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Rocketry जैसी बेहतरीन हैं ये चार फिल्में, अंतरिक्ष विज्ञान समझने के लिए जरूर देखें

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 05 जुलाई, 2022 07:25 PM
  • 05 जुलाई, 2022 07:25 PM
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रॉकेट साइंटिस्ट नम्बी नारायणन की जिंदगी पर आधारित फिल्म 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' बॉक्स ऑफिस पर धमाल कर रही हैं. फिल्म ने रिलीज के बाद महज चार दिन में ही 17 करोड़ रुपए का कलेक्शन कर लिया है. फिल्म को लोग बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यदि आप अंतरिक्ष विज्ञान को समझना चाहते हैं, तो इन चार फिल्मों को भी देख सकते हैं.

आर माधवन की 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' अंतरिक्ष विज्ञान की बात करने वाली देश की पहली प्रामाणिक फिल्म है. ये फिल्म भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक नंबी नारायणन की जिंदगी पर आधारित है. इसमें अभिनेता आर माधवन नंबी नारायणन का किरदार निभा रहे हैं. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त प्रदर्शन कर रही हैं. इसे लोग बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इस फिल्म की सफलता माधवन की साधना का परिणाम माना जा सकता है. क्य़ोंकि फिल्म में किरदार निभाने के अलावा उन्होंने प्रोड्यूसर, राइटर और डायरेक्टर का भी काम किया है. पांच साल की लंबी प्रक्रिया, कठिन मेहनत और तमाम बाधाओं को पार करने के बाद वो इस फिल्म को रिलीज कर पाए हैं.

60 करोड़ रुपए के बजट में बनी फिल्म 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' ने रिलीज के बाद चार दिनों के अंदर 17 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है. फिल्म के कलेक्शन में हर दिन जिस तरह से ग्रोथ देखने को मिल रही है, ऐसा अनुमना है कि दूसरे हफ्ते में ही 100 करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी. फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की तरह 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' भी बॉक्स ऑफिस पर कमाल करके इतिहास कायम कर सकती है. इस फिल्म में नंबी नारायणन के उस संघर्ष को दिखाया गया है, जिसमें उनको झूठे केस में फंसाकर देशद्रोही करार दे दिया गया था. उनको जेल हो गई थी. लेकिन 26 साल की लंबी लड़ाई के दौरान पुलिस-प्रशासन से लोहा लेने के बाद साल 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने उनको बेगुनाह बताया.

फिल्म 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' में भारत के अंतरिक्ष मिशन को दिखाया गया है. यह भी बताया गया है कि किस तरह स्पेस प्रोग्राम में अमेरिका का पूरी दुनिया में वर्चस्व था. अरबों डॉलर खर्च करके भारत जैसे देश अमेरिका के भरोसे रहते थे. इतना ही नहीं अमेरिका भारत जैसे देशों में स्पेस प्रोग्राम पर काम भी नहीं होने देता था, ताकि उसका बिजनेस बना रहे हैं. ऐसे वक्त में नंबी नारायणन ने भारत सरकार और देश को भरोसा दिलाया कि हम भी स्पेस रिसर्च में सक्षम हैं. उनको स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की...

आर माधवन की 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' अंतरिक्ष विज्ञान की बात करने वाली देश की पहली प्रामाणिक फिल्म है. ये फिल्म भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक नंबी नारायणन की जिंदगी पर आधारित है. इसमें अभिनेता आर माधवन नंबी नारायणन का किरदार निभा रहे हैं. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त प्रदर्शन कर रही हैं. इसे लोग बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इस फिल्म की सफलता माधवन की साधना का परिणाम माना जा सकता है. क्य़ोंकि फिल्म में किरदार निभाने के अलावा उन्होंने प्रोड्यूसर, राइटर और डायरेक्टर का भी काम किया है. पांच साल की लंबी प्रक्रिया, कठिन मेहनत और तमाम बाधाओं को पार करने के बाद वो इस फिल्म को रिलीज कर पाए हैं.

