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गैंगरेप पर आधारित 'सिया' सत्य घटनाओं को पर्दे पर उकेरने का ईमानदारी भरा प्रयास है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 सितम्बर, 2022 09:55 PM
  • 13 सितम्बर, 2022 09:55 PM
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दृश्यम फिल्म्स और निर्देशक मनीष मुंद्रा की अपकमिंग फिल्म सिया का ट्रेलर हमारे सामने है. कह सकते हैं कि किसी गैंगरेप की पीड़िता और उसके परिवार के साथ सिस्टम और कानून क्या करते हैं? उसका एक बहुत ईमानदार प्रयास है जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज की जाने वाली ये फिल्म.

'क्राइम' अगर गरीब के साथ हुआ तो इंसाफ एक बड़ी चुनौती है. गरीब अगर महिला है और उसके साथ गैंगरेप जैसा अपराध हुआ हो तो इंसाफ पाने के लिए उसके सामने चुनौतियों का पहाड़ है...

उपरोक्त ये कथन सिर्फ कथन न होकर सिया नाम की उस फिल्म का सार है जो इस शुक्रवार यानी 16 सितम्बर 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. न्यूटन,  मसान, रामप्रसाद की तेरहवीं, आंखों देखी जैसी अलग कहानियों से अपना एक अलग फैन बेस तैयार करने वाली  दृश्यम फिल्म्स और निर्देशक मनीष मुंद्रा की अपकमिंग फिल्म सिया का ट्रेलर हमारे सामने है. यकीनन ट्रेलर दिल को दहला कर रख देने वाला है. मगर इसे देखते हुए जो पहला विचार हमारे दिमाग में जगह पाता है. वो ये कि, किसी गैंगरेप की पीड़िता और उसके परिवार के साथ सिस्टम और कानून क्या करते हैं उसका एक बहुत ईमानदार प्रयास है अपकमिंग फिल्म सिया. जैसा कि ट्रेलर से पता चल रहा है फिल्म वास्तविक घटना पर आधारित है और चंद ही चीजें इसमें ऐसी हैं जिन्हें काल्पनिक की संज्ञा दी जाएगी. 

सिया को इसलिए भी देखना चाहिए क्योंकि फिल्म बनाते वक़्त हर बारीक से बारीक बात का पूरा ख्याल रखा गया है  

लड़कियों के खिलाफ हो रहे अपराधों, जैसे गैंगरेप पर फोकस करती इस फिल्म की कहानी उस स्ट्रगल को पर्दे पर बखूबी दर्शाती है, जिसका सामना उस परिवार या फिर उस व्यक्ति को करना पड़ता है. जिसके साथ ज्यादती हुई. वो इंसाफ की आस में है लेकिन पूरा सिस्टम उसके खिलाफ है. हमें न्याय चाहिए- टैगलाइन के साथ आ रही इस फिल्म का संजेक्ट बहुत डार्क है. लेकिन बिना किसी अश्लील दृश्य या मिर्च मसाले के जैसे फिल्म को शूट किया गया है, फिल्म अपने मकसद में कामयाब साबित होती नजर आ रही है.

चाहे...

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उपरोक्त ये कथन सिर्फ कथन न होकर सिया नाम की उस फिल्म का सार है जो इस शुक्रवार यानी 16 सितम्बर 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. न्यूटन,  मसान, रामप्रसाद की तेरहवीं, आंखों देखी जैसी अलग कहानियों से अपना एक अलग फैन बेस तैयार करने वाली  दृश्यम फिल्म्स और निर्देशक मनीष मुंद्रा की अपकमिंग फिल्म सिया का ट्रेलर हमारे सामने है. यकीनन ट्रेलर दिल को दहला कर रख देने वाला है. मगर इसे देखते हुए जो पहला विचार हमारे दिमाग में जगह पाता है. वो ये कि, किसी गैंगरेप की पीड़िता और उसके परिवार के साथ सिस्टम और कानून क्या करते हैं उसका एक बहुत ईमानदार प्रयास है अपकमिंग फिल्म सिया. जैसा कि ट्रेलर से पता चल रहा है फिल्म वास्तविक घटना पर आधारित है और चंद ही चीजें इसमें ऐसी हैं जिन्हें काल्पनिक की संज्ञा दी जाएगी. 

सिया को इसलिए भी देखना चाहिए क्योंकि फिल्म बनाते वक़्त हर बारीक से बारीक बात का पूरा ख्याल रखा गया है  

लड़कियों के खिलाफ हो रहे अपराधों, जैसे गैंगरेप पर फोकस करती इस फिल्म की कहानी उस स्ट्रगल को पर्दे पर बखूबी दर्शाती है, जिसका सामना उस परिवार या फिर उस व्यक्ति को करना पड़ता है. जिसके साथ ज्यादती हुई. वो इंसाफ की आस में है लेकिन पूरा सिस्टम उसके खिलाफ है. हमें न्याय चाहिए- टैगलाइन के साथ आ रही इस फिल्म का संजेक्ट बहुत डार्क है. लेकिन बिना किसी अश्लील दृश्य या मिर्च मसाले के जैसे फिल्म को शूट किया गया है, फिल्म अपने मकसद में कामयाब साबित होती नजर आ रही है.

