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Rishi Kapoor death: जब तक दुनिया में इश्क है, चिंटू तुम यहीं रहोगे

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 30 अप्रिल, 2020 01:24 PM
  • 30 अप्रिल, 2020 01:05 PM
offline
Rishi Kapoor death news: ऋषि कपूर को अलविदा नहीं कहूँगी आपको क्योंकि मैं जानती हूँ कि जब तक इश्क़ की सारी कहानियाँ ज़िंदा हैं और मोहब्बत की खातिर मर-मिटने वाले दीवाने हैं, आप रहेंगे तब तक.

ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) यूँ तो अपने बचपन में ही 'प्यार हुआ इक़रार हुआ' गीत पर रेनकोट पहने ठुमक-ठुमक चलते नज़र आये थे लेकिन इस बात को मैंने जाना बहुत समय बाद ही था. मैंने उन्हें पहली बार किस फ़िल्म में देखा, ये याद कर पाना अभी मुश्किल है लेकिन इतना जरूर याद है कि 'मेरा नाम जोकर' का एक मासूम बच्चा और उसका भोला चेहरा हमेशा मेरी आँखों में तैरता रहा. फिर एक दिन 'बॉबी' के हीरो से सामना हुआ तो इश्क़ की हज़ार कलियाँ खिलने लगी हों जैसे और यूँ लगा कि यार! अपना भी कोई हीरो हो कभी तो ऐसा ही ज़िद्दी निकले. इन्हीं दिनों अमिताभ का जादू भी अपने चरम पर था, उनकी फ़िल्मों कुली, नसीब, अमर अक़बर एंथोनी, कभी-कभी से 102 नॉट आउट तक पहुँचते हुए भी कई बार ऋषि कपूर को जानने-समझने का मौक़ा मिलता रहा. लेकिन इससे अलग भी उनकी अपनी एक ख़ास पहचान थी.

उनके डांस करने का तरीक़ा सबसे अलग था और जब वो स्टेज पर चढ़ पूछते कि 'तुमने कभी किसी से प्यार किया है?' तो उनके प्रशंसक जैसे पागल ही हो जाते थे. अभी उनके हिट हुए गीतों का लिखने बैठूं तो ये सूची कभी थमने का नाम ही न लेगी. लैला मजनूं, रफूचक्कर, सरगम, कर्ज़, बोल राधा बोल, हम किसी से कम नही, हिना, सागर, दीवाना, खेल-खेल में और भी न जाने क्या-क्या गड्डम गड्ड होने लगा है. वो भोला लड़का कब चॉकलेटी बॉय बनकर दिलों पर राज़ करने लगा, पता ही न चला. इस समय मुझे दो नाम याद आ रहे हैं, 'प्रेमरोग' और 'चाँदनी', ये दोनों ऐसी फ़िल्में थीं जिन्हें देख उनसे बेशुमार मोहब्बत होने लगी थी और जैसे इक उम्र की लड़कियाँ अपने सपनों के राजकुमार की तस्वीर बुनती हैं वो अब थोड़ा-थोड़ा खुलकर दिखने लगी थी. उनके लिए किसी ने, कभी ये नहीं कहा कि 'सोचेंगे तुम्हें प्यार करें कि नहीं', सब करने ही लगे थे. अब कोई सुने तो हँसने ही लग जाए पर मुझे तो उनके स्वेटर भी रोमांटिक लगा करते थे. वे हरदिल अज़ीज़ थे. इसीलिए शायद उनकी फ़िल्में हिट रहीं हों या फ्लॉप, उनकी लोकप्रियता रत्ती भर भी प्रभावित नहीं हुई और वे सबके चहेते चिंटू जी ही बने रहे.

ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) यूँ तो अपने बचपन में ही 'प्यार हुआ इक़रार हुआ' गीत पर रेनकोट पहने ठुमक-ठुमक चलते नज़र आये थे लेकिन इस बात को मैंने जाना बहुत समय बाद ही था. मैंने उन्हें पहली बार किस फ़िल्म में देखा, ये याद कर पाना अभी मुश्किल है लेकिन इतना जरूर याद है कि 'मेरा नाम जोकर' का एक मासूम बच्चा और उसका भोला चेहरा हमेशा मेरी आँखों में तैरता रहा. फिर एक दिन 'बॉबी' के हीरो से सामना हुआ तो इश्क़ की हज़ार कलियाँ खिलने लगी हों जैसे और यूँ लगा कि यार! अपना भी कोई हीरो हो कभी तो ऐसा ही ज़िद्दी निकले. इन्हीं दिनों अमिताभ का जादू भी अपने चरम पर था, उनकी फ़िल्मों कुली, नसीब, अमर अक़बर एंथोनी, कभी-कभी से 102 नॉट आउट तक पहुँचते हुए भी कई बार ऋषि कपूर को जानने-समझने का मौक़ा मिलता रहा. लेकिन इससे अलग भी उनकी अपनी एक ख़ास पहचान थी.

