• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Netflix जैसा बड़ा OTT प्लेटफॉर्म भारत में सफल क्यों नहीं हो पा रहा है?

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 22 अप्रिल, 2022 06:04 PM
  • 22 अप्रिल, 2022 06:01 PM
offline
अमेरिकन ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पूरी दुनिया में मशहूर है. भारत में भी सबसे पहले ओटीटी की दुनिया से लोगों को परिचित कराने वाला प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स ही है. इसकी वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स की लोकप्रियता आज भी बरकरार है, लेकिन नेटफ्लिक्स दूसरे ओटीटी प्लेटफॉर्म के मुकाबले लगातार पिछड़ता जा रहा है.

हिंदुस्तान को ओवर द टॉप सर्विसेज यानी ओटीटी की दुनिया से परिचित कराने का श्रेय सही मायने में नेटफ्लिक्स को ही जाता है. हालांकि, भारत में सबसे साल 2008 में रिलायंस एंटरटेनमेंट ने 'बिगफ्लिक्स' नाम से ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था, लेकिन यहां ओरिजनल वेब सीरीज या फिल्में स्ट्रीम नहीं होती थीं. उसके बाद साल 2016 में अमेजन प्राइम वीडियो भारत आ गया, लेकिन उस वक्त उसके पास भी हिंदी ओरिजनल कंटेंट नहीं था, जिससे ओटीटी की अलग पहचान बन पाए. साल 2018 में नेटफ्लिक्स भारत में लॉन्च हुआ. उसने सबसे पहले वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' स्ट्रीम किया. भारतीय दर्शकों के सामने सिनेमा का ये अनोखा कंटेंट था. देखते ही देखते इस वेब सीरीज की लोकप्रियता आग तरह बढ़ने लगी. बड़ी संख्या में लोगों ने नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन लेकर इसे देखा. उस वक्त नेटफ्लिक्स की लोकप्रियता आसमान छूने लगी. लेकिन आज इसकी हालत बद से बदतर होती जा रही है. आलम ये है कि नेटफ्लिक्स सब्सक्राइबर्स की संख्या लगातार घट रही है. इस साल की पहली तिमाही में इसके यूजरबेस में भारी गिरावट देखी गई है.

एक रिपोर्ट की मानें तो 100 दिनों में नेटफ्लिक्स के 2 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स कम हो गए हैं. 31 मार्च 2022 को खत्म हुई तिमाही में नेटफ्लिक्स के वर्ल्डवाइड सब्सक्राइबर्स की संख्या घटकर 221.6 मिलियन हो गई है. इतना ही नहीं इस वजह से कंपनी के शेयरों में 25 फीसदी की गिरावट भी दर्ज की गई है. नेटफ्लिक्स के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में सब्सक्राइबर्स की कम हुए हैं. नेटफ्लिक्स का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से उसके सब्सक्राइबर्स घट रहे हैं, क्योंकि वहां कंपनी ने अपनी सर्विसेज बंद कर दी हैं. माना कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से नेटफ्लिक्स के वर्ल्डवाइड सब्सक्राइबर्स की संख्या घट रही है, लेकिन भारत में लाख कोशिशों के बावजूद इसके सब्सक्राइबर्स नहीं बढ़ पा रहे हैं, आखिर इसके पीछे क्या कारण है. जबकि भारत जनसंख्या के हिसाब से चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा देश है. यहां इंटरनेट का प्रसार भी तेजी से हो रहा है. इंटरनेट यूजर्स के हिसाब से देखें तो यहां नेटफ्लिक्स के सब्सक्राइबर्स की संख्या कुछ भी नहीं है.

हिंदुस्तान को ओवर द टॉप सर्विसेज यानी ओटीटी की दुनिया से परिचित कराने का श्रेय सही मायने में नेटफ्लिक्स को ही जाता है. हालांकि, भारत में सबसे साल 2008 में रिलायंस एंटरटेनमेंट ने 'बिगफ्लिक्स' नाम से ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था, लेकिन यहां ओरिजनल वेब सीरीज या फिल्में स्ट्रीम नहीं होती थीं. उसके बाद साल 2016 में अमेजन प्राइम वीडियो भारत आ गया, लेकिन उस वक्त उसके पास भी हिंदी ओरिजनल कंटेंट नहीं था, जिससे ओटीटी की अलग पहचान बन पाए. साल 2018 में नेटफ्लिक्स भारत में लॉन्च हुआ. उसने सबसे पहले वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' स्ट्रीम किया. भारतीय दर्शकों के सामने सिनेमा का ये अनोखा कंटेंट था. देखते ही देखते इस वेब सीरीज की लोकप्रियता आग तरह बढ़ने लगी. बड़ी संख्या में लोगों ने नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन लेकर इसे देखा. उस वक्त नेटफ्लिक्स की लोकप्रियता आसमान छूने लगी. लेकिन आज इसकी हालत बद से बदतर होती जा रही है. आलम ये है कि नेटफ्लिक्स सब्सक्राइबर्स की संख्या लगातार घट रही है. इस साल की पहली तिमाही में इसके यूजरबेस में भारी गिरावट देखी गई है.

