• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

आपस में उलझते दिख रहे दो 'राष्ट्रवादी' एक्टर, 3 जून को भिड़ेंगी दोनों की ऐतिहासिक फ़िल्में!

    • आईचौक
    • Updated: 04 मार्च, 2022 01:29 PM
  • 04 मार्च, 2022 01:29 PM
offline
बॉक्स ऑफिस पर 3 जून को साल की सबसे दिलचस्प भिड़ंत है. लगभग एक जैसे विषय और एक जैसी छवि वाले अभिनेताओं की भिड़ंत. पृथ्वीराज और मैदान की वजह से टिकट खिड़की पर अक्षय कुमार और अजय देवगन एक दूसरे के आमने सामने होंगे.

कोरोना महामारी की वजह से कई फिल्मों की रिलीज पर असर पड़ा. इसका एक दुष्परिणाम यह दिखा कि बॉक्स ऑफिस पर फ़िल्में एक पर एक और एक दूसरे से भिड़ंत करती नजर आ रही हैं. साल 2022 में टिकट खिड़की पर होने वाले कई बड़े क्लैशेस सामने आ चुके हैं. इस कड़ी में एक और नया क्लैश जुड़ने जा रहा है. क्लैश किसी और के बीच नहीं बल्कि मौजूदा दौर में बॉलीवुड के दो सबसे भरोसेमंद, सफल और बड़े एक्टर्स के बीच का है. अजय देवगन और अक्षय कुमार के बीच.

अजय देवगन और अक्षय कुमार के बीच भिड़ंत का खुलासा बुधवार की शाम को हुआ. दरअसल, बुधवार को यशराज फिल्म्स ने घोषणा की कि अक्षय स्टारर पीरियड ड्रामा पृथ्वीराज को 3 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. कुछ हफ्ते पहले मेकर्स ने पृथ्वीराज को 10 जून की तारीख पर रिलीज करने का ऐलान किया था. इससे पहले चाणक्य फेम डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बनी फिल्म को रिपब्लिक डे वीक में रिलीज करने की तैयारी थी. मगर अचानक बढ़े कोरोना मामलों की वजह से तीसरी लहर की आशंका में निर्माता ही पीछे हट गए.

मैदान और पृथ्वीराज एक ही तारीख पर रिलीज हो रही हैं.

निर्माताओं ने भले ही 3 जून की तारीख को पृथ्वीराज के लिए लॉक किया, मगर यह विंडो पहले से खाली नहीं थी. यहां अजय देवगन की बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा 'मैदान' शेड्यूल थी. अजय देवगन की फिल्म मैदान फुटबाल में भारत के स्वर्णिम दौर की कहानी है. मैदान की कहानी फुटबाल कोच सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर आधारित है जो 50 के दशक में नेशनल फुटबाल टीम के कोच थे. उनके कोच रहने के दौरान ही भारतीय टीम अपने सर्वोच्च शिखर पर थी. अब्दुल रहीम की अगुवाई में भारतीय टीम ने 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक फुटबॉल टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में प्रवेश कर सबको हैरान कर दिया था. 1962 में जकार्ता में भारत ने स्वर्ण पदक जीतकर...

कोरोना महामारी की वजह से कई फिल्मों की रिलीज पर असर पड़ा. इसका एक दुष्परिणाम यह दिखा कि बॉक्स ऑफिस पर फ़िल्में एक पर एक और एक दूसरे से भिड़ंत करती नजर आ रही हैं. साल 2022 में टिकट खिड़की पर होने वाले कई बड़े क्लैशेस सामने आ चुके हैं. इस कड़ी में एक और नया क्लैश जुड़ने जा रहा है. क्लैश किसी और के बीच नहीं बल्कि मौजूदा दौर में बॉलीवुड के दो सबसे भरोसेमंद, सफल और बड़े एक्टर्स के बीच का है. अजय देवगन और अक्षय कुमार के बीच.

अजय देवगन और अक्षय कुमार के बीच भिड़ंत का खुलासा बुधवार की शाम को हुआ. दरअसल, बुधवार को यशराज फिल्म्स ने घोषणा की कि अक्षय स्टारर पीरियड ड्रामा पृथ्वीराज को 3 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. कुछ हफ्ते पहले मेकर्स ने पृथ्वीराज को 10 जून की तारीख पर रिलीज करने का ऐलान किया था. इससे पहले चाणक्य फेम डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बनी फिल्म को रिपब्लिक डे वीक में रिलीज करने की तैयारी थी. मगर अचानक बढ़े कोरोना मामलों की वजह से तीसरी लहर की आशंका में निर्माता ही पीछे हट गए.

मैदान और पृथ्वीराज एक ही तारीख पर रिलीज हो रही हैं.