उनके डांस करने का तरीक़ा सबसे अलग था और जब वो स्टेज पर चढ़ पूछते कि 'तुमने कभी किसी से प्यार किया है?' तो उनके प्रशंसक जैसे पागल ही हो जाते थे. अभी उनके हिट हुए गीतों का लिखने बैठूं तो ये सूची कभी थमने का नाम ही न लेगी. लैला मजनूं, रफूचक्कर, सरगम, कर्ज़, बोल राधा बोल, हम किसी से कम नही, हिना, सागर, दीवाना, खेल-खेल में और भी न जाने क्या-क्या गड्डम गड्ड होने लगा है. वो भोला लड़का कब चॉकलेटी बॉय बनकर दिलों पर राज़ करने लगा, पता ही न चला. इस समय मुझे दो नाम याद आ रहे हैं, 'प्रेमरोग' और 'चाँदनी', ये दोनों ऐसी फ़िल्में थीं जिन्हें देख उनसे बेशुमार मोहब्बत होने लगी थी और जैसे इक उम्र की लड़कियाँ अपने सपनों के राजकुमार की तस्वीर बुनती हैं वो अब थोड़ा-थोड़ा खुलकर दिखने लगी थी. उनके लिए किसी ने, कभी ये नहीं कहा कि 'सोचेंगे तुम्हें प्यार करें कि नहीं', सब करने ही लगे थे. अब कोई सुने तो हँसने ही लग जाए पर मुझे तो उनके स्वेटर भी रोमांटिक लगा करते थे. वे हरदिल अज़ीज़ थे. इसीलिए शायद उनकी फ़िल्में हिट रहीं हों या फ्लॉप, उनकी लोकप्रियता रत्ती भर भी प्रभावित नहीं हुई और वे सबके चहेते चिंटू जी ही बने रहे.

ऋषि कपूर हमारे बीच नहीं है... ये भरोसा कैसे किया जाए?

कल इरफ़ान और आज इस कैंसर ने ऋषि कपूर को हमसे छीन लिया है. लेकिन वे भी क्या ख़ूब लड़े इससे. अंत तक अपना खिलंदड़पन नहीं छोड़ा और वो गुलाबी मुस्कान उनके चेहरे पर हमेशा खिलती रही.

लोग कहेंगे एक युग का अंत हो गया, रोमांस का अंत हो गया, सुनहरी वादियों में चाँदनी-चाँदनी पुकारता कोई दीवाना चला गया, मैं बैठी-बैठी इससे इतर यह सोच रही हूँ कि वो जो बचपन से मेरे साथ चला था और जिसकी खिलखिलाहट दिल में सैकड़ों फ़ूल बिखरा देती थी वो अभी भी इस दुनिया से गुज़रा ही नहीं है बल्कि कहीं किसी पेड़ के पीछे छुपा कोई नई शैतानी करने की जुगत लगा रहा है.

हर व्यक्ति की जिंदगी में एक ऐसा शख्स होता है जो बेहद खिलंदड़ होता है. वो शरारत भी करता है तो बुरा नहीं लगता कभी बल्कि उसे तुरंत ही माफ़ कर देने, गले लगाने को जी चाहता है और फिर उसकी अगली शरारत का बेसब्री से इंतज़ार भी रहता है. एक अज़ीब सी क़शिश और मोहब्बत होती है उस शख़्स से कि बस वो आसपास ही महसूस होता रहे. ऋषि कपूर, हम सबकी ज़िंदग़ी का वही शरारती हिस्सा हैं. उन्होंने हमें मुस्कुराना सिखाया, प्यार में दीवाना हो खुल्लमखुल्ला प्यार का इज़हार करना सिखाया और ये भी बताया कि झूठ बोलने पर कौआ काट लेगा. वो कहते हैं, 'बचना ए हसीनों, लो मैं आ गया' तो कोई भी बचना नहीं चाहता जी और सब यही कहना चाहते हैं उनसे, 'अरे, होगा तुमसे प्यारा कौन, हमको तो तुमसे है... हे कांची, हो प्याआआर, ट न टन टनन टनन'.

ऋषि कपूर मतलब ज़िंदादिली, इस इंसान का मृत्यु से कोई कनेक्शन है ही नहीं. एक हँसमुख इंसान जो ख़ूब बोलता है, ख़ूब हँसता है और कभी गुस्सा भी कर दे तो पलटकर गले लगाना नहीं भूलता. चिंटू जी, आप जहाँ भी रहें, वहां इश्क़ के हज़ार फूल महकेंगे.

न! अलविदा नहीं कहूँगी आपको क्योंकि मैं जानती हूँ कि जब तक इश्क़ की सारी कहानियाँ ज़िंदा हैं और मोहब्बत की खातिर मर-मिटने वाले दीवाने हैं, आप रहेंगे तब तक. अपने चाहने वालों के साथ, अपनी नीतू और परिवार दोस्तों के साथ. ख़ूब सारा प्यार आपको.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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