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Rasbhari: सेक्स भारत में टैबु है इसके नाम पर सॉफ्ट पॉर्न कब तक परोसा जाएगा?

    • अनु रॉय
    • Updated: 07 जुलाई, 2020 08:20 PM
  • 07 जुलाई, 2020 08:20 PM
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एक्टर स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) ने अमेज़न प्राइम (Amazon Prime) पर आई वेब सीरीज 'रसभरी' (Rasbhari) के लिए अपने पिता को सलाह दी है कि वो उसे अकेले में देखें. स्वरा का ऐसा करना इस बात की पुष्टि कर देता है कि स्वरा जिस फेमिनिज्म का ढोल पीटती है वो फेक है.

भारत (India) में सेक्स (Sex) पर खुल कर बातें नहीं होती इसका ये मतलब कत्तई नहीं है कि पॉर्न दिखा कर सेक्स की अवेर्नेस आएगी. सेल्फ़-प्रोक्लेम्ड फ़ेमिनिस्ट को ये बात समझनी होगी. रसभरी जैसी वेबसीरिज़ देख कर कौन शिक्षित हो रहा ये मेरे समझ से परे की बात है. हां, उसमें दिखाए अधकचरे न्यूड-सीन को देख कर यौन-कुंठाएं और विकसित  ये तय है. और ये बात मैं यूं ही नहीं कह रही हूं. अव्वल तो मैंने आठों एपिसोड रसभरी (Rasbhari) के देखें हैं उस के बाद बीते दिनों ही मैंने स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) का एक ट्वीट भी पढ़ा जिसमें उन्होंने अपने पिता उदय भास्कर को रसभरी अकेले में देखने या जब वो आस-पास न हों तब देखने को बोल रहीं थीं. उस ट्वीट को पढ़ कर सबसे पहले जो बात मेरे दिमाग़ में आयी वो ये कि वीरे दी वेडिंग (Veere Di Wedding) के मास्टरबेशन वाले सीन पर जब बवाल हुआ था, तो स्वरा ने बोल्ड्ली कहा था कि मास्टरबेशन एक नैचुरल प्रोसेस है, उसे पर्दे पर करने में उन्हें कोई हिचक नहीं हुई. फ़ेयर इनफ़. उन्होंने अपने मास्टरबेशन वाले दृश्य को स्त्री-सशक्तिकरण से जोड़ते हुए ये कहा कि आर्गेस्म पर स्त्रियों का भी हक़ है. जब-जब उन्हें ट्रोल किया जाता इस बात पर तब-तब वो बिंदास अन्दाज़ में यही बोलती नज़र आयीं कि इसमें छिपाने जैसी कोई बात नहीं है. वो अपने पिता के साथ बेतकल्लुफ़ से इन बातों पर बातें करती हैं फिर दुनिया कुछ भी बोले उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.

स्वरा की रसभरी का जैसा बैक ड्राप है वो किसी सॉफ्ट पोर्न से कम नहीं है

स्वरा जब भी बोलते सुना मुझे हर बार लगा कि बंदी सही है, गट्स है लेकिन बीते दिनों वाला वो ट्वीट पढ़ने के बाद मुझे अचानक लगा कि क्या बाक़ी के फ़ेक-फ़ेमिनिस्ट की तरह ही स्वरा ने भी ख़ुद की झूठी इमेज हमारे सामने रखी...

भारत (India) में सेक्स (Sex) पर खुल कर बातें नहीं होती इसका ये मतलब कत्तई नहीं है कि पॉर्न दिखा कर सेक्स की अवेर्नेस आएगी. सेल्फ़-प्रोक्लेम्ड फ़ेमिनिस्ट को ये बात समझनी होगी. रसभरी जैसी वेबसीरिज़ देख कर कौन शिक्षित हो रहा ये मेरे समझ से परे की बात है. हां, उसमें दिखाए अधकचरे न्यूड-सीन को देख कर यौन-कुंठाएं और विकसित  ये तय है. और ये बात मैं यूं ही नहीं कह रही हूं. अव्वल तो मैंने आठों एपिसोड रसभरी (Rasbhari) के देखें हैं उस के बाद बीते दिनों ही मैंने स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) का एक ट्वीट भी पढ़ा जिसमें उन्होंने अपने पिता उदय भास्कर को रसभरी अकेले में देखने या जब वो आस-पास न हों तब देखने को बोल रहीं थीं. उस ट्वीट को पढ़ कर सबसे पहले जो बात मेरे दिमाग़ में आयी वो ये कि वीरे दी वेडिंग (Veere Di Wedding) के मास्टरबेशन वाले सीन पर जब बवाल हुआ था, तो स्वरा ने बोल्ड्ली कहा था कि मास्टरबेशन एक नैचुरल प्रोसेस है, उसे पर्दे पर करने में उन्हें कोई हिचक नहीं हुई. फ़ेयर इनफ़. उन्होंने अपने मास्टरबेशन वाले दृश्य को स्त्री-सशक्तिकरण से जोड़ते हुए ये कहा कि आर्गेस्म पर स्त्रियों का भी हक़ है. जब-जब उन्हें ट्रोल किया जाता इस बात पर तब-तब वो बिंदास अन्दाज़ में यही बोलती नज़र आयीं कि इसमें छिपाने जैसी कोई बात नहीं है. वो अपने पिता के साथ बेतकल्लुफ़ से इन बातों पर बातें करती हैं फिर दुनिया कुछ भी बोले उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.

स्वरा की रसभरी का जैसा बैक ड्राप है वो किसी सॉफ्ट पोर्न से कम नहीं है

स्वरा जब भी बोलते सुना मुझे हर बार लगा कि बंदी सही है, गट्स है लेकिन बीते दिनों वाला वो ट्वीट पढ़ने के बाद मुझे अचानक लगा कि क्या बाक़ी के फ़ेक-फ़ेमिनिस्ट की तरह ही स्वरा ने भी ख़ुद की झूठी इमेज हमारे सामने रखी थी. अगर नहीं तो कल जब उनके पिता ने उन्हें रसभरी पर बधाई दी तो क्यों अपने पिता को अपनी अनुपस्थिति में रसभरी देखने की सलाह दी?

फिर दिमाग़ में एक और सवाल कुलबुलाया कि अगर जब आप ख़ुद के किए रोल से कम्फ़्टर्बल नहीं हो, आप अपने घरवालों के साथ बैठ कर अगर वो चीज़ नहीं देख सकती, तो देश की बाक़ी की लड़कियां कैसे देख पाएंगी अपने परिवार के साथ बैठ कर उस सीरिज़ को.

उस पर से एक और ट्वीट मैंने पढ़ लिया जिसे प्रसून जोशी ने किया था. उनको एतराज़ रसभरी में एक छोटी बच्ची को सेक्सी डांस करते दिखाए जाने वाले दृश्य से हुआ था. स्वरा भास्कर ने उस ट्वीट के जवाब में लिखा कि भारत में यही तो होता है, हर चीज़ को सेक्सूलाइज़ कर दिया जाता है. एक छोटी बच्ची नाच रही और उसका पिता अन-कम्फ़र्टबल हो रहा. ये हमारे समाज का घटिया चेहरा है.

अब सीरिज़ में उस छोटी बच्ची को जिस तरह से डांस करते दिखाया है वो सच में आब्जेक्शनेबल है लेकिन स्वरा वहां उस चीज़ को डिफ़ेंड करके उस बाप को ग़लत साबित कर रहीं लेकिन ख़ुद अपने पिता के साथ रसभरी नहीं देख पाएंगी. इसी को शायद डबल-स्टैंडर्ड कहते होंगे.

जाते-जाते एक और चीज़ कहना चाहूंगी देखिए रसभरी जैसी सीरिज़ करना ग़लत नहीं है. स्वरा भास्कर कलाकार हैं वो जो चाहें रोल कर सकती हैं लेकिन उस रोल को वो फ़ेमनिज़्म या औरतों की सेक्सुआलिटी से जोड़ना ग़लत है. आप कीजिए अडल्ट सीरिज़ कोई बात नहीं लेकिन आप ये नहीं कहिए कि भारत में सेक्स पर बात नहीं होती इसलिए ज्ञानवर्धन के लिए रसभरी जैसी सीरिज़ बनाई जानी चाहिए.

ये बकवास लॉजिक है. इस लॉजिक को देने से पहले ज़रा रिसर्च कर आइए कि सेक्स एजुकेशन या स्त्रियों की सेक्स ने हिस्सेदारी पर वेस्ट में कैसी सीरिज़ बनती हैं. मैं आपको बाक़ायदा नाम बता रही हूँ, Masters of Sex करके एक सिरीज़ है जो 2013 में आयी थी जिसके कुल चार सीज़न हैं. आप देखिए और समझिए कि Human sexuality, स्त्रियों की सेक्स में भागीदारी, ऑरगेज़्म जैसे टॉपिक्स को बिना अश्लील और डॉक्युमेंटरी जैसी बोरिंग नहीं बना कर कैसे दिखाया जा सकता है.

सन 1950 के आस-पास इस सीरिज़ को सेट किया गया है, जब सेक्स अपने आप में रहस्य था. कोई उस पर खुल कर बात नहीं करता था अमेरिका जैसे देश में भी. तब एक साईंटिस्ट और उसकी असिस्टेंट ने मिल कर इंसानी रिश्तों के हर आयाम पर रीसर्च करने का फ़ैसला लेते हैं. जिसमें सेक्स और उससे जुड़ी सभी समस्याओं पर वो लोग प्रयोग करते हैं. पूरी सीरिज़ human sexuality पर केंद्रित है लेकिन कहीं से भी वो अश्लील नहीं है रसभरी की तरह.

कहानी है उसमें, किरदार परत-दर-परत खुलते हैं. आप सेक्स से जुड़ी सीरिज़ देख रहें होते लेकिन आपको उसमें सभी इमोशन मिलेंगे. तो हर बार औरत को चुड़ैल या सेक्स के लिए भूखी बता कर लीचड़ सीरिज़ बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी फिर.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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