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Subhas Chandra Bose: इन फिल्मों और वेब सीरीज को देख लीजिए, नेताजी का रहस्य सुलझ जाएगा

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 23 जनवरी, 2021 02:41 PM
  • 23 जनवरी, 2021 02:41 PM
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमयी जिंदगी लोगों के बीच हमेशा कौतूहल पैदा करती रही है. यही वजह है कि फिल्म मेकर जब भी किसी राष्ट्रवादी फिल्म की योजना बनाते हैं, तो उनके जहन में सबसे पहला नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस का ही आता है. उनका जीवन चरित्र ही ऐसा है.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose Jayanti) की आज 125वीं जयंती है. पूरा देश उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. वहीं पश्चिम बंगाल चुनाव को देखते हुए बीजेपी और ममता बनर्जी के बीच नेताजी को लेकर सियासी खींचतान मची हुई है. महान देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिलाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया था. विदेशी धरती पर रहते हुए भी उन्होंने देश के अंदर ऐसा माहौल बना दिया कि अंग्रेज परेशान हो गए और एक दिन उन्हें भारत को आजादी देकर जाना पड़ा.

18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना हुई, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया. कहा जाता है कि इसमें नेता जी की मृत्यु हो गई, लेकिन लोगों को इस पर विश्वास नहीं हुआ. नेताजी का रहस्यमयी जीवन आज भी कौतूहल पैदा करता है. यही वजह है कि जब भी कोई फिल्म मेकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित राष्ट्रवादी फिल्म बनाने की योजना बनाता है, तो सबसे पहले उसके जहन में नेताजी का नाम आता है.

बॉलीवुड एक्टर सचिन खेड़ेकर नेताजी की भूमिका में नजर आए थे.

हमारे देश में सैकड़ों देशभक्त हुए हैं. कुछ अहिंसावादी थे, तो कुछ क्रांतिकारी. इस फेहरिस्त में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, अशफाक उल्लाह खान और राम प्रसाद बिस्मिल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. इन सभी देशभक्तों की जिंदगियां सिर्फ अतीत की कहानियां नहीं हैं. वे हमारे वर्तमान और भविष्य को दिशा देती हैं. यही वजह है कि इनका जीवन चरित्र फिल्म इंडस्ट्री को लुभाता रहा है.

दरअसल, बड़े चरित्रों की खास बात यह होती है कि हम उन्हें अलग-अलग एंगल से देख सकते और दिखा सकते हैं. हर चरित्र के अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं. उन पर बहुत कुछ बनाने और दिखाने की...

नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose Jayanti) की आज 125वीं जयंती है. पूरा देश उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. वहीं पश्चिम बंगाल चुनाव को देखते हुए बीजेपी और ममता बनर्जी के बीच नेताजी को लेकर सियासी खींचतान मची हुई है. महान देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिलाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया था. विदेशी धरती पर रहते हुए भी उन्होंने देश के अंदर ऐसा माहौल बना दिया कि अंग्रेज परेशान हो गए और एक दिन उन्हें भारत को आजादी देकर जाना पड़ा.

18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना हुई, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया. कहा जाता है कि इसमें नेता जी की मृत्यु हो गई, लेकिन लोगों को इस पर विश्वास नहीं हुआ. नेताजी का रहस्यमयी जीवन आज भी कौतूहल पैदा करता है. यही वजह है कि जब भी कोई फिल्म मेकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित राष्ट्रवादी फिल्म बनाने की योजना बनाता है, तो सबसे पहले उसके जहन में नेताजी का नाम आता है.

बॉलीवुड एक्टर सचिन खेड़ेकर नेताजी की भूमिका में नजर आए थे.

हमारे देश में सैकड़ों देशभक्त हुए हैं. कुछ अहिंसावादी थे, तो कुछ क्रांतिकारी. इस फेहरिस्त में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, अशफाक उल्लाह खान और राम प्रसाद बिस्मिल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. इन सभी देशभक्तों की जिंदगियां सिर्फ अतीत की कहानियां नहीं हैं. वे हमारे वर्तमान और भविष्य को दिशा देती हैं. यही वजह है कि इनका जीवन चरित्र फिल्म इंडस्ट्री को लुभाता रहा है.

दरअसल, बड़े चरित्रों की खास बात यह होती है कि हम उन्हें अलग-अलग एंगल से देख सकते और दिखा सकते हैं. हर चरित्र के अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं. उन पर बहुत कुछ बनाने और दिखाने की संभावनाएं होती हैं. जरूरत इस बात की है कि आप उसे किस नजरिए से देखते हैं. उदाहरण के लिए मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर एक फिल्म बनाई 'द मेकिंग ऑफ द महात्मा', लेकिन इसमें उनकी जिंदगी के कई हिस्से नहीं दिखाए गए.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी पर भी कई फिल्मों और वेब सीरीज का निर्माण किया जा चुका है. हर फिल्मकार ने अपने नजरिए उनकी जिंदगी को पेश किया है. किसी को वह 'फॉरगॉटन हीरो' नजर आए तो किसी को 'गुमनामी', लेकिन अभी तक कोई ऐसा चलचित्र नहीं बना जो नेताजी की रहस्यमयी जिंदगी से पर्दा उठा सके. इस फायरब्रांड नेता के असाधारण जीवन को केवल एक मुट्ठी भर निर्देशकों द्वारा ही सिनेमाई न्याय दिया गया है. आइए ऐसी ही कुछ प्रमुख फिल्मों और वेब सीरीज पर नजर डालते हैं-

1- समाधि, 1950:

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रोमांचकारी जीवन पर सबसे पहली फिल्म समाधि साल 1950 में आई थी. इस फिल्म के निर्देशक थे रमेश सैगल, मुख्य भूमिका में अशोक कुमार और नलिनी जयवंत. इस फिल्म की कहानी भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की सच्ची घटना पर आधारित है. शेखर (अशोक कुमार) को लिली डिसूजा (नलिनी जयवंत) से प्यार हो जाता है. लिली अशोक को धोखा दे देती है. उस वक्त स्वतंत्रता संग्राम चल रहा होता है. युद्ध के बीच लिली पर भारतीय सेना के खिलाफ जासूसी का आरोप लगता है, मौत की सजा मिलने वाली होती है, तभी सुबाष चंद्र बोस उसे बचा लेते हैं. उसे ब्रिटिश सेना की जासूसी करने के लिए कहते हैं.

