• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Sushant Singh Rajput death: घायल शेरनी बनी कंगना की दहाड़ ही सुशांत को सच्ची श्रद्धांजलि है

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 16 जून, 2020 08:26 PM
  • 16 जून, 2020 08:02 PM
offline
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या (Sushant Singh Rajput Suicide) के बाद किसी घायल शेरनी की तरह कंगना रनौत (Kangana Ranaut) सामने आई हैं और जिस लहजे में उन्होंने सुशांत का पक्ष रखते हुए अपनी बातें कहीं हैं वो जरूर ही बॉलीवुड के दिग्गजों को तिलमिलाहट देगा.

सच्चाई कड़वी कुनैन की गोली की तरह होती है जिसे निगलना सबके बस की बात नहीं. कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने वही गोली बॉलीवुड (Bollywood) को गटकने को दे दी है. इससे अधिकांश सरदार ख़ेमों में चुप्पी छाई है तो मुट्ठी भर कलाकार समर्थन में भी आ खड़े हुए हैं. शेखर कपूर (Shekhar Kapoor) और सिकंदर खेर (Sikandar Kher) के वक्तव्य भी उसी तथ्य की पुष्टि करते हैं जिसे कंगना ने पूरी बेबाक़ी से अपने वीडियो में बयां किया है. उन्हें ध्यान से सुनिएगा.

इस बार तीर निशाने पर लगा है

कंगना को मैं एक घायल शेरनी की तरह देखती हूं. सुशांत के आत्महत्या प्रकरण से उनके दिल के ज़ख्म भी उघड़ने लगे हैं. आख़िर क्यों न कहें वो ऐसा, वे भी तो यही सब झेलती आई हैं. भले ही उन्होंने ऐसी कोई नई बात नहीं की है जिससे हम सब अंजान थे. लेकिन उनका प्रहार सही समय पर, सही जग़ह जाकर लगा है. यही कारण है कि उनका वीडियो वायरल हो रहा है.

अपनी तमाम शानदार परफॉरमेंस के बावजूद भी बॉलीवुड से उनको मिली उपेक्षा के हम सब साक्षी हैं. आज कंगना का वही दर्द सामने आ गया है. उनकी सच्चाई को अक़्सर बड़बोलेपन या सनकी होने का नाम दे ढकने की कोशिश होती रही है. इसमें कोई संदेह नहीं कि वे एक उत्कृष्ट एवं मेहनती अदाकारा हैं लेकिन सच और झूठ को जस का तस कह देने का उनका अंदाज़ उन्हें शुरू से ही भारी पड़ता रहा है. इस वीडियो के जरिये उन्होंने कहीं अपनी क़सक भी साझा कर दी है.

अपनी बात बेबाकी से रखते हुए कंगना रनौत ने बॉलीवुड पर गंभीर आरोप लगाए हैदमन का रिमोट कंट्रोल

फिल्म उद्योग में बड़े नामों को खुश करने के चक्कर में प्रतिभाओं का गला हमेशा से ही घोंटा जाता रहा...

सच्चाई कड़वी कुनैन की गोली की तरह होती है जिसे निगलना सबके बस की बात नहीं. कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने वही गोली बॉलीवुड (Bollywood) को गटकने को दे दी है. इससे अधिकांश सरदार ख़ेमों में चुप्पी छाई है तो मुट्ठी भर कलाकार समर्थन में भी आ खड़े हुए हैं. शेखर कपूर (Shekhar Kapoor) और सिकंदर खेर (Sikandar Kher) के वक्तव्य भी उसी तथ्य की पुष्टि करते हैं जिसे कंगना ने पूरी बेबाक़ी से अपने वीडियो में बयां किया है. उन्हें ध्यान से सुनिएगा.

इस बार तीर निशाने पर लगा है

कंगना को मैं एक घायल शेरनी की तरह देखती हूं. सुशांत के आत्महत्या प्रकरण से उनके दिल के ज़ख्म भी उघड़ने लगे हैं. आख़िर क्यों न कहें वो ऐसा, वे भी तो यही सब झेलती आई हैं. भले ही उन्होंने ऐसी कोई नई बात नहीं की है जिससे हम सब अंजान थे. लेकिन उनका प्रहार सही समय पर, सही जग़ह जाकर लगा है. यही कारण है कि उनका वीडियो वायरल हो रहा है.

अपनी तमाम शानदार परफॉरमेंस के बावजूद भी बॉलीवुड से उनको मिली उपेक्षा के हम सब साक्षी हैं. आज कंगना का वही दर्द सामने आ गया है. उनकी सच्चाई को अक़्सर बड़बोलेपन या सनकी होने का नाम दे ढकने की कोशिश होती रही है. इसमें कोई संदेह नहीं कि वे एक उत्कृष्ट एवं मेहनती अदाकारा हैं लेकिन सच और झूठ को जस का तस कह देने का उनका अंदाज़ उन्हें शुरू से ही भारी पड़ता रहा है. इस वीडियो के जरिये उन्होंने कहीं अपनी क़सक भी साझा कर दी है.

