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Jayashree Ramaiah Suicide: खत्म होती उम्मीदों के बीच फिल्मी सितारों को 'मौत' के सितम से बचाएं कैसे?

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 27 जनवरी, 2021 01:38 PM
  • 27 जनवरी, 2021 01:38 PM
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Jayashree Ramaiah Suicide Case: कन्नड़ एक्ट्रेस जयश्री रमैया ने खुदकुशी कर ली. वह डिप्रेशन से गुजर रही थीं. निराशा, हताशा और असुरक्षा के माहौल में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी कलाकार ने जान दी है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इससे बचा कैसे जाए?

भयंकर निराशा, हताशा, असुरक्षा और अनिश्चितता की वजह से तनाव और डिप्रेशन में डूबी प्रतिभाएं लगातार मौत को गले लगाती जा रही हैं. इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. कन्नड़ एक्ट्रेस और बिग बॉस फेम जयश्री रमैया (Jayashree Ramaiah) ने खुदकुशी कर ली है. वह डिप्रेशन से गुजर रही थीं. बेंगलुरु के एक आश्रम में उनका इलाज चल रहा था. इससे पहले 24 जून 2020 को भी जयश्री ने खुदकुशी की बात कही थी. उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि वह इस दुनिया और अपने डिप्रेशन से तंग आ गई हैं. अपना जीवन खत्म करने के लिए इच्छामृत्यु की मांग कर रही है. उस वक्त साउथ के मशहूर एक्टर किच्चा सुदीप ने उन्हें समझाया. उनकी मदद से जयश्री की सोच पॉजीटिव हो गई. यहां तक फेसबुक पोस्ट तक डिलीट कर दिया.

बिग बॉस फेम जयश्री रमैया ने इच्छामृत्यु की मांग की थी.

डिप्रेशन में रहते हुए जयश्री का खुदकुशी करना कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत से लेकर एक्ट्रेस जिया खान तक कई नाम हमारे सामने हैं. सितारों का यूं जिंदगी से जंग हार जाना हर किसी को हैरान कर देता है. खुदकुशी की हर घटना के साथ ही इस पर चर्चा होती है. डिप्रेशन से निकलने के रास्ते बताए जाते हैं. लेकिन अभी तक इस तरह के मामलों से निजात पाए जाने की दिशा में फिल्म इंडस्ट्री कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी है. अब वक्त आ गया है कि देश की सभी फिल्म इंडस्ट्री को एक साथ एक मंच पर आना चाहिए. इस समस्या के हल की दिशा में मजबूत पहल करनी चाहिए. इसके लिए सबसे बेहतर होगा कि एक कमेटी बनाई जाए, जो इस तरह के मामलों पर पैनी नजर रखे.

लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में मनोचिकित्सक डॉक्टर शांतनु भारती के मुताबिक, बेरोजगारी, ब्रेकअप, घटते स्टारडम और कुछ घरेलू-बाहरी वजहों से कई बार सेलिब्रिटीज डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. डिप्रेशन...

भयंकर निराशा, हताशा, असुरक्षा और अनिश्चितता की वजह से तनाव और डिप्रेशन में डूबी प्रतिभाएं लगातार मौत को गले लगाती जा रही हैं. इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. कन्नड़ एक्ट्रेस और बिग बॉस फेम जयश्री रमैया (Jayashree Ramaiah) ने खुदकुशी कर ली है. वह डिप्रेशन से गुजर रही थीं. बेंगलुरु के एक आश्रम में उनका इलाज चल रहा था. इससे पहले 24 जून 2020 को भी जयश्री ने खुदकुशी की बात कही थी. उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि वह इस दुनिया और अपने डिप्रेशन से तंग आ गई हैं. अपना जीवन खत्म करने के लिए इच्छामृत्यु की मांग कर रही है. उस वक्त साउथ के मशहूर एक्टर किच्चा सुदीप ने उन्हें समझाया. उनकी मदद से जयश्री की सोच पॉजीटिव हो गई. यहां तक फेसबुक पोस्ट तक डिलीट कर दिया.

बिग बॉस फेम जयश्री रमैया ने इच्छामृत्यु की मांग की थी.

डिप्रेशन में रहते हुए जयश्री का खुदकुशी करना कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत से लेकर एक्ट्रेस जिया खान तक कई नाम हमारे सामने हैं. सितारों का यूं जिंदगी से जंग हार जाना हर किसी को हैरान कर देता है. खुदकुशी की हर घटना के साथ ही इस पर चर्चा होती है. डिप्रेशन से निकलने के रास्ते बताए जाते हैं. लेकिन अभी तक इस तरह के मामलों से निजात पाए जाने की दिशा में फिल्म इंडस्ट्री कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी है. अब वक्त आ गया है कि देश की सभी फिल्म इंडस्ट्री को एक साथ एक मंच पर आना चाहिए. इस समस्या के हल की दिशा में मजबूत पहल करनी चाहिए. इसके लिए सबसे बेहतