतने के बाद भी न तो उनका पोस्ट मॉर्टम हुआ न ही उससे जुड़े कोई दस्तावेज़ दिए गए. रशियन बटलर और जान मोहम्मद को गिरफ्तार किया गया और कड़ी पूछताछ हुई, लेकिन कुछ न सामने आया. जान मोहम्मद उसके बाद राष्ट्रपति भवन का खानसामा बना दिया गया.

लाल बहादुर शास्त्री एक कमेटी की स्थापना भी करना चाहते थे जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के राज़ पर एक कमेटी बनाई जाए. जग्दीश कोडेसिया जो उस समय दिल्ली कांग्रेस चीफ थे उनका मानना था कि शास्त्री जी की मौत का संबंध नेताजी के राज़ से हैं.

पत्रकार कुलदीप नायर जो उस समय ताशकंद में मौजूद थे वो भी ये मानते हैं कि शास्त्री जी को जहर दिया गया था, लेकिन उनपर भी काफी दबाव बनाया गया.

शास्त्री जी की मौत और CIA का संबंध-

एक राज़ और भी है जो अधिकतर लोग नहीं जानते. ग्रेगरी डगलस (Gregory Douglas) एक पत्रकार जिसने CIA के एजेंट रॉबर्ट क्राउली का इंटरव्यू लिया था वो कहते हैं कि लाल बहादुर शास्त्री यहां तक कि डॉक्टर होमी भाभा जिन्हें भारत की न्यूक्लियर साइंस का पिता कहा जाता है उनकी मौत भी CIA का काम था. लाल बहादुर शास्त्री ने न्यूक्लियर टेस्ट के लिए हरी झंडी दिखा दी थी और अमेरिका इस बात से डरा हुआ था कि अगर ऐसा हुआ तो इंडो-रशिया संबंध बहुत बढ़ेंगे और भारत और रशिया दोनों ताकतवर हो जाएंगे. ये बात किताब "Conversations with the Crow" में लिखी गई है.

- अब तक सरकारें इसकी जानकारियां क्या कहकर गोपनीय रखती आईं?

लाल बहादुर शास्त्री की मौत के समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के समेत कई देशों के डिप्लोमैट्स वहां मौजूद थे. शास्त्री जी की मौत पर उस समय कोई कवरेज नहीं हुआ था. मीडिया शांत था. CIA's Eye on South Asia के लेखक अनुज धार ने बाद में इस बारे में RTI भी डाली थी और कहा था कि पूर्व पीएम की मौत से जुड़े दस्तावेज़ सामने लाए जाएं, लेकिन सरकार ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो कई देशों के साथ हमारे संबंध खराब हो जाएंगे. अभी तक कई बार सरकार ये जवाब दे चुकी है कि इससे न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय संबंध खराब होंगे बल्कि भारत में भी अशांति फैल जाएगी. कुलदीप नायर द्वारा फाइल की गई RTI में भी कुछ इसी तरह की बात कही गई थी. होम मिनिस्ट्री ने शास्त्री जी की मौत की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से जुड़ी जानकारी भी नहीं साफ की है. इससे जुड़ी सभी RTI दबा दी गईं. MEA पहले ही कह चुकी है कि शास्त्री जी की मौत के समय कोई पोस्ट मॉर्टम नहीं हुआ था. इसलिए सभी RTI निल हो जाती है.

PMO ने सिर्फ दो सवालों के जवाब दिए वो ये कि उनके पास सिर्फ एक ही दस्तावेज है इससे जुड़ा और उसे सार्वजनिक करना RTI के दायरे से बाहर है. दूसरा कि मौत के बाद कोई पोस्ट मॉर्टम नहीं हुआ था और मेडिकल इंवेस्टिगेशन टीम डॉक्टर आरएन चुघ द्वारा ही चुनी गई थी और उन्हीं की रिपोर्ट है.

- कुछ लोग लगातार शास्त्री जी की मृत्यु के कारणों की खोज में लगे रहे हैं?

शास्त्री जी के परिवार ने शुरू से ही इस मामले में सवाल उठाए और कहा कि शास्त्री जी की मौत से जुड़े सारे राज़ जाहिर किए जाएं. इतना ही नहीं कुलदीप नयर, अनुज धार और इन जैसे कई एक्टिविस्ट शास्त्री जी की मौत के राज़ से पर्दा उठाना चाहते थे. लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने 2018 में भी इस बात के लिए आंदोलन छेड़ा था कि उनकी मौत से जुड़े दस्तावेज़ बाहर लाए जाएं. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी कुछ नेताओं ने इसके लिए आवाज़ उठाई थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ.

