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पद्मश्री को लेकर सोनू सूद ने अपनी बात कह दी है, अब आगे सरकार समझे!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 नवम्बर, 2021 06:43 PM
  • 16 नवम्बर, 2021 05:52 PM
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इस पूरे कोरोना काल में निष्काम भावना से लोगों की मदद करने वाले एक्टर सोनू सूद को पद्मश्री पुरस्कारों से दूर रखा गया है. पद्मश्री न मिलने के बाद एक्टर सोनू सूद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है जिस पर जनता और सरकार दोनों को गौर करना चाहिए.

आंकड़ों के हवाले से सरकारी दावे कुछ हों, लेकिन अकाट्य सत्य यही है कि पूरे विश्व की तरह भारत भी कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रभावित हुआ है. चाहे 2020 रहा हो या 2021 हम ऐसा बहुत कुछ देख चुके हैं जो हमारी सोच और कल्पना से परे है. हमने देश व्यापी लॉक डाउन देखा और उसमें हमने पलायन को मजबूर भूखे, रोते- बिलखते और मीलों पैदल चलते लोग देखे. साथ ही हम ऑक्सीजन की कमी से लेकर मूल भूत चिकित्सीय सुविधाओं के आभाव और जाती हुई नौकरियों तक ऐसी तमाम चीजों के साक्षी बन चुके हैं जिनको यदि आज भी इंसान याद कर ले तो रूह कांप जाती है. यूं तो इस कोरोना काल में हम तमाम लोगों को मदद के लिए हाथ बढ़ाते देख चुके हैं लेकिन जो कुछ भी एक्टर सोनू सूद ने किया वो अपने में लाजवाब है. कोरोना काल में जिस तरह सोनू मदद के लिए सामने आए थे और जैसे उन्होंने हिंदू मुस्लिम से परे सभी जरूरतमंदों की मदद की वो बेमिसाल है.

कोविड की जटिलताओं के बीच सोनू को मदद करते देख इस बात का पूरा भरोसा था कि सरकार उन्हें न केवल नोटिस करेगी बल्कि देश के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजेगी. अभी बीते दिनों ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने साल 2020 के पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया है और जो बात हैरत में डालती है वो ये कि उस लिस्ट में सोनू का नाम नहीं था.

पूरे देश को उम्मीद थी कि साल 2020 का पद्म पुरस्कार सोनू सूद को हर सूरत में मिलेगा

ज्ञात हो कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया. जिनमें 7 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्मश्री शामिल हैं. इस सूची में कंगना रनौत, अदनान सामी, एकता कपूर और करण जौहर का नाम भी शामिल था.

आंकड़ों के हवाले से सरकारी दावे कुछ हों, लेकिन अकाट्य सत्य यही है कि पूरे विश्व की तरह भारत भी कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रभावित हुआ है. चाहे 2020 रहा हो या 2021 हम ऐसा बहुत कुछ देख चुके हैं जो हमारी सोच और कल्पना से परे है. हमने देश व्यापी लॉक डाउन देखा और उसमें हमने पलायन को मजबूर भूखे, रोते- बिलखते और मीलों पैदल चलते लोग देखे. साथ ही हम ऑक्सीजन की कमी से लेकर मूल भूत चिकित्सीय सुविधाओं के आभाव और जाती हुई नौकरियों तक ऐसी तमाम चीजों के साक्षी बन चुके हैं जिनको यदि आज भी इंसान याद कर ले तो रूह कांप जाती है. यूं तो इस कोरोना काल में हम तमाम लोगों को मदद के लिए हाथ बढ़ाते देख चुके हैं लेकिन जो कुछ भी एक्टर सोनू सूद ने किया वो अपने में लाजवाब है. कोरोना काल में जिस तरह सोनू मदद के लिए सामने आए थे और जैसे उन्होंने हिंदू मुस्लिम से परे सभी जरूरतमंदों की मदद की वो बेमिसाल है.

कोविड की जटिलताओं के बीच सोनू को मदद करते देख इस बात का पूरा भरोसा था कि सरकार उन्हें न केवल नोटिस करेगी बल्कि देश के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजेगी. अभी बीते दिनों ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने साल 2020 के पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया है और जो बात हैरत में डालती है वो ये कि उस लिस्ट में सोनू का नाम नहीं था.

