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Why I Killed Gandhi से पहले इन फिल्मों पर भी हो चुका है राजनीतिक विवाद

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 30 जनवरी, 2022 10:26 PM
  • 30 जनवरी, 2022 10:26 PM
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Mahatma Gandhi Death Anniversary के दिन रिलीज हो रही फिल्म 'व्हाई आई किल्ड गांधी' राजनीतिक विवाद के बीच फंस गई है. फिल्म पर बैन लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए चुनाव आयोग से कांग्रेस ने निवेदन किया है कि इसे चुनावी राज्यों में रिलीज न होने दिया जाए.

महात्मा गांधी की डेथ एनिवर्सरी 30 जनवरी को होती है. इस दिन लोग बापू को याद करते हुए उनके योगदानों की चर्चा करते हैं. लेकिन इस बार उनकी डेथ एनिवर्सरी से ठीक पहले एक फिल्म की चर्चा तेजी से हो रही है. फिल्मों को हमेशा नापसंद करने वाले राष्ट्रपिता की डेथ एनिवर्सरी ये फिल्म रिलीज होने जा रही है, जिसका नाम 'व्हाई आई किल्ड गांधी' है. इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म 'लाइमलाइट' पर रिलीज किया जाएगा. लेकिन रिलीज से पहले ही बैन की मांग शुरू हो गई है. इसके लिए बाकयदा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इतना ही नहीं भारतीय युवा कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से निवेदन किया कि जिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए. हालांकि, स्टोरी लिखे जाने तक फिल्म के बैन संबंधी कोई सूचना सामने नहीं आई थी.

फिल्म 'व्हाई आई किल्ड गांधी' की निर्माता कल्याणी सिंह, निर्देशक अशोक त्यागी और प्रेजेंटर मान सिंह हैं. इस फिल्म में नाथूराम गोडसे की भूमिका अभिनेता अमोल कोल्हे ने निभाई है. मेकर्स की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उनकी फिल्म एक किताब ''मैंने गांधी का वध क्यों किया?'' (Why I Assassinated Gandhi by Nathuram Godse) पर आधारित है, जो कि खुद नाथुराम गोडसे के उस बयान पर आधारित है, जो कि उन्होंने अपने केस के ट्रायल के दौरान कोर्ट में दिया था. इस दौरान जस्टिस आत्मा चरण की अनुमति के बाद नाथुराम ने अपने बयान को कोर्ट में पढ़ा था, जिसमें 4.30 घंटे लग गए थे. फिल्म में हर घटना और कथन का जिक्र इसी किताब के आधार पर किया गया है. ऐसे में उनका मानना है कि इस बैन लगाने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि किताब पहले से ही उपलब्ध है.

हम सभी जानते हैं कि समाज पर सिनेमा का व्यापक असर पड़ता है. यही वजह है कि कुछ सियासत दां अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए सिनेमा का सहारा लेते हैं. ऐसा कई बार देखा गया है कि जब कुछ राजनीतिक दलों से प्रभावित फिल्म मेकर्स ने ऐसी फिल्में बनाई हैं, जिसे लेकर राजनीतिक विवाद हुआ है. जैसा कि अभी फिल्म...

महात्मा गांधी की डेथ एनिवर्सरी 30 जनवरी को होती है. इस दिन लोग बापू को याद करते हुए उनके योगदानों की चर्चा करते हैं. लेकिन इस बार उनकी डेथ एनिवर्सरी से ठीक पहले एक फिल्म की चर्चा तेजी से हो रही है. फिल्मों को हमेशा नापसंद करने वाले राष्ट्रपिता की डेथ एनिवर्सरी ये फिल्म रिलीज होने जा रही है, जिसका नाम 'व्हाई आई किल्ड गांधी' है. इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म 'लाइमलाइट' पर रिलीज किया जाएगा. लेकिन रिलीज से पहले ही बैन की मांग शुरू हो गई है. इसके लिए बाकयदा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इतना ही नहीं भारतीय युवा कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से निवेदन किया कि जिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए. हालांकि, स्टोरी लिखे जाने तक फिल्म के बैन संबंधी कोई सूचना सामने नहीं आई थी.

फिल्म 'व्हाई आई किल्ड गांधी' की निर्माता कल्याणी सिंह, निर्देशक अशोक त्यागी और प्रेजेंटर मान सिंह हैं. इस फिल्म में नाथूराम गोडसे की भूमिका अभिनेता अमोल कोल्हे ने निभाई है. मेकर्स की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उनकी फिल्म एक किताब ''मैंने गांधी का वध क्यों किया?'' (Why I Assassinated Gandhi by Nathuram Godse) पर आधारित है, जो कि खुद नाथुराम गोडसे के उस बयान पर आधारित है, जो कि उन्होंने अपने केस के ट्रायल के दौरान कोर्ट में दिया था. इस दौरान जस्टिस आत्मा चरण की अनुमति के बाद नाथुराम ने अपने बयान को कोर्ट में पढ़ा था, जिसमें 4.30 घंटे लग गए थे. फिल्म में हर घटना और कथन का जिक्र इसी किताब के आधार पर किया गया है. ऐसे में उनका मानना है कि इस बैन लगाने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि किताब पहले से ही उपलब्ध है.

