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Rashtra Kavach Om Twitter Review: जनता के रिव्यू ने बड़े बड़े फिल्म क्रिटिक्स के रिव्यू को धो दिया है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 जुलाई, 2022 10:10 PM
  • 01 जुलाई, 2022 10:05 PM
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Rashtra Kavach Om Twitter Review: आदित्य रॉय कपूर की राष्ट्र कवच ओम ऐसी फिल्म है जहां फिर एक बार बॉलीवुड ने लॉजिक, रीजनिंग, विज्ञान को दरकिनार कर बेवकूफी को पर्दे पर उतारा है. बाकी जैसा रिव्यू फिल्म का यूजर्स ने सोशल मीडिया पर किया है वो किसी भी फ़िल्म क्रिटिक के रिव्यू से कहीं ज्यादा बड़ा है.

राष्ट्रवाद की घुट्टी, देश की रक्षा से जुड़े किसी मुद्दे के लिए बम-मिसाइल, ग्रेनेड-लॉन्चर, लात-घूंसों से गुंडों / देश के दुश्मनों को बल पर कूटता 6 पैक और 26 इंची डोलों वाला हीरो, एक आई कैंडी टाइप की हिरोइन, आइटम नंबर और फिल्म हिट... काश ज़िन्दगी इतनी ही आसान होती. लेकिन बात फिर वही है. चाहे ज़िंदगी हो या फिल्म आसान कुछ नहीं है. चॉकलेटी बॉय-आशिक मिजाज हीरो को अगर लॉजिक रीजनिंग और कहानी को नजरअंदाज करने के बाद एक्शन हीरो बना दिया जाए तो नतीजा क्या निकलता है उसे समझने के लिए कहीं बहुत दूर क्या ही जाना ज़ी स्टूडियो,अहमद खान द्वारा प्रोड्यूज की गयी निर्देशक कपिल वर्मा की फिल्म Rashtra Kavach Om का ही रुख कर लिया जाए.

यूजर्स तक मान चुके हैं कि टोटल टाइम वेस्ट है राष्ट्र कवच ओम

फिल्म पर बात हो इससे पहले हमारे लिए दो बातें जान लेना बहुत जरूरी है.

1- एक पैरा कमांडो के एक्शन के जरिये देशद्रोही पापा को देशभक्त साबित करने की कहानी है Rashtra Kavach Om

2- रक्त रहे न रहे राष्ट्र रहना चाहिए. 

बात सही है. राष्ट्र और राष्ट्रवाद से बड़ी कोई चीज नहीं है. लेकिन जब एक फिल्म बन रही हो तो उसके लिए कहानी का होना बहुत ज्यादा जरूरी है. ऐसा बिलकुल नहीं है कि स्क्रिप्ट राइटर मन में आए फालतू के विचारों को कागज पर उतार कर फिल्म की कहानी लिख दे. फिर उसे अहमद खान टाइप किसी प्रोड्यूसर को सुनाए कहानी प्रोड्यसर को पसंद आए वो उसपर पैसा लगा दे और फिल्म बनकर तैयार हो जाए. 

बात कहानी की हो तो फिल्म एक रक्षा कवच के इर्द-गिर्द घूमती है. रक्षा कवच की खासियत ये है कि ये किसी भी मुल्क की हिफाजत परमाणु शक्ति से करेगा. फिल्म में जैकी श्रॉफ एक...

राष्ट्रवाद की घुट्टी, देश की रक्षा से जुड़े किसी मुद्दे के लिए बम-मिसाइल, ग्रेनेड-लॉन्चर, लात-घूंसों से गुंडों / देश के दुश्मनों को बल पर कूटता 6 पैक और 26 इंची डोलों वाला हीरो, एक आई कैंडी टाइप की हिरोइन, आइटम नंबर और फिल्म हिट... काश ज़िन्दगी इतनी ही आसान होती. लेकिन बात फिर वही है. चाहे ज़िंदगी हो या फिल्म आसान कुछ नहीं है. चॉकलेटी बॉय-आशिक मिजाज हीरो को अगर लॉजिक रीजनिंग और कहानी को नजरअंदाज करने के बाद एक्शन हीरो बना दिया जाए तो नतीजा क्या निकलता है उसे समझने के लिए कहीं बहुत दूर क्या ही जाना ज़ी स्टूडियो,अहमद खान द्वारा प्रोड्यूज की गयी निर्देशक कपिल वर्मा की फिल्म Rashtra Kavach Om का ही रुख कर लिया जाए.

यूजर्स तक मान चुके हैं कि टोटल टाइम वेस्ट है राष्ट्र कवच ओम

फिल्म पर बात हो इससे पहले हमारे लिए दो बातें जान लेना बहुत जरूरी है.

1- एक पैरा कमांडो के एक्शन के जरिये देशद्रोही पापा को देशभक्त साबित करने की कहानी है Rashtra Kavach Om

2- रक्त रहे न रहे राष्ट्र रहना चाहिए. 

