• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Madam Chief Minister: बवाल छोड़िए, मायावती पर फ़िल्म तो बननी ही चाहिए!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 जनवरी, 2021 02:03 PM
  • 09 जनवरी, 2021 02:03 PM
offline
Richa Chaddha की बहुप्रतीक्षित फिल्म Madam Chief Minister का Trailer लांच हो गया है. निर्माता निर्देशक और खुद ऋचा चड्ढा कितनी भी ना नुकुर क्यों न कर लें. लेकिन फिल्म BSP सुप्रीमो Mayawati और Kanshi Ram के जीवन से प्रेरित है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है.

राजनीति हमेशा ही देश का हॉट टॉपिक रहा है. चाहे चाय की दुकान हो या फिर कोई गेट टुगेदर या फंक्शन हमारे आस पास कोई न कोई ऐसा व्यक्ति होता ही है जो अगर अपनी बातों में पॉलिटिक्स का जिक्र न करे तो उसे कुछ न कुछ छूटा हुआ लगता है. बॉलीवुड इस बात को समझता है. प्रोड्यूसर डायरेक्टर इस बात को जानते हैं कि किसी नेता की बायोपिक या पॉलिटिकल कन्टेंट वाली फिल्म बना दीजिये भले ही विवादों और आरोप प्रत्यारोपों से दो चार होना पड़े फ़िल्म हिट हो ही जाएगी. अब सुभाष कपूर निदेशित ऋचा चड्ढा स्टारर फ़िल्म Madam Chief Minister को ही देख लीजिए. फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज होना भर था विवाद हो गया. फ़िल्म में ऋचा चड्ढा का कैरेक्टर बसपा सुप्रीमो मायावती से प्रेरित बताया जा रहा है जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. फ़िल्म को लेकर सपा और बसपा आमने सामने हैं और आरोप प्रत्यारोप का तमाशा शुरू हो गया है. ट्रेलर देखकर इतना तो साफ है कि जिस लिहाज से ऋचा ने एक्टिंग की है चर्चाओं का शुरू होना लाजमी है. साफ पता चल रहा है कि फ़िल्म बसपा सुप्रीमो मायावती को ध्यान में रख कर बनाई गयी है. फ़िल्म में सौरभ शुक्ला भी निर्णायक भूमिका में है जिनका कैरेक्टर काशीराम से प्रेरित बताया जा रहा है.

ट्रेलर से साफ़ है मैडम चीफ मिनिस्टर मायावती जीवन दर्शाती है

जैसा कि हम बता चुके हैं ऋचा चड्ढा की इस फ़िल्म ने बसपा और सपा समर्थकों के बीच खाई पैदा कर दी है. बसपा के लोग जहां तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं सपा का आरोप है कि इस फ़िल्म के जरिये यादवों की छवि को धूमिल किया गया है. वहीं बात अगर सोशल मीडिया की हो तो वहां एक अलग ही बहस ने जन्म ले लिया है.

चूंकि फ़िल्म एक दलित राजनेता के इर्द गिर्द घूमती है इसलिए सोशल मीडिया पर सिने प्रेमियों का यही कहना है कि यदि कहानी...

राजनीति हमेशा ही देश का हॉट टॉपिक रहा है. चाहे चाय की दुकान हो या फिर कोई गेट टुगेदर या फंक्शन हमारे आस पास कोई न कोई ऐसा व्यक्ति होता ही है जो अगर अपनी बातों में पॉलिटिक्स का जिक्र न करे तो उसे कुछ न कुछ छूटा हुआ लगता है. बॉलीवुड इस बात को समझता है. प्रोड्यूसर डायरेक्टर इस बात को जानते हैं कि किसी नेता की बायोपिक या पॉलिटिकल कन्टेंट वाली फिल्म बना दीजिये भले ही विवादों और आरोप प्रत्यारोपों से दो चार होना पड़े फ़िल्म हिट हो ही जाएगी. अब सुभाष कपूर निदेशित ऋचा चड्ढा स्टारर फ़िल्म Madam Chief Minister को ही देख लीजिए. फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज होना भर था विवाद हो गया. फ़िल्म में ऋचा चड्ढा का कैरेक्टर बसपा सुप्रीमो मायावती से प्रेरित बताया जा रहा है जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. फ़िल्म को लेकर सपा और बसपा आमने सामने हैं और आरोप प्रत्यारोप का तमाशा शुरू हो गया है. ट्रेलर देखकर इतना तो साफ है कि जिस लिहाज से ऋचा ने एक्टिंग की है चर्चाओं का शुरू होना लाजमी है. साफ पता चल रहा है कि फ़िल्म बसपा सुप्रीमो मायावती को ध्यान में रख कर बनाई गयी है. फ़िल्म में सौरभ शुक्ला भी निर्णायक भूमिका में है जिनका कैरेक्टर काशीराम से प्रेरित बताया जा रहा है.