हम सभी जानते हैं कि समाज पर सिनेमा का व्यापक असर पड़ता है. यही वजह है कि कुछ सियासत दां अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए सिनेमा का सहारा लेते हैं. ऐसा कई बार देखा गया है कि जब कुछ राजनीतिक दलों से प्रभावित फिल्म मेकर्स ने ऐसी फिल्में बनाई हैं, जिसे लेकर राजनीतिक विवाद हुआ है. जैसा कि अभी फिल्म 'व्हाई आई किल्ड गांधी' को लेकर हो रहा है, जो कि उस वक्त रिलीज हो रही है, जब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा जैसे प्रमुख राज्यों में विधान सभा के चुनाव होने जा रहे हैं. चूंकि गांधीजी राष्ट्रीय क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर की हस्ती हैं, तो स्वाभाविक सी बात है कि उन पर आई किसी फिल्म का समाज पर असर तो पड़ेगा ही. ऐसे में विचारधारा की बात को देखते हुए सबको पता है कि ये फिल्म किस दल को नुकसान और किसे फायदा पहुंचा सकती हैं.

आइए ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में जानते हैं, जिन पर राजनीतिक विवाद हो चुका है...

1. फिल्म- द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

रिलीज डेट- 11 जनवरी 2019

साल 2019 में जब लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां सबाब पर थीं, उस वक्त फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' को लेकर विवाद अपने चरम पर था. पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह के साल 2004 से 2008 तक मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू के अनुभवों पर आधारित किताब पर बनी इस फिल्म को लेकर समूचे विपक्ष को आपत्ति थी. उस वक्त चुनाव का माहौल था, इसलिए विपक्ष को लगा कि इसका फायदा बीजेपी और नरेंद्र मोदी को मिल सकता है. इस फिल्म के निर्देशक विजय रत्नाकर गुट्‌टे हैं. फिल्म की पटकथा मयंक तिवारी ने लिखी है. अनुपम खेर, अक्षय खन्ना और आहना कुमरा फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं. इस फिल्म में मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी, राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव के भी किरदार हैं. ऐसे में विवाद तो लाजिमी था.

2. पीएम नरेंद्र मोदी

रिलीज डेट- 24 मई 2019

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' की चर्चा भी तेज थी. इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही इस पर विवाद शुरू हो गया था. इस फिल्म को पहले चुनावों के बीच में रिलीज किया जा रहा था, लेकिन विपक्ष ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि इस फिल्म से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होगा. इसी कारण से फिल्म को चुनाव के नतीजे आने के बाद 24 मई को रिलीज किया गया था. इस फिल्म में विवेक ओबेरॉय पीएम नरेंद्र मोदी का किरदार निभा रहे है. फिल्म का निर्देशन ओमंग कुमार ने किया है, जबकि फिल्म के प्रोड्यूसर सुरेश ओबेरॉय और संदीप सिंह हैं.

3. आंधी

रिलीज डेट- 17 फरवरी 1975

गुलजार के निर्देशन में बनी फिल्म 'आंधी' की कहानी मशहूर कहानीकार कमलेश्वर ने लिखी थी. इस फिल्म को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन से प्रेरित बताया जाता है. फिल्म में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन ने लीड रोल किया था. इसमें सुचित्रा का किरदार इंदिरा गांधी से प्रभावित था. फिल्म की रिलीज के वक्त दिल्ली के एक अखबार में विज्ञापन छपा, 'आजाद भारत की एक महान महिला नेता की कहानी'. इंदिरा गांधी ने अपने दो सिपहसालारों को फिल्म देखने भेजा. उस समय के सूचना और प्रसारण मंत्री इंद्र कुमार गुजराल को फिल्म पसंद आई. लेकिन सियासी तांडव शुरू हो गया. क्योंकि उस वक्त गुजरात में विधानसभा चुनाव था. विपक्षी पार्टियों ने फिल्म के वे सीन लोगों के बीच खूब प्रचारित किए गए जिनमें सुचित्रा सेन शराब और सिगरेट का सेवन करते दिखती हैं. मामला बिगड़ता देख फिल्म 'आंधी' पर इंदिरा सरकार ने तब बैन लगा दिया. फिल्म में फेरबदल भी किए गए, लेकिन बात बनी नहीं. इंदिरा सरकार जाने के बाद जनता पार्टी सत्ता में आई तो इसे टीवी पर रिलीज किया गया.

4. फिल्म- इंदु सरकार

रिलीज डेट- 28 जुलाई 2017

दिग्गज फिल्म मेकर मधु भंडारकर की फिल्म 'इंदु सरकार' में कीर्ति कुल्हारी, नील नितिन मुकेश और अनुपम खेर लीड रोल में थे. इस फिल्म को इमरजेंसी पर आधारित बताया गया था, जिसमें कीर्ति का किरदार इंदिरा गांधी से प्रेरित था. फिल्म की रिलीज से पहले ही इस पर विवाद शुरू हो गया था. उस समय तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव होने वाले थे. इसे देखते हुए कांग्रेस ने फिल्म को बैन करने की मांग कर दी. लेकिन तय समय पर फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज की गई थी. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाई, जहां इसे बैन कर दिया गया. इस पर फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने कहा था कि इंदु सरकार फिल्म के समय मुझ पर आरोप लगा था कि इसकी फंडिंग बीजेपी ने की थी. यदि उनसे फंडिंग कराना ही था, तो सौ-दो सौ करोड़ की फंडिंग कराता.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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