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तापसी पन्नू ने बुलंद की बॉलीवुड में वेतन असमानता की बात, एक मुद्दा जो सिर्फ उछलता है

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 06 जुलाई, 2021 03:15 PM
  • 06 जुलाई, 2021 03:15 PM
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फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेताओं की तुलना में अभिनेत्रियों को कम पेमेंट किया जाता रहा है, बेशक वह समान वेतन की हकदार रही हों. पहले फिल्म इंडस्ट्री की कुछ धाकड़ अभिनेत्रियों ने इसके खिलाफ खुलकर अपनी आवाज बुलंद की है और वो काफी हद तक वेतन की असमानता को कम करने में सफल भी रही हैं.

समय के साथ जैसे-जैसे समाज बदलता है, उस दौर का सिनेमा भी बदल जाता है. एक वक्त था जब फिल्मों में महिलाएं केवल शो पीस हुआ करती थीं. फिल्मों में नायक की माशूका, मां और बहन के किरदार में रूप में ही उनकी पहचान होती थी. भारतीय सिनेमा के इतिहास के पहले दशक में बनी ज्यादातर फिल्में धार्मिक विषयों पर आधारित थीं, जिनमें महिला कलाकार देवियों की तरह व्यवहार करती थीं. लेकिन समाज सुधारकों की वजह से जब समाज बदला, तो महिलाओं की स्थिति पहले की तुलना में मजबूत हुई, इसके बाद सिनेमा भी बदलने लगा. साल 1937 में आई फिल्म 'दुनिया ना माने' में एक विधवा का विरोध हो या फिर साल 1956 में फिल्म 'मदर इंडिया' की राधा, जिसने पति के छोड़ जाने के बाद न सिर्फ परिवार का पेट पाला, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने विद्रोही बेटे को गोली भी मार दी.

इसके बाद दामिनी, लज्जा, डोर, वाटर, क्वीन, पिंक, इंग्लिश विंग्लिश और लिपस्टिक अंडर माई बुर्का जैसी फिल्मों में महिला किरदारों और कलाकारों की स्थिति लगातार सशक्त होती गई. पुरुष कलाकारों की तुलना में उन्हें अच्छे और प्रभावी रोल मिलने लगे. यहां तक कि कई महिला प्रधान फिल्में भी बनने लगीं. कंगना रनौत, तापसी पन्नू, दीपिका पादुकोण, श्रीदेवी, हेमा मालिनी, रानी मुखर्जी और रेखा जैसी एक्ट्रेस की कई ऐसी फिल्में आईं, जिसमें सफलता और असफलता की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही थी. इस तरह जब महिला कलाकार फायदे और नुकसान के लिए बराबर की जिम्मेदार बनीं, तो उन्होंने अपने हक के लिए अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी. सबसे पहले महिलाओं के लिए सेट पर जरूरी सुविधाओं की मांग की गई, इसके बाद अब पुरुष कलाकारों के बराबर वेतन की मांग की जा रही है.

हमेशा से ही फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेताओं की तुलना में अभिनेत्रियों को कम पेमेंट किया जाता रहा है.

'हसीन...

समय के साथ जैसे-जैसे समाज बदलता है, उस दौर का सिनेमा भी बदल जाता है. एक वक्त था जब फिल्मों में महिलाएं केवल शो पीस हुआ करती थीं. फिल्मों में नायक की माशूका, मां और बहन के किरदार में रूप में ही उनकी पहचान होती थी. भारतीय सिनेमा के इतिहास के पहले दशक में बनी ज्यादातर फिल्में धार्मिक विषयों पर आधारित थीं, जिनमें महिला कलाकार देवियों की तरह व्यवहार करती थीं. लेकिन समाज सुधारकों की वजह से जब समाज बदला, तो महिलाओं की स्थिति पहले की तुलना में मजबूत हुई, इसके बाद सिनेमा भी बदलने लगा. साल 1937 में आई फिल्म 'दुनिया ना माने' में एक विधवा का विरोध हो या फिर साल 1956 में फिल्म 'मदर इंडिया' की राधा, जिसने पति के छोड़ जाने के बाद न सिर्फ परिवार का पेट पाला, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने विद्रोही बेटे को गोली भी मार दी.