ट्रेलर से साफ़ है मैडम चीफ मिनिस्टर मायावती जीवन दर्शाती है

जैसा कि हम बता चुके हैं ऋचा चड्ढा की इस फ़िल्म ने बसपा और सपा समर्थकों के बीच खाई पैदा कर दी है. बसपा के लोग जहां तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं सपा का आरोप है कि इस फ़िल्म के जरिये यादवों की छवि को धूमिल किया गया है. वहीं बात अगर सोशल मीडिया की हो तो वहां एक अलग ही बहस ने जन्म ले लिया है.

चूंकि फ़िल्म एक दलित राजनेता के इर्द गिर्द घूमती है इसलिए सोशल मीडिया पर सिने प्रेमियों का यही कहना है कि यदि कहानी एक दलित महिला की है तो बेहतर था कि ऋचा की जगह किसी दलित एक्ट्रेस को कास्ट किया गया होता.

फ़िल्म बवाल की भेंट चढ़ चुकी है जाहिर है कि फ़िल्म के निर्माता निर्देशक परेशान तो होंगे ही. फ़िल्म के मेकर्स ने बरसों पुराना डायलॉग दोहराया है और ये कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है कि फ़िल्म के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं और यदि किसी से इनकी समानता पाई गई तो उसे महज एक इत्तेफ़ाक़ कहा जाएगा.' लेकिन अब बात निकल चुकी है तो दूर तक जाना स्वाभाविक था.

मेकर्स ने ये भी कहा है कि अगर वे किसी की बायोपिक बनाते या फिर किसी घटना से प्रेरित होकर कहानी लिखते तो बाकायदा राइट्स खरीदे जाते. वहीं ऋचा चड्ढा ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि फ़िल्म किसी भी राजनेता या उसके जीवन के पहलुओं को नहीं छूती.

ऋचा चड्ढा से लेकर प्रोड्यूसर डायरेक्टर तक, मायावती का नाम लेने में हर्ज ही क्या है?

यूं यो फ़िल्म 22 जनवरी को रिलीज हो रही है लेकिन अब जबकि 3 मिनट 9 सेकंड का फ़िल्म का ट्रेलर आ गया है तो कई चीजें हैं जो बता रही हैं कि फ़िल्म किसी और की नहीं बल्कि मायावती की कहानी है. चाहे ट्रेलर के ओपनिंग शॉट में ऋचा का अम्बेडकर की मूर्ति के पास खड़ा होना हो या फिर दबंगों द्वारा ऋचा चड्ढा की पिटाई. भाषणों से लेकर वोटर्स को गिफ्ट बांटते तक मायावती के जीवन और इस फ़िल्म में कई संभावनाएं हैं. बाकी उत्तर प्रदेश के अलावा केंद्र तक की राजनीति को मायावती ने अपने फैसलों से प्रभावित किया है उसको देखते हुए साथ ही जैसे संघर्ष मायावती ने एक राजनेता के रूप में किये हैं उनको देखते हुए उनपर फ़िल्म बननी तो चाहिए और इसमें कोई बुराई नहीं है.

मायावती और उनका राजनीतिक जीवन मिर्च और मसाले से भरपूर है.

भले ही आज मायावती और बसपा गर्त के अंधेरों में हों मगर उत्तर प्रदेश ने एक दौर वो भी देखा है जब एक राजनेता के रूप में मायावती ने विपक्ष विशेषकर सपा, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव को नाकों चने चबवा दिये थे. चाहे वो गेस्ट हाउस कांड हो या फिर अपनी मूर्तियां लगवाना और अपने जन्मदिन पर लाखों/ करोड़ों की माला पहनना इस बात में कोई शक नहीं है कि एक राजनेता के रूप में मायावती का जीवन भव्य रहा है.

Madam Chief Minister को लेकर सच्चाई क्या है? क्या फ़िल्म वाक़ई मायावती के इर्द गिर्द घूमती है? सारे जवाब 22 जनवरी को मिलेंगे मगर इस बात में भी कोई शक नहीं है कि फ़िल्म में चाहे वो सौरभ शुक्ला हों या फिर ऋचा चड्ढा काम बेहतरीन हुआ है जिसके चलते ये फ़िल्म मजेदार होने वाली है.

ये भी पढ़ें -

KGF 2 का टीजर और यश की बातें... फिल्म तो हिट है बॉस!

Kaagaz Movie Review : सिर्फ बीते भारत का नहीं मॉडर्न इंडिया की भी हकीकत सामने लाती है फिल्म!

The Family Man 2 Release को लेकर फैंस की बेकरारी खत्म, अब और नहीं मिलेगी तारीख पर तारीख! 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