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Shershaah Review: महज युद्ध नहीं एक योद्धा के जीवन की सच्ची दास्तान है 'शेरशाह'

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 12 अगस्त, 2021 09:07 PM
  • 12 अगस्त, 2021 09:07 PM
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सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) और कियारा आडवाणी (Kiara Advani) की फिल्म शेरशाह (Shershaah) अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर रिलीज हो चुकी है. यह फिल्म कारगिल वॉर में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) के जीवन पर आधारित है.

'देशभक्ति' एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही शरीर रोमांच से भर जाता है. एक ऐसा भाव पैदा होता है जो शब्दों में बयां करना असंभव है. इससे एक ऐसा जोश और जिम्मेदारी का भाव पैदा हो जाता है जो समय और उम्र की सीमा को तोड़कर हर किसी में एकरूपता का बोध कराने लगता है. जाति, वर्ग, संप्रदाय और धर्म की सारी सीमाएं जैसे टूट जाती हैं. दिल गर्व का अनुभव करना शुरू कर देता है, क्योंकि देश के लिए त्याग की भावना अपने उत्कर्ष पर पहुंच जाती है. देशभक्ति की इसी भावना से ओतप्रोत हिमाचल प्रदेश के पालमपुर का रहने वाला एक छोटा बच्चा देशसेवा के लिए भारतीय सेना में जाने का संकल्प लेता है और आगे चलकर आर्मी अफसर बनता है. जब देश की आन-बान-शान पर संकट मंडराता है, तो ये अफसर अपने प्राणों की आहूति देकर उसकी रक्षा करता है. जी हां, हम कैप्टन विक्रम बत्रा की बात कर रहे हैं, जिनके जीवन के ऊपर फिल्म 'शेरशाह' बनाई गई है. इसे अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया है.

फिल्म शेरशाह में बॉलीवुड अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने जबरदस्त अभिनय किया है.

'तिरंगा लहराकर आऊंगा या तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन आऊंगा जरूर'...फिल्म 'शेरशाह' में जब आर्मी अफसर विक्रम बत्रा अपने दोस्त से ये बातें बोलते हैं, तो वो हैरान रहकर उनकी तरफ देखता रह जाता है. वैसे कैप्टन बत्रा का ये जज्बा पूरे भारतीय फौज का जुनून है. हमारी सेना का हर जवान जब सीमा पर लड़ने जाता है, तो इसी जब्बे के साथ दुश्मनों का सामना करना है. उसे पता होता है या तो वो दुश्मनों को मार कर वापस घर जाएगा या फिर शहीद होने के बाद तिरंगे में लिपटकर अपनी मां या माशूका की गोद में रखा जाएगा. इस फिल्म में अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार निभाया है. उनको देखकर ऐसा लगता है कि उनका जन्म ही इसी किरदार के लिए हुआ है. फिल्म में देश के प्रति एक सैनिक के कर्तव्यों और उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बहुत ही अनोखे अंदाज में पेश किया गया है. विक्रम बत्रा के साहस और शौर्य के साथ प्रेमी पक्ष को भी बहुत ही बारीकी से फिल्माया गया है.

'देशभक्ति' एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही शरीर रोमांच से भर जाता है. एक ऐसा भाव पैदा होता है जो शब्दों में बयां करना असंभव है. इससे एक ऐसा जोश और जिम्मेदारी का भाव पैदा हो जाता है जो समय और उम्र की सीमा को तोड़कर हर किसी में एकरूपता का बोध कराने लगता है. जाति, वर्ग, संप्रदाय और धर्म की सारी सीमाएं जैसे टूट जाती हैं. दिल गर्व का अनुभव करना शुरू कर देता है, क्योंकि देश के लिए त्याग की भावना अपने उत्कर्ष पर पहुंच जाती है. देशभक्ति की इसी भावना से ओतप्रोत हिमाचल प्रदेश के पालमपुर का रहने वाला एक छोटा बच्चा देशसेवा के लिए भारतीय सेना में जाने का संकल्प लेता है और आगे चलकर आर्मी अफसर बनता है. जब देश की आन-बान-शान पर संकट मंडराता है, तो ये अफसर अपने प्राणों की आहूति देकर उसकी रक्षा करता है. जी हां, हम कैप्टन विक्रम बत्रा की बात कर रहे हैं, जिनके जीवन के ऊपर फिल्म 'शेरशाह' बनाई गई है. इसे अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया है.