एक रिपोर्ट की मानें तो 100 दिनों में नेटफ्लिक्स के 2 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स कम हो गए हैं. 31 मार्च 2022 को खत्म हुई तिमाही में नेटफ्लिक्स के वर्ल्डवाइड सब्सक्राइबर्स की संख्या घटकर 221.6 मिलियन हो गई है. इतना ही नहीं इस वजह से कंपनी के शेयरों में 25 फीसदी की गिरावट भी दर्ज की गई है. नेटफ्लिक्स के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में सब्सक्राइबर्स की कम हुए हैं. नेटफ्लिक्स का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से उसके सब्सक्राइबर्स घट रहे हैं, क्योंकि वहां कंपनी ने अपनी सर्विसेज बंद कर दी हैं. माना कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से नेटफ्लिक्स के वर्ल्डवाइड सब्सक्राइबर्स की संख्या घट रही है, लेकिन भारत में लाख कोशिशों के बावजूद इसके सब्सक्राइबर्स नहीं बढ़ पा रहे हैं, आखिर इसके पीछे क्या कारण है. जबकि भारत जनसंख्या के हिसाब से चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा देश है. यहां इंटरनेट का प्रसार भी तेजी से हो रहा है. इंटरनेट यूजर्स के हिसाब से देखें तो यहां नेटफ्लिक्स के सब्सक्राइबर्स की संख्या कुछ भी नहीं है.

यदि हम केवल भारत की बात करें तो यहां पर 35 करोड़ ओटीटी सब्सक्राइबर्स हैं. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा डिज्नी प्लस हॉटस्टार का है, जिसके कुल सब्सक्राइबर्स 4.5 करोड़ हैं. इसके अलावा अमेजन प्राइम वीडियो के 1.7 करोड़ और नेटफ्लिक्स के 50 लाख सब्सक्राइबर्स हैं. यदि सब्सक्रिप्शन शेयर की बात करें, तो डिज्नी प्लस हॉटस्टार का 41 फीसदी, इरोज नाऊ का 24 फीसदी, अमेजन प्राइव वीडियो का 9 फीसदी, नेटफ्लिक्स का 7 फीसदी, जी5 का 4 फीसदी, ऑल्ट बालाजी का 4 फीसदी, सोनी लिव का 3 फीसदी मार्केट शेयर है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में नेटफ्लिक्स की क्या स्थिति है. जबकि नेटफ्लिक्स ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई बार नई रणनीति तैयार की है. इसके तहत भारत में सब्सक्रिप्शन फीस कम कर दी गई. कंटेंट स्ट्रैटजी भी बदली गई. यहां तक कि नेटफ्लिक्स इंडिया की पूरी टीम बदल गई, लेकिन स्थिति ढ़ाक के तीन पात ही है.

आइए जानते हैं कि भारत में नेटफ्लिक्स सफल क्यों नहीं हो पाया...

1. कंटेंट स्ट्रैटजी

पूरी दुनिया में ओटीटी की सफलता की सबसे बड़ी वजह इसका कंटेंट है. अपने ओरिजनल कंटेंट की बदौलत ही आज ओटीटी बॉक्स ऑफिस को चुनौती दे रहा है. सेक्रेड गेम्स, मिर्जापुर, पंचायत, द फैमिली मैन, दिल्ली क्राइम, स्पेशल ऑप्श, असुर, ब्रीथ, ग्रहण और अपहरण जैसी वेब सीरीज के जरिए ओटीटी ने दर्शकों को मनोरंजन का नया स्वाद दे दिया. इस मामले में सबसे पहले नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो रहे, लेकिन बाद के समय में डिज्नी प्लस हॉटस्टार ने बाजी मार ली. वॉल्ट डिज्नी से टाइअप के बाद इसका नाम डिज्नी प्लस हॉटस्टार हो गया है. इस पर दिल बेचारा, लक्ष्मी, लूटकेस, सड़क-2, भुज, हंगामा 2, बिग बुल, खुदा हाफिज जैसी फिल्में और क्रिमिनल जस्टिस, ग्रहण, लोकी और द एम्पायर जैसी वेब सीरीज स्ट्रीम हो चुकी हैं. अपने कंटेंट की बदौलत आज ये प्लेटफॉर्म सबसे आगे हैं, क्योंकि यहां हफ्ते दर्शकों को कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है. इसके मुकाबले नेटफ्लिक्स पर ज्यादातर अंग्रेजी या दूसरी अन्य भाषाओं में बनने वाली वेब सीरीज मौजूद हैं. हिंदी कंटेंट बहुत कम स्ट्रीम होता है.