2- सुभाष चंद्र, 1966:

यह बंगाली क्लासिक युवा सुभाष बोस के जीवन, उनके बचपन, कॉलेज लाइफ, आईसीएस पास करने, प्रारंभिक राजनीतिक अभियानों और पुलिस गिरफ्तारी की कहानियों पर आधारित फिल्म थी. इसे बंगाली निर्देशक पीयूष घोष ने बनाया था. इसे नेताजी के जीवन पर आधारित सबसे ईमानदार फिल्म माना जाता है. इस फिल्म में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक जिज्ञासु लड़के से एक कट्टरपंथी नेता के रूप में हुए परिवर्तन को बहुत बारीकी से दिखाया गया है. सुभाष चंद्र बोस के जीवन के अलग-अलग चरणों को आशीष घोष (बचपन), अमर दत्ता (युवा वयस्क) और समर चटर्जी (वयस्क) ने अभिनित किया है.

3- नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो, 2004:

मशहूर फिल्म मेकर श्याम बेनेगल ने साल 2004 में इस फिल्म को रिलीज किया था. इसमें एक्टर सचिन खेड़ेकर नेताजी की भूमिका में नजर आए थे. यह फिल्म नेताजी पर बनी अब तक कि सबसे बड़ी प्रोडक्शन मानी जाती है. इसमें नेताजी के दृष्टिकोण से देश की आजादी की लड़ाई को दर्शाने का प्रयास किया गया था. यह फिल्म लोगों को काफी पसंद भी आई थी. इसे लंदन फिल्म फेस्टिवल में भी खूब सराहा गया था.

4- अमी सुभाष बोलची, 2011:

महेश मांजरेकर द्वारा निर्देशित यह स्टार-पैक्ड बंगाली फिल्म सामाजिक मुद्दों और उनके खिलाफ एक आदमी की लड़ाई पर केंद्रित है. एक आम आदमी, देवव्रत, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विचारधाराओं को अपनाता है, जो बंगाली समुदाय के बीच एकता स्थापित करता है और गलत काम करने वालों से लड़ता है. फिल्म में बोस को देवव्रत की भूमिका मिथुन चक्रवर्ती ने निभाई है. उनके अभिनय की लोगों ने खूब प्रशंसा की थी.

5- राग देश, 2017:

तिग्मांशु धूलिया द्वारा निर्देशित फिल्म राग देश एक पीरियड ड्रामा है. इसके मुख्य कलाकार कुणाल कोहली, मोहित मारवाह और अमित साध हैं. फिल्म में नेताजी द्वारा स्थापित भारतीय राष्ट्रीय सेना के संघर्ष को दिखाया गया है. साल 1945 में आजाद हिंदी फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान,लेफिटनेंट कर्नल गुरबख्‍श सिहं ढिल्‍लों और लेफिटनेंट कर्नल प्रेम सहगल पर लाल किले में चले मुकदमे पर फिल्‍म केंद्रित है. उस मुकदमें के बहाने आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की भूमिका को दर्शाया गया है. इसे राज्यसभा टीवी द्वारा प्रस्तुत किया गया था.

6- गुमनामी, 2019:

श्रीजीत मुखर्जी की फिल्म गुमनामी मुखर्जी आयोग की सुनवाई पर आधारित एक फिल्म है. यह सुनवाई 1999 से 2005 तक हुई थी. इसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बारे में तीन सिद्धांतों पर चर्चा और बहस हुई थी. यह फिल्म उस सुनवाई का एक नाटकीयकरण है, जहां गुमनामी बाबा सिद्धांत का समर्थन करने वाला एक खोजी पत्रकार विमान दुर्घटना सिद्धांत का समर्थन करने वाले एक वकील के साथ बहस करता है. उनकी बहस के बीच एक नई थ्योरी सामने आती है कि नेताजी की मौत रूस में हुई थी.

7- नेताजी, 2019:

साल 1966 में आई फिल्म सुभाष चंद्र की तरह यह बंगाली भाषा का टेलीविजन सीरियल सुभाष चंद्र बोस के बचपन और युवास्था को दर्शाता है. इस टीवी सीरियल के जरिए इस बात की पड़ताल की गई है कि कैसे एक बालक बड़ा होकर महान स्वतंत्रा सेनानी बन जाता है. इसमें बंगाली अभिनेता अभिषेक बोस ने नेताजी का रोल किया है.

8- बोस: डेड/अलाइव, 2017:

साल 2012 में आई अनुज धर की किताब ‘इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप’ पर आधारित यह एक वेब सीरीज है. एक साधारण आदमी! प्रसिद्ध व्यक्ति! रहस्ययी शख्सियत! जिसने जीते जी तो सबको मोहित किया ही अपनी मृत्यु के लंबे समय बाद तक कौतूहल का विषय बने रहे. यह भारत के सबसे बड़ी शख्सियत नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी कथित मौत के रहस्य की कहानी है. हंसल मेहता इसके किएटिव प्रोड्यूसर रहे हैं. एकता कपूर ने यह सीरीज बनाई थी. अभिनेता राजकुमार राव नेताजी के रोल में हैं.









इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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