अपनी बात बेबाकी से रखते हुए कंगना रनौत ने बॉलीवुड पर गंभीर आरोप लगाए हैदमन का रिमोट कंट्रोल

फिल्म उद्योग में बड़े नामों को खुश करने के चक्कर में प्रतिभाओं का गला हमेशा से ही घोंटा जाता रहा है. यह इस भय से भी होता है कि फ़लाने को काम दिया तो कहीं भाई बुरा न मान जाए. विवेक ओबेरॉय, अरिजीत सिंह के किस्से भूले नहीं हैं हम. विवेक ओबेरॉय ने तो किसी शो में एक बार बोला भी था कि 'टपर वेयर से ज्यादा प्लास्टिक इस इंडस्ट्री में है’. पुरस्कारों की ख़रीद-फ़रोख़्त या सिफ़ारिश की बातें भी अब खुलकर बाहर आने ही लगी हैं.

प्रतिभा को दबाया नहीं जा सकता, यह बात जितनी सच है उससे भी बड़ा सच यह है कि उसे तोड़ने की कोशिश बार-बार की जाती है जो अपने उसूलों पर चलने का हुनर रखता हो. चाटुकारिता में विश्वास न रखता हो और गुटबाज़ी से कोसों दूर रह सिर्फ़ अपनी मेहनत के बल पर जीता हो. ये हर क्षेत्र में है. हममें से कइयों ने इसे अपने जीवन में भुगता है. अब भी भुगत रहे हैं. हर क्षेत्र के अपने तय आक़ा हैं जिनके पास रिमोट कंट्रोल है.

इनके साथ भी अन्याय हुआ है

कंगना की बातों से शत-प्रतिशत सहमत होते हुए मुझे इसमें एक बात और जोड़नी है कि भाई-भतीजावाद के चलते बॉलीवुड में अयोग्य के लिए भले ही सौ रास्ते खोल दिए जाएं, उन्हें पुरस्कारों से नवाज़ा जाए लेकिन दर्शक इन्हें एक ही झटके में बाहर का रास्ता दिखाना नहीं भूलते. अभी आपको बहुत से ऐसे नाम याद आ रहे होंगे जो 'वन फिल्म वंडर' बन के ही रह गए. हां, Nepotism का ये दुखद पक्ष जरूर है कि यह कई प्रतिभावान कलाकारों को निगल लेता है.

उन्हें इस इंडस्ट्री में वह स्थान नहीं देता जिसके कि वे हक़दार रहे हैं. अच्छे अभिनय से ज्यादा यहाँ खानदान और रसूख़ की पूजा होती है. जिमी शेरगिल, मनोज बाजपेई, नवाज़ुद्दीन, अक्षय खन्ना, कोंकणा सेन, नंदिता दास जैसे कितने ही उम्दा कलाकार हैं जिन्हें उनके हिस्से की जमीन देने में बॉलीवुड हिचकिचाता रहा है. यदि आपका कोई गॉडफ़ादर नहीं हैं तो आप बाहर वाले ही माने जाएंगे. इन तथाकथित रहनुमाओं की नज़रों में आपसे निकृष्ट और कोई नहीं.

बॉलीवुड का क्रूर सच

सपनों की नगरी में स्वार्थी, बेरहम लोग भी रहते हैं. ये आपके मुंह से निवाला तक छीनने में संकोच नहीं करते. ये चाहते ही यही हैं कि अगर आप इनकी शर्तों पर जी नहीं सकते तो हारकर लौट जाएं. गुटबाज़ी को पोसते ये लोग नित नए षड्यंत्र रच आपका जीना हराम कर देते हैं. ध्यान रहे, 'सीधे वृक्ष सबसे पहले काटे जाते हैं, टेढ़े-मेढ़े अंत तक नहीं कटते.' इसलिए क्रूर लोगों की इस दुनिया में रहने के लिए बहुत हिम्मत और आत्मविश्वास चाहिए.

कंगना जैसी हिम्मत. जो सुशांत के लिए बिना भयभीत हुए जमकर बोलीं. उनके वक्तव्य से कई चेहरों के नक़ाब उतर चुके हैं. फ़िलहाल कंगना ने उनकी रातों की नींद छीन वहां बेचैनी और घबराहट तो भर ही दी है. सही मायनों में सुशांत को यही सच्ची श्रद्धांजलि है. कंगना, तुम यूं ही बेख़ौफ़ और इन दुष्टों के लिए टेढ़ी बनी रहना. अपना ख्याल भी रखना.

ये भी पढ़ें -

Sushant Singh Rajput suicide: कंगना रनौत की उगली हुई आग से बॉलीवुड नहीं बचेगा

सुशांत, इरफान और ऋषि कपूर की मौत पर धार्मिक खेल वाक़ई भद्दा है!

Sushant Singh Rajput suicide: शेखर कपूर दोषी का नाम जानते हैं तो बताते क्यों नहीं?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