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बॉलीवुड से पाकिस्तान की Love-Hate रिलेशनशिप बड़ी पुरानी है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 09 अगस्त, 2019 06:54 PM
  • 09 अगस्त, 2019 06:53 PM
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भारत और पाकिस्तान के रिश्ते ऐसे ही हैं. खासकर फिल्मों से रिश्ता. तनाव कितना भी हो लेकिन भारतीय फिल्मों को पाकिस्तान के आम आदमी ने प्यार ही दिया है. लेकिन बात जब दो देशों के सम्मान की हो तो कुछ कड़े फैसले लेने ही होते हैं.

कहते हैं खुशी में कोई वादा नहीं करना चाहिए और गुस्से में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. इसके परिणाम अच्छे नहीं होते. कुछ ऐसे ही परिणाम अब पाकिस्तान भी भुगतने जा रहा है. कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखला गया और इसी बौखलाहट में उसने भारत के साथ अपने रिश्ते डाउग्रेड करने का फैसला किया. एक फैसला ऐसा भी किया जिसे करके उसने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है. पाकिस्तान ने वहां भारतीय फिल्मों पर बैन लगा दिया है. यानी अब पाकिस्तान में कोई भारतीय फिल्म, ड्रामा, या किसी भी तरह की भारतीय सामग्री नहीं दिखाई जाएगी. ऐसा करके पाकिस्तान कश्मीर में हुए बदलाव पर प्रतिक्रिया दे रहा है.

भारतीय फिल्मों को बैन करने का असर पाकिस्तान में किस तरह से होगा इसपर बाद में बात करेंगे. पहले ये समझ लेते हैं कि वहां कि आवाम इस बैन को किस तरह स्वीकार करती है.

पाकिस्तानी खुद भारतीय फिल्में देखना चाहते हैं

फिल्मों के शौकीन पाकिस्तानी लोगों को पाकिस्तान का ये फैसला जरा भी अच्छा नहीं लग रहा. ये बात आप खुद पाकिस्तानियों की जुबानी सुन सकते हैं कि वो पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के न दिखाए जाने से कितने परेशान हैं.

पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के लिए भारतीय फिल्में जरूरी हैं

बंटवारे के बाद से दोनों दोशों में टकराव भले ही हो लेकिन फिल्मों के प्रति उनका प्यार कम नहीं हुआ. ऐसा इसलिए भी हैक्योंकि पाकिस्तानी फिल्में बॉलीवुड का मुकाबला नहीं कर पातीं. पाकिस्तान ने भारतीय फिल्मों पर सबसे लंबा प्रतिबंध 1965 से 2005 तक लगाया था जिसका नतीजा ये रहा कि पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की कमर टूट गई. बैन हटाना उनकी मजबूरी थी. और बैन के हटने के बाद वहां स्थिति सुधरी. 2013 तक पूरे पाकिस्तान में केवल 30 स्क्रीन ही थीं जिन्हें 2017 तक 100 के करीब पहुंचाया गया. सिनेमा बिजनेस चलता रहे इसके लिए पाकिस्तान को एक साल में कम से कम करीब 24 फिल्में बनानी होती हैं. क्योंकि एक फिल्म बॉक्स ऑफिस पर करीब दो सप्ताह...

कहते हैं खुशी में कोई वादा नहीं करना चाहिए और गुस्से में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. इसके परिणाम अच्छे नहीं होते. कुछ ऐसे ही परिणाम अब पाकिस्तान भी भुगतने जा रहा है. कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखला गया और इसी बौखलाहट में उसने भारत के साथ अपने रिश्ते डाउग्रेड करने का फैसला किया. एक फैसला ऐसा भी किया जिसे करके उसने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है. पाकिस्तान ने वहां भारतीय फिल्मों पर बैन लगा दिया है. यानी अब पाकिस्तान में कोई भारतीय फिल्म, ड्रामा, या किसी भी तरह की भारतीय सामग्री नहीं दिखाई जाएगी. ऐसा करके पाकिस्तान कश्मीर में हुए बदलाव पर प्रतिक्रिया दे रहा है.

भारतीय फिल्मों को बैन करने का असर पाकिस्तान में किस तरह से होगा इसपर बाद में बात करेंगे. पहले ये समझ लेते हैं कि वहां कि आवाम इस बैन को किस तरह स्वीकार करती है.

पाकिस्तानी खुद भारतीय फिल्में देखना चाहते हैं

फिल्मों के शौकीन पाकिस्तानी लोगों को पाकिस्तान का ये फैसला जरा भी अच्छा नहीं लग रहा. ये बात आप खुद पाकिस्तानियों की जुबानी सुन सकते हैं कि वो पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के न दिखाए जाने से कितने परेशान हैं.

पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के लिए भारतीय फिल्में जरूरी हैं

बंटवारे के बाद से दोनों दोशों में टकराव भले ही हो लेकिन फिल्मों के प्रति उनका प्यार कम नहीं हुआ. ऐसा इसलिए भी हैक्योंकि पाकिस्तानी फिल्में बॉलीवुड का मुकाबला नहीं कर पातीं. पाकिस्तान ने भारतीय फिल्मों पर सबसे लंबा प्रतिबंध 1965 से 2005 तक लगाया था जिसका नतीजा ये रहा कि पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की कमर टूट गई. बैन हटाना उनकी मजबूरी थी. और बैन के हटने के बाद वहां स्थिति सुधरी. 2013 तक पूरे पाकिस्तान में केवल 30 स्क्रीन ही थीं जिन्हें 2017 तक 100 के करीब पहुंचाया गया. सिनेमा बिजनेस चलता रहे इसके लिए पाकिस्तान को एक साल में कम से कम करीब 24 फिल्में बनानी होती हैं. क्योंकि एक फिल्म बॉक्स ऑफिस पर करीब दो सप्ताह तक टिकी रहती है. लेकिन पाकिस्तान के करीब 120 सिनेमा हॉल में 60% स्क्रीनिंग केवल भारतीय फिल्मों की होती है. पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री का करीब 70 प्रतिशत रेवेन्यु भारतीय फिल्मों से ही आता है. यानी  वास्तविकता ये है कि पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड के बिना चल ही नहीं सकती.