60 करोड़ रुपए के बजट में बनी फिल्म 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' ने रिलीज के बाद चार दिनों के अंदर 17 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है. फिल्म के कलेक्शन में हर दिन जिस तरह से ग्रोथ देखने को मिल रही है, ऐसा अनुमना है कि दूसरे हफ्ते में ही 100 करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी. फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की तरह 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' भी बॉक्स ऑफिस पर कमाल करके इतिहास कायम कर सकती है. इस फिल्म में नंबी नारायणन के उस संघर्ष को दिखाया गया है, जिसमें उनको झूठे केस में फंसाकर देशद्रोही करार दे दिया गया था. उनको जेल हो गई थी. लेकिन 26 साल की लंबी लड़ाई के दौरान पुलिस-प्रशासन से लोहा लेने के बाद साल 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने उनको बेगुनाह बताया.

फिल्म 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' में भारत के अंतरिक्ष मिशन को दिखाया गया है. यह भी बताया गया है कि किस तरह स्पेस प्रोग्राम में अमेरिका का पूरी दुनिया में वर्चस्व था. अरबों डॉलर खर्च करके भारत जैसे देश अमेरिका के भरोसे रहते थे. इतना ही नहीं अमेरिका भारत जैसे देशों में स्पेस प्रोग्राम पर काम भी नहीं होने देता था, ताकि उसका बिजनेस बना रहे हैं. ऐसे वक्त में नंबी नारायणन ने भारत सरकार और देश को भरोसा दिलाया कि हम भी स्पेस रिसर्च में सक्षम हैं. उनको स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंप दी गई. उनको प्रोजेक्ट का डायरेक्टर बना दिया गया. लेकिन अमेरिकी साजिश की वजह से अपने देश में उनको गद्दार घोषित करके प्रोजेक्ट खत्म कर दिया गया.

आइए उन चार फिल्मों के बारे में जानते हैं, जिनमें अंतरिक्ष विज्ञान को आसानी से समझाया गया है...

1. चांद पर चढ़ाई

रिलीज डेट- साल 1967

कहां देख सकते हैं- यूट्यूब

55 साल पहले जब इंसानों ने चांद पर कदम भी नहीं रखा था, उस वक्त बॉलीवुड ने 'चांद पर चढ़ाई' नामक फिल्म बनाई थी. साल 1967 में कावेरी प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म में रॉकेट लॉन्चिंग के दृश्य भी दिखाए गए थे. इतना ही नहीं स्पेससूट में स्पेस शिप पर सवार होकर चांद पर पहुंचने की पूरी प्रक्रिया दिखाई गई है. फिल्म में मशहूर पहलवान दारा सिंह लीड रोल में थे. फिल्म में उनके किरदार को चांद की धरती पर उतरते हुए दिखाया गया है. टीपी सुंदरम के निर्देशन में बनी 'चांद पर चढ़ाई' को हिन्दी सिनेमा की पहली साइंस फिक्शन फिल्म माना जाता है. फिल्म की कहानी उसके नाम की तरह ही दिलचस्प है. इसमें दारा सिंह के किरदार अंतरिक्ष यात्री कैप्टन आनंद और उनके सहयोगी भागू को चांद पर जाते हुए दिखाया गया है. चांद की धरती पर कदम रखते ही इन दोनों को दूसरे ग्रहों से आए कई तरह के मॉन्सर और योद्धाओं से दो-चार होना पड़ता है. फिल्म में हेलन, अनवर हुसैन, पद्मा खन्ना, भगवान दादा और सी रत्ना भी अहम रोल में हैं. फिल्म में लता मंगेशकर, मो. रफी और आशा भोंसले के गाए कई मशहूर गाने हैं.

