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Shoorveer Web series Review: देशभक्ति में डूबी वेब सीरीज से गैरहाजिर रोमांच

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 17 जुलाई, 2022 09:40 PM
  • 17 जुलाई, 2022 09:40 PM
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ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'शूरवीर' (Shoorveer Web Series) जल, थल और वायु सेना के सर्वोत्तम वीरों को एक साथ लाकर बनी टीम 'हॉक्स' की कहानी है. लेकिन एक साथ कई मुद्दों को समेटने के चक्कर में सीरीज की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है. इसकी वजह से रोमांच भी गायब है.

''जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं''...राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की ये पंक्तियां देश के हर नागरिक पर लागू होती हैं. वैसे अधिकतर लोग अपने देश से बेपनाह मुहब्बत करते हैं. देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत रखते हैं. यही तो वजह है कि हम सभी के भीतर देशभक्ति की भावना प्रखर होती है. इस भावना से लबरेज सिनेमा हर किसी को बहुत पसंद आता है. 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' और 'शेरशाह' जैसी फिल्मों, 'द टेस्ट केस', 'रेजिमेंट डायरीज', 'द फॉरगॉटन आर्मी' और 'जीत की जिद' जैसी वेब सीरीज की सफलता इस बात की गवाही है. देशभक्ति की भावना में डूबी एक नई वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. इस सीरीज का नाम 'शूरवीर' है, जो कि जल, थल और वायु सेना के सर्वोत्तम वीरों से मिलकर बनी टीम 'हॉक्स' की कहानी पर आधारित है.

''खेल उन्होंने शुरू किया था, खेल हम खत्म करेंगे. ये नया हिंदुस्तान है''...वेब सीरीज 'शूरवीर' के ग्रुप कैप्टन रंजन मलिक का ये डायलॉग उस हिंदुस्तान की ओर इशारा करता है, जो थप्पड़ खाकर दूसरे गाल आगे बढ़ाने में यकीन करने की बजाए, आगे बढ़कर दुश्मन के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करता है. देश में आतंकी घटना होने का इंतजार नहीं करता, बल्कि वारदात होने से पहले ही उसे सीमा पार ही रोक देता है. गद्दारों और घर के भेदियों को पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचा देता है. पिछले कुछ वर्षों में भारत की रक्षा नीति में जिस तरह से बदलाव किया गया है, उसकी झलक इस सीरीज में दिखाई देती है. इसमें कोई दो राय नहीं कि देशभक्ति की भावना सीरीज में प्रबल है, लेकिन एक साथ कई मुद्दों को समेटने के चक्कर में निर्देशक का फोकस हट गया है. इसकी वजह से सीरीज की रफ्तार बहुत सुस्त हो जाती है. इससे रोमांच भी कम हो जाता है.

''जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं''...राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की ये पंक्तियां देश के हर नागरिक पर लागू होती हैं. वैसे अधिकतर लोग अपने देश से बेपनाह मुहब्बत करते हैं. देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत रखते हैं. यही तो वजह है कि हम सभी के भीतर देशभक्ति की भावना प्रखर होती है. इस भावना से लबरेज सिनेमा हर किसी को बहुत पसंद आता है. 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' और 'शेरशाह' जैसी फिल्मों, 'द टेस्ट केस', 'रेजिमेंट डायरीज', 'द फॉरगॉटन आर्मी' और 'जीत की जिद' जैसी वेब सीरीज की सफलता इस बात की गवाही है. देशभक्ति की भावना में डूबी एक नई वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. इस सीरीज का नाम 'शूरवीर' है, जो कि जल, थल और वायु सेना के सर्वोत्तम वीरों से मिलकर बनी टीम 'हॉक्स' की कहानी पर आधारित है.

