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भारतीय फिल्‍मों में 'जलेबी' की तरह उलझा हुआ है Kissing का इतिहास

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 05 सितम्बर, 2018 02:28 PM
  • 05 सितम्बर, 2018 02:28 PM
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Kissing वास्तव में ऐसा ही विषय है. इसपर बात भले ही कम होती हो, लेकिन ये शब्द रोमांच से भरा है. और वो रोमांच तब और बढ़ जाता है जब हम इसे होता हुआ देखते हैं अपनी फिल्मों में या फिल्मों के पोस्टर में.

हाल ही में महेश भट्ट ने अपनी आने वाली फिल्म 'जलेबी' का पोस्टर रिलीज किया. जिसमें हीरोइन रिया चक्रवर्ती ट्रेन की इमरजेंसी विंडो से बाहर लटकी हुई हैं और ट्रेन के बाहर हीरो वरुण मित्रा उन्हें किस कर रहा है. ये एक कमाल का किसिंग सीन है, जो शायद लोगों को हमेशा याद रहेगा. क्योंकि ये जलेबी की ही तरह काफी घुमावदार है. वो बात और है कि जलेबी के इस पोस्टर का सोशल मीडिया पर जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है, लेकिन कुछ सीन्स बेहद आकर्षक होते हैं और आप इस बात से मुकर नहीं सकते. महेश भट्ट खुद इस सीन के मोह से बच नहीं सके तभी तो उन्होंने 1950 के आइकॉनिक फोटो ‘Korean War Goodbye Kiss’ से प्रेरित होकर अपनी फिल्म का पोस्टर रच डाला.  

जलेबी महेश भट्ट की आने वाली फिल्म है

किसिंग वास्तव में ऐसा ही विषय है. इसपर बात भले ही कम होती हो, लेकिन ये शब्द रोमांच से भरा है. और वो रोमांच तब और बढ़ जाता है जब हम इसे होता हुआ देखते हैं अपनी फिल्मों में या फिल्मों के पोस्टर में.

हालांकि बॉलीवुड में इसे टैबू नहीं कहा जा सकता, क्योंकि बॉलीवुड ने कभी किसिंग से परहेज़ नहीं करना चाहा. अभी की फिल्में छोड़िये और हिंदी सिनेमा का इतिहास उठाकर देखिए आप ऐसे नजारे देखेंगे जिसकी कल्पना भी आपने नहीं की होगी. 1929 में एक साइलेंट फिल्म आई थी 'अ थ्रो ऑफ डाइस (A Throw of Dice). इसमें कुएं पर पानी भरते हुए एक्टर सीता देवी और चारु रॉय के बीच लिप-लॉक हुआ था.

जल्दी ही साइलेंट फिल्मों का दौर खत्म हुआ और 1933 में एक फिल्म आई 'कर्मा'. फिल्म में एक्टर देविका रानी और हिमांशू राय पर चार मिनट का लंबा किसिंग सीन फिल्माया गया था. बवाल होना लाजमी था क्योंकि पहली बार लोगों ने ये सब होते हुए देखा था. लेकिन तब इसपर कोई कैंची नहीं चली थी क्योंकि तब कैंची होती ही नहीं थी, यानी सेंसर...

हाल ही में महेश भट्ट ने अपनी आने वाली फिल्म 'जलेबी' का पोस्टर रिलीज किया. जिसमें हीरोइन रिया चक्रवर्ती ट्रेन की इमरजेंसी विंडो से बाहर लटकी हुई हैं और ट्रेन के बाहर हीरो वरुण मित्रा उन्हें किस कर रहा है. ये एक कमाल का किसिंग सीन है, जो शायद लोगों को हमेशा याद रहेगा. क्योंकि ये जलेबी की ही तरह काफी घुमावदार है. वो बात और है कि जलेबी के इस पोस्टर का सोशल मीडिया पर जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है, लेकिन कुछ सीन्स बेहद आकर्षक होते हैं और आप इस बात से मुकर नहीं सकते. महेश भट्ट खुद इस सीन के मोह से बच नहीं सके तभी तो उन्होंने 1950 के आइकॉनिक फोटो ‘Korean War Goodbye Kiss’ से प्रेरित होकर अपनी फिल्म का पोस्टर रच डाला.  

जलेबी महेश भट्ट की आने वाली फिल्म है

किसिंग वास्तव में ऐसा ही विषय है. इसपर बात भले ही कम होती हो, लेकिन ये शब्द रोमांच से भरा है. और वो रोमांच तब और बढ़ जाता है जब हम इसे होता हुआ देखते हैं अपनी फिल्मों में या फिल्मों के पोस्टर में.

हालांकि बॉलीवुड में इसे टैबू नहीं कहा जा सकता, क्योंकि बॉलीवुड ने कभी किसिंग से परहेज़ नहीं करना चाहा. अभी की फिल्में छोड़िये और हिंदी सिनेमा का इतिहास उठाकर देखिए आप ऐसे नजारे देखेंगे जिसकी कल्पना भी आपने नहीं की होगी. 1929 में एक साइलेंट फिल्म आई थी 'अ थ्रो ऑफ डाइस (A Throw of Dice). इसमें कुएं पर पानी भरते हुए एक्टर सीता देवी और चारु रॉय के बीच लिप-लॉक हुआ था.

जल्दी ही साइलेंट फिल्मों का दौर खत्म हुआ और 1933 में एक फिल्म आई 'कर्मा'. फिल्म में एक्टर देविका रानी और हिमांशू राय पर चार मिनट का लंबा किसिंग सीन फिल्माया गया था. बवाल होना लाजमी था क्योंकि पहली बार लोगों ने ये सब होते हुए देखा था. लेकिन तब इसपर कोई कैंची नहीं चली थी क्योंकि तब कैंची होती ही नहीं थी, यानी सेंसर बोर्ड तब नहीं हुआ करता था. 1952 में सिनेमेटोग्राफ एक्ट आया जिसने फिल्मों में सेंसरशिप की जरूरत को बताया.

कर्मा (1933)

किसिंग सीन्स को फिल्मों में उनकी जरूरत के हिसाब से रखा जाता था और जिस खूबसूरती और रचनात्मकता के साथ उसे फिल्माया जाता था उसमें अश्लीलता कम और प्रेम ज्यादा प्रदर्शित होता था. हालांकि हम वो दौर भी देख चुके हैं जब उम्मीद किसिंग सीन की होती थी और दो फूलों को आपस में जुड़ा हुआ दिखा दिया जाता था. या फिर हीरो हीरोइन पेड़ के पीछे चले जाया करते थे.

किसिंग समाज में टैबू रहा है और इसीलिए ये शर्म और लिहाज की चादर से ढका छुपा ही रहा, बॉलीवुड तो कब से इस टैबू को तोड़ने का काम कर रहा है. न सिर्फ फिल्मों से बल्कि प्रभावशाली पोस्टर के जरिए भी. और इसका श्रेय राजकपूर को दिया जाए तो गलत नहीं होगा. आज भले ही ट्रेलर का जमाना है, लेकिन उस दौर में पोस्टर्स ही सब कुछ हुआ करते थे. और इसीलिए उन्हें बेहद प्रभावशाली बनाया जाता था. पूरी फिल्म का निचोड़ आप पोस्टर देखकर समझ लेते थे.

राजकपूर की फिल्म बरसात (1949) का वो सीन जिसमें राजकपूर ने नरगिस को अपनी बाहों में ले रखा है और यूं लग रहा है जैसे वो उन्हें चूमने ही वाले हैं. ये सीन भले ही किसिंग सीन न हो, लेकिन किसिंग सीन से कहीं ज्यादा है. इसी सीन ने आरके फिल्मस् को अमर कर दिया.

बरसात (1949)

राजकपूर की फिल्म आवारा (1951) का पेस्टर देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसिंग कितना अहम हिस्सा रहा है बॉलीवुड का. जो जरा भी वल्गर नहीं बल्कि बेहद खूबसूरत रहा है.

आवारा (1951)

कागज़ के फूल (1959) में गुरूदत्त ने भी वही भाव अपने पोस्टर में लाने की कोशिश की थी. और आज ये सीन गुरुदत्त और वहीदा के अमर प्रेम की कहानी कहता है.

कागज़ के फूल (1959)

राजकपूर ने ऋषि कपूर के लिए जब बॉबी (1973) बनाई तो लड़कपन के उस प्यार को बड़ी खूबसूरती के साथ पेश किया था. एक तरफ पोस्टर पर साफ दिखाई दे रहा था और दूसरा फिल्म में भी किस सीन काफी पॉपुलर हुआ था.

बॉबी (1973)

बेहद चर्चित रही फिल्म जूली(1975) का पोस्टर हो या सत्यम शिवम सुंदरम (1978) का, दोनों फिल्में पोस्टर काफी प्रभावी रहे हैं.

जूली (1975,  सत्यम शिवम सुमदरम(1978)

दौर बदला, और पोस्टर से किसिंग सीन और भी क्रिएटिव होते चले गए. 1990 में आई फिल्म आशिकी ने तो जैसे आशिकों के दिल ही लूट लिए थे. एक तरफ पोस्टर कमाल और दूसरा फिल्म के गानों ने आशिकों को प्यार करना सिखाया.

आशिकी (1990)

अब नए दौर के पोस्टर और ज्यादा रिवीलिगं होने लगे. प्रेम को प्रदर्शित करने के तरीके बदलने लगे. 'किस' जो कभी मासूमियत और प्रेम की परिभाषा हुआ करता था, धीरे धीरे बेबाक और बेफिक्र दिखाई देने लगा. कुछ लोग इसमें अश्लीलता ढ़ूंढते रहे, तो कुछ प्यार.

काइट्स (2010), राबता (2017)

चाहे हीरो हीरोइन को किस करे, या फिर हीरोइन हीरो को, लेकिन बॉलिवुड का किसिंग प्रेम कभी खत्म नहीं हुआ. पेस्टर और किसिंग का ये बेफिक्र सिलसिला हमेशा चलता रहा और चलता रहेगा.

बेफिक्रे (2016)

आज भले ही महेश भट्ट की फिल्म 'जलेबी' का मजाक बनाया जा रहा हो, लेकिन गौर से देखिए तो पाएंगे कि इस पोस्टर को देखकर कोई नहीं पहचान सकता कि फिल्म के हीरो-हीरोइन कौन हैं, क्योंकि पोस्टर के जरिए महेश भट्ट ने सिर्फ प्यार के एक अनोखे अहसास को प्रदर्शित करने की कोशिश की है, और कहना गलत नहीं होगा कि वो इसमें सफल हुए हैं. इस पोस्टर ने भी बॉलीवुड के उन आइकॉनिक पोस्टर्स में जगह बना ही ली, जिसे देखकर हम आज भी रोमांचित हो जाते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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