• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Mother’s Day: इस खास दिन पर अपनी मां के साथ जरूर देखें ये 5 फिल्में

    • आईचौक
    • Updated: 14 मई, 2023 05:44 PM
  • 14 मई, 2023 05:44 PM
offline
Bollywood Films To Watch On Mother’s Day: मां की ममता के लिए कोई दिन मुकर्रर नहीं हो सकता. उसके प्यार के प्रति अपना आभार जताने के लिए कोई समय सीमा नहीं तय हो सकती. लेकिन दुनियाभर में मदर्स डे मनाने की परंपरा चली आ रही है. हर साल मई के दूसरे हफ्ते के रविवार को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है.

''मां के बिना जिंदगी वीरान होती हैं, तन्हा सफर में हर राह सुनसान होती है, जिंदगी में मां का होना जरूरी है, मां की दुआओं से ही हर मुश्किल आसान होती है''...मां एक शब्द नहीं है, बल्कि इस एक शब्द में मुकम्मल जहां समाया हुआ है. कहा जाता है कि दस उपाध्यायों के बराबर एक आचार्य होता है. सौ आचार्यों के बराबर एक पिता होता है. हजार पिताओं से बढ़कर मां होती है. मां के समान कोई सहनशील नहीं है. मां बच्चे को पूरे नौ महीने अपने गर्भ में रखती है. बिना थके घर का पूरा काम भी करती है. संसार में मां से बढ़कर कोई और सहनशील नहीं है. इसीलिए मां को महान माना जाता है. मां की ममता के प्रति आभार जताने के लिए कोई एक खास दिन मुकर्रर नहीं किया जा सकता है.

हर दिन मां के लिए होता है. लेकिन दुनियाभर में मदर्स डे मनाने की परंपरा चली आ रही है. हर साल मई के दूसरे हफ्ते के रविवार को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में मातृ दिवस का कोई उल्लेख नहीं है. लेकिन पाश्चात्य संस्कृति में इसका चलन बहुत ज्यादा है. कहा जाता है कि साल 1908 में अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस ने मदर्स डे की शुरूआत की थी. एना अपनी मां एन रीव्स जार्विस से बहुत प्यार करती थी. उनके साथ रहने के लिए उन्होंने शादी तक नहीं किया था. मां के निधन के बाद उन्होंने उनकी याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. इसी दिन से मदर्स डे की शुरूआत मानी जाती है. सोशल मीडिया के इस युग में मदर्स डे का बहुत ज्यादा क्रेज है.

इस खास दिन पर अपनी मां के साथ जरूर देखें ये 5 फिल्में...

1. माई

खासियत- एक साधारण घरेलू महिला अपने बच्चों को इंसाफ दिलाने के लिए असाधारण रूप धारण कर सकती है.

ओटीटी- नेटफ्लिक्स

ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम...

''मां के बिना जिंदगी वीरान होती हैं, तन्हा सफर में हर राह सुनसान होती है, जिंदगी में मां का होना जरूरी है, मां की दुआओं से ही हर मुश्किल आसान होती है''...मां एक शब्द नहीं है, बल्कि इस एक शब्द में मुकम्मल जहां समाया हुआ है. कहा जाता है कि दस उपाध्यायों के बराबर एक आचार्य होता है. सौ आचार्यों के बराबर एक पिता होता है. हजार पिताओं से बढ़कर मां होती है. मां के समान कोई सहनशील नहीं है. मां बच्चे को पूरे नौ महीने अपने गर्भ में रखती है. बिना थके घर का पूरा काम भी करती है. संसार में मां से बढ़कर कोई और सहनशील नहीं है. इसीलिए मां को महान माना जाता है. मां की ममता के प्रति आभार जताने के लिए कोई एक खास दिन मुकर्रर नहीं किया जा सकता है.

हर दिन मां के लिए होता है. लेकिन दुनियाभर में मदर्स डे मनाने की परंपरा चली आ रही है. हर साल मई के दूसरे हफ्ते के रविवार को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में मातृ दिवस का कोई उल्लेख नहीं है. लेकिन पाश्चात्य संस्कृति में इसका चलन बहुत ज्यादा है. कहा जाता है कि साल 1908 में अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस ने मदर्स डे की शुरूआत की थी. एना अपनी मां एन रीव्स जार्विस से बहुत प्यार करती थी. उनके साथ रहने के लिए उन्होंने शादी तक नहीं किया था. मां के निधन के बाद उन्होंने उनकी याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. इसी दिन से मदर्स डे की शुरूआत मानी जाती है. सोशल मीडिया के इस युग में मदर्स डे का बहुत ज्यादा क्रेज है.

इस खास दिन पर अपनी मां के साथ जरूर देखें ये 5 फिल्में...

1. माई

खासियत- एक साधारण घरेलू महिला अपने बच्चों को इंसाफ दिलाने के लिए असाधारण रूप धारण कर सकती है.

ओटीटी- नेटफ्लिक्स

ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही 'माई' का निर्देशन अतुल मोंगिया और अन्‍शाई लाल ने किया है. इसमें साक्षी तंवर, प्रशांत नारायणन, विवेक मुश्रान, राइमा सेन, वामिका गब्बी, अंकुर रतन जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. साक्षी तंवर ने एक जवान लड़की की मां का किरदार किया है. उसकी बेटी की सड़क हादसे में मौत हो जाती है. लेकिन बाद में पता चलता है कि ये मौत सामान्य नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश है. एक घरेलू महिला अपनी बेटी के कातिलों का पता लगाने के लिए जासूस की तरह का काम करने लगती है. उसे उसकी बेटी के हत्यारों के बारे में पता चल जाता है, जिनमें से चार को मौत की नींद सुला देती है. इसमें सभी कलाकारों ने बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया है.