इसके बाद दामिनी, लज्जा, डोर, वाटर, क्वीन, पिंक, इंग्लिश विंग्लिश और लिपस्टिक अंडर माई बुर्का जैसी फिल्मों में महिला किरदारों और कलाकारों की स्थिति लगातार सशक्त होती गई. पुरुष कलाकारों की तुलना में उन्हें अच्छे और प्रभावी रोल मिलने लगे. यहां तक कि कई महिला प्रधान फिल्में भी बनने लगीं. कंगना रनौत, तापसी पन्नू, दीपिका पादुकोण, श्रीदेवी, हेमा मालिनी, रानी मुखर्जी और रेखा जैसी एक्ट्रेस की कई ऐसी फिल्में आईं, जिसमें सफलता और असफलता की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही थी. इस तरह जब महिला कलाकार फायदे और नुकसान के लिए बराबर की जिम्मेदार बनीं, तो उन्होंने अपने हक के लिए अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी. सबसे पहले महिलाओं के लिए सेट पर जरूरी सुविधाओं की मांग की गई, इसके बाद अब पुरुष कलाकारों के बराबर वेतन की मांग की जा रही है.

हमेशा से ही फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेताओं की तुलना में अभिनेत्रियों को कम पेमेंट किया जाता रहा है.

'हसीन दिलरुबा' तापसी पन्नू ने बुलंद की आवाज

हाल ही में 'हसीन दिलरुबा' फिल्म में नजर आई तापसी पन्नू ने कलाकारों के बीच वेतन असमानता का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है. उन्होंने कहा कि ज्यादा पैसे मांगने वाली महिला कलाकार को एक 'मुश्किल' के रूप में देखा जाता है. वहीं यदि कोई पुरुष कलाकार अपनी फीस बढ़ाता है तो इसे सफलता का संकेत माना जाता है. तापसी ने कहा, 'यदि कोई फीमेल एक्टर ज्यादा फीस की डिमांड करती है, तो उसे 'मुश्किल' और 'समस्याग्रस्त' बता दिया जाता है. यदि कोई मेल एक्टर ज्यादा फीस मांगता है, तो यह उसकी सफलता का प्रतीक कहा जाता है. अंतर यह है कि जिन मेल एक्टर्स ने मेरे साथ करियर की शुरुआत की है, वे मेरी तुलना में 3-5 गुना ज्यादा कमाते हैं. जैसे-जैसे हम हाई स्टार कैटेगरी में जाते हैं, तो यह अंतर बढ़ता जाता है.' तापसी के इस बयान ने उस मांग को हवा दे दी है, जिसे पहले कई एक्ट्रेस उठा चुकी हैं.

जब करीना ने कहा- अक्षय जितनी पेमेंट चाहिए

सभी जानते हैं कि अभिनेता अक्षय कुमार फिल्म इंडस्ट्री के सबसे ज्यादा फीस लेने वालों से हैं. वो एक साल में सबसे अधिक फिल्मों भी करते हैं और पैसे भी ज्यादा लेते हैं. कई बार तो उनकी फीस फिल्म के कुल बजट के बराबर या अधिक होती है. फिल्म 'गुड न्यूज' में उनकी को-स्टार रही करीना कपूर ने समान मेहताने की मांग उठाई थी. एक प्रोग्राम के दौरान इस फिल्म के प्रोड्यूसर करण जौहर से उन्होंने कहा था कि उनको भी अक्षय जितना ही पेमेंट किया जाए. करीना ने कहा था, 'फिल्म छोड़ने के कई कारण हैं, लेकिन कभी यह वजह नहीं रही है. मुझे पसंद है कि मुझे मेरे कोस्टार जितना ही पेमेंट किया जाए. प्लीज मुझे भी उतना भुगतान करें, जितना आपने अक्षय कुमार को किया है.' इतना ही नहीं करण जौहर ने जब कहा कि आपको उतने ही पैसे दिए जा रहे हैं, तो करीना ने प्रोग्राम तक छोड़ने की धमकी दे दी थी.

