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Pandit Jasraj Birth Anniversary: बॉलीवुड में 'जसराज', इस हॉरर फिल्म के लिए गाया रोमांटिक सॉन्ग

    • आईचौक
    • Updated: 28 जनवरी, 2022 05:35 PM
  • 28 जनवरी, 2022 05:35 PM
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लोकप्रिय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज (Pandit Jasraj) का हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से बहुत गहरा नाता रहा है. वो अपने जमाने के दिग्गज फिल्ममेकर वी. शांताराम के दामाद थे. पंडित जी ने अपना पहला बॉलीवुड सॉन्ग वी. शांताराम के निर्देशन में बनी फिल्म 'लड़की शहयाद्री की' के लिए गाया था.

उन दिनों हिंदुस्तान की आजादी का आंदोलन चरम पर था. समाज का हर वर्ग अपनी क्षमतानुसार आजादी के इस यज्ञ में अपनी आहूती दे रहा था. साल 1945 की बात है. लाहौर में कुमार गंधर्व का कार्यक्रम हो रहा था. उसमें 14 साल का एक लड़का तबले पर संगत कर रहा था. वो लड़का कुमार गंधर्व की संगीत के साथ संगत नहीं कर पा रहा था. इससे नाराज कुमार ने उसे बहुत डांटा और बोले, 'तुम मरा हुआ चमड़ा पीटते हो, तुम्हें रागदारी के बारे में कुछ नहीं पता'.

उस बालक को कुमार गंधर्व की बात बुरी लग गई. इस अपमानजक घटना के बाद उसने तबला छोड़ दिया और संगीत के सुर साधने निकल पड़ा. उसने अपनी साधना की बदौलत इतना नाम कमाया कि आज लोग उन्हें पंडित जसराज के नाम जानते हैं. उन्होंने एक अनोखी जुगलबंदी की रचना की है. इसमें महिला और पुरुष गायक अलग-अलग रागों में एक साथ गाते हैं. इस जुगलबंदी को जसरंगी नाम दिया गया है, जिसे पूरी दुनिया में बसे हिंदुस्तानी बड़े दिल से सुनते हैं.

लोकप्रिय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज 28 जनवरी 1930 में हरियाणा के हिसार में हुआ था.

पंडित जसराज बेजोड़ गायिकी वाले असाधारण गुरु थे. मधुराष्टकम् श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित श्रीकृष्ण की बहुत ही मधुर स्तुति है. पंडित जी ने इस स्तुति को अपने स्वर से घर-घर तक पहुंचा दिया. पंडित जी अपने हर एक कार्यक्रम में मधुराष्टकम् जरूर गाते थे. इस स्तुति के शब्द हैं, ''अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरं॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं। चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥''

सुनिए मधुराष्टकम् की मधुर स्तुति...

पंडित जसराज ने बॉलीवुड के लिए पहला गीत ''वंदना करो' 1966 में आई फिल्म 'लड़की शहयाद्री की' में...

उन दिनों हिंदुस्तान की आजादी का आंदोलन चरम पर था. समाज का हर वर्ग अपनी क्षमतानुसार आजादी के इस यज्ञ में अपनी आहूती दे रहा था. साल 1945 की बात है. लाहौर में कुमार गंधर्व का कार्यक्रम हो रहा था. उसमें 14 साल का एक लड़का तबले पर संगत कर रहा था. वो लड़का कुमार गंधर्व की संगीत के साथ संगत नहीं कर पा रहा था. इससे नाराज कुमार ने उसे बहुत डांटा और बोले, 'तुम मरा हुआ चमड़ा पीटते हो, तुम्हें रागदारी के बारे में कुछ नहीं पता'.

उस बालक को कुमार गंधर्व की बात बुरी लग गई. इस अपमानजक घटना के बाद उसने तबला छोड़ दिया और संगीत के सुर साधने निकल पड़ा. उसने अपनी साधना की बदौलत इतना नाम कमाया कि आज लोग उन्हें पंडित जसराज के नाम जानते हैं. उन्होंने एक अनोखी जुगलबंदी की रचना की है. इसमें महिला और पुरुष गायक अलग-अलग रागों में एक साथ गाते हैं. इस जुगलबंदी को जसरंगी नाम दिया गया है, जिसे पूरी दुनिया में बसे हिंदुस्तानी बड़े दिल से सुनते हैं.

