''नाम-रूप के भेद पर कभी किया है गौर?, नाम मिला कुछ और तो, शक्ल-अक्ल कुछ और; शक्ल-अक्ल कुछ और, नैनसुख देखे काने, बाबू सुंदरलाल बनाए ऐंचकताने; कहं काका कवि, दयारामजी मारे मच्छर, विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर''...हास्य कवि पद्मश्री काका हाथरसी की ये कविता ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'कौन बनेगी शिखरवटी' पर बिल्कुल सटीक बैठती है. एक कहावत है, 'नाम बड़े और दर्शन छोटे'. इस वेब सीरीज में भी निर्माता, निर्देशक से लेकर कलाकारों तक का नाम बहुत बड़ा है, लेकिन निर्देशन से लेकर अभिनय के स्तर तक वेब सीरीज बहुत ही औसत दर्जे की बन सकी है. एम्मे एंटरटेनमेंट के सहयोग से अप्लॉज एंटरटेनमेंट जैसे बड़े बैनर तले बनी इस वेब सीरीज का निर्देशन गौरव के चावला और अनन्या बनर्जी ने किया है. इसमें नसीरुद्दीन शाह, रघुबीर यादव, सोहा अली खान, लारा दत्ता, अन्या सिंह, कृतिका कामरा, साइरस साहूकार और वरुण ठाकुर जैसे बेहतरीन कलाकार अहम किरदारों में हैं.
सही मायने में देखा जाए तो वेब सीरीज 'कौन बनेगी शिखरवटी' में बॉलीवुड के दो जेनरेशन से ताल्लुक रखने वाले पांच बड़े कलाकारों को मौका दिया गया है. पहली जेनरेशन से नसीरुद्दीन शाह और रघुबीर यादव हैं, तो दूसरी से सोहा अली खान, लारा दत्ता और कृतिका कामरा हैं. इनमें कई नाम ऐसे भी हैं, जो किसी भी फिल्म या वेब सीरीज को अकेले अपने कंधों पर ले जाने का मादा रखते हैं, जैसे कि नसीरुद्दीन साहब, रघुबीर यादव और लारा दत्ता. लेकिन इसके लिए निर्देशक को मेहनत करनी पड़ती है. यदि निर्देशक में दम है, तो वो एक औसत दर्जे के कलाकार से भी बेहतरीन अभिनय करा सकता है. इसके साथ ही कहानी और पटकथा को भी निर्देशक का साथ देना होता है. इन सभी मोर्चों पर वेब सीरीज खरी नहीं उतर पाई है. शायद इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि एक मराठी कहानी को राजस्थानी परिवेश में ढ़ालने की कोशिश की गई है. क्योंकि इस वेब सीरीज की कहानी साल 2015 में रिलीज हुई मराठी फैमिली ड्रामा...
''नाम-रूप के भेद पर कभी किया है गौर?, नाम मिला कुछ और तो, शक्ल-अक्ल कुछ और; शक्ल-अक्ल कुछ और, नैनसुख देखे काने, बाबू सुंदरलाल बनाए ऐंचकताने; कहं काका कवि, दयारामजी मारे मच्छर, विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर''...हास्य कवि पद्मश्री काका हाथरसी की ये कविता ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'कौन बनेगी शिखरवटी' पर बिल्कुल सटीक बैठती है. एक कहावत है, 'नाम बड़े और दर्शन छोटे'. इस वेब सीरीज में भी निर्माता, निर्देशक से लेकर कलाकारों तक का नाम बहुत बड़ा है, लेकिन निर्देशन से लेकर अभिनय के स्तर तक वेब सीरीज बहुत ही औसत दर्जे की बन सकी है. एम्मे एंटरटेनमेंट के सहयोग से अप्लॉज एंटरटेनमेंट जैसे बड़े बैनर तले बनी इस वेब सीरीज का निर्देशन गौरव के चावला और अनन्या बनर्जी ने किया है. इसमें नसीरुद्दीन शाह, रघुबीर यादव, सोहा अली खान, लारा दत्ता, अन्या सिंह, कृतिका कामरा, साइरस साहूकार और वरुण ठाकुर जैसे बेहतरीन कलाकार अहम किरदारों में हैं.