कम पेमेंट पर दीपिका पादुकोण ने ठुकराई फिल्म

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने तो अपने को-स्टार की तुलना में पेमेंट कम होने के कारण एक फिल्म को ठुकरा दिया था. इस बात का खुलासा खुद अभिनेत्री ने ही किया था. उन्होंने बताया था, 'मैंने एक फिल्म को सिर्फ इस वजह से ठुकरा दिया था, क्योंकि इस फिल्म में मेरे मेल को-स्टार की तुलना में काफी कम पेमेंट मिल रहा था. मुझे अपने ट्रैक रिकॉर्ड और अपनी कीमत की जानकारी है. मुझे पता है कि बहुत सी फिल्में मेरी फिल्मों से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं, इसलिए इस बात का कोई आधार नहीं है. मुझे उस फिल्म में काम करने से इनकार करने में कोई परेशानी नहीं हुई क्योंकि मुझे यह गलत लगा. मुझे नहीं लगता कि मैं इस बात के साथ नहीं जी सकूंगी कि मैं एक ऐसे फिल्म का हिस्सा थी, जिसमें उस फिल्म के एक्टर के साथ बराबर काम करने के बावजूद मुझे कम पेमेंट दिया गया था.'

फिल्म इंडस्ट्री में भेदभाव की शिकार महिलाएं

सेलिना जेटिली ने भी महिला कलाकारों को कम पेमेंट मिलने की बात पर कहा था, 'बॉलीवुड इंडस्ट्री भले ही लोगों को प्रेरणा देती है, लेकिन खुद इस इंडस्ट्री में महिला और पुरुषों में काफी असमानता है. महिलाओं को भी अपने साथी पुरुष अभिनेताओं के बराबर फीस मिलनी चाहिए. मेहनताने में यह भेदभाव ठीक नहीं है. मैंने कई बार ये महसूस किया है कि यदि किसी महिला के साथ किसी तरह का उत्पीड़न हुआ है तो सबसे पहले फिल्म के पुरुष साथी कलाकार को इसके खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए, न कि पल्ला झाड़ लेना चाहिए. इससे समाज मे बड़ा बदलाव देखने को मिल सकेगा. पीड़ित महिला सामने आकर अपनी बात रखने की हिम्मत मिलेगी. ये लड़ाई ऐसी है जिसे तलवार या चाकू या किसी हथियार से नहीं लड़ा जा सकता. हमें एकजुट होकर लड़ना होगा. हमें मिलकर बदलाव लाने की जरूरत है.'

आइए जानते हैं टॉप फिल्मी सितारे इस वक्त प्रति फिल्म कितना पेमेंट चार्ज करते हैं...

1. शाहरुख खान

पेमेंट/फिल्म- 100 करोड़

2. सलमान खान

पेमेंट/फिल्म- 100 करोड़ रुपए

3. आमिर खान

पेमेंट/फिल्म- 50 से 60 करोड़ रुपए

4. अक्षय कुमार

पेमेंट/फिल्म- 125 करोड़

5. रितिक रौशन

पेमेंट/फिल्म- 40 से 50 करोड़ रुपए

6. रणबीर कपूर

पेमेंट/फिल्म- 25 करोड़ रुपए

7. अमिताभ बच्चन

पेमेंट/फिल्म- 18 से 20 करोड़ रुपए

8. दीपिका पादुकोण

पेमेंट/फिल्म- 22-25 करोड़ रुपए

9. प्रियंका चोपड़ा

पेमेंट/फिल्म- 20-22 करोड़ रुपए

10. करीना कपूर

पेमेंट/फिल्म- 17 करोड़ रुपए

11. कंगना रनौत

पेमेंट/फिल्म- 25 करोड़ रुपए

12. अनुष्का शर्मा

पेमेंट/फिल्म- 10 करोड़ रुपए


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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