फिल्म शेरशाह में बॉलीवुड अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने जबरदस्त अभिनय किया है.

'तिरंगा लहराकर आऊंगा या तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन आऊंगा जरूर'...फिल्म 'शेरशाह' में जब आर्मी अफसर विक्रम बत्रा अपने दोस्त से ये बातें बोलते हैं, तो वो हैरान रहकर उनकी तरफ देखता रह जाता है. वैसे कैप्टन बत्रा का ये जज्बा पूरे भारतीय फौज का जुनून है. हमारी सेना का हर जवान जब सीमा पर लड़ने जाता है, तो इसी जब्बे के साथ दुश्मनों का सामना करना है. उसे पता होता है या तो वो दुश्मनों को मार कर वापस घर जाएगा या फिर शहीद होने के बाद तिरंगे में लिपटकर अपनी मां या माशूका की गोद में रखा जाएगा. इस फिल्म में अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार निभाया है. उनको देखकर ऐसा लगता है कि उनका जन्म ही इसी किरदार के लिए हुआ है. फिल्म में देश के प्रति एक सैनिक के कर्तव्यों और उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बहुत ही अनोखे अंदाज में पेश किया गया है. विक्रम बत्रा के साहस और शौर्य के साथ प्रेमी पक्ष को भी बहुत ही बारीकी से फिल्माया गया है.

विष्णु वर्धन द्वारा निर्देशित, धर्मा प्रोडक्शंस और काश एंटरटेनमेंट द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित फिल्म 'शेरशाह' में सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी के साथ शिव पंडित, राज अर्जुन, प्रणय पचौरी, हिमांशु अशोक मल्होत्रा, निकितिन धीर, अनिल चरणजीत, साहिल वैद, शताफ फिगर, मीर सरवर, पवन चोपड़ा और शताफ फिगार जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कैप्टन के किरदार को जमकर जिया है. चाहे प्रेमी के रूप में रोमांटिक इंसान हो या एक सैनिक के रूप में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाला बहादुर सिपाही, उन्होंने हर किरदार शिद्दत से निभाया है. हर भावना की ठोस अभिव्यक्ति की है. वह इस परफॉर्मेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के हकदार हैं. कियारा आडवाणी ने भी अपने हिस्से का काम बखूबी किया है. क्यूट कियारा एक प्रेमिका के रूप में बहुत भोली लगी हैं. कैप्‍टन संजीव के किरदार में श‍िव पंडित, मेजर अजय सिंह जसरोटिया के किरदार में निकेतन धीर, कर्नल योगेश कुमार जोशी के किरदार में शतफ फिगर अपना गहरा प्रभाव छोड़ते हैं.

कहानी

फिल्म शेरशाह की कहानी कारगिल वॉर के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित है, जो साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे. कारगिल युद्ध में 'शेरशाह' कैप्टन विक्रम बत्रा का कोडनेम था, जिसके प्रति ईमानदार रहते हुए उनकी बहादुरी और बलिदान ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. कहानी की शुरूआत होती है पालमपुर गांव से, जहां विकी यानी विक्रम बत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) पैदा हुए थे. बचपन से ही साहसी विकी एक दिन टीवी पर एक सीरियल देखता है, जिसमें आर्मी के जवानों की कहानी दिखाई जाती है. उसे वर्दी आकर्षित करती है और वो सेना में जाने का संकल्प लेता है. बड़ा होकर कॉलेज जाता है, तो अपने साथ पढ़ने वाली एक लड़की डिंपल चीमा (कियारा आडवाणी) को अपना दिल दे बैठता है. दोनों का प्यार परवान चढ़ता है और बात शादी तक पहुंच जाती है. लेकिन डिंपल के पिता इस शादी के खिलाफ होते हैं, वो चाहते हैं कि अच्छी कमाई करने वाले लड़के से उसकी शादी हो.