सही मायने में देखा जाए तो वेब सीरीज 'कौन बनेगी शिखरवटी' में बॉलीवुड के दो जेनरेशन से ताल्लुक रखने वाले पांच बड़े कलाकारों को मौका दिया गया है. पहली जेनरेशन से नसीरुद्दीन शाह और रघुबीर यादव हैं, तो दूसरी से सोहा अली खान, लारा दत्ता और कृतिका कामरा हैं. इनमें कई नाम ऐसे भी हैं, जो किसी भी फिल्म या वेब सीरीज को अकेले अपने कंधों पर ले जाने का मादा रखते हैं, जैसे कि नसीरुद्दीन साहब, रघुबीर यादव और लारा दत्ता. लेकिन इसके लिए निर्देशक को मेहनत करनी पड़ती है. यदि निर्देशक में दम है, तो वो एक औसत दर्जे के कलाकार से भी बेहतरीन अभिनय करा सकता है. इसके साथ ही कहानी और पटकथा को भी निर्देशक का साथ देना होता है. इन सभी मोर्चों पर वेब सीरीज खरी नहीं उतर पाई है. शायद इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि एक मराठी कहानी को राजस्थानी परिवेश में ढ़ालने की कोशिश की गई है. क्योंकि इस वेब सीरीज की कहानी साल 2015 में रिलीज हुई मराठी फैमिली ड्रामा 'राजवाड़े एंड संस' से प्रेरित है.
Kaun Banegi Shikharwati की कहानी
वेब सीरीज 'कौन बनेगी शिखरवटी' की कहानी राजा मृत्युंजय सिंह शिखरवटी (नसीरुद्दीन शाह) और उनकी चार बेटियों के इर्द-गिर्द घूमती है. अपनी रानी मृणालिनी (चारु शंकर) की मौत के बाद राजा मृत्युंजय अपने महल में परिवार के बिना रहता है. उसकी चारों बेटियां देवयानी शिखरवट गोयल (लारा दत्ता), गायत्री शिखरवट (सोहा अली खान), कामिनी शिखरवट (कृतिका कामरा) और उमा शिखरवट (अन्या सिंह) अपने पिता को अकेला छोड़कर चली गई हैं. उनके बीच आपस में भी मतभेद और मनभेद हैं. राजा अपने सचिव-सह-मित्र-सह-बीरबल मिश्रा जी (रघुबीर यादव) के साथ जीवन जी रहे होते हैं. तभी उनको सरकार की तरफ से 32 करोड़ रुपए प्रॉपर्टी टैक्स चुकाने का आदेश मिलता है. पैसा चुका नहीं पाने की स्थिति में उनको महल खाली करने के लिए कहा जाता है. राजा और सचिव दोनों सोच में पड़ जाते हैं. तभी मिश्राजी को एक आइडिया आता है. वो राजा से कहते हैं कि उनकी बेटियों को बुलाया जाए और उनको उत्तराधिकारी बनाने की बात कही जाए, जो 200 करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिक होगा.
चारों बेटियां पिता का संदेश मिलते ही संपत्ति की लालच में राजस्थान के शेखावटी इलाके में स्थित अपने पिता के महल चली आती हैं. उन्हें देखकर राजा बहुत खुश होता है, क्योंकि छह साल बाद पूरा परिवार एक साथ होता है. इसके बाद मिश्राजी की देखरेख में शुरू होता है 'कौन बनेगा शिखरवटी' का खेल. अमिताभ बच्चन के रियलिटी क्वीज गेम शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के दर्ज पर बनाए गए इस गेम में चारों लड़कियों के बीच कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. इनमें जीतने वाले को ही शिखरवटी का नया राजा चुना जाना है. लेकिन खेल के शुरूआत में ही चारों लड़कियों का अहम एक-दूसरे से टकराने लगता है. वे आपस में लड़ने लगती हैं. ये देखकर राजा नाटक करता है कि उसको गंभीर बीमारी है, उसकी बहुत जल्दी मौत होने वाली है. ऐसे में ये उसकी आखिरी इच्छा है. ये सुनकर उसकी बेटियां गेम खेलने को तैयार हो जाती हैं. इस गेम को कौन जीतता है? कौन शिखरवटी का राजा बनता है? किसे 200 करोड़ का साम्राज्य मिलता है? ये जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी.
