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Lust stories : फ़िल्म जिसमें महिलाओं के कैरेक्टर नहीं, कामुकता की बात है

    • कावेरी बामज़ई
    • Updated: 17 जून, 2018 05:18 PM
  • 17 जून, 2018 05:18 PM
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लस्ट स्टोरिज महिलाओं के दिमाग और शरीर के बारे में खुलकर बात करने का कोई साहसिक प्रयास तो नहीं है पर हां कम से कम इसकी अच्छी शुरुआत हुई है.

बॉलीवुड में आजकल वाइब्रेटर का दौर चल रहा है. वीरे दी वेडिंग में स्वरा भास्कर के बाद इसने लस्ट स्टोरीज में स्पेशल एपियरेंस में अपनी जगह बनाई. लस्ट स्टोरीज में चार निर्देशकों द्वारा निर्देशित चार कहानियां एक साथ चलती हैं जिसमें आज के भारत के प्यार और हवस को दिखाया गया है. कई कारणों से यह अच्छा भी है. क्योंकि कम से कम इसके द्वारा ही एक महिला की कामवासना को सामान्य करने की कोशिश की गई है.

विडम्बना ये है कि जिस करण जौहर को फैमिली ड्रामा के लिए जाना जाता था, ये सेगमेंट उन्होंने ही डायरेक्ट किया था. साथ ही इस बात को भी स्वीकार किया गया कि महिलाएं सिर्फ राष्ट्रगान से ही उत्तेजित नहीं होती. महिलाओं को क्या चाहिए उसे सामान्य बनाना एक अच्छा कदम है. फिर भले ही वो किसी पुरुष के नजरिए से ही हो जिनके लिए आज भी बॉलीवुड में रोमांस का मतलब पुरुषों के गठीले शरीर और स्टंट ही हों. अपनी बाजुएं फड़काने और लड़की पटाना ही हो.

देखें ट्रेलर-

करण जौहर द्वारा निर्देशित इस सेगमेंट में विकी कौशल को एक शर्मीले लड़के की तरह दिखाया गया है. और कियारा आडवाणी को एक ऐसी लड़की के रूप में दिखाया गया है जिसकी चाहत और इच्छाएं ज्यादा हैं. लेकिन वो खुद को अपनी सास द्वारा बच्चे की मांग के बीच घिरा हुआ पाती है. पूरी हो जाएगी ये हसरत, बंद करो ये कसरत. क्योंकि एक बार जब बच्चा आ जाता हैं, या फिर ऐसा उसकी सास का मानना है कि बच्चा पैदा करने के बाद महिला को पति के साथ यौन संबंध नहीं रखना पड़ता, और तब वो वास्तव में जो कुछ भी करना चाहती है करने के लिए बिल्कुल आजाद है. बच्चों का पालन पोषण करना.

लेकिन कियारा को तो कुछ और ही चाहिए था. उसे अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में और ज्यादा जानना था. उसे अपनी जिंदगी को पहले जीना था उसके बाद कुछ और. और इसे वो अपनी सहकर्मी नेहा धुपिया की मदद से पूरा करना चाह रही थी. कियारा को उसकी मां ने कहा कि वो शादी कर ले फिर चाहे उसके बाद जितना मन करे वो आईसक्रीम खा ले (मुझे लगता है कि फोरप्ले के लिए कोई कोड...

बॉलीवुड में आजकल वाइब्रेटर का दौर चल रहा है. वीरे दी वेडिंग में स्वरा भास्कर के बाद इसने लस्ट स्टोरीज में स्पेशल एपियरेंस में अपनी जगह बनाई. लस्ट स्टोरीज में चार निर्देशकों द्वारा निर्देशित चार कहानियां एक साथ चलती हैं जिसमें आज के भारत के प्यार और हवस को दिखाया गया है. कई कारणों से यह अच्छा भी है. क्योंकि कम से कम इसके द्वारा ही एक महिला की कामवासना को सामान्य करने की कोशिश की गई है.

विडम्बना ये है कि जिस करण जौहर को फैमिली ड्रामा के लिए जाना जाता था, ये सेगमेंट उन्होंने ही डायरेक्ट किया था. साथ ही इस बात को भी स्वीकार किया गया कि महिलाएं सिर्फ राष्ट्रगान से ही उत्तेजित नहीं होती. महिलाओं को क्या चाहिए उसे सामान्य बनाना एक अच्छा कदम है. फिर भले ही वो किसी पुरुष के नजरिए से ही हो जिनके लिए आज भी बॉलीवुड में रोमांस का मतलब पुरुषों के गठीले शरीर और स्टंट ही हों. अपनी बाजुएं फड़काने और लड़की पटाना ही हो.

देखें ट्रेलर-

करण जौहर द्वारा निर्देशित इस सेगमेंट में विकी कौशल को एक शर्मीले लड़के की तरह दिखाया गया है. और कियारा आडवाणी को एक ऐसी लड़की के रूप में दिखाया गया है जिसकी चाहत और इच्छाएं ज्यादा हैं. लेकिन वो खुद को अपनी सास द्वारा बच्चे की मांग के बीच घिरा हुआ पाती है. पूरी हो जाएगी ये हसरत, बंद करो ये कसरत. क्योंकि एक बार जब बच्चा आ जाता हैं, या फिर ऐसा उसकी सास का मानना है कि बच्चा पैदा करने के बाद महिला को पति के साथ यौन संबंध नहीं रखना पड़ता, और तब वो वास्तव में जो कुछ भी करना चाहती है करने के लिए बिल्कुल आजाद है. बच्चों का पालन पोषण करना.

