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Ram Setu Vs Thank God: दर्शकों की पसंद का अंदाजा लगाने में फिर क्यों फेल हो गए समीक्षक?

    • आईचौक
    • Updated: 27 अक्टूबर, 2022 03:24 PM
  • 27 अक्टूबर, 2022 03:24 PM
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राम सेतु और थैंक गॉड की समीक्षकों ने तीखी आलोचना की थी. बावजूद दोनों फिल्मों का कलेक्शन उनके स्केल के मुताबिक़ शानदार दिख रहा है. मुख्यधारा के समीक्षकों की राय के उलट दर्शकों का जनादेश आ रहा है.

हिंदी फिल्मों के समीक्षक दर्शकों का सेंटीमेंट समझने में एक बार फिर नाकाम साबित दिख रहे हैं. इसका दिलचस्प उदाहरण फिलहाल केस स्टडी की तरह पढ़ा जा सकता है. दिवाली पर दो फ़िल्में- अक्षय कुमार की राम सेतु और अजय देवगन सिद्धार्थ मल्होत्रा की थैंक गॉड साथ-साथ रिलीज हुई थीं. रिलीज से पहले दोनों फ़िल्में निशाने पर थी. तमाम आशंकाएं थीं. अक्षय कुमार तो दर्शकों के निशाने पर कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे थे. और इसकी वजह थी, द कश्मीर फाइल्स को उनका खुलकर सपोर्ट ना करना. अक्षय को खामियाजा भुगतना पड़ा और उनकी चार फ़िल्में (बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, रक्षा बंधन, कटपुतली) ना सिर्फ फ्लॉप हुईं बल्कि उनके खिलाफ भी तगड़ा बायकॉट कैम्पेन दिखा. हालांकि कटपुतली ओटीटी रिलीज थी. बावजूद उसे भी नुकसान उठाना पड़ा. दुर्लभ फ़िल्में पूर्ण होती हैं. बाकी उनमें कुछ अच्छा और कुछ खराब तो रह ही जाता है.

जब अक्षय की फिल्म राम सेतु के विजुअल (टीजर और ट्रेलर) सामने आने लगे- सोशल मीडिया पर फिल्म का विरोध दिखा. लोगों ने उनकी आलोचना की और रिलीज से पहले ही फिल्म के कंटेंट को औसत बताने लगे. लगा कि अक्षय की राम सेतु को भी बॉलीवुड के खिलाफ बने निगेटिव माहौल की कीमत चुकानी पड़ेगी. अजय की थैंक गॉड के साथ भी लगभग ऐसा ही नजर आया और विरोध दिखा. हालांकि जिस तरह लाल सिंह चड्ढा और ब्रह्मास्त्र के खिलाफ विरोध नजर आ रहा था- दोनों फिल्मों के लिए वैसी कटु आलोचना नहीं दिखी. कई समीक्षक जिन्होंने पूर्व में बॉलीवुड फिल्मों की तारीफ़ की थी, या फिर दर्शकों की राय के मुताबिक़ ही उनकी समीक्षाएं आई थीं- उन्होंने राम सेतु और थैंक गॉड के मामले में पब्लिक सेंटीमेट को बिना समझें उसपर सवार होने की कोशिश की. बॉक्स ऑफिस का बिजनेस समीक्षकों की राय के उलट है.

रामसेतु

पब्लिक सेंटीमेंट पर सवार...

हिंदी फिल्मों के समीक्षक दर्शकों का सेंटीमेंट समझने में एक बार फिर नाकाम साबित दिख रहे हैं. इसका दिलचस्प उदाहरण फिलहाल केस स्टडी की तरह पढ़ा जा सकता है. दिवाली पर दो फ़िल्में- अक्षय कुमार की राम सेतु और अजय देवगन सिद्धार्थ मल्होत्रा की थैंक गॉड साथ-साथ रिलीज हुई थीं. रिलीज से पहले दोनों फ़िल्में निशाने पर थी. तमाम आशंकाएं थीं. अक्षय कुमार तो दर्शकों के निशाने पर कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे थे. और इसकी वजह थी, द कश्मीर फाइल्स को उनका खुलकर सपोर्ट ना करना. अक्षय को खामियाजा भुगतना पड़ा और उनकी चार फ़िल्में (बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, रक्षा बंधन, कटपुतली) ना सिर्फ फ्लॉप हुईं बल्कि उनके खिलाफ भी तगड़ा बायकॉट कैम्पेन दिखा. हालांकि कटपुतली ओटीटी रिलीज थी. बावजूद उसे भी नुकसान उठाना पड़ा. दुर्लभ फ़िल्में पूर्ण होती हैं. बाकी उनमें कुछ अच्छा और कुछ खराब तो रह ही जाता है.

जब अक्षय की फिल्म राम सेतु के विजुअल (टीजर और ट्रेलर) सामने आने लगे- सोशल मीडिया पर फिल्म का विरोध दिखा. लोगों ने उनकी आलोचना की और रिलीज से पहले ही फिल्म के कंटेंट को औसत बताने लगे. लगा कि अक्षय की राम सेतु को भी बॉलीवुड के खिलाफ बने निगेटिव माहौल की कीमत चुकानी पड़ेगी. अजय की थैंक गॉड के साथ भी लगभग ऐसा ही नजर आया और विरोध दिखा. हालांकि जिस तरह लाल सिंह चड्ढा और ब्रह्मास्त्र के खिलाफ विरोध नजर आ रहा था- दोनों फिल्मों के लिए वैसी कटु आलोचना नहीं दिखी. कई समीक्षक जिन्होंने पूर्व में बॉलीवुड फिल्मों की तारीफ़ की थी, या फिर दर्शकों की राय के मुताबिक़ ही उनकी समीक्षाएं आई थीं- उन्होंने राम सेतु और थैंक गॉड के मामले में पब्लिक सेंटीमेट को बिना समझें उसपर सवार होने की कोशिश की. बॉक्स ऑफिस का बिजनेस समीक्षकों की राय के उलट है.

रामसेतु

पब्लिक सेंटीमेंट पर सवार समीक्षक क्यों गच्चा खा गए?  दोनों फिल्मों को लेकर मुख्यधारा की समीक्षाएं देख लीजिए. लगभग सभी स्थापित समीक्षकों ने कड़ी प्रतिक्रियाएं दीं. बावजूद हिंदी बेल्ट में टिकट खिड़की पर बड़े क्लैश, दिवाली की शाम को घर में रहने की त्योहारी मजबूरी और ब्रह्मास्त्र-लाल सिंह चड्ढा और राम सेतु-थैंक गॉड के विरोध के फर्क को पकड़ने में नाकाम साबित हुए. दर्शक जरूर राम सेतु-थैंक गॉड के विरोध में नजर आ रहे थे, मगर उनकी चिंताएं दूसरी थी. अब जबकि फिल्म का दो दिन का कलेक्शन सामने आ चुका है साफ़ समझ आ रहा कि समीक्षक नाकाम साबित हुए. पांच छह साल पहले मुख्यधारा के समीक्षक इसी तरह नाकाम साबित होते थे. जनता जिन फिल्मों को पसंद करती थी- समीक्षाएं उनके विपरीत होती थीं. बड़े स्टार्स की फिल्मों को चार सितारे दिए जाते थे या फिर ऑफ़बीट फिल्मों की तारीफ़ में हजारों शब्द लिख दिए जाते थे, जिन्हें आम दर्शक देखता ही नहीं था.

बड़े दिनों बाद राम सेतु के रूप में बॉलीवुड को 100 करोड़ी फिल्म मिलेगी

राम सेतु और थैंक गॉड का कलेक्शन देखें तो दर्शक दोनों फिल्मों को पसंद करते नजर आते हैं. कह सकते हैं कि बॉलीवुड के लिए बर्बाद साबित हो रहे कई महीनों के बाद आखिरकार दो फ़िल्में श्योर शॉट हिट होते दिख रही हैं. राम सेतु ने पहले दो दिन में 26.65 करोड़ रुपये का कारोबार किया है. तमाम विपरीत चीजों के बावजूद पहले दिन फिल्म ने 15.25 करोड़ का शानदार बिजनेस निकाला. दूसरे दिन नॉर्मल बुधवार होने की वजह से लगा था कि फिल्म का कलेक्शन डबल डिजिट से नीचे चला जाएगा. लेकिन दूसरे दिन भी फिल्म ने 11.40 करोड़ कमाए. यह देसी बॉक्स ऑफिस के आंकड़े हैं. इसका मतलब है कि फिल्म तीसरे दिन नॉर्मल गुरुवार को भी ठीक ठाक बिजनेस करेगी. इसके बाद शुक्रवार से रविवार तक उसे एक प्रॉपर वीकएंड भी मिलने जा रहा है. उम्मीद है कि फिल्म रविवार तक 75 करोड़ आसानी से कमा सकती है और अगले शुक्रवार तक 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो सकती है. इसका मतलब साफ़ है कि रामसेतु आसानी से पंद्रह दिनों में ही अपनी लागत निकालकर हिट हो जाएगी. रामसेतु का बजट ज्यादा से ज्यादा 150 करोड़ बताया जा रहा है.

थैंक गॉड और राम सेतु.

अजय देवगन की थैंक गॉड भी हिट होने के ट्रैक पर ही है

इसी तरह अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की थैंक गॉड का बजट मात्र 70 करोड़ रुपये बताया जा रहा. यह फिल्म भले ही राम सेतु से कमाई के मामले में पीछे है लेकिन पहले दो दिन में 14.10 करोड़ कमा लिए.  थैंक गॉड ने 8.10 करोड़ की ओपनिंग हासिल की थी. नॉर्मल बुधवार होने के बावजूद दूसरे दिन फिल्म ने 6 करोड़ कमाए. रविवार तक यह फिल्म भी 40 करोड़ या उससे ज्यादा कमा सकती है. और पहले दो हफ़्तों में कमाई बजट से ज्यादा हो सकती है. यानी थैंक गॉड की कमाई भले ही राम सेतु से कम हो बावजूद यह भी हिट की तरफ निकल चुकी है. जब बॉलीवुड के लिए एक खराब माहौल बना हो, फिल्मों की कमाई साफ़ संकेत है कि दर्शक हिंदी फिल्मों के लिए सिनेमा घर आ रहे हैं. मजेदार यह भी है कि राम सेतु की ज्यादातर कमाई मास सर्किट से आ रही है. मास सर्किट में फिल्मों का मजबूत होना बताता है कि बॉलीवुड के लिए चीजें उस तरह खराब नहीं हैं जैसी आशंका जताई जा रही हैं. मास सर्किट के दर्शकों की चिंताएं और बॉलीवुड से अपेक्षाएं अलग हैं.

निश्चित ही दिवाली पर आ रहे जनादेश पर बॉलीवुड के निर्माताओं की नजर होगी और उन्हें समझ आ रहा होगा कि असल में दर्शकों से संवाद कैसे और किस बिंदु पर करना है. समीक्षकों को भी चाहिए कि वे दर्शकों के सेंटीमेंट को भुनाने की बजाए संवाद का केंद्र चीजों को बनाए जो हकीकत में आम दर्शकों और फिल्म इंडस्ट्री को आपस में जोड़ती हो.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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