पूरे देश को उम्मीद थी कि साल 2020 का पद्म पुरस्कार सोनू सूद को हर सूरत में मिलेगा

ज्ञात हो कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया. जिनमें 7 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्मश्री शामिल हैं. इस सूची में कंगना रनौत, अदनान सामी, एकता कपूर और करण जौहर का नाम भी शामिल था.

पुरस्कार के विषय में सोनू से सवाल हुआ है और उन्होंने एक ऐसा जवाब दिया है जिसने सभी तरह की बहस पर विराम लगा दिया है. ध्यान रहे पद्म पुरस्कारों पर सोनू का रिएक्शन इसलिए भी अहम था क्योंकि चाहे आम हो या खास पूरे देश को उम्मीद थी किसाल 2020 का पद्म पुरस्कार किसी को मिले न मिले समाज कार्य मे अपनी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए एक्टर सोनू सूद को अवश्य ही मिलेगा.

मोदी सरकार द्वारा एक्टर कंगना को पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने और सोनू सूद को नजरअंदाज किये जाने पर सारे देश की तरह मीडिया की भी नजर थी तो सवाल होना लाजमी था. नाम पर विचार न किये जाने को लेकर जब सोनू दे सवाल हुआ तो उन्होंने भी अपने मन की बात की. पद्म श्री न मिलने पर सोनू ने भी कहा है कि ऐसा क्यों हुआ, ये तो सोचना वाला सवाल है.’

गौरतलब है कि एक्टर सोनू सूद आजतक द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने आए थे. वहीं पर सोनू से पद्म पुरस्कारों को लेकर सवाल हुआ जहां उन्होंने ये जवाब दिया है. दिलचस्प ये कि पुरस्कार नहीं मिलने पर भी सोनू को कोई मलाल नहीं है. प्रोग्राम में सोनू ने इस बात का भी जिक्र किया कि वह समाजसेवा का अपना काम बदस्तूर जारी रखेंगे.

सोनू किस तक अपनी ऊर्जा को समाजसेवा में खपा रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक वो तकरीबन 22हजार छात्रों की मदद कर चुके हैं. सोनू ने कहा है कि आगे भी वो इसी तरह की गतिविधियों को अंजाम देंगे.

चूंकि सोनू हालिया दौर के चर्चित लोगों में हैं इसलिए उनसे राजनीति को लेकर भी सवाल हुआ है. सक्रिय राजनीति को लेकर हुए सवाल का जवाब देते हुए सोनू ने कहा है कि ‘मैं ऐसा कोई भी प्लेटफॉर्म ज्वॉइन कर सकता हूं, जिसमें टांग खिंचाई नहीं होती हो. काम करने की आजादी मिले. यह प्लेटफॉर्म राजनीतिक भी हो सकता है और गैर-राजनीतिक भी.’

सोनू ने देश में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर भी अपने मन की बात की है. जब सोनू से किसान आंदोलन को लेकर सवाल हुआ तो जवाब में उन्होंने एकदम साफ लहजे में कहा कि ‘मैं किसानों का समर्थन करता हूं. उन्हें उनका हक मिलना चाहिए. हम उन्हीं की बदौलत खाते हैं.’

ऐसा बिलकुल नहीं है कि सोनू का जीवन आसान है. अभी हाल फ़िलहाल में ही उन्हें तमाम  तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. बता दें कि  अभी  बीते दिनों सोनू सूद उस वक़्त सुर्ख़ियों में थे जब आयकर विभाग ने उनके घर पर रेड डाली थी.पैसों के घोटाले का आरोप लगा था. लोगों की मदद के बावजूद जिस तरह सोनू ने रेड का सामना किया, बॉलीवुड से जुड़े तमाम लोग उनके समर्थन में सामने आए थे और अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी थी.

रेड के बाद भी सोनू ने यही कहा था कि वो जो कर रहे हैं उसे जारी रखेंगे. बहरहाल बात पद्म श्री से शुरू हुई है तो हम भी बस ये कहते हुए अपनी बातों को विराम देंगे कि आज जैसा दौर है और जैसे हम पर हिंदू मुस्लिम के अलावा नफरत की राजनीति हावी है जो सोनू ने कर दिया है उसे शायद ही और कोई कर पाए. सोनू को पद्म पुरस्कार मिलना चाहिए था. पुरस्कार पर एक्टर सोनू सूद का पूरा हक़ है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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