- शास्त्री जी के अंतिम समय के साथी और उनके बयान/शंकाएं?

शास्त्री जी के अंतिम समय में उनके साथ बहुत ज्यादा लोग नहीं थे. कुलदीप नायर ने भी शास्त्री जी की मौत पर अपना बयान दिया था. "मैंने जल्दी-जल्दी अपना कोट पहना और नीचे आ गया. जब मैं शास्त्री जी के डाचा में पहुंचा तो देखा बरामदे में रूसी प्रधानमंत्री कोसिगिन खड़े थे. उन्होंने मेरी तरफ़ देखकर इशारा किया कि शास्त्री जी नहीं रहे. जब मैं कमरे में पहुंचा तो देखा बहुत बड़ा कमरा था और उस कमरे में एक बहुत बड़ा पलंग था. उसके ऊपर एक बहुत छोटा सा आदमी नुक्ते की तरह सिमटा हुआ निर्जीव पड़ा था. रात ढाई बजे के करीब जनरल अयूब आए. उन्होंने दुख जताया और कहा, "Here lies a person who could have brought India and Pakistan together.''(यहां एक ऐसा आदमी लेटा हुआ है जो भारत और पाकिस्तान को साथ ला सकता था).

शास्त्री जी की मौत के साथ ही दो अन्य मौतों का भी हिसाब नहीं मिला. वो थी शास्त्री जी की मौत के दो अन्य गवाह. जिस रात शास्त्री जी की मौत हुई थी उस रात दो अन्य गवाह भी थे जिन्हें 1977 में पार्लियामेंट के सामने पेश होना था. एक थे डॉक्टर आरएन चुघ जिनके सामने शास्त्री जी की मौत हुई थी.

वो अपना बयान देने जा रहे थे उसी बीच रास्ते में उनकी कार की एक ट्रक से टक्कर हो गई और उनके साथ उनके परिवार की भी मौत हो गई सिर्फ उनके बेटी इससे बच पाई थी.

दूसरा गवाह था राम नाथ एक अन्य नौकर जो शास्त्री जी के साथ ही था, लेकिन मौत के समय टीएन कौल के खानसामा ने खाना बनाया था न कि राम नाथ ने. साथ ही, कई अन्य मौकों पर भी राम नाथ पर संदेह गया था, लेकिन फिर भी कुछ न हो सका. राम नाथ एक दिन शास्त्री जी के घर पहुंचा और कहा, 'बहुत दिन का बोझ था अम्मा, आज सब बता देंगे.' राम नाथ के कुछ भी बताने से पहले वो भी एक कार एक्सिडेंट का शिकार हो गया और उसके दोनों पैर कट गए और याददाश्त चली गई.

- शास्त्री जी की पत्नी की प्रतिक्रिया और सवाल?

लाल बाहुदर शास्त्री की मृत्‍यु के बाद काफी समय तक उनकी पत्नी ललिता शास्त्री खुद को कोसती रहीं. शास्त्री जी का ये इकलौता ऐसा टूर था जिसमें वो उनके साथ नहीं थीं. दरअसल, शास्त्री जी के सलाहकार और अन्य अधिकारियों ने कहा था कि क्योंकि ये एक अच्छा समय नहीं है और ये दौरा किसी सही कारण से नहीं किया जा रहा है इसलिए ललिता शास्त्री का जाना सही नहीं होगा. शास्‍त्री जी का पार्थिव शरीर जब दिल्‍ली पहुंचा, तो ललिता शास्‍त्री ने वहां मौजूद अफसरों से कुछ सवाल किए. पहला तो शास्‍त्री जी के शव के नीला पड़ जाने को लेकर था. दूसरा, शास्‍त्री जी के शरीर पर कट के निशान थे, जबकि उनका पोस्‍टमॉर्टम नहीं हुआ था. शास्‍त्री जी के दो पर्सनल असिस्‍टेंट पर ललिता शास्‍त्री बहुत नाराज हुईं, जिन्‍होंने यह लिखकर देने से मना कर दिया था कि शास्‍त्री जी की मृत्‍यु संदिग्‍ध परिस्थिति में हुई और उसे प्राकृतिक नहीं माना जा सकता. ललिता शास्‍त्री अपने पति की मृत्‍यु की कारणों की जांच करवाना चाहती थीं, लेकिन वह कभी संतोषजनक नहीं हुई.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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