''खेल उन्होंने शुरू किया था, खेल हम खत्म करेंगे. ये नया हिंदुस्तान है''...वेब सीरीज 'शूरवीर' के ग्रुप कैप्टन रंजन मलिक का ये डायलॉग उस हिंदुस्तान की ओर इशारा करता है, जो थप्पड़ खाकर दूसरे गाल आगे बढ़ाने में यकीन करने की बजाए, आगे बढ़कर दुश्मन के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करता है. देश में आतंकी घटना होने का इंतजार नहीं करता, बल्कि वारदात होने से पहले ही उसे सीमा पार ही रोक देता है. गद्दारों और घर के भेदियों को पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचा देता है. पिछले कुछ वर्षों में भारत की रक्षा नीति में जिस तरह से बदलाव किया गया है, उसकी झलक इस सीरीज में दिखाई देती है. इसमें कोई दो राय नहीं कि देशभक्ति की भावना सीरीज में प्रबल है, लेकिन एक साथ कई मुद्दों को समेटने के चक्कर में निर्देशक का फोकस हट गया है. इसकी वजह से सीरीज की रफ्तार बहुत सुस्त हो जाती है. इससे रोमांच भी कम हो जाता है.

कहानी कैसी है?

वेब सीरीज 'शूरवीर' की कहानी जल, थल और वायु सेना से चुने गए सर्वोत्तम वीरों से मिलकर बनी स्पेशल फोर्स 'हॉक्स' के बनने, ट्रेनिंग और ऑपरेशन पर आधारित है. 'हॉक्स' जैसे फोर्स बनाने की जरूरत इसलिए पड़ती है, ताकि अलग-अलग सेनाओं के बेहतरीन अफसरों को एक साथ ट्रेनिंग देकर किसी बड़े ऑपरेशन के लिए तैयार किया जा सके. सीरीज की शुरूआत में दिखाया जाता है कि देश में कई जगह आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बाद पाकिस्तानी आतंकवादी दमन के एक रेस्टोरेंट में घुसकर लोगों की हत्या कर देते हैं. इसके बाद देश के प्रधानमंत्री हाईलेवल की सिक्योरिटी मीटिंग बुलाते हैं. इसमें चर्चा के दौरान ये बात सामने आती है कि लालफीताशाही और सेना के बीच समन्वय की कमी की वजह से ये वारदात हुई है. इसके बाद नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर मिलिंद फांसे (मकरंद देशपांडे) एक स्पेशल फोर्स बनाने का सुझाव देते हैं, जिनमें तीनों सेना के जाबांज शामिल हों.

प्रधानमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद एनएसए मिलिंद फांसे एक एयरफोर्स अफसर रंजन मलिक (मनीष चौधरी) की अगुवाई में 'हॉक्स' के गठन की प्रक्रिया तेज कर देते हैं. इसके तहत जल, थल और वायु सेना के तेजतर्रार और जाबांज अफसरों को चुनकर हॉक्स में शामिल किया जाता है. उनको ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वो किसी भी परिस्थिति में बिना जान गवाएं दुश्मनों से मुकाबला कर सकें. इधर, पाकिस्तान में बैठा जनरल रियाज (आरिफ जकारिया) भारत में स्थित अपने जासूसों की मदद से एक बड़े आतंकी हमले की साजिश कर रहा होता है. इसकी भनक भारतीय खुफिया एजेंसियों को लग जाती है. पकड़े जाने से पहले ही जासूस दिल्ली से हैदराबाद भाग जाता है. वहां से अपने मंसूबों को अंजाम देने में लग जाता है. इधर 'हॉक्स' टीम के जवान धरती से लेकर आसमान तक युद्ध में ट्रेनिंग ले रहे हैं. इस दौरान कई तरह की व्यक्तिगत समस्याओं का सामना भी कर रहे हैं.

वेब सीरीज 'शूरवीर' की कहानी तीन ट्रैक पर एक-दूसरे के समानांतर आगे बढ़ती है. मुख्य कहानी में 'हॉक्स' का गठन, ट्रेनिंग और उसका ऑपरेशन चलता है. इसके साथ दो कहानी आगे बढ़ती है, जिसमें पहली पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिशों से जुडी़ है. इसमें दिखाया जाता है कि कैसे पाकिस्तान में बैठा एक आर्मी जनरल हिंदुस्तान में अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है. दूसरी, सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे हमारे जवानों की जान की परवाह किए बिना खराब फाइटर जेट महंगे दामों पर खरीदे जाते हैं. इसमें मिलियन डॉलर की कमीशन की लेन-देन की जाती है. 8 एपिसोड की इस सीरीज की कहानी बिजेश जयराजन, सागर पांड्या और निसर्ग मेहता ने मिलकर लिखी है. लेकिन एक कहानी में कई मुद्दों को समेटने की कोशिश में पटकथा कमजोर हो जाती है. सीरीज की रफ्तार भी धीरे-धीरे सुस्त पड़ती जाती है.