2. मिमी

खासियत- फिल्म में सरोगेसी टूरिज्म की अंदरूनी विडंबनाओं और पीड़िता के दर्द को मनोरंजक तरीके से उभारा गया है.

ओटीटी- नेटफ्लिक्स

साल 2021 में रिलीज हुई फिल्म 'मिमी' का निर्देशन लक्ष्‍मण उतेकर ने किया है. इसमें पंकज त्रिपाठी और कृति सेनन मुख्‍य भूमिका में हैं. उनके अलावा भी साई तम्हनकर, मनोज पहवा और सुप्रिया पाठक भी अहम रोल में हैं. ये फिल्म साल 2011 में आई मराठी फिल्म 'माला आई व्हहेची' का हिंदी रीमेक है. इसमें कृति ने एक सरोगेट मदर की भूमिका निभाई है. उनकी किरदार का नाम मिली है. एक छोटे शहर में बड़े सपने देखने वाली लड़की की तरह मिमी मुंबई जाकर हीरोइन बनना चाहती है. मायानगरी में अपने सपनों की दुनिया बसाना चाहती है. इसके लिए सरोगेट मदर बनती है. लेकिन बच्चे के माता-पिता उसे लेने को तैयार नहीं होते, क्योंकि उसकी मेंटल कंडीशन ठीक नहीं दिखती. मिमी के सिर पर पहाड़ टूट जाता है. ऐसे में वो घबराए बिना अपने बच्चे को जन्म देती है. उसकी देखभाल का जिम्मा उठाती है. ये बेहद इमोशनल कर देने वाली फिल्म है, जो सबको पसंद आएगी.

3. मॉम

खासियत- ये फिल्म दिखाती है कि एक मां अपने बच्चों के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.

ओटीटी- जी5

साल 2017 में रिलीज हुई फिल्म 'मॉम' का निर्देशन रवि उद्यावर ने किया है. इसमें श्रीदेवी, अक्षय खन्ना, अभिमन्यु सिंह, सजल अली, अदनान सिद्दकी मुख्य भूमिका में हैं. नवाजुद्दीन सिद्दकी ने स्पेशल कैमियो किया है. इसमें श्रीदेवी के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है. उन्होंने अपनी मौत से पहले इस फिल्म की लोकप्रियता का स्वाद चखा था. फिल्म की कहानी एक मां की है, जो अपनी बच्चों के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. ये फिल्म कई बार यह एहसास दिलाती है कि हम निर्भया के देश में रहते हैं. इसी विषय पर बनी अन्य फिल्मों की तरह डेब्यूटेंट रवि उद्यावर की इमोशनल थ्रिलर फिल्म बताती है कि दिल्ली महिलाओं के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है. इसके साथ ये भी दिखाती है कि एक मां अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए उसका कत्ल करने वालों के लिए कातिल भी बन सकती है. एक घरेलू महिला स्मार्ट क्रिमिनल की तरह भी काम कर सकती है.

4. मासूम

खासियत- फिल्म में एक मां की ममता का विराट स्वरूप दिखाया गया है, जो एक मासूम के लिए पति की करतूतों को भी माफ कर देती है.

ओटीटी- अमेजन प्राइम वीडियो

साल 1983 में रिलीज हुई फिल्म 'मासूम' से दिग्गज फिल्म मेकर शेखर कपूर ने बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरूआत की थी. ये फिल्म सुपर हिट रही थी. इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, सुप्रिया पाठक, सईद जाफ़री, जुगल हंसराज, उर्मिला मातोंडकर जैसे कलाकार अहम भूमिका में थे. इस फिल्म ने इंडियन फ़िल्म मेकिंग में कई नए मापदंड स्थापित किए थे और आज भी इसे बॉलीवुड की क्लासिक फ़िल्मों में गिना जाता है. इसे 1984 के फिल्म फेयर अवॉर्ड में सात नॉमिनेशन मिला था, जिसमें चार अवॉर्ड फिल्म के नाम थे. इसमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (नसीरुद्दीन शाह), सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक (आर॰ डी॰ बर्मन), सर्वश्रेष्ठ गीतकार (गुलजार), सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका (आरती मुखर्जी) शामिल है.

5. मदर इंडिया

खासियत- एक मां गलत रास्ते पर चल रहे बच्चों को न केवल समझाती है, बल्कि जरूरत पड़ने उसकी जान भी ले सकती है.

ओटीटी- जिओ सिनेमा

भारतीय सिनेमा के इतिहास में 'मदर इंडिया' सबसे कल्ट क्लासिक फिल्म की श्रेणी में रखा जाता है. इस फिल्म का निर्देशन महबूब खान ने किया था. फिल्म को 25 अक्टूबर 1957 को रिलीज किया गया था. इसमें नरगिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार लीड रोल में थे. ये पहली भारतीय फिल्म है, जो ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी. महज कुछ वोट से ऑस्कर अवॉर्ड जीतने से चूक गई थी. फिल्म की कहानी एक ऐसी मां की दास्तान है, जो अपने पति की मौत के बाद दो बच्चों को अपने दम पर पालती है. खेतों में हल चलाकर उनके पेट भरती है. बच्चे बड़े हो जाते हैं. लेकिन एक बेटा गलत रास्ते पर निकल पड़ता है. चोरी और डकैती करने लगता है. गांव में एक लड़की की शादी में अपने गैंग के साथ धावा बोल देता है. जिस लड़की की शादी हो रही होती है, उसे किडनैप करके उसकी मां की हत्या कर देता है. ये सब देखकर उसकी मां उसे गोली मार देती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