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Sushant Singh Rajput को सबकुछ देकर क्या मुंबई ने उसकी ज़िंदगी खरीद ली थी?

    • आईचौक
    • Updated: 14 अगस्त, 2020 09:00 PM
  • 09 अगस्त, 2020 09:22 PM
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सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी मामले की सीबीआई जांच (Sushant Singh Rajput Suicide CBI Probe) शुरू होते ही शिवसेना (Shiv Sena) के पेट में दर्द शुरू हो गया है. संजय राउत (Sanjay Raut) ने शिवसेना मुखपत्र सामना (Saamana) में लिखा है कि सुशांत के अपने पिता और बहन से अच्छे रिश्ते नहीं थे. आखिर शिवसेना चाहती क्या है?

सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी मामले की सीबीआई जांच को लेकर बिहार की नीतीश कुमार सरकार और महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार के बीच लंबी लकीर खींच गई है और अब शिवसेना बार-बार बिहार सरकार और सुशांत सिंह राजपूत को लेकर अजीबोगरीब बयानबाजी कर रही है. बीते दिनों शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना सांसद संजय राउत ने फिर से ऐसी बातें लिखी हैं, जिसपर विवाद शुरू हो गया है. लगता है कि सुशांत सिंह मौत जांच मामला सीबीआई को सौंपे जाने से शिवसेना बेहद खफा है और उसकी हालत खिसियानी बिल्ले खंभा नोचे जैसी हो गई है. सामना संपादकीय में इस बार संजय राउत ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सुशांत की पैदाइश भले बिहार की थी, लेकिन उन्हें सबकुछ मुंबई ने दिया. सुशांत ने कभी भी बिहारी होने की बात का प्रचार नहीं किया, क्योंकि उन्हें सबकुछ मुंबई में मिला. जब सुशांत संघर्ष कर रहे थे तो बिहार सरकार को उनकी फिक्र नहीं हुई और अब नीतीश कुमार राजनीतिक फायदे के लिए सुशांत के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिवसेना सरकार के खिलाफ पटना और दिल्ली से काम हो रहा है. संजय राउत की इन बातों से सवाल ये उठता है कि सुशांत सिंह राजपूत को सबकुछ देकर क्या मुंबई ने उसकी ज़िंदगी खरीद ली थी? अगर ऐसा है तो शिवसेना को इस भ्रम से निकल जाना चाहिए कि मुंबई सिर्फ मराठियों की है.

संजय राउत ने सिर्फ बिहार सरकार पर ही निशाना नहीं साधा, बल्कि यहां तक कह डाला कि सुशांत के अपने पिता और बहन से अच्छे रिश्ते नहीं थे. सामना संपादकीय में संजय राउत ने दावा किया कि पिता की दूसरी शादी के बाद सुशांत काफी दुखी रहने लगे थे. हालांकि, केके सिंह की दूसरी शादी की खबर गलत है और कहीं भी उनकी दूसरी शादी का जिक्र नहीं है, ऐसे में संजय राउत का यह दावा फर्जी साबित हुआ है. संजय राउत ने सामना में बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का जिक्र करते हुए उनपर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया. अब सवाल उठता है कि ऐसे समय में जबकि सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी मामले में जांच रिया चक्रवर्ती की ओर बढ़ती जा...

सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी मामले की सीबीआई जांच को लेकर बिहार की नीतीश कुमार सरकार और महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार के बीच लंबी लकीर खींच गई है और अब शिवसेना बार-बार बिहार सरकार और सुशांत सिंह राजपूत को लेकर अजीबोगरीब बयानबाजी कर रही है. बीते दिनों शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना सांसद संजय राउत ने फिर से ऐसी बातें लिखी हैं, जिसपर विवाद शुरू हो गया है. लगता है कि सुशांत सिंह मौत जांच मामला सीबीआई को सौंपे जाने से शिवसेना बेहद खफा है और उसकी हालत खिसियानी बिल्ले खंभा नोचे जैसी हो गई है. सामना संपादकीय में इस बार संजय राउत ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सुशांत की पैदाइश भले बिहार की थी, लेकिन उन्हें सबकुछ मुंबई ने दिया. सुशांत ने कभी भी बिहारी होने की बात का प्रचार नहीं किया, क्योंकि उन्हें सबकुछ मुंबई में मिला. जब सुशांत संघर्ष कर रहे थे तो बिहार सरकार को उनकी फिक्र नहीं हुई और अब नीतीश कुमार राजनीतिक फायदे के लिए सुशांत के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिवसेना सरकार के खिलाफ पटना और दिल्ली से काम हो रहा है. संजय राउत की इन बातों से सवाल ये उठता है कि सुशांत सिंह राजपूत को सबकुछ देकर क्या मुंबई ने उसकी ज़िंदगी खरीद ली थी? अगर ऐसा है तो शिवसेना को इस भ्रम से निकल जाना चाहिए कि मुंबई सिर्फ मराठियों की है.

संजय राउत ने सिर्फ बिहार सरकार पर ही निशाना नहीं साधा, बल्कि यहां तक कह डाला कि सुशांत के अपने पिता और बहन से अच्छे रिश्ते नहीं थे. सामना संपादकीय में संजय राउत ने दावा किया कि पिता की दूसरी शादी के बाद सुशांत काफी दुखी रहने लगे थे. हालांकि, केके सिंह की दूसरी शादी की खबर गलत है और कहीं भी उनकी दूसरी शादी का जिक्र नहीं है, ऐसे में संजय राउत का यह दावा फर्जी साबित हुआ है. संजय राउत ने सामना में बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का जिक्र करते हुए उनपर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया. अब सवाल उठता है कि ऐसे समय में जबकि सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी मामले में जांच रिया चक्रवर्ती की ओर बढ़ती जा रही है, ऐसे में शिवसेना का ये रुख हैरान करता है और समझ नहीं आता कि आखिरकार शिवसेना ये सब बातें क्यों कह रही है. बीते कुछ दिनों से सुशांत खुदकुशी मामले में शिवसेना का रवैया जिस तरह का रहा है, उससे साबित होता है कि रिया के पीछे कोई बड़ा शख्स है, जिसके कारण शिवसेना को यह स्टैंड लेना पड़ रहा है.

शिवसेना का इरादा क्या है?

रिया चक्रवर्ती न तो मराठी है और न ही शिवसेना से उनका कोई संबंध है, ऐसे में शिवसेना क्यों ऐसे काम कर रही है, जिससे ये मेसेज जा रहा है कि उद्धव ठाकरे सरकार और मुंबई पुलिस रिया चक्रवर्ती से बिहार पुलिस और सीबीआई का ध्यान भटकाना चाहती है. आखिरकार शिवसेना सुशांत की मौत की जांच में अड़ंगा क्यों अटकाना चाहती है? दरअसल, जिस तरह से मुंबई पुलिस ने सुशांत के पिता की शिकायत पर रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में देरी की और मुद्दे को नेपोटिज्म, आउटसाइडर्स से भेदभाव और बॉलीवुड गैंग्स के साथ ही डिप्रेशन से जोड़ती रही, इससे यही लग रहा है कि शिवसेना नहीं चाहती है कि सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी मामले की जांच सही दिशा में जाए. अब चूंकि यह मामला सीबीआई के पास जा चुका है, ऐसे में शिवसेना तरह-तरह की बयानबाजी कर साबित करना चाह रही है कि सीबीआई भी जांच से भटक जाए, नहीं तो सुशांत के पिता की दूसरी शादी या उनके पिता और बहन से अच्छे रिश्ते न होने की खबर कहां से आई? संजय राउत तो यहां तक बोलने लगे हैं कि सुशांत और अंकिता लोखंडे कैसे अलग हुए, इसकी भी जांच होनी चाहिए.

मुंबई पुलिस किसके इशारों पर काम कर रही थी?