लेकिन कियारा को तो कुछ और ही चाहिए था. उसे अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में और ज्यादा जानना था. उसे अपनी जिंदगी को पहले जीना था उसके बाद कुछ और. और इसे वो अपनी सहकर्मी नेहा धुपिया की मदद से पूरा करना चाह रही थी. कियारा को उसकी मां ने कहा कि वो शादी कर ले फिर चाहे उसके बाद जितना मन करे वो आईसक्रीम खा ले (मुझे लगता है कि फोरप्ले के लिए कोई कोड है?).

महिलाओं की सेक्सुएलिटी को दिखाती फिल्म

इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि बॉलीवुड ये बता रहा है कि सिर्फ मास्टरबेशन के जरिए ही महिलाएं अपनी कामुकता का आनंद ले सकती हैं. लेकिन इसके जरिए कम से कम इसे बेडरूम के बाहर ले जाया जा रहा है. इसे स्क्रीन पर दिखाया जा रहा है. साथ ही ये महिलाओं को विविध रुपों में भी सामान्य कर रहा है. जैसे वीरे दी वेडिंग में प्लस साइज शिखा तलसानिया को जानबूझकर स्वीम सूट में दिखाया गया, वैसे ही दिबाकर बनर्जी के सेगमेंट में मनीषा कोइराला को भी वन पीस में दिखाया गया है. कोई भी जुनून पूर्ण नहीं होता है, ठीक वैसे ही जैसे कोई भी परफेक्ट बॉडी नहीं होता लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उसे छिपाया जाए.

मनीषा कोइराला एक ऐसी महिला का किरदार निभा रही हैं जो बच्चों को पालने और उन्हें बड़ा करने के लिए अपनी बैंक नौकरी छोड़ देती है. एक परफेक्ट मां, पत्नी और गृहणी बनती है. एक ऐसे पति के लिए जिसकी नजरों में इन सभी से ज्यादा कीमत पैसों की है. संजय कपूर, मनीषा कोइराला के पति के किरदार में हैं जिन्हें अपनी पत्नी की इच्छाओं से तो कोई मतलब नहीं है लेकिन उसकी जिंदगी में दखल देने के लिए बेताब है.

दीबाकर की सामाजिक टिप्पणी हमेशा ही सटीक रही है. फिर चाहे वो सेक्स लव और धोखा में ऑनर कीलिंग को दिखाना हो या ओए लकी लकी ओए में प्रचुर उपभोक्तावाद को दिखाना. यहां मनीषा कोइराला हैं जो अपने पति से कहा रही हैं कि उन्हें एक मां की जरूरत है, पत्नी नहीं; और दबी जुबान में ही सही पति काफी हद तक इस बात को स्वीकार भी करता है.

अब फिल्मों में ही सही महिलाओं की इच्छाओं पर खुले में बात होने लगी है

ज़ोया अख्तर के खूबसूरत सेगमेंट में एक घरेलू सहायिका के रुप भूमि पेडनेकर को अपने मालिक के साथ हमबिस्तर होते दिखाया गया है. लेकिन वही मालिक दिन के उजाले में उससे आंखे चुराता फिराता है. अनुराग कश्यप के सेगमेंट में राधिका आप्टे ने एक ऐसी शिक्षिका का रोल निभाया जो अपनी हवस मिटाने के लिए अपने छात्र को भी नहीं छोड़ती. सुहागरात के बिस्तर पर गुलाब से लिखा- पारस बेड्स मेघा देखकर कियारा आडवाणी आंखें नचा लेती है.

लस्ट स्टोरिज महिलाओं के दिमाग और शरीर के बारे में खुलकर बात करने का कोई साहसिक प्रयास तो नहीं है पर हां कम से कम इसकी अच्छी शुरुआत हुई है. तो राधिका आपटे के शिक्षक अमृता प्रीतम की तरह रहने का सपना देख सकते हैं. वो अमृता जिसने इमरोज़ से शादी की थी लेकिन फिर वो साहिर लुधियानवी की तरफ आकर्षित हुई.

कियारा आडवाणी की शिक्षक पॉर्न मूवी में दिखाए जाने वाले फोरप्ले की अपेक्षा करती है. (हां, हां, महिलाएं भी पॉर्न फिल्में देखती हैं). और मनीषा कोइराला अपने पैसों के पीछे पागल और स्टेटस के पीछे दीवाने पति के साथ बोरियत की शिकायत कर सकती है. उनका प्रेमी जो उनके पति का बेस्ट फ्रेंड भी है, उन्हें रानी कहता है.

खैर, लस्ट स्टोरिज की महिलाएं वो नहीं हैं जो उन्हें होना चाहिए या फिर वो हो सकती हैं. लेकिन वो वो हैं जो वो बनना चाहती हैं, खुद के साथ रहें.

(DailyO से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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