लोकप्रिय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज 28 जनवरी 1930 में हरियाणा के हिसार में हुआ था.

पंडित जसराज बेजोड़ गायिकी वाले असाधारण गुरु थे. मधुराष्टकम् श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित श्रीकृष्ण की बहुत ही मधुर स्तुति है. पंडित जी ने इस स्तुति को अपने स्वर से घर-घर तक पहुंचा दिया. पंडित जी अपने हर एक कार्यक्रम में मधुराष्टकम् जरूर गाते थे. इस स्तुति के शब्द हैं, ''अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरं॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं। चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥''

सुनिए मधुराष्टकम् की मधुर स्तुति...

पंडित जसराज ने बॉलीवुड के लिए पहला गीत ''वंदना करो' 1966 में आई फिल्म 'लड़की शहयाद्री की' में गाया था, जो कि एक भजन था. इस फिल्म को वी. शांताराम ने निर्देशित किया था, जबकि संगीत वसंत देसाई ने दिया था. बहुत कम लोग जानते हैं कि पंडित जी अपने जमाने के दिग्गज फिल्ममेकर वी. शांताराम के दामाद थे. वी. शांताराम की बेटी मधुरा जसराज को बहुत पसंद करती थी. उन्होंने पिता से शादी की बात की और कहा, ''मैं विवाद करूंगी तो जसराज से वरना नहीं करूंगी.''

सुनिए फिल्म 'लड़की शहयाद्री की' का ये गाना...

फिल्म 'लड़की शहयाद्री की' से बॉलीवुड में गायिकी की शुरूआत करने वाले पंडित जी ने दूसरा गाना सात साल बाद साल 1973 में रिलीज हुई फिल्म 'बीरबल माय ब्रदर' के लिए गाया था. इसमें वे भीमसेन जोशी के साथ एक जुगलबंदी में शामिल हुए थे. हालांकि, उम्मीद के मुताबिक इस गाने को लोगों का प्यार नहीं मिला था. रिलीज होने के कुछ दिन बाद ही लोगों ने इसे भुला दिया. इसको श्याम प्रभाकर ने ने कंपोज किया था. इसमें जसराज और भीमसेन ने राग मालकौन में जुगलबंदी की थी.

सुनिए फिल्म 'बीरबल माय ब्रदर' का ये गाना...

इसके बाद पंडित जसराज लंबे समय तक बॉलीवुड से दूर रहे, लेकिन साल 2008 में रिलीज हुई विक्रम भट्ट की हॉरर फिल्म '1920' से उन्होंने वापसी की थी. इस फिल्म के लिए उन्होंने एक रोमांटिक गाना गाया, जिसके बोल थे, 'वादा तुमसे है वादा'. यह गाना उनकी गायिकी की स्टाइल से बिल्कुल अलग था. इसको लेकर उनकी काफी चर्चा भी हुई थी. इस गाने को अदनान सामी ने कंपोज किया था और विक्रम भट्ट इसके डायरेक्टर थे. फिल्म में अदा शर्मा और रजनीश दुग्गल लीड रोल में थे.

सुनिए हॉरर फिल्म '1920' का रोमांटिक गाना...

फिल्म '1920' के बाद पंडित जी ने साल 2012 में रिलीज हुई दिवंगत अभिनेता इरफान खान की फिल्म 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' के लिए एक गीत गाया था. इसका संगीत निर्देशन माइकल डाना ने किया था. बॉलीवुड के लिए पंडित जी का ये आखिरी गाना था. तब उनकी उम्र 82 साल थी. 90 साल की उम्र में उन्होंने न्यूजर्सी, अमेरिका में अंतिम सांस ली थी. इससे पहले 82 साल की उम्र में ही उन्होंने अंटार्कटिका पर अपनी प्रस्तुति देकर उन्होंने एक अनूठी उपलब्धि हासिल की थी.

सुनिए फिल्म 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' का ये गाना...






इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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