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भंसाली जी.. अब खुद ही बता दीजिए पद्मावत देखें या नहीं..

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 20 जनवरी, 2018 12:02 PM
  • 20 जनवरी, 2018 12:02 PM
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पद्मावती सॉरी पद्मावत के विरोध से परेशान एक फिल्मी फैन ने संजय लीला भंसाली को एक खुला खत लिख दिया. इस खत में लिखी बातें काफी वाजिब हैं...

नमस्कार भंसाली जी,

मैं आपका एक बहुत बड़ा फैन हूं और आपसे बस एक ही चीज़ पूछना चाहता हूं. आखिर पद्मावत देखूं या नहीं? अब आपकी फिल्म का प्रेम बहुत बड़ा है, लेकिन अपनी जान से प्रेम और ज्यादा बड़ा है उसे तो ऐसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते न.

अब देखिए करणी सेना तो पीछे हट नहीं रही. अभी भी फिल्म को बैन करने की बात कर रही है और अभी भी ये थिएटरों को आग लगाने की बात हो रही है. ये वो लोग हैं जो आग अपने देश में लगा सकते हैं क्योंकि उनके पुरखों की इज्जत जा रही है, ये वो लोग हैं जो सालों पहले पैदा हुई एक रानी को लेकर (जिसके असली होने पर भी सवाल है) अभी मौजूद एक महिला की हत्या करने की बात कर सकती है. वो महिला जिसे पूरी तरह से सिक्योरिटी प्राप्त है तो हम तो आम आदमी. क्या होगा हमारा.

अब तो ओवैसी जी भी कह चुके हैं कि फिल्म पद्मावत न देखें क्योंकि ये एक बकवास फिल्म है (दिल पर मत लीजिएगा.) अब खुद ही बताइए ऐसे में कैसे देखा जाए फिल्म को. हमने तो आज ही अपने ऑफिस वालों से कह दिया था कि ये फिल्म रिलीज होने के कुछ दिन तक तो देखने नहीं जाएंगे. आखिर जान है तो जहान है.

अभी फिल्म न जाने का मन बनाया ही था कि फिल्म का एक और डायलॉग प्रोमो रिलीज हो गया.

अब एक बार फिर मन में कश्मकश है कि रणवीर सिंह का ये पगला रूप देखने के लिए जाने के लिए रिस्क लिया जाए या नहीं. लेकिन हर एवरेज हिंदुस्तानी की तरह मेरी किस्मत भी एवरेज से बुरी है. पता चला जिस थिएटर में गया उसी थिएटर में आग लगा दी गई.

दूसरा डायलॉग प्रोमो देखकर लगा कि अब देखा जाना चाहिए इस फिल्म को जरूर. लेकिन फिर डर लग गया कि कहीं घमासान न हो. 

भंसाली जी, अब करणी सेना तो मान ही नहीं रही न. खुद ही सोचिए सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं मानी. ऑर्डर आते ही ये धमकी भी दे डाली की...

नमस्कार भंसाली जी,

मैं आपका एक बहुत बड़ा फैन हूं और आपसे बस एक ही चीज़ पूछना चाहता हूं. आखिर पद्मावत देखूं या नहीं? अब आपकी फिल्म का प्रेम बहुत बड़ा है, लेकिन अपनी जान से प्रेम और ज्यादा बड़ा है उसे तो ऐसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते न.

अब देखिए करणी सेना तो पीछे हट नहीं रही. अभी भी फिल्म को बैन करने की बात कर रही है और अभी भी ये थिएटरों को आग लगाने की बात हो रही है. ये वो लोग हैं जो आग अपने देश में लगा सकते हैं क्योंकि उनके पुरखों की इज्जत जा रही है, ये वो लोग हैं जो सालों पहले पैदा हुई एक रानी को लेकर (जिसके असली होने पर भी सवाल है) अभी मौजूद एक महिला की हत्या करने की बात कर सकती है. वो महिला जिसे पूरी तरह से सिक्योरिटी प्राप्त है तो हम तो आम आदमी. क्या होगा हमारा.

अब तो ओवैसी जी भी कह चुके हैं कि फिल्म पद्मावत न देखें क्योंकि ये एक बकवास फिल्म है (दिल पर मत लीजिएगा.) अब खुद ही बताइए ऐसे में कैसे देखा जाए फिल्म को. हमने तो आज ही अपने ऑफिस वालों से कह दिया था कि ये फिल्म रिलीज होने के कुछ दिन तक तो देखने नहीं जाएंगे. आखिर जान है तो जहान है.

अभी फिल्म न जाने का मन बनाया ही था कि फिल्म का एक और डायलॉग प्रोमो रिलीज हो गया.

अब एक बार फिर मन में कश्मकश है कि रणवीर सिंह का ये पगला रूप देखने के लिए जाने के लिए रिस्क लिया जाए या नहीं. लेकिन हर एवरेज हिंदुस्तानी की तरह मेरी किस्मत भी एवरेज से बुरी है. पता चला जिस थिएटर में गया उसी थिएटर में आग लगा दी गई.

दूसरा डायलॉग प्रोमो देखकर लगा कि अब देखा जाना चाहिए इस फिल्म को जरूर. लेकिन फिर डर लग गया कि कहीं घमासान न हो. 

भंसाली जी, अब करणी सेना तो मान ही नहीं रही न. खुद ही सोचिए सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं मानी. ऑर्डर आते ही ये धमकी भी दे डाली की दीपिका और संजय लीला भंसाली की कब्र खोद दी है अगर फिल्म रिलीज हुई तो दफना दिए जाएंगे. इतना ही नहीं आग लगाने की और आम भाषा में दंगे फैलाने की भी कोशिश की जाएगी ही. ऐसे संकेत तो पहले ही दिए जा चुके हैं. फिर सोचने वाली बात है कि फिल्म देखने का रिस्क क्यों लिया जाए.

मैं और मेरे दोस्त काफी लंबे समय से इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे. ये सोच रहे थे कि करणी सेना का मामला शांत हो जाएगा. लेकिन करणी सेना वाले शांत होने को सोचेंगे ही नहीं. भले ही राजपूत महिलाओं की स्थिती जो भी हो, भले ही देश में कितने भी रेप हो रहे हों, बच्चियों के साथ बर्बरता हो रही हो, भले ही देश में सरहद पर सैनिकों की कितनी भी जरूरत हो, भले ही शिक्षा के क्षेत्र में कुछ भी हो रहा हो, लेकिन मां पद्मावती की रक्षा करना ही करणी सेना का धर्म है और वो वही करेगी. करणी सेना के सैनिक देश प्रेम से ज्यादा अपनी अकड़ से प्यार करते हैं और करते रहेंगे. इसी अकड़ के चलते पहले भी बहुत बवाल हुआ है और अब भी होता दिख रहा है.

इसलिए मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि मेरे लिए स्पेशल स्क्रीनिंग करवा दीजिए... या इंटरनेट पर फिल्म रिलीज कर दीजिए ताकि मेरे जैसे फैन्स बिना जान की चिंता किए पद्मावत देख सकें.

आपका एक जबरा फैन...

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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