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पठान में गप की पराकाष्ठा है जो देखने वालों के गले नहीं उतरी

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 31 जनवरी, 2023 10:30 PM
  • 31 जनवरी, 2023 10:19 PM
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शाहरुख़ खान की हालिया रिलीज फिल्म पठान के बॉक्स आफिस का 'कमाल' कई कारणों से गले नहीं उतरता है, खासकर इस फिल्म की कमियों या ये कहें कि गप की भरमार के कारण.

शाहरुख़ खान की हालिया रिलीज फिल्म पठान एक आम सी बॉलीवुडिया फिल्म है. जिसमें ऐसा कुछ नहीं है जो बतौर दर्शक हमें हैरत में डाल दे. शाहरुख़ खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम स्टारर पठान होने को तो एक हिट फिल्म है. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इस फिल्म के प्रति निर्देशक सिद्धार्थ आनंद ने वही परफेक्शनिस्ट रवैया रखा जो बॉलीवुड एक्टर आमिर खान की यूएसपी है. फिल्म में कुछ अहम खामियां हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.पठान में मेकर्स द्वारा चूक जान बूझकर हुई है या अनजाने में इसे अंजाम दिया गया इस पर बात फिर कभी. लेकिन फिल्म में गप की जो पराकाष्ठा दिखाई गयी उसकी आलोचना इसलिए भी होनी चाहिए क्योंकि ये चार साल बाद हुआ जब बतौर दर्शक हमें पर्दे पर शाहरुख़ खान नजर आए.

शाहरुख़ दीपिका स्टारर पठान ने बॉक्स ऑफिस पर सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं

आइये नजर डालते हैं फिल्म पाठन से जुड़ी उन तीन खामियों पर. जिन्हें भले ही निर्देशक सिद्धार्थ आनंद और स्वयं शाहरुख़ खान ने इग्नोर कर दिया हो लेकिन जब बात पब्लिक की आई तो वो खामोश न रह सकी और इस संदर्भ में खुलकर उसने अपनी प्रतिक्रिया दी.

पठान के एक दृश्य में, शाहरुख ने बताया कि कैसे वह 2002 में एएफजी में तैनात थे, और एक लोकल को बचाने में सिर्फ इसलिए कामयाब हुए क्योंकि एक मिसाइल उनके फोन की जीपीएस लोकेशन पर लॉक हो गयी थी. उन्होंने फ़ोन फेंका और मिसाइल ने भी अपना रास्ता बदल लिया. ये सीन गप की श्रेणी में सिर्फ इसलिए रखा जाएगा क्योंकि भारत में स्मार्टफोन में जीपीएस पहली बार 2008 में इस्तेमाल किया गया. अब ईश्वर ही जाने कि शाहरुख़ ने ऐसा कौन सा तप किया जिसके एवज में उन्हें वो चीज 2002 में ही मिल गयी जो देश की जनता के हाथ में 2008 में आई.

शाहरुख़ खान की हालिया रिलीज फिल्म पठान एक आम सी बॉलीवुडिया फिल्म है. जिसमें ऐसा कुछ नहीं है जो बतौर दर्शक हमें हैरत में डाल दे. शाहरुख़ खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम स्टारर पठान होने को तो एक हिट फिल्म है. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इस फिल्म के प्रति निर्देशक सिद्धार्थ आनंद ने वही परफेक्शनिस्ट रवैया रखा जो बॉलीवुड एक्टर आमिर खान की यूएसपी है. फिल्म में कुछ अहम खामियां हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.पठान में मेकर्स द्वारा चूक जान बूझकर हुई है या अनजाने में इसे अंजाम दिया गया इस पर बात फिर कभी. लेकिन फिल्म में गप की जो पराकाष्ठा दिखाई गयी उसकी आलोचना इसलिए भी होनी चाहिए क्योंकि ये चार साल बाद हुआ जब बतौर दर्शक हमें पर्दे पर शाहरुख़ खान नजर आए.

शाहरुख़ दीपिका स्टारर पठान ने बॉक्स ऑफिस पर सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं

आइये नजर डालते हैं फिल्म पाठन से जुड़ी उन तीन खामियों पर. जिन्हें भले ही निर्देशक सिद्धार्थ आनंद और स्वयं शाहरुख़ खान ने इग्नोर कर दिया हो लेकिन जब बात पब्लिक की आई तो वो खामोश न रह सकी और इस संदर्भ में खुलकर उसने अपनी प्रतिक्रिया दी.

पठान के एक दृश्य में, शाहरुख ने बताया कि कैसे वह 2002 में एएफजी में तैनात थे, और एक लोकल को बचाने में सिर्फ इसलिए कामयाब हुए क्योंकि एक मिसाइल उनके फोन की जीपीएस लोकेशन पर लॉक हो गयी थी. उन्होंने फ़ोन फेंका और मिसाइल ने भी अपना रास्ता बदल लिया. ये सीन गप की श्रेणी में सिर्फ इसलिए रखा जाएगा क्योंकि भारत में स्मार्टफोन में जीपीएस पहली बार 2008 में इस्तेमाल किया गया. अब ईश्वर ही जाने कि शाहरुख़ ने ऐसा कौन सा तप किया जिसके एवज में उन्हें वो चीज 2002 में ही मिल गयी जो देश की जनता के हाथ में 2008 में आई.

गप के लिहाज से पठान में एक सीन और है. ट्रेन की बोगी में बम फटने वाला है. शाहरुख मेटल के एक टुकड़े (ट्रेन की छत का एक टुकड़ा) को खुद को विस्फोट से बचाने के लिए ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हैं. दिलचस्प ये कि पूरी छत उखड़ जाती है, लेकिन वो टुकड़ा जिसे शाहरुख़ ने ढाल बनाया था वो जस तक तस रहता है और शाहरुख़ की रक्षा करता है. जैसा बॉलीवुड का उसूल है जब कोई चीज हीरो के पास हो तो संभव सब कुछ है.

जिस हिसाब से सिद्धार्थ ने पठान को बनाया है फिल्म देखते हुए हमें यही महसूस होता है कि पठान मेकर्स की तरफ से बेसिक साइंस का मखौल उड़ाया गया है. तमाम लोग फिल्म का बॉयकॉट कर रहे हैं. हम तो कहेंगे कि इस फिल्म के विरोध में देश दुनिया के वैज्ञानिकों को सामने आना चाहिए. फिल्म में एक सीन और है हेलीकॉप्टर का सीन. इस सीन में शाहरुख़ दीपिका को बताते हैं कि बिल्डिंग विपरीत दिशा में हैं लेकिन जब वो चोरी कर लेते हैं हेलीकॉप्टर को एक ही दिशा में उड़ते हुए दिखाया गया है.

भले ही फिल्म में गप की भरमार हो लेकिन औसत से लेकर हिट तक किसी भी फिल्म के लिए ये जरूरी है कि दर्शकों को एंटरटेनमेंट का फुल डोज़ मिले. ऐसे में जब हम पठान को देखते हैं तो भले ही फिल्म की कहानी औसत से भी नीचे की हो लेकिन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन इस बात की तस्दीख कर देता है कि दर्शकों को फुल ऑन एंटरटेनमेंट मिला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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