बात सही है. राष्ट्र और राष्ट्रवाद से बड़ी कोई चीज नहीं है. लेकिन जब एक फिल्म बन रही हो तो उसके लिए कहानी का होना बहुत ज्यादा जरूरी है. ऐसा बिलकुल नहीं है कि स्क्रिप्ट राइटर मन में आए फालतू के विचारों को कागज पर उतार कर फिल्म की कहानी लिख दे. फिर उसे अहमद खान टाइप किसी प्रोड्यूसर को सुनाए कहानी प्रोड्यसर को पसंद आए वो उसपर पैसा लगा दे और फिल्म बनकर तैयार हो जाए. 

बात कहानी की हो तो फिल्म एक रक्षा कवच के इर्द-गिर्द घूमती है. रक्षा कवच की खासियत ये है कि ये किसी भी मुल्क की हिफाजत परमाणु शक्ति से करेगा. फिल्म में जैकी श्रॉफ एक वैज्ञानिक देव राठौर हैं और ये रक्षा कवच उनकी की ईजाद है. एक दिन देव राठौर बने जैकी का अपरहण हो जाता है और उनपर आरोप लग जाते हैं देशद्रोही होने के.

इस घटना के बाद जो कुछ भी हुआ वो फिल्म है और चूंकि फिल्म में हीरो आदित्य रॉय कपूर हैं वो ऐसा बहुत कुछ कर देते हैं जिसके बाद दर्शक हैरत में आकर अपनी अंगुली को दांतों से काटते हुए सोचते हैं कि क्या सच में ऐसा हो सकता है? क्या आम ज़िन्दगी में ऐसा होने का स्कोप है? जैसी फिल्म है साफ़ है कि थियेटर से निकलने के बाद दर्शक अपने को ठगा हुआ सा महसूस करता है और ये सोचता है कि इस बॉलीवुड ने वाक़ई हम दर्शकों को बेवकूफ समझ रखा है और ये प्रोड्यूसर डायरेक्टर हमारे भोलेपन का फायदा उठा रहे हैं. 

फिल्म नकलीपन की पराकाष्ठा है. जब बात ऐसी फिल्मों की आती है तो किसी सिने क्रिटिक के रिव्यू से कहीं बेहतर है कि हम उन बेचारे लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखें जिन्होंने न केवल अपनी मेहनत की कमाई से फिल्म का टिकट लिया. बल्कि इस आस के साथ कि क्या पता कुछ अच्छा देखने को मिल ही जाए, फिल्म देखने के चक्कर में अपना 2- 2.5 घंटा ख़राब किया.

तो आइये आदित्य रॉय कपूर पर और ज्यादा बात करने के लिए रुख करें सोशल मीडिया पर उन लोगों का जिन्होंने इस ऐतिहासिक फिल्म को देखा और बा दमन अपने मन की बात की. 

    

MagicianBoBo के इस ट्वीट को ही देख लें तो ऐसा महसूस हो रहा है कि फिल्म का टिकट बुक करने से पहले तक बतौर दर्शक इन्हें फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं और जब इन्होने फिल्म देखि तो पता चला कि फिल्म धाकड़ जैसी है जिसका क्लाइमेक्स टाइगर की बागी 3 वाला है. 

सोशल मीडिया पर यूजर्स यही कहते पाए जा रहे हैं कि राष्ट्र कवच ओम एक बुरी नहीं बेहद घटिया फिल्म है.

फिल्म इस हद तक ख़राब है कि जब इसके रिव्यू और रेटिंग के बारे में गूगल पर सर्च किया गया तो वहां भी परिणाम चौंकाने वाले मिले.

फिल्म को लेकर जो सबसे मजेदार तथ्य है तो ये कि फिल्म के ख़राब नहीं बल्कि बहुत घटिया होने के बावजूद दर्शकों से इसे पूरा देखा.

फिल्म को लेकर जैसा दर्शकों का रुख है साफ़ है कि वो इसकी आलोचना के नाम पर हाल फिलहाल में मोटे मोठे ग्रन्थ लिख देंगे.

जैसा कि हम ऊपर ही देख चुके हैं आदित्य रॉय कपूर की फिल्म राष्ट्र कवच ओम ने दर्शकों को सिर्फ बोर नहीं बल्कि भयंकर वाला बोर किया. चूंकि फिल्म एक एक्शन पैक फिल्म थी इसलिए हम फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेकट से बस इतना ही कहेंगे कि जब आप इस तरह की कोई ऐतिहासिक फिल्म का निर्माण कर रहे तो हम से कम ग्राफ़िक्स और वीएफएक्स का ही ख्याल रख लें, कम से कम दर्शक इन्हें देखकर ही इस बात का संतोष कर लेगा कि जब फिल्म बन रही थी तो निर्माता निर्देशक ने खुद भी कहीं तो पैसा खर्च किया. 

बाकी चाहे वो फिल्म का क्रिटिक/ यूजर्स रिव्यू हो या IMDb रेटिंग Rashtra Kavach Om जैसी फ़िल्में सिर्फ बनाई नहीं जातीं ऐसा कचरा न केवल बने बल्कि जन जन तक फैले इसलिए ये विचार प्रोड्यूसर अहमद खान जैसे लोगों के दिमाग में अवतार लेता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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