निर्देशन कैसा है?

इस वेब सीरीज का निर्देशन कनिष्क वर्मा ने किया है. कनिष्क ने इससे पहले 'फुटफेयरी', 'सनक' जैसी फिल्मों और 'इनसाइड एज 3' जैसी वेब सीरीज का निर्देशन किया है. इसमें विद्युत जामवाल की फिल्म 'सनक' ज्यादा चर्चा में रही है, जिसे डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज किया गया था. उन्होंने अपनी पुरानी टीम के साथ ही 'शूरवीर' की कमान भी संभाली है. लेकिन अपेक्षित प्रभाव नहीं पैदा कर पाए हैं. अभी तक जितने भी आर्मी ड्रामा सफल हुए हैं, उनमें एक विषय को फोकस रखकर कहानी लिखी गई है. लेकिन इस सीरीज में एक साथ की कई विषयों को उठाया तो गया है, लेकिन एक साथ पिरोने में नाकाम रहे हैं. सिनेमैटोग्राफर प्रतीक देवड़ा ने अपने हिस्से का काम तो ठीक किया है, लेकिन उनके लिए बहुत ज्यादा स्कोप नहीं है. क्योंकि ज्यादातर सीन वीएफएक्स आधारित है. दर्शकों में रोमांच पैदा करने के लिए आसमान में लड़ाकू जहाजों की कलाबाजियां दिखाने की कोशिश की गई, जो कि असरहीन है. इन जहाजों को उड़ा रहे पायलट के चेहरे पर किसी तरह कोई भाव नजर नहीं आता. यदि 'हॉक्स' पर फोकस रखकर सीरीज बनाई गई होती, तो ज्यादा अच्छा होता.

अभिनय कैसा है?

इस वेब सीरीज में अरमान रल्हन, रेजिना कसांड्रा, आदिल खान, अंजली बारोट, मनीष चौधरी, आरिफ जकारिया, मकरंद देशपांडे, फैसल रशीद, साहिल मेहता और शिव्या पठानी जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर मिलिंद फांसे के किरदार में मकरंद देशपांडे, एयरफोर्स अफसर रंजन मलिक के किरदार में मनीष चौधरी, जनरल रियाज के किरदार में आरिफ जकारिया, विराज सहगल के किरदार में अरमान रल्हन, सलीम कमाली के किरदार में आदिल खान और अवंतिका राव के किरदार में रेजिना कैसेंड्रा ने अहम भूमिका निभाई है. इसमें मनीष चौधरी को छोड़ दिया जाए तो किसी भी कलाकार में उसके किरदार के हिसाब से भाव-भंगिमा नजर नहीं आई है. मकरंद देशपांडे जैसे मझे हुए कलाकार भी अपने किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाए हैं. ग्रुप कैप्टन के किरदार में मनीष चौधरी जरूर जंच रहे हैं. उनकी बॉडी लैंग्वेज उनके किरदार के हिसाब से सूट करती है.

इसे देखें या नहीं?

कुल मिलाकर, यदि आप मिलिट्री ड्राम समझकर 'शूरवीर' को देखने जा रहे हैं, तो जरा ठहरिए. इस सीरीज में वैसा मनोरंजन और रोमांच देखने को नहीं मिलेगा, जैसा कि पहले 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' और 'शेरशाह' में देखने को मिला है. पहले से लेकर आठवें एपिसोड तक सीरीज अपने साथ बांधे रखने में असफल साबित होती है. इसकी मुख्य वजह यही है कि कहानी पर फोकस नहीं रखा गया है. इसकी वजह से ये वेब सीरीज औसत दर्जे की बन पड़ी है. इसे एक सामान्य सीरीज के तौर पर देखा जा सकता है.

iChowk.in रेटिंग: 5 में 2 स्टार


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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