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निहलानी को आखिर उनके कर्मों की सजा मिल ही गई

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 06 नवम्बर, 2018 03:50 PM
  • 06 नवम्बर, 2018 03:22 PM
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पहलाज निहलानी की फिल्म रंगीला राजा में 20 कट लगाए जाने को लेकर उन्होंने सेंसर बोर्ड के खिलाफ कोर्ट में जंग छेड़ दी है. लेकिन क्या ये निहलानी के अपने कर्मों की सजा नहीं है?

बचपन से सुनता आ रहा था कि हर मनुष्य को उसके कर्मों का फल जरूर मिलता है, इसीलिए इंसान को अच्छे कर्म करने चाहिए. हालांकि, इन सब के बावजूद सोचता था कि ऊपर बैठा भगवान भी भारतीय न्यायालय की ही तरह 20-30 साल या कभी-कभी 100 साल तक सुनवाई के बाद ही सजा देता होगा. लेकिन, सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी का हाल सुनने के बाद पता चला कि भगवान ने भी अपने यहां फ़ास्ट ट्रैक अदालतें बना रखीं हैं जो एक आध साल में भी सजा दे ही देती है.

पहलाज निहलानी ने अब सेंसर बोर्ड के खिलाफ जंग छेडड दी है

दरअसल अगस्त 2017 के पहले तक सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रहे पहलाज निहलानी अब सेंसर बोर्ड के खिलाफ ही अदालत की शरण में हैं. निहलानी साहब का आरोप है कि सेंसर बोर्ड ने उनकी आगामी फिल्म रंगीला राजा में तक़रीबन 20 कट लगाए जो पूर्णत: गलत हैं और अब अपनी फिल्म पर लगे कट के बाद उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. निहलानी का कहना है कि मैं ऐसी फिल्में नहीं करता हूं जिन पर सेंसर को आपत्ति हो.

पहलाज की फिल्म Rangeela Raja का ये है ट्रेलर:

अब बताइये निहलानी साहब की इस दलील को ना मानने की कोई वजह है क्या? अरे भाई जिस भलमानस पहलाज निहलानी ने 2015 में डेनियल क्रैग को परदे पर 'किस' करने से रोक कर रातों-रात भारत के युवाओं को असंस्कारी होने से बचा लिया था, वो क्या कोई ऐसी चीज दिखा सकता जो असंस्कारी हो? अब इन सेंसर बोर्ड वालों को कौन बताये कि यह वही संस्कारी पहलाज निहलानी हैं जिन्होंने गलत चीज दिखाने और बोलने के लिए 'उड़ता पंजाब' में 94 और 'बाबूमोशाय बन्दूकबाज' में 48 कट लगाए थे. यह निहलानी साहब ही थे जिन्होंने सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बनते ही सारे निर्माता-निर्देशकों को ऐसे 20-30 शब्दों की लिस्ट जारी कर दी थी जो भारतीय...

बचपन से सुनता आ रहा था कि हर मनुष्य को उसके कर्मों का फल जरूर मिलता है, इसीलिए इंसान को अच्छे कर्म करने चाहिए. हालांकि, इन सब के बावजूद सोचता था कि ऊपर बैठा भगवान भी भारतीय न्यायालय की ही तरह 20-30 साल या कभी-कभी 100 साल तक सुनवाई के बाद ही सजा देता होगा. लेकिन, सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी का हाल सुनने के बाद पता चला कि भगवान ने भी अपने यहां फ़ास्ट ट्रैक अदालतें बना रखीं हैं जो एक आध साल में भी सजा दे ही देती है.

पहलाज निहलानी ने अब सेंसर बोर्ड के खिलाफ जंग छेडड दी है

दरअसल अगस्त 2017 के पहले तक सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रहे पहलाज निहलानी अब सेंसर बोर्ड के खिलाफ ही अदालत की शरण में हैं. निहलानी साहब का आरोप है कि सेंसर बोर्ड ने उनकी आगामी फिल्म रंगीला राजा में तक़रीबन 20 कट लगाए जो पूर्णत: गलत हैं और अब अपनी फिल्म पर लगे कट के बाद उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. निहलानी का कहना है कि मैं ऐसी फिल्में नहीं करता हूं जिन पर सेंसर को आपत्ति हो.

पहलाज की फिल्म Rangeela Raja का ये है ट्रेलर:

अब बताइये निहलानी साहब की इस दलील को ना मानने की कोई वजह है क्या? अरे भाई जिस भलमानस पहलाज निहलानी ने 2015 में डेनियल क्रैग को परदे पर 'किस' करने से रोक कर रातों-रात भारत के युवाओं को असंस्कारी होने से बचा लिया था, वो क्या कोई ऐसी चीज दिखा सकता जो असंस्कारी हो? अब इन सेंसर बोर्ड वालों को कौन बताये कि यह वही संस्कारी पहलाज निहलानी हैं जिन्होंने गलत चीज दिखाने और बोलने के लिए 'उड़ता पंजाब' में 94 और 'बाबूमोशाय बन्दूकबाज' में 48 कट लगाए थे. यह निहलानी साहब ही थे जिन्होंने सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बनते ही सारे निर्माता-निर्देशकों को ऐसे 20-30 शब्दों की लिस्ट जारी कर दी थी जो भारतीय सभ्यता के खिलाफ थे. यह निहलानी ही थे जिन्होंने कामुक माने जाने वाले फिल्म '50 शेड्स डार्कर' को भारतियों के हित में रिलीज़ ही नहीं होने दिया, निहलानी ने ही महिलाओं की ऊलजलूल फंतासियां दिखाने के लिए फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुरखा' के निर्माता-निर्देशकों को भी नाकों चने चबवा दिया था.

हालांकि, अब सेंसर बोर्ड का भी क्या दोष कहें, अब जबसे हमारे 'संस्कारी बाबूजी' आलोक नाथ साहब का नाम #MeToo में आ गया और भारतीय जनमानस में राम कृष्ण के भक्ति जगाने वाले अनूप जलोटा साहब बेटी की उम्र की लड़की से इश्क़ फरमा बैठे, तब से खुदा कसम एक बार के लिए तो खुद पर से भी विश्वास उठ जा रहा है. ऐसे में सेंसर बोर्ड को निहलानी साहब को लेकर थोड़ी सी गफलत हो गयी तो इसमें बेचारों का क्या दोष. एक पल के मन में थोड़ी सी शंका भी होती है कि वाकई यह सेंसर बोर्ड की गफलत है या निहलानी साहब को उन लोगों की हाय लगी है जो उनके कारण 'संस्कारी' होने को बाध्य थे या फिर उनकी जिनको निहलानी साहब ने अपने राज में फिल्म रिलीज़ करने के कोर्ट कचहरी के काफी चक्कर लगवाएं है. खैर वजह जो भी हो लेकिन वर्तमान में निहलानी की स्थिति तो 'आया ऊंट पहाड़ के नीचे' वाली कहावत को ही चरितार्थ करते नजर आ रही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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