• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Jayeshbhai Jordaar को review में 5 स्टार देने के पीछे बड़ी साजिश की बू आ रही है!

    • आईचौक
    • Updated: 13 मई, 2022 08:14 PM
  • 13 मई, 2022 04:04 PM
offline
रणवीर सिंह स्टारर यशराज फिल्म्स के बैनर से बनी सोशल कॉमेडी ड्रामा जयेश भाई जोरदार रिलीज हो चुकी है. आइए फिल्म को लेकर जनता के रुझान को जानते हैं.

रणवीर सिंह की जयेश भाई जोरदार सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. जनता फिल्म की समीक्षाएं दे रही हैं. हालांकि ट्विटर पर ऐसे होनहार समीक्षकों की कमी नहीं है जो यशराज फिल्म्स की सोशल कॉमेडी ड्रामा को पांच में से पूरे पांच रेट दे रहे है. रणवीर का दुर्भाग्य है कि समीक्षाओं की स्टार रेटिंग का दर्जा पांचवीं तक जाकर ठहर जाता है. वरना तो उनकी फिल्म असंख्य रेटिंग भी पाने में सक्षम लग रही है कुछ समीक्षकों को. चार और पांच रेटिंग देने वाले समीक्षक अल्पसंख्यक हैं. बावजूद सिनेमा के अपने लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की भी अहमियत है.

वरना तो आईचौक इस तरह मजे लेते हुए पहली पार पब्लिक ओपिनियन को दर्ज नहीं कर रहा होता. जबकि ट्विटर के ही माध्यम पर दूसरी समीक्षाओं के नतीजे यानी रेटिंग- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में आशंकाओं को जन्म देते नजर आते हैं. और हाथ में एक सूत्र पकड़ में आ ही जाता है कि पांच रेटिंग देने वाले सिनेमा में किसी इमोशनल अत्याचार के लिए गहरी साजिश का शिकार हैं या उसे रच रहे हैं. सिनेमा के शास्त्रों में इसी साजिश को पूरी तरह से अपराध की श्रेणी में आने से बचाने के लिए "पेड रेटिंग" का तर्क गढ़ा गया है. और सिनेमा उद्योग में हमारे देश के सबसे हुनरमंद "पीआर कार्यकर्ता" हैं जो असल में नई मीडिया के ग्लैडिएटर से कम नहीं- नाना प्रकार की मासूम शैतानियां उन्हीं बच्चों के दिमाग की उपज हैं.

जयेश भाई जोरदार में रणवीर सिंह.

किसी सूचना को फैलाने के लिए या ध्यान आकृष्ट कराने के लिए वाट्सऐप पर संदेश भेजने के बाद लिखते हैं- "यह मैसेज गलती से उन्होंने भेज दिया, आप इसे इग्नोर करें." या फिर- "यह बहुत गोपनीय जानकारी थी जो गलती से आप तक पहुंच गई. खुदा के वास्ते उसे डिलीट कर दें." उनकी प्रतिभाओं के और भी बहुत उदाहरण हैं. उसकी ओर भला...

रणवीर सिंह की जयेश भाई जोरदार सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. जनता फिल्म की समीक्षाएं दे रही हैं. हालांकि ट्विटर पर ऐसे होनहार समीक्षकों की कमी नहीं है जो यशराज फिल्म्स की सोशल कॉमेडी ड्रामा को पांच में से पूरे पांच रेट दे रहे है. रणवीर का दुर्भाग्य है कि समीक्षाओं की स्टार रेटिंग का दर्जा पांचवीं तक जाकर ठहर जाता है. वरना तो उनकी फिल्म असंख्य रेटिंग भी पाने में सक्षम लग रही है कुछ समीक्षकों को. चार और पांच रेटिंग देने वाले समीक्षक अल्पसंख्यक हैं. बावजूद सिनेमा के अपने लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की भी अहमियत है.

वरना तो आईचौक इस तरह मजे लेते हुए पहली पार पब्लिक ओपिनियन को दर्ज नहीं कर रहा होता. जबकि ट्विटर के ही माध्यम पर दूसरी समीक्षाओं के नतीजे यानी रेटिंग- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में आशंकाओं को जन्म देते नजर आते हैं. और हाथ में एक सूत्र पकड़ में आ ही जाता है कि पांच रेटिंग देने वाले सिनेमा में किसी इमोशनल अत्याचार के लिए गहरी साजिश का शिकार हैं या उसे रच रहे हैं. सिनेमा के शास्त्रों में इसी साजिश को पूरी तरह से अपराध की श्रेणी में आने से बचाने के लिए "पेड रेटिंग" का तर्क गढ़ा गया है. और सिनेमा उद्योग में हमारे देश के सबसे हुनरमंद "पीआर कार्यकर्ता" हैं जो असल में नई मीडिया के ग्लैडिएटर से कम नहीं- नाना प्रकार की मासूम शैतानियां उन्हीं बच्चों के दिमाग की उपज हैं.

जयेश भाई जोरदार में रणवीर सिंह.

