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83 के बाद शाहिद कपूर की फिल्म 'जर्सी' के लिए तीन चुनौतियां और तीन उम्मीदें

    • आईचौक
    • Updated: 26 दिसम्बर, 2021 02:19 PM
  • 26 दिसम्बर, 2021 02:14 PM
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जर्सी क्रिकेट भी एक प्रेरक कहानी है. फिल्म में शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर की जोड़ी है. शाहिद कपूर के पिता पंकज कपूर ने भी एक अहम किरदार निभाया है. जर्सी 31 दिसंबर को रिलीज होगी.

एक हफ्ते पहले तक सिनेमाघरों की टिकट खिड़की के बाहर की दुनिया बिल्कुल थी. सिर्फ एक हफ्ते पहले तक अलग-अलग मौकों पर आई सूर्यवंशी, अंतिम: द फाइनल ट्रुथ, तड़प, चंडीगढ़ करे आशिकी, स्पाइडरमैन: नो वे होम और पुष्पा: द राइज ने बॉलीवुड को कारोबारी लिहाज से बहुत सपने दिखाए थे. लगा था कि साल ख़त्म होने के साथ महामारी ने जितना  नुकसान पहुंचाया था नए साल में सब वसूल हो जाएगा. लेकिन साल के सबसे बड़े फेस्टिव सीजन में से एक क्रिसमस और नए साल के आने से पहले तस्वीरें अचानक से बदली-बदली नजर आ रही हैं. बॉक्स ऑफिस के इस पार जो दुनिया जश्न और खुशी के मूड में दिख रही थी अब आशंकाओं के बीच खादी नजर आ रही है.

क्रिसमस पर रिलीज हुई कबीर खान की 83 चक्रव्यूह में फंसी नजर है तो अगले शुक्रवार को आ रही एक और स्पोर्ट्स ड्रामा जर्सी के लिए आगे कुआं और पीछे खाईं जैसे हालात में है. जर्सी साल 2019 में आई तेलुगु मूवी की रीमेक है. एक क्रिकेटर की प्रेरक कहानी है जिसने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए सिर्फ बेटे के लिए मरे ख्वाब जिंदा किए. नानी की फिल्म जब आई थी इसने दर्शकों को खूब मनोरंजन किया था और बड़ी हिट थी. शाहिद ने नानी वाली भूमिका निभाई है.

सेम टाइटल से जब बॉलीवुड रीमेक रिलीज होने को है- उसके सामने सामने चुनौतियों के पहाड़ और उम्मीदों का समुद्र है. जर्सी में शाहिद और मृणाल ठाकुर की जोड़ी है. अगले हफ्ते 31 दिसंबर को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी. आइए जर्सी की तीन चुनौतियों और तीन उम्मीदों के बारे में जानते हैं.

जर्सी में शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर की जोड़ी है.

#1. ओमिक्रोन से निपटना

शाहिद कपूर की जर्सी क्या, किसी भी फिल्म के लिए ओमिक्रोन आने वाले दिनों में सबसे बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है. बस दुआ की जा सकती है कि कोरोना के नए...

एक हफ्ते पहले तक सिनेमाघरों की टिकट खिड़की के बाहर की दुनिया बिल्कुल थी. सिर्फ एक हफ्ते पहले तक अलग-अलग मौकों पर आई सूर्यवंशी, अंतिम: द फाइनल ट्रुथ, तड़प, चंडीगढ़ करे आशिकी, स्पाइडरमैन: नो वे होम और पुष्पा: द राइज ने बॉलीवुड को कारोबारी लिहाज से बहुत सपने दिखाए थे. लगा था कि साल ख़त्म होने के साथ महामारी ने जितना  नुकसान पहुंचाया था नए साल में सब वसूल हो जाएगा. लेकिन साल के सबसे बड़े फेस्टिव सीजन में से एक क्रिसमस और नए साल के आने से पहले तस्वीरें अचानक से बदली-बदली नजर आ रही हैं. बॉक्स ऑफिस के इस पार जो दुनिया जश्न और खुशी के मूड में दिख रही थी अब आशंकाओं के बीच खादी नजर आ रही है.

क्रिसमस पर रिलीज हुई कबीर खान की 83 चक्रव्यूह में फंसी नजर है तो अगले शुक्रवार को आ रही एक और स्पोर्ट्स ड्रामा जर्सी के लिए आगे कुआं और पीछे खाईं जैसे हालात में है. जर्सी साल 2019 में आई तेलुगु मूवी की रीमेक है. एक क्रिकेटर की प्रेरक कहानी है जिसने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए सिर्फ बेटे के लिए मरे ख्वाब जिंदा किए. नानी की फिल्म जब आई थी इसने दर्शकों को खूब मनोरंजन किया था और बड़ी हिट थी. शाहिद ने नानी वाली भूमिका निभाई है.

सेम टाइटल से जब बॉलीवुड रीमेक रिलीज होने को है- उसके सामने सामने चुनौतियों के पहाड़ और उम्मीदों का समुद्र है. जर्सी में शाहिद और मृणाल ठाकुर की जोड़ी है. अगले हफ्ते 31 दिसंबर को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी. आइए जर्सी की तीन चुनौतियों और तीन उम्मीदों के बारे में जानते हैं.

जर्सी में शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर की जोड़ी है.

#1. ओमिक्रोन से निपटना

शाहिद कपूर की जर्सी क्या, किसी भी फिल्म के लिए ओमिक्रोन आने वाले दिनों में सबसे बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है. बस दुआ की जा सकती है कि कोरोना के नए वेरिएंट के मामले खतरनाक स्तर तक ना पहुंचे. सिनेमाघर खुले रहें, कोरोना प्रोटोकॉल और 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ ही क्यों ना. मामलों का अचानक बढ़ने का सीधा मतलब है सिनेमाघर बंद भी किए जा सकते हैं. थियेटर कारोबार के सामने ओमिक्रोन एक ऐसी चुनौती की तरह है असल में जिससे नुकसान के अलावा और कुछ नहीं दिखता.

#2. दो बड़ी फिल्मों के बीच दर्शक जुटाना

जर्सी की दूसरी सबसे बड़ी चुनौती आगे-पीछे दो बड़ी फिल्मों का सिनेमाघर में मौजूद होना है. 24 दिसंबर को रणवीर सिंह की 83 रिलीज हो चुकी है और 7 जनवरी को एसएस राजमौली की एक्शन पीरियड ड्रामा RRR आ रही है. 83  के हिंदी वर्जन को 3374 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है. सिनेमाघरों में RRR की अकुपेंसी भी 83 से कहीं ज्यादा बड़ी होने वाली है. दो बड़ी फिल्मों के बीच 31 दिसंबर को पर्याप्त स्क्रीन और दर्शक जुटाना शाहिद की फिल्म के सामने दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत है.

#3. क्रिकेट की सबसे सच्ची और अच्छी कहानी के सामने टिकना

83 और जर्सी में एक समानता है- क्रिकेट. वैसे दोनों फिल्मों की कहानियां प्रेरणादायी हैं. मगर रणवीर सिंह की 83 एक ऐसी कहानी है जो कई मायनों में जर्सी पर भारी नजर आती है. यह विश्व क्रिकेट में भारत की पहली और सबसे बड़ी जीत की महागाथा है. क्रिकेट के इतिहास की एक असंभव जीत. एक ऐसी जीत जिसकी वजह से ना सिर्फ भारत बल्कि समूचे उपमहाद्वीप में क्रिकेट के एक नए अध्याय की शुरुआत हुई और भारत अगुआ बना. फिल्म की स्टारकास्ट अपीलिंग है. समीक्षकों ने 83 के सभी पहलुओं की तारीफ़ की है. क्रिकेट की सच्ची कहानी के आगे जगह बना पाना जर्सी के सामने तीसरी सबसे बड़ी चुनौती है.

#1. शाहिद कपूर का एक और बेस्ट हो सकता है यह

जिन्होंने नानी की जर्सी देखी है उन्हें मालूम है कि इसमें एक क्रिकेटर के दो फेज नजर आते हैं. एक- जब वो बिल्कुल युवा था और दूसरा शादी और एक बच्चे का बाप बनने के बाद. जर्सी का ट्रेलर इतना साबित करने के लिए पर्याप्त है कि शाहिद का दोनों रंगों में ट्रांसफारमेशन गजब का है. लंबे बालों में शाहिद कोई 18-20 साल के नौजवान नजर आते हैं. बहुत ही ख़ूबसूरत और एनर्जेटिक. एक पिता के रूप में भावुक कर देते हैं. वैसे भी शाहिद को बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में शुमार किया जाता है. उन्होंने ना जाने कितनी मर्तबा साबित किया है. ना सिर्फ शाहिद बल्कि मृणाल ठाकुर भी बहुत प्रभावित कर रही हैं. दर्शकों को लंबे वक्त बाद पंकज कपूर को देखने का मौका मिलेगा. फिल्म का एक्टिंग पक्ष लाजवाब नजर आ रहा है.

यकीन नहीं है तो नीचे ट्रेलर देख लीजिए:-

#2. साउथ के रीमेक में ज्यादा असरदार

शाहिद कपूर ने जर्सी से पहले भी साउथ की रीमेक कबीर सिंह में काम किया था. विजय देवरकोंडा के मुकाबले शाहिद कपूर कबीर सिंह में ज्यादा असरदार और उभरकर आए थे. फिल्म कामयाब भी खूब हुई थी. जर्सी को लेकर अगर नानी से तुलना की जाए तो शाहिद कपूर का लेबल सच में बहुत आगे दिख रहा अभी. बॉक्स ऑफिस का हर शुक्रवार अलग होता है. उम्मीद कर सकते हैं कि जर्सी के जरिए शाहिद कपूर स्थापित धारणाएं तोड़ दें और यह फिल्म भी कबीर सिंह के इतरह ही हिट हो. जर्सी में खूब सारा ड्रामा है और हिंदी दर्शकों के लिए उसमें काफी फेरबदल नजर आ रहा है.

#3. दर्शकों को चाहिए अच्छा कंटेंट तो आगे-पीछे की दिक्कत कैसी

दर्शकों की मांग बदली है. अब वो ज़माना गया कि फिल्मों को सुपरहिट होने के लिए चार-चार महीने सिनेमाघरों में टंगा रहना होता था. फिल्म कायदे से एक हफ्ते भी चल गई तो पैसा वसूल है. क्योंकि पूरी लागत अब सिर्फ सिनेमाघर से निकलकर तो आता नहीं. टीवी प्रीमियर, डिजिटल राइट से भी निर्माता अच्छा मुनाफा वसूल रहे. कायदे से एक हफ्ता फिल्म ने निकाल लिया तो क्या फर्क पड़ता है कि उसके पीछे 83 थी और आगे RRR. जर्सी के कंटेंट में ताकत रही तो एक हफ्ते में फिल्म कुछ भी कर सकती है. पुष्पा ने बिना किसी तामझाम और प्रचार के जिस तरह कम रही है लोग हैरान हैं उसे देखकर.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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