• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Mukhbir Web series Review: जानिए वेब सीरीज 'मुखबिर द स्टोरी ऑफ द स्पाई' कैसी है?

    • आईचौक
    • Updated: 20 नवम्बर, 2022 11:18 PM
  • 20 नवम्बर, 2022 11:18 PM
offline
वेब सीरीज 'मुखबिर द स्टोरी ऑफ द स्पाई' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही है. इस स्पाई थ्रिलर सीरीज में पाकिस्तान में भारत के एक रीयल सीक्रेट मिशन की कहानी दिखाई गई है. इसमें प्रकाश राज, जैन खान दुर्रानी और आदिल हुसैन लीड रोल में हैं.

भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है. आए दिन सीमा पर गोलीबारी होती रहती है. अपनी फितरत के मुताबिक पाकिस्तान कभी भी कुछ भी कर सकता है, इसलिए भारत की सिक्योरिटी एजेंसियां हमेशा मुस्तैद रहती हैं. इसमें आर्मी, आईबी से लेकर रॉ तक शामिल है. रॉ भारत की खुफिया एजेंसी है, जो दुनिया भर के देशों में अपने ऑपरेशन को अंजाम देती है. लेकिन पाकिस्तान पर खास नजर रहती है. अनऑफिशियली बड़ी संख्या में रॉ के जासूस पड़ोसी मुल्क में रहते हैं. वहां से जरूरी सूचनाएं भेजते रहते हैं.

जासूसों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहती है, लेकिन उनका काम बहुत रोमांचक होता है. यही वजह है कि उनके ऊपर कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं. इनमें 'राजी' (2018), 'एजेंट विनोद' (2012), 'रोमियो अकबर वॉल्टर' (2019), 'एक था टाइगर' (2012), 'टाइगर जिंदा है' (2017) और 'मद्रास कैफे' (2013) जैसी फिल्मों के नाम प्रमुख हैं. इसी कड़ी में एक जासूस की रोचक जिंदगी पर आधारित वेब सीरीज 'मुखबिर द स्टोरी ऑफ द स्पाई' जी5 पर स्ट्रीम हो रही है.

वेब सीरीज 'मुखबिर' में प्रकाश राज, आदिल हुसैन, हर्ष छाया, जैन खान दुर्रानी अहम रोल में हैं.

रहस्य और रोमांच से भरपूर इस सीरीज में दुश्मन मुल्क पाकिस्तान में भारत के एक रीयल सीक्रेट मिशन की कहानी दिखाई गई है. वेब सीरीज का निर्देशन शिवम नायर और जयप्रद देसाई ने किया है. इसमें प्रकाश राज, आदिल हुसैन, हर्ष छाया, जैन खान दुर्रानी और जोया अफरोज जैसे कलाकार अहम भूमिका में हैं. जैन खान दुर्रानी इस सीरीज के जरिए अपना ओटीटी डेब्यू भी कर रहे हैं. वेब सीरीज की कहानी 2011 में पब्लिश हुई मलॉय कृष्ण धर के उपन्यास 'मिशन टू कश्मीर: एन इंटेलिजेंट एजेंट इन पाकिस्तान' से प्रेरित है.

इसकी सबसे खास बात इसकी कहानी के प्लॉट का 60 के दशक में स्थापित होना. आज के दौर...

भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है. आए दिन सीमा पर गोलीबारी होती रहती है. अपनी फितरत के मुताबिक पाकिस्तान कभी भी कुछ भी कर सकता है, इसलिए भारत की सिक्योरिटी एजेंसियां हमेशा मुस्तैद रहती हैं. इसमें आर्मी, आईबी से लेकर रॉ तक शामिल है. रॉ भारत की खुफिया एजेंसी है, जो दुनिया भर के देशों में अपने ऑपरेशन को अंजाम देती है. लेकिन पाकिस्तान पर खास नजर रहती है. अनऑफिशियली बड़ी संख्या में रॉ के जासूस पड़ोसी मुल्क में रहते हैं. वहां से जरूरी सूचनाएं भेजते रहते हैं.

जासूसों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहती है, लेकिन उनका काम बहुत रोमांचक होता है. यही वजह है कि उनके ऊपर कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं. इनमें 'राजी' (2018), 'एजेंट विनोद' (2012), 'रोमियो अकबर वॉल्टर' (2019), 'एक था टाइगर' (2012), 'टाइगर जिंदा है' (2017) और 'मद्रास कैफे' (2013) जैसी फिल्मों के नाम प्रमुख हैं. इसी कड़ी में एक जासूस की रोचक जिंदगी पर आधारित वेब सीरीज 'मुखबिर द स्टोरी ऑफ द स्पाई' जी5 पर स्ट्रीम हो रही है.

वेब सीरीज 'मुखबिर' में प्रकाश राज, आदिल हुसैन, हर्ष छाया, जैन खान दुर्रानी अहम रोल में हैं.