निर्माताओं ने भले ही 3 जून की तारीख को पृथ्वीराज के लिए लॉक किया, मगर यह विंडो पहले से खाली नहीं थी. यहां अजय देवगन की बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा 'मैदान' शेड्यूल थी. अजय देवगन की फिल्म मैदान फुटबाल में भारत के स्वर्णिम दौर की कहानी है. मैदान की कहानी फुटबाल कोच सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर आधारित है जो 50 के दशक में नेशनल फुटबाल टीम के कोच थे. उनके कोच रहने के दौरान ही भारतीय टीम अपने सर्वोच्च शिखर पर थी. अब्दुल रहीम की अगुवाई में भारतीय टीम ने 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक फुटबॉल टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में प्रवेश कर सबको हैरान कर दिया था. 1962 में जकार्ता में भारत ने स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया को हैरान कर दिया था. रहीम की कोचिंग के दौरान ही भारतीय टीम को इतिहास की सबसे बेहतरीन टीम के रूप में शुमार किया जाता है. अजय फिल्म में अब्दुल रहीम की ही भूमिका निभा रहे हैं. मैदान का निर्देशन अमित त्रिवेदी ने किया है और इसे बोनी कपूर प्रोड्यूस कर रहे हैं.

राष्ट्रवादी फिल्मों में राष्ट्रवादी एक्टर

दोनों फ़िल्में राष्ट्रवादी भावनाओं से ओतप्रोत हैं. मजेदार यह भी है कि दोनों एक्टर्स की गिनती भी राष्ट्रवादी एक्टर्स के रूप में की जाती है. अजय देवगन और अक्षय कुमार भाजपा समर्थक अभिनेता के रूप में देखा जाता है. दोनों ने हाल फिलहाल के कुछ सालों में ऐसी फ़िल्में भी की हैं जो उनकी इस छवि को और मजबूती प्रदान करती हैं. वह चाहे अजय देवगन की पीरियड ड्रामा तान्हाजी हो या अक्षय कुमार की केसरी. वैसे दोनों एक्टर्स ने राष्टवादी भावनाओं का इजहार करने वाली और भी कई फ़िल्में की हैं. दोनों ने भाजपा के साथ अपनी नजदीकियों के प्रदर्शन में कभी संकोच नहीं दिखाया है.

इस लिहाज से 3 जून को टिकट खिड़की पर होने वाला क्लैश दूसरी भिड़ंत से अलग और बहुत दिखती है. शायद ऐसा पहली बार होगा जब लगभग एक जैसी भावना पर सवार दो अलग-अलग फ़िल्में एक-दूसरे के सामने होंगी. एक्टर्स तो खैर एक-दूसरे के सामने होंगे ही. दोनों फिल्मों के विषय के आधार पर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि दोनों फिल्मों का टारगेट ऑडियंस करीब करीब एक जैसा है. यह भी फर्क करना ज्यादा मुश्किल नहीं कि दोनों एक्टर्स की फैन फॉलोइंग भी काफी हद तक एक जैसी है. यानी एक ही तारीख पर दोनों फिल्मों के होने से आपस में खींचतान तय है.

पृथ्वीराज भारत के आख़िरी हिंदू सम्राट के रूप में स्थापित सम्राट पृथ्वीराज की कहानी है. चंद्रबरदाई के खंड काव्य पृथ्वीराज रासो और दूसरे स्रोतों को कहानी का आधार बनाया गया है. पृथ्वीराज ने अपने जीवनकाल में कई युद्ध जीते. उनकी बहादुरी के किस्से आज भी गाए जाते हैं. मोहम्मद गोरी के नेतृत्व में उन्होंने विदेशी आक्रमण को भी असफल किया. पहली बार गोरी जब आया था उसे पराजित होना पड़ा. कहते हैं कि पृथ्वीराज ने गोरी की जान बख्श दी थी. लेकिन तराइन के दूसरे युद्ध में सहयोगियों द्वारा मदद ना मिलने और गद्दारी की वजह से पृथ्वीराज को गोरी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा. पृथ्वीराज रासो के मुताबिक़ गोरी, ने पृथ्वीराज की आंखें फोड़ दी थीं और उन्हें बंदी बनाकर गजनी ले गया था. हालांकि यहां पृथ्वीराज ने गोरी की आवाज सुनकर उसे तीर चलाकर मार डाला. रासो के मुताबिक़ पृथ्वीराज चौहान में शब्दभेदी तीर चलाने की क्षमता थी. यानी वो आवाज सुनकर भी लक्ष्य को निशाना बना सकते थे.

भिड़ंत हमेशा घाटे का सौदा नहीं

यह साफ़ है कि दोनों फ़िल्में एक-दूसरे के दर्शक तो जरूर बाटेंगी. हालांकि किसे ज्यादा नुकसान होगा और किसे फायदा- अभी इस बारे में ज्यादा कुछ दावे से नहीं कहा जा सकता. दो फिल्मों की भिड़ंत में किसी ना किसी को थोड़ा बहुत नुकसान तो पहुंचता ही है मगर ऐसे भी उदाहरण हैं कि बॉक्स ऑफिस पर एक साथ दो बड़ी फ़िल्में रिलीज हुई हैं और दोनों को दर्शकों का प्यार मिला है. दोनों फ़िल्में कामयाब हुई हैं. 1975 में शोले और जय संतोषी मां के बीच, 2002 में गदर और लगान में बहुत बड़ा क्लैश देखने को मिला था मगर सभी फ़िल्में जबरदस्त हिट साबित हुई थीं. अक्षय और अजय देवगन के प्रशंसक भी पृथ्वीराज और मैदान के लिए बिल्कुल ऐसा ही सोचते होंगे कि दोनों फ़िल्में कामयाब हों.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