2. मिशन मंगल

रिलीज डेट- 15 अगस्त, 2019

कहां देख सकते हैं- डिज्नी प्लस हॉटस्टार

भारत के मंगल मिशन की सच्ची घटना पर आधारित फिल्म 'मिशन मंगल' में उन पांच महिला वैज्ञानिकों के बारे में दिखाया गया है, जिनके बिना इस मिशन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में कार्यरत इन महिला वैज्ञानिकों का नाम तारा शिंदे, एका गांधी, कृतिका अग्रवाल, वर्षा गौड़ा और नेहा सिद्दीकी है. इस मिशन के डायरेक्टर अंतरिक्ष वैज्ञानिक राकेश धवन थे, जिनका किरदार फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार ने निभाया है. इसमें अक्षय के साथ विद्या बालन, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, नित्या मेनन, कीर्ति कुल्हारी और शरमन जोशी जैसे कलाकार भी अहम किरदारों में हैं. फिल्म के मेकर्स ने कहानी को सच्चाई के करीब दिखाने के लिए बहुत मेहनत किया था. इस मिशन का गहराई से अध्ययन किया गया. यह जाना गया कि इतनी कम लागत में मंगल तक एक रॉकेट कैसे जा सकता है. इसके लिए 100 से ज्यादा वैज्ञानिकों से बात की गई. उनसे मिले इनपुट्स के आधार पर ही फिल्म की कहानी तैयार की गई. इस फिल्म को स्पेस मिशन पर बनने वाली सबसे सफल फिल्म माना जाता है. फिल्म ने 300 करोड़ की कमाई की है.

3. रॉकेट ब्वॉयज

रिलीज डेट- 4 फरवरी, 2022

कहां देख सकते हैं- सोनी लिव

'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' का पहला ट्रेलर जब लॉन्च हुआ, उसी समय वेब सीरीज 'रॉकेट ब्वॉयज' की चर्चा शुरू हुई थी. फिल्म की रिलीज से पहले ही इस वेब सीरीज को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम कर दिया गया. इस वेब सीरीज का पहला सीजन एक ऐसी रूमानी, रोमांचक और रोचक कहानी है जिसे देख आपका दिल झूम उठेगा. ऐसा लगेगा कि आप देश का नक्शा बदलने के दौर की नहीं, बल्कि इश्क के इल्म बनने के दौर की कहानी देख रहे हैं. साल 1938 से लेकर साल 1964 के कालखंड में रची गई इस वेब सीरीज में भारत के स्पेस और न्यूक्लियर प्रोग्राम्स को एक नई दिशा देने वाले तीन वैज्ञानिकों और उनके योगदान को दिखाया गया है. ये तीन वैज्ञानिक होमी भाभा, विक्रम साराभाई और ए पी जे अब्दुल कलाम हैं. इनके किरदार जिम सार्भ, अर्जुन राधाकृष्णन और इश्वाक सिंह ने निभाए हैं. अभय पन्नू के निर्देशन में बनी इस सीरीज में रेजिना कसांड्रा, सबा आजाद, दिब्येंदु भट्टाचार्य, रजित कपूर और नमित दास को भी अहम किरदारों में देखा जा सकता है. यदि भारत में स्पेस और न्यूक्लियर मिशन की बुनियाद को समझना चाहते हैं, तो इस वेब सीरीज को जरूर देखें. इसके साथ ही आपको उस जमाने में सरकार और वैज्ञानिकों के बीच रिश्तों की झलक भी दिख जाएगी, जो अब शायद ही दिखती है.

4. अंतरिक्षम 9000 KMPH

रिलीज डेट- 21 दिसंबर, 2018

कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो

संकल्प रेड्डी द्वारा निर्देशित साइंस फिक्शन एडवेंचर फिल्म 'अंतरिक्षम 9000 KMPH' मूलत: तमिल में बनी है. इस फिल्म की कहानी स्पेस स्टेशन की कार्यप्रणाली के ईद-गिर्द घूमती है. स्पेस में सैटेलाइट कैसे काम करता है. उसमें वैज्ञानिकों का क्या रोल है. इसे फिल्म में बखूबी दिखाया गया है. फिल्म की कहानी देव नामक एक स्पेस साइंटिस्ट के जीवन पर आधारित है, जिसने पांच साल पहले अंतरिक्ष स्टेशन छोड़ दिया है. देव से एक सैटेलाइट को ठीक करने के लिए संपर्क किया जाता है, जो स्पेस स्टेशन से कम्युनिकेशन खो चुकी है. यदि वह यह समस्या ठीक नहीं कर पाता है, तो यह दुनिया भर में ब्लैकआउट की स्थिति पैदा हो सकती है. फिल्म को हिंदी सब टाइटल के साथ देखा जा सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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