किसी सूचना को फैलाने के लिए या ध्यान आकृष्ट कराने के लिए वाट्सऐप पर संदेश भेजने के बाद लिखते हैं- "यह मैसेज गलती से उन्होंने भेज दिया, आप इसे इग्नोर करें." या फिर- "यह बहुत गोपनीय जानकारी थी जो गलती से आप तक पहुंच गई. खुदा के वास्ते उसे डिलीट कर दें." उनकी प्रतिभाओं के और भी बहुत उदाहरण हैं. उसकी ओर भला क्या जाना. हम बात करते हैं जयेशभाई जोरदार को लेकर आ रहे जनादेश की. पांच सितारा देने वालों की सच्चाई जानने के बाद दूसरी तरफ चलते हैं जो ट्विटर समीक्षाओं की अपनी लोकतांत्रिक दुनिया का सामान्य शिष्टाचार है.

कुल मिलाकर बात यह है कि दिव्यांग ठक्कर के लेखन-निर्देशन में बनी जयेश भाई जोरदार को बॉलीवुड के वो लाभार्थी जो यशराज फिल्म्स से समय-समय पर काम पाते रहे या उन्हें भविष्य में कुछ पाने की उम्मीद है- फिल्म बेहतर लगी. रणवीर की सर्किल में इंडस्ट्री के तमाम लोगों को भी फिल्म पसंद आ रही है. प्रशंसकों को भी. रणवीर की पत्नी दीपिका पादुकोण के आसपास  जुड़ा आम और ख़ास समाज भी फिल्म को बेहतर पा रहा है. बॉलीवुड में बड़े कलाकारों की मंडली (निकट भविष्य में जिनकी फ़िल्में रिलीज होने वाली हैं) जयेश भाई जोरदार को एक जरूरी मुद्दे पर बनी जरूरी फिल्म पा रहे हैं. अच्छी बात यह है कि अब तक किसी ने इसे राष्ट्रीय पुरस्कार के लायक फिल्म करार नहीं दिया है बस.

स्वाभाविक रूप से बॉलीवुड का नफरती जमात जयेशभाई को कूड़ा मानकर खारिज करता दिख रहा है. टुकड़े-टुकड़े गैंग से एलर्जी रखने वाला तबका भी फिल्म के खिलाफ सोशल मीडिया पर हिंसक प्रदर्शन को उतारू है. तारीफ़ और आलोचनाओं को देखकर पता नहीं क्यों लग रहा कि पक्ष विपक्ष के तमाम ईमानदार आलोचकों ने फिल्म देखी भी है या नहीं. वैसे यह 16 कलाओं से भिन्न एक अलग तरह की कला है जिसका जन्म तो नहीं पर विकास सोशल मीडिया के दौर में ही हुआ मान सकते हैं. और ज्यादातर लोगों ने फिल्म को खराब पाया है.

जो ब्ल्लूटिक धारी "स्वतंत्र" आलोचक हैं जयेशभाई जोरदार को लेकर उनका नजरिया भी जानते चले. ब्लूटिक जमात का अपना एक अलग यूनिवर्स है. खैर, वे जैसे भी हों, मगर रणवीर की फिल को लेकर ना तो हद से ज्यादा निर्मम दिख रहे हैं और ना ही दयालु. ज्यादातर ने जयेशभाई को बोरिंग और बासी माना है. कुछ लोगों ने टुकड़ों में फिल्म को अच्छा पाया है. टुकड़ों में मतलब कि किसी को जयेश भाई में दिखा गुजरात ही ठीक लगा. किसी को सेट अच्छा लगा. किसी को कपड़े. फिल्म में किसी को कलाकार का काम अच्छा लगा. किसी को किसी दृश्य में दिखी कॉमेडी पसंद आई. लेकिन फिल्म के रूप में जयेश भाई जोरदार का कम्प्लीट पैकेज किसी को भी पसंद आता नहीं दिख रहा है. कई ने ईमानदारी से डिजास्टर बताया. फिल्म को डेढ़ से ढाई पॉइंट तक रेट किया अगया है.

कई को लग रहा कि कहानी 80 और 90 के दशक की है. दुनिया आज जहां है और जयेश भाई जोरदार की जो टारगेट शहरी ऑडियंस है भला उसे यह कहानी क्यों पसंद आएगी. जब लड़के लड़की का भेद उस तरह नहीं है जैसा कि दिखाया जा रहा है. इस बारे में आईचौक ने फिल्म का ट्रेलर आने के बाद ही तमाम चीजों की ओर ध्यान दिलाया था कि फिल्म पर क्या और कौन कौन सी चीजें भारी पड़ सकती हैं. (जानना चाहें तो यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं.)

जयेश भाई जोरदार आज ही रिलीज हुई है. जब यह लिखा जा रहा है प्रतिक्रियाओं के आने का सिलसिला शुरू ही हुआ है. हो सकता है कि तमाम चीजें सुधरें. और फिल्म आलोचक और समर्थक के विचारों में कहीं बीच में खड़ी नजर आए. इंतज़ार करना चाहिए. वैसे, किसी फिल्म को देखने की कोई वजह नहीं होती और बहुत वजहें होती हैं. नहीं देखना है तो मत देखिए और कोई वजह पा रहे हैं तो देखने में हर्ज ही क्या- बस जेब में नोट हो. फिल्म में रणवीर के अलावा शालिनी पांडे, बोमन ईरानी और रत्ना पाठक शाह अहम भूमिकाओं में नजर आ रही हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