Kaun Banegi Shikharwati की समीक्षा
नवोदित लेखिका अनन्या बनर्जी ने गौरव के चावला के साथ वेब सीरीज 'कौन बनेगी शिखरवटी' को निर्देशित किया है. लेखक-निर्देशक ने 10 एपिसोड की इस वेब सीरीज में एक सनकी सम्राट और उसकी चार बेटियों की एक हास्यपूर्ण यात्रा पेश करने की कोशिश की है, जिसमें वो बहुत ज्यादा सफल नहीं दिखे हैं. इसमें एक टूटे हुए परिवार के पुनर्मिलन, एकल अभिभावक की चुनौतियों, एक अकेले पिता को क्षमा करने वाली बेटियों और विस्मयकारी यादों आदि को सहेजा गया है. लेकिन कहानी बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ती है. मसलन, 35 मिनट का पहला एपिसोड केवल पात्रों के परिचय में ही निकल जाता है. कहानी दूसरे एपीसोड से आगे बढ़नी शुरू होती है, लेकिन पांचवें एपीसोड तक जाकर बिखर जाती है. बीच में कई बार ऐसा लगता है कि इसे फॉरवर्ड करके देखा जाए. कहानी में कसावट और चुस्त संपादन की कमी अखरती है. हालांकि, बीच-बीच में ऐसे कई संवाद भी हैं, जो हंसने पर मजबूर करते हैं. आखिरी के कुछ एपिसोड्स में रोमांच पैदा होता है, जो अंत तक बना रहता है.
वेब सीरीज का सेट राजस्थान के रीयल लोकेशन पर लगाया गया था. सिनेमैटोग्राफर लिनेश देसाई ने अपने बेहतरीन छायांकन के जरिए शाही माहौल को प्रभावी ढंग से अपने कैमरे में कैद किया है. अनुराग सैकिया का बैकग्राउंड स्कोर पूरी तरह से कहानी और पटकथा का पूरक है. नताशा दिलीप चरक का कॉस्ट्यूम डिजाइन किरदारों के हिसाब से कलाकारों पर सटीक लगता है. चाहे हमेशा शाही कपड़े पहनने वाली देवयानी हो या साधारण सूती कपड़े पहनने वाली गायत्री हर किरदार को उनके स्वभाव के हिसाब से कास्ट्यूम दिया गया है. 200 करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिक राजा मृत्युंजय सिंह शिखरवटी हमेशा नाइट शूट और ट्रैकशूट में दिखाई देता है. ये कास्ट्यूम भी उसके किरदार की बहुत सटीक व्याख्या करता है. क्योंकि राजा अपनी पत्नी की मौत के बाद से 6 महीने तक महल से बाहर निकला ही नहीं है.
जहां तक कलाकारों के अभिनय प्रदर्शन की बात है, तो सभी ने औसत दर्ज के काम किया है. राजा की सबसे बड़ी बेटी देवयानी के किरदार में लारा दत्ता ने बेहतर करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना सौ फीसदी नहीं दिया है. हालही में उनको अक्षय कुमार की फिल्म बेल बॉटम में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रोल में देखा गया था, जिसकी तारीफ हर किसी ने की थी. उनके पति हर्ष गोयल के किरदार में साइरस साहूकार बहुत ज्यादा नोटिस नहीं हो पाए हैं. इस वेब सीरीज के जरिए ओटीटी डेब्यू करने वाली सोहा अली खान वास्तविक जीवन में रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखती हैं. ऐसे में उनके लिए ये किरदार बहुत मुश्किल नहीं रहा है. उन्होंने इसे बहुत सहज तरीके से किया है. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कामिनी के किरदार में कृतिका कामरा ठीक लगी हैं. मृत्युंजय सिंह शिखरवटी के किरदार में नसीरुद्दीन शाह से जिस तरह के परफॉर्मेंस की उम्मीद थी, वो दिखी नहीं. हां, रघुबीर यादव ने मिश्रा जी के किरदार में जान जरूर डाल दी है. कुल मिलाकर, 'कौन बनेगी शिखरवटी' एक औसत दर्जे की वेब सीरीज है. इसमें बड़े-बड़े नाम देखकर बिल्कुल भी धोखा न खाएं. बहुत ज्यादा समय हो, तो एक बार देख सकते हैं.
iChowk.in रेटिंग: 5 में से 2 स्टार
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.