विक्रम बत्रा अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करने के लिए सेना में जाने का फैसला बदल देते हैं. वो मर्चेंट नेवी ज्वाइन करने का मन बनाते हैं. लेकिन उसके पिता और दोस्त के समझाने के बाद उसे समझ में आता है कि सेना तो उसका पहला प्यार है, उसके बिना भला वो कैसे खुश रह पाएंगे. इसके बाद वो इंडियन मिलिट्री एकेडमी ज्वाइन करके सेना में अफसर बन जाते हैं. उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट होती है. इसके बाद आतंकियों और सेना के बीच कई मुठभेड़ की घटनाएं दिखाई जाती हैं, जिसमें विक्रम अपने अदम्य साहस का परिचय देते हैं. इसी दौरान पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के संयुक्त मोर्चे को विफल करने के लिए उनको भेजा जाता है. अपनी वीरता और शौर्य की बदौलत वो पाकिस्तान द्वारा कब्जा की गई भारतीय पोस्ट को आजाद करा देते हैं. उनकी उपलब्धि को देखते हुए उनका प्रमोशन करके कैप्टन बना दिया जाता है. इसके बाद कैप्टन बत्रा एक नए मिशन पर जाते हैं, जहां वो शहीद हो जाते हैं.

फिल्म रिव्यू

साउथ फिल्म मेकर विष्णु वर्धन ने फिल्म शेरशाह के जरिए बॉलीवुड में डेब्यू किया है. हालही में उन्होंने तमिल सुपरस्टार अजित कुमार की फिल्म 'बिल्ला' और 'आरामबम' का निर्देशन किया था. भले ही यह उनकी पहली हिंदी फिल्म हो, लेकिन विष्णु वर्धन ने निर्देशन पर जबरदस्त पकड़ बनाकर रखी है. खासकर, वॉर सीन जहां भी हैं, आपको कहीं भी नकली नहीं लगेगा. फिल्म का एक प्लस पॉइंट यह भी है कि मेकर्स ने कहानी में प्रामाणिकता बनाए रखी है. चाहे वह युद्ध के दौरान इस्तेमाल की गई गालियां हों या फिर प्रेम प्रसंग के दृश्य, हर जगह वास्तविकता का ध्यान रखा गया है. फिल्म की कहानी संदीप श्रीवास्तव ने लिखा है, जिन्होंने सभी वास्तविक जीवन की घटनाओं को फिल्म में शामिल किया है. कमलजीत नेगी का कैमरा वर्क शानदार है. उन्होंने सुरम्य घाटियों से लेकर युद्ध के मैदान पर रक्त और वीरता दोनों को प्रभावी रूप से अपने कैमरे में कैद किया है. श्रीकर प्रसाद ने कसा हुआ धारदार संपादन किया है, जो फिल्म की रफ्तार बनाए रखता है, बोझिल नहीं होने देता.

कुल मिलाकर, वॉर ड्रामा जॉनर में अबतक कि आई सभी फिल्मों में 'शेरशाह' ने अपनी अलग जगह बनाई है. इस जॉनर में अबतक की बेस्ट फिल्म सन्नी देओल की बॉर्डर मानी जाती है, लेकिन उसमें भी केवल एक पक्ष को मजबूती से दिखाया गया है, वो है युद्ध. लेकिन 'शेरशाह' युद्ध नहीं एक योद्धा के जीवन की सच्ची दास्तान है. इसमें युद्ध के रोमांच के बीच रोमांस को इतने इमोशनल तरीके से दिखाया गया है कि आंखों से बरबस आंसू बहने लगते हैं. इस फिल्म को जरूर देखा जाना चाहिए.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 3.5 स्टार


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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