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सनी देओल के 5 किरदार, जिन्‍हें बीजेपी भुनाना चाहती है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 23 अप्रिल, 2019 08:50 PM
  • 23 अप्रिल, 2019 08:49 PM
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सनी की फिल्मों में एक्शन, गुस्सा, देशभक्ति, ईमानदारी, भोलापन साफ दिखता है. ये वही फैक्टर्स हैं जिसपर काम करके सनी ने करोड़ों फैन्स जुटाए हैं. और अब बीजेपी में शामिल होकर सनी इन्हीं दमदार डॉयलॉग्स और फैक्टर्स के दम पर वोट भी जुटाएंगे.

'जब ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है' और ये ढाई किलो का हाथ अब बीजेपी के साथ है. यानी Sunny Deol ने बीजेपी में एंट्री कर ली है. सनी देओल को बीजेपी में शामिल करवाते वक्त सनी देओल की फिल्मों के जरिए उनके राष्ट्रवाद पर काफी चर्चा की गई. सनी देओल की फिल्मों का जिक्र किया गया जिनमें उनकी देशभक्ति साफ तौर पर दिखाई गई थी.

उधर सनी देओल बहुत ज्यादा नहीं बोले. अपने प्रभावी डायलॉग्स की तरह बस दो लाइन में ये कह गए कि 'मैं सिर्फ बात नहीं करुंगा काम करके दिखाउंगा.'

सनी देओल का एग्रेशन, एक्शन और दमदार डायलॉग ने हमेशा ही लोगों को प्रभावित किया है. आज हर सिने प्रेमी को सनी देओल के डायलॉग मुंह जुबानी याद हैं. अपनी फिल्मों के जरिए सनी देओल ने जो छवि बनाई है वो छवि अब उनके राजनीतिक जीवन में काम आने वाली. कुछ फिल्‍मों में सनी देओल का जो किरदार है, उसे बीजेपी अपने लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाना चाहती है. सनी देओल से बेहतर ब्रांड एम्‍बेसेडर कौन होगा.

पंजाब की गुरदासपुर सूट से चुनाव लड़ेंगे सनी देओल

गदर: पाकिस्तान विरोधी 

सबसे पहले बात 'गदरः एक प्रेम कथा' की. ये फिल्म भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक्त की एक प्रेम कहानी थी. जिसमें तारा सिंह का किरदार आज भी लोग भूल नही पाए हैं. सनी देओल फिल्म में ट्रक चलाने वाले सरदार बने थे जो दंगा फसाद के दौरान एक पाकिस्तानी लड़की सकीना(अमीषा पटेल) को दंगों से बचाकर लाते हैं. उनके कुछ डायलॉग बता देते हैं कि सनी में आखिर क्या खास बात है-

'बंटवारे के वक्त हम लोगों ने आपको 65 करोड़ रुपए दिए थे तब जाकर आपके सिर पर तिरपाल आई थी., बरसात से बचने की हैसियत नहीं और गोलीबारी की बात कर रहे हैं आप...

'जब ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है' और ये ढाई किलो का हाथ अब बीजेपी के साथ है. यानी Sunny Deol ने बीजेपी में एंट्री कर ली है. सनी देओल को बीजेपी में शामिल करवाते वक्त सनी देओल की फिल्मों के जरिए उनके राष्ट्रवाद पर काफी चर्चा की गई. सनी देओल की फिल्मों का जिक्र किया गया जिनमें उनकी देशभक्ति साफ तौर पर दिखाई गई थी.

उधर सनी देओल बहुत ज्यादा नहीं बोले. अपने प्रभावी डायलॉग्स की तरह बस दो लाइन में ये कह गए कि 'मैं सिर्फ बात नहीं करुंगा काम करके दिखाउंगा.'

सनी देओल का एग्रेशन, एक्शन और दमदार डायलॉग ने हमेशा ही लोगों को प्रभावित किया है. आज हर सिने प्रेमी को सनी देओल के डायलॉग मुंह जुबानी याद हैं. अपनी फिल्मों के जरिए सनी देओल ने जो छवि बनाई है वो छवि अब उनके राजनीतिक जीवन में काम आने वाली. कुछ फिल्‍मों में सनी देओल का जो किरदार है, उसे बीजेपी अपने लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाना चाहती है. सनी देओल से बेहतर ब्रांड एम्‍बेसेडर कौन होगा.

पंजाब की गुरदासपुर सूट से चुनाव लड़ेंगे सनी देओल

गदर: पाकिस्तान विरोधी 

सबसे पहले बात 'गदरः एक प्रेम कथा' की. ये फिल्म भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक्त की एक प्रेम कहानी थी. जिसमें तारा सिंह का किरदार आज भी लोग भूल नही पाए हैं. सनी देओल फिल्म में ट्रक चलाने वाले सरदार बने थे जो दंगा फसाद के दौरान एक पाकिस्तानी लड़की सकीना(अमीषा पटेल) को दंगों से बचाकर लाते हैं. उनके कुछ डायलॉग बता देते हैं कि सनी में आखिर क्या खास बात है-

'बंटवारे के वक्त हम लोगों ने आपको 65 करोड़ रुपए दिए थे तब जाकर आपके सिर पर तिरपाल आई थी., बरसात से बचने की हैसियत नहीं और गोलीबारी की बात कर रहे हैं आप लोग?'