2. सब्सक्रिप्शन प्राइस

भारत में अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के मुकाबले नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन प्राइस पहले ज्यादा था. इसे हालही में कम किया गया है. पहले नेटफ्लिक्स को सब्सक्राइब करने के लिए 500 रुपए प्रति महीने खर्च करना पड़ता था. लेकिन अब इसे 150 रुपए महीने किया गया है. हालांकि, इसे बहुत देर से उठाया गया कदम कहा जा सकता है, क्योंकि इस दौरान एमएक्स प्लेयर, सोनी लिव और जी5 जैसे प्लेटफॉर्म अपनी जगह मजबूत कर चुके हैं. इस दौड़ में अमेजन प्राइम वीडियो भी पीछे नहीं है. नेटफ्लिक्स की तुलना में अमेजन प्राइम वीडियो 179 रुपए प्रति महीने और 1499 रुपए वार्षिक चार्ज करता है. वहीं, डिज्नी प्लस हॉटस्टार प्रति महीने 49 रुपए और वार्षिक 499 रुपए चार्ज करता है. प्राइस रेंज से समझा जा सकता है कि डिज्नी प्लस हॉटस्टार का सब्सक्रिप्शन ज्यादा क्यों है. नेटफ्लिक्स जितने पैसे में पहले एक महीने मिलता था, उतने में डिज्नी एक साल देखा जा सकता है.

3. कॉम्पटिशन

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बहुत तेजी से विस्तार हो रहा है. एक वक्त था जब देश में केवल दो ही ओटीटी प्लेटफॉर्म्स प्रमुख रूप से सक्रिय थे, नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो. लेकिन कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से जब दर्शकों के मनोरंजन का जरिया ओटीटी बना, तो तेजी डिमांड बढ़ी. इसे देखते हुए कई देशी और विदेशी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स लॉन्च किए गए. इनमें ऑल्ट बालाजी, एमएक्स प्लेयर, वूट, जी5, उल्लू टीवी, सेनीलिव, डिज्नी प्लस हॉटस्टार और टीवीएफ प्ले जैसे प्लेटफॉर्म प्रमुख है. भारत में करीब एक से डेढ़ साल पहले 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म थे, लेकिन अब इनकी संख्या दोगुनी होकर 80 से भी ज्यादा हो गई है. इस तरह ओटीटी के बीच तगड़ा कॉम्पटिशन, जिसमें जगह बनाए रखना बहुत टेढी खीर है. इस मुकाबले में वही टिक पाएगा, जो कम पैसे में ज्यादा मनोरंजन करेगा. फिलहाल ये काम डिज्नी प्लस हॉटस्टार कर रहा है, इसलिए आगे है.

4. टारगेट ऑडिएंश

किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का सब्सक्रिप्शन उसके टारगेट ऑडिएंश पर भी निर्भर करता है. किस ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर किसी तरह का कंटेंट दिखाया जा रहा है. जैसे कि नेटफ्लिक्स पर दिखाए जाने वाले ज्यादातर वेब सीरीज मेट्रो-सेंट्रिक हैं. यहां हिंदी की तुलना में अंग्रेजी में कंटेंट भरे पड़े हैं. चूंकि भारत में रीजनल लैंग्वेज में सिनेमा देखना लोग ज्यादा पसंद करते हैं, इसलिए हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयाल में बनने वाले शो की डिमांड ज्यादा रहती है. जैसे कि पैन इंडिया फिल्मों की सफलता की सबसे बड़ी वजह भी यही है. नेटफ्लिक्स को ये बात बहुत देर से समझ में आई है. कहते हैं ना कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत, यही हाल नेटफ्लिक्स का है. जब भारत में 80 से ज्यादा प्लेटफॉर्म हो गए हैं. उसमें से भी एक दर्जन से ज्यादा ओटीटी प्लेटफॉर्म बेहतरीन कंटेंट परोस रहे हैं. ऐसे में अब सब्सक्रिप्शन चार्ज कम करके, नए तरह का कंटेंट लाकर बहुत जल्दी सफलता नहीं मिलने वाली.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