चाहे फिल्म का टीजर हो या फिर ट्रेलर दोनों को देखते हुए महसूस हो रहा है कि फिल्म के जरिये खरी बातों को बिल्कुल खरे अंदाज में पेश किया गया है. ट्रेलर में एक सीन है, जिसपर हमारी नजर ठहरती है. फिल्म की मेन लीड एक्ट्रेस पूजा पांडेय कहती हुई नजर आ रही है कि, 'हम लड़ना चाहते हैं, हमें न्याय चाहिए.' हो सकता है कि सिर्फ इस लाइन को सुनकर एक बड़ा वर्ग ये कहते हुए हैरत में पड़ जाए कि क्या ऐसे मामलों में इंसाफ नहीं मिलता? जवाब बस ये है कि देश की तमाम गैंगरेप पीड़ितों को यदि समय पर इंसाफ मिल गया होता तो शायद ये फिल्म न बनती.

अगर आज ये फिल्म हमारे बीच है. तो इस बात की तस्दीख खुद ब खुद हो जाती है कि देश के तमाम सूबे ऐसे हैं. जहां जब किसी महिला या लड़की से बलात्कार जैसी घृणित वारदात होती है. तो एक पूरा सिस्टम है, जिसमें चाहे वो इलाके की पुलिस हो. न्याय प्रणाली हो. बाहुबलियों का वर्चस्व और खौफ हो. लोगों के तानें हों एक पूरा सिस्टम सिर्फ इसलिए काम करता है, ताकि जो पीड़िता इंसाफ के लिए दर दर भटक रही है उसे कभी न्याय न मिले.

इस बता में कोई शक नहीं है कि जिस फिल्म का ट्रेलर ही रौंगटे खड़े करने वाला हो. उस फिल्म को जब लोग देखेंगे तो न चाहते हुए भी उनकी आंखें ख़ुद-ब - खुद नम हो जाएंगी. फिल्म में एक डायलॉग सुनाई दे रहा है जिसमें एक्ट्रेस कह रही है कि ऐसे न्याय पाने का क्या मतलब है, जब न्याय पाने के लिए कोई जिंदा ही नहीं बचेगा'. क्या सिर्फ ये एक डायलॉग है?

बिलकुल नहीं? इस डायलॉग के जरिये फिल्म के निर्माता और निर्देशकों ने पूरे सिस्टम के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है और कहीं न कहीं ये भी बताने का प्रयास किया है कि इंसाफ मिलेगा लेकिन इंसान को उसके लिए जो कीमत चुकानी होगी वो कई मायनों में बहुत भारी होगी.

फिल्म कैसी होगी? लोगों के इसपर क्या रिएक्शन आएंगे? फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कितनी कमाई करेगी? सवाल तमाम हैं जिनके जवाब वक़्त देगा लेकिन इतना जरूर है कि सिया के जरिये जो मुद्दा  दृश्यम फिल्म्स और निर्देशक मनीष मुंद्रा ने उठाया है उसके बाद उन आवाज़ों को जरूर मुंह मिलेगा जिनको समय समय पर प्रताड़ित किया गया और वो चुप रहे. 

फिल्म की यूएसपी एक्टर विनीत कुमार सिंह हैं. जोकि फिल्म में एक ऐसे वकील की भूमिका में है जो होने को तो नोटरी के वकील हैं लेकिन गैंगरेप पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को आतुर हैं. जैसा कि ट्रेलर बता रहा है फिल्म का बैकड्रॉप उत्तरप्रदेश और उसमें भी प्रतापगढ़ है. सोशल मीडिया पर जैसी जनता की प्रतिक्रिया है लोग उसे उन्नाव गैंगरेप से जोड़कर भी देख रहे हैं. 

बहरहाल किसी भी फिल्म का ट्रेलर, ट्रेलर ही रहता है जबकि फिल्म कुछ और होती है. और यही मामला सिया का भी है. लेकिन सिया के मामले में अच्छी बात ये रही कि इसने तमाम पक्षों पर बात की और बिल्कुल निडर और निष्पक्ष होकर बात की. आज के दौर में ऐसी ईमानदारी कम ही देखने को मिलती है. सिया के कास्ट और क्रू ने इस दिशा में मेहनत की और इसके लिए वो बधाई के पात्र हैं. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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