'अशरफ अली, तुम्हारा पाकिस्तान जिंदाबाद है इससे कोई ऐतराज नहीं, मगर हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद था, जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा...'

और फिल्म का हैंडपंप उखाड़ने वाला सीन तो आइकॉनिक है.

हैंडपंप उखाड़ने की ताकत किसी और अभिनेता में नहीं

दामिनी- महिला सुरक्षा

फिल्म दामिनी में सनी देओल एक वकील बने थे जो एक महिला की अस्मिता के लिए एक रसूखदार वकील से भिड़ जाते हैं. अदालत में शायद इससे प्रभावी डायलॉग आज तक नहीं बोला गया जो सनी ने बोला था-

'तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती रही है, लेकिन इंसाफ नहीं मिला मायलॉर्ड, मिली है तो सिर्फ ये तारीख.'  

'ना तारीख, न सुनवाई, सीधा इन्साफ वो भी ताबड़ तोड़'

और सनी के पास ढाई किलो का हाथ है ये इसी फिल्म से लोगों को पता चला था. सनी की जो इमेज इस फिल्म से बनी वो आइडियल थी.

बॉर्डर/ मां तुझे सलाम : सेना और देशभक्ति

फिल्म बॉर्डर में सनी देओल में कहा था 'जिंदगी का दूसरा नाम प्रॉब्लम है.' बॉर्डर 1997 में आई थी और 1971 के भारत-पाक युद्ध पर आधारित थी. सनी सनी देओल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी की भूमिका निभाई थी, जो बेहद प्रभावित करने वाली थी.

2002 में आई फिल्म 'मां तुझे सलाम' में भी सनी देओल एक आर्मी अफसर बने थे. जो आतंकवाद से लड़ता है. इस फिल्म का एक डायलॉग आज हर भारतीय की जुबान पर है- 'तुम दूध मांगोगे, हम खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे'

इंडियन- भ्रष्टाचार विरोधी 

2001 में रिलीज़ हुई फिल्म इंडियन में सनी देओल ने एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई थी. जो सिस्टम से भ्रष्टाचार दूर करना चाहता है. नाम भी राज शेखर आजाद था. जो अपने नाम की तरह काम करता है. फिल्म में वो एक सच्चे देशभक्त थे. और उनकी यही छवि लोगों पर एक छाप छोड़ती है.

ईमानदार, देशभक्त और गुस्सा ये कॉम्बिनेशन सनी पर सूट करता है

जो बोले सोनिहाल- आतंकवाद विरोधी

सनी देओल पंजाबी हैं और जब वो सरदार की भूमिका निभाते हैं तो वो असली लगते हैं. वो सिख बनकर किरदार के साथ पूरी तरह न्याय करते हैं. जब सनी की फिल्म 'जो बोले सोनिहाल' आई तो सनी इसमें भी कॉन्स्टेबल की भूमिका में दिखे. सीधे, सच्चे सिख पुलिसवाला न्यूयॉर्क में छिपे एक टैररिस्ट को भारत लेकर आता है. इस फिल्म का भी ये डॉयलॉग काफी हिट था- 'नो इफ नो बट, सिर्फ जट'

सरदार के दमदार किरदार निभाकर पंजाबियों को तो पहले ही अपना बना चुके हैं सनी

यानी सनी की फिल्मों में एक्शन, गुस्सा, देशभक्ति, ईमानदारी, भोलापन साफ दिखता है. ये वही फैक्टर्स हैं जिसपर काम करके सनी ने करोड़ों फैन्स जुटाए हैं. और अब बीजेपी में शामिल होकर सनी इन्हीं दमदार डॉयलॉग्स और फैक्टर्स के दम पर वोट भी जुटाएंगे.

बीजेपी जब ये चुनाव राष्ट्रवाद के नाम पर लड़ रही हो तो इसके लिए सनी देओल का चुनाव करना एकदम सटीक है. सनी देओल को गुरदासपुर से टिकट मिली है जिसपर बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना 4 बार चुनाव जीते थे. लेकिन उनके निधन के बाद कांग्रेस के सुनील जाखड़ इस सीट से सांसद बने. राज्य में कांग्रेस की सरकार है. तो हो सकता है कि सनी को लिए जरा मुश्किल हो, लेकिन टक्कर कांटे की होगी, और सनी देओल अपना दम यहां भी वैसे ही दिखाएंगे जैसा कि फिल्मों में दिखाते आए हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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