रहस्य और रोमांच से भरपूर इस सीरीज में दुश्मन मुल्क पाकिस्तान में भारत के एक रीयल सीक्रेट मिशन की कहानी दिखाई गई है. वेब सीरीज का निर्देशन शिवम नायर और जयप्रद देसाई ने किया है. इसमें प्रकाश राज, आदिल हुसैन, हर्ष छाया, जैन खान दुर्रानी और जोया अफरोज जैसे कलाकार अहम भूमिका में हैं. जैन खान दुर्रानी इस सीरीज के जरिए अपना ओटीटी डेब्यू भी कर रहे हैं. वेब सीरीज की कहानी 2011 में पब्लिश हुई मलॉय कृष्ण धर के उपन्यास 'मिशन टू कश्मीर: एन इंटेलिजेंट एजेंट इन पाकिस्तान' से प्रेरित है.

इसकी सबसे खास बात इसकी कहानी के प्लॉट का 60 के दशक में स्थापित होना. आज के दौर में आधुनिक तकनीक के जरिए जासूसी करना, सूचनाओं का आदान-प्रदान करना आसान है, लेकिन जरा सोचिए उस दौर में हिंदुस्तान से पाकिस्तान जाकर जासूसी नेटवर्क स्थापित करना कितना मुश्किल काम रहा होगा. इसी मुश्किलात को सीरीज में बहुत सलीके के साथ पेश किया गया है, जिसमें कलाकारों ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से चार चांद लगा दिया है.

वेब सीरीज 'मुखबिर' की कहानी हिंदुस्तानी जासूस कामरान बख्श (जैन खान दुर्रानी) के इर्द-गिर्द घूमती है. कामरान कश्मीर से विस्थापित होकर दिल्ली में रहता है. उसके माता-पिता एक आगजनी में मारे जा चुके हैं. इसलिए डेविड नामक एक शख्स उसे गोद ले लेता है. डेविड के साथ रहते हुए कामरान ठगी के काम करने लगता है. एक दिन उसकी मुलाकात इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी एसकेएस मूर्ति (प्रकाश राज) और जयदीप बर्मन (सुनील शानबाग) से होती है. मूर्ति उससे बहुत प्रभावित होता है. उसे एजेंसी में शामिल करना चाहता है. इसके लिए एजेंसी में अपने सीनियर रामकिशोर नेगी (आदिल हुसैन) से परमिशन मांगता है. काफी ना-नुकुर के बाद नेगी मान जाते हैं और कामरान को जासूस की ट्रेनिंग दी जाती है.

अपनी फितरत के मुताबिक पाकिस्तान आजादी के बाद लगातार कश्मीर को हासिल करने की कोशिश करता है. उसकी तरफ से अक्सर जंग के हालात बनाए जाते हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए वहां होने वाली गतिविधियों की सूचना बहुत जरूरी होती है. ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पहल पर पाकिस्तान में रॉ अपना नेटवर्क फैलाने की योजना बनाता है. इसके लिए कामरान को हरफन बुखारी के रूप में पाकिस्‍तान सीक्रेट मिशन पर भेजा जाता है. कामरान इस मिशन को जिस दिन स्‍वीकार करता है, उसी दिन से उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है. वह कैसे खूफिया जानकारियां जुटाता है. कैसे पड़ोसी देश में खुद को जिंदा रखता है. 8 एपिसोड के इस सीरीज में यही दिखाया गया है.

धीमी शुरुआत के बावजूद वेब सीरीज तीसरे-चौथे एपिसोड से गति पकड़ने लगती है. जैन खान दुर्रानी का किरदार हरफन बुखारी पाकिस्तानी आकाओं के करीब जाने के लिए जब अपनी रणनीति बदलता है, उसके साथ ही सीरीज में रोमांच बढ़ता जाता है. हालांकि, इस किरदार को राज़ी की तरह अच्छी तरह से प्रशिक्षित क्यों नहीं किया गया, यह एक सवाल बना हुआ है. लेकिन अंधराष्ट्रवाद की राह पर नहीं चलने और किसी किरदार को सुपरहीरो नहीं बनाने के लिए शो की सराहना की जानी चाहिए. इसका श्रेय क्रिएटर शिवम नायर को जाना चाहिए.

शिवम नायर इससे पहले डिज्नी हॉट स्टार पर स्ट्रीम हुई स्पाई थ्रिलर 'स्पेशल ऑप्स' बना चुके हैं. इसमें वो जयप्रद देसाई के साथ सह-निर्देशक भी रहे हैं. 'मुखबिर द स्टोरी ऑफ द स्पाई' मूल कॉन्सेप्ट यही है कि कैसे जासूस अपने देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाने को तैयार रहते हैं. इसे बखूबी पेश भी किया गया है. इसके परिणामस्वरूप यह जासूसी थ्रिलर बहुत सारे पंच के साथ एक आकर्षक ड्रामा के रूप में सामने आता है. इसमें प्रकाश राज और आदिल हुसैन की अदाकारी अन्य कलाकारों से बेहतर है.

iChowk.in:- 5 में 2.5 स्टार


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