बीते 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी की खबर किसी सदमे की तरह करोड़ों लोगों तक पहुंची. इसके बाद बीते करीब 2 महीनों के दौरान जो कुछ भी हुआ है, उसकी तह तक पहुंचे तो कई ऐसी बातें सामने आती हैं, जो चौंकाने वाली हैं. सुशांत की मौत के बाद मुंबई पुलिस ने जांच शुरू की और 44 दिन तक इस जांच में कुछ नहीं निकला. मुंबई पुलिस ने फिल्म इंडस्ट्री के बड़े चेहरों से लेकर सुशांत के दोस्तों समेत 30 से ज्यादा लोगों तक पूछताछ की और इस दौरान मुंबई पुलिस ने ये भी कहा कि सुशांत बायपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित थे. इसके साथ ही सुशांत की खुदकुशी से जुड़ी कई मनगढ़ंत बातें और थ्योरी सामने आती रहीं. इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने सामना में एक लेख लिखा और कहा कि सुशांत की दिमागी हालत ठीक नहीं थी और वह फिल्म सेट पर बाकी लोगों के लिए मुसीबतें खड़ी करते थे. संजय राउत द्वारा करीब डेढ़ महीने पहले लिखे लेख पर अब सोचते हैं तो लगता है कि वह सोची समझी साजिश के तहत सुशांत को पागल करार देना चाहते थे और उनकी मौत के पीछे किसी को दोषी न बताते हुए महज इसे डिप्रेशन में उठाया गया कदम साबित करना चाहते थे.

जमकर हो रही राजनीति

क्या वाकई ऐसा नहीं लगता कि यह मुद्दा क्षेत्रवाद का हो गया है, जहां शिवसेना सांसद संजय राउत और उनकी पार्टी को लग रहा है कि बिहार का एक लड़का आकर मुंबई में छा जाता है और यहां किसी परेशानी में वह आत्महत्या कर लेता है या उसकी हत्या हो जाती है तो यह बेहद सामान्य बात है और मुंबई पुलिस उसकी मौत की जांच को किसी भी मोड़ पर लाकर छोड़ सकती है. जब सुशांत खुदकुशी मामले में सीबीआई जांच की मांग उठी और इसपर राजनीति शुरू हुई तो मुंबई पुलिस, शिवसेना और रिया चक्रवर्ती ने एक सुर में इसका विरोध करते हुए कहा कि सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है और मुंबई पुलिस इसकी जांच के लिए काफी है. जब मुंबई पुलिस पर ही रिया चक्रवर्ती को बचाने के आरोप लग रहे हैं तो फिर वह मामले की प्रमुख आरोपी मानी जा रही रिया चक्रवर्ती के खिलाफ कैसे जांच करती? अब चूंकि सीबीआई सुशांत खुदकुशी मामले की जांच कर रही है तो शिवसेना को मिर्ची लग रही है और वह बिहार सरकार, केंद्र सरकार और सीबीआई के साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर भी आरोप लगा रही है.

कुछ तो खेल हो रहा है...

संजय राउत ने सामना में लिखे लेख में जिस तरह से बिहार सरकार और केंद्र सरकार पर महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है और कहा है कि सुशांत प्रकरण की पटकथा पहले ही लिख ली गई थी और बिहार सरकार एक-एक करके कदम बढ़ा रही थी. इसके साथ ही जिस तरह से बिहार सरकार ने मुंबई सरकार पर आरोप लगाकर केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच की मांग की और केंद्र समेत सुप्रीम कोर्ट ने झट से उनकी बात मान ली, इससे साफ पता चलता है कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ साजिश हो रही है और यह किसी राज्य की स्वायत्ता पर चोट है. लेकिन सुशांत खुदकुशी प्रकरण में बीते 2 महीने में महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस का जो भी रवैया दिखा है, उससे भी ये साबित होता है कि शिवसेना ने भी सुशांत खुदकुशी की पटकथा पहले ही लिख ली थी और धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही थी, जहां रिया चक्रवर्ती तो बच जाती, लेकिन कोई और फंस जाता, या यह मामला आवेश में उठाए गए खुदकुशी के कदम से ज्यादा और कुछ नहीं दिखता. कहानी और भी है और यह खेल काफी बड़ा है, जिसपर से आने वाले दिनों में पर्दे उठते रहेंगे और तरह-तरह की बातें सामने आती रहेंगी.

 




इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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