पाकिस्तान के एक्टर्स के लिए सुनहरा मौका

पाकिस्तानी एक्टर्स पाकिस्तान से ज्यादा भारतीय फिल्में करने के इच्छुक रहते हैं. यहां उन्हें नाम भी मिलता है और पैसा भी. लेकिन भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन और पाकिस्तान के भारतीय फिल्मों पर बैन के बाद पाकिस्तान में फिल्में बनाने पर ही ज्यादा जोर होगा. यानी पाकिस्तान में ही ज्यादा फिल्में बनेंगी तो पाकिस्तानी कलाकारों को भी मौका मिलेगा. लेकिन सवाल ये है कि साल में 24 फिल्में बनाने वाला पाकिस्तान घाटा पूरा करने के लिए क्या इतनी फिल्में बना पाएगा? फिलहाल पाकिस्तान के एक्टर्स के लिए काम पाने का ये सुनहरा मौका है.

सरकार का रवैया

कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है लिहाजा भारत जो भी करे उससे पाकिस्तान को तकलीफ नहीं होनी चाहिए थी. लेकिन आज पाकिस्तान ने अपने रिश्ते डाउनग्रेड किए हैं तो ये सिर्फ कश्मीर को लेकर उसकी प्रतिक्रिया मात्र है. पाकिस्तान अक्सर ऐसा करता है. जब भी तनाव की स्थिति होती है वो सबसे पहले फिल्मों और समझौता एक्सप्रेस पर ही रोक लगाता है. लेकिन भारत सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. फर्क तो पाकिस्तान को पड़ रहा है और इस बैखलाहट में फिल्मों पर बैन लगाकर पाकिस्तान ने अपना ही नुक्सान कर लिया है.

पाकिस्तान का गुस्से में लिया गया ये फैसला उसके लिए अच्छा नहीं

कट्टरपंथियों का एक ही राग

पाकिस्तान के सिनेप्रेमियों को छोड़ दें तो वहां के देशभक्त अपने मुल्क और इस्लामी कानून को लेकर काफी कट्टर हैं. फिल्में देखना, संगीत सुनना इस्लाम में हराम माना जाता है (कंडीशन्स एप्लाइड). इनका मानना है कि फिल्में लोगों के दिमाग पर बुरा असर डालती हैं, और भारतीय फिल्में तो और भी ज्यादा. इसलिए भारतीय फिल्मों को बैन किया जाना चाहिए.

pemra तो सरकार के हाथों की कठपुतली है

फिल्मों पर बैन के साथ साथ pemra को मेड इन इंडिया विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण(pemra) मीडिया कार्यों की स्थापना के लिए चैनल लाइसेंस को विनियमित करने और जारी करने के लिए जिम्मेदार है. pemra ने 2016 में स्थानीय टीवी और रेडियो चैनलों पर भारतीय सामग्री को प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगाया था. बाद में 2017 में लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंध हटा दिया गया था. हालांकि, प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में बहाल कर दिया था. अब इस बैन के बाद pemra का का ही बढ़ा है.

पाकिस्तान हमेशा से बॉलीवुड फिल्मों का शौकीन रहा है.

पाकिस्तान के इस बैन से भारत पर कितना असर पड़ेगा

सच कहें तो भारत को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि बॉलीवुड पाकिस्तान से नहीं बल्कि पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड से चलती है. बॉलीवुड के ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श का कहना है कि भारतीय फिल्मों को पाकिस्तान में दर्शक तो अच्छे मिलते हैं लेकिन पाकिस्तान से हिंदी फिल्मों का कलेक्शन दुनिया भर के बॉक्स ऑफिस की तुलना में काफी कम आता है. उन्होंने कहा- 'पाकिस्तान में करीब 150 स्क्रीन हैं. हमारी तरह वो भी हिंदी फिल्में पसंद करते हैं. वो बहुत कम फिल्में बनाते हैं. इसके अलावा, आप सिर्फ हॉलीवुड की फिल्में बार बार नहीं दिखा सकते. उन्हें  भारतीय फिल्मों की लत है. ये उनके लिए मुश्किल होगा, क्योंकि हमारे लिए वो एक छोटा सा बाजार है.'

जानकारों की मानें तो हिंदी फिल्में पाकिस्तान में लगभग 4-7 करोड़ रुपये का व्यवसाय करती हैं. भारतीय फिल्मों के कुल कलेक्शन में पाकिस्तान का योगदान 4-6% ही होता है.

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते ऐसे ही हैं. खासकर फिल्मों से रिश्ता. तनाव कितना भी हो लेकिन भारतीय फिल्मों को पाकिस्तान के आम आदमी ने प्यार ही दिया है. लेकिन बात जब दो देशों के सम्मान की हो तो कुछ कड़े फैसले लेने ही होते हैं. पाकिस्तान ने भारत की फिल्मों और धारावाहिकों के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं लेकिन भारत का रुख भी इसपर शुरू से ही कड़ा रहा है. 2016 से ही भारत ने अपने दरवाजे पाकिस्तानी कलाकारों के लिए बंद कर रखे थे. आज पाकिस्तान का गुस्सा है जो उससे ये सब करवा रहा है, कल उसकी मजबूरी होगी इसपर बैन हटाने की. देखते हैं इस बार पाकिस्तान अपने फैसले पर कितने दिन तक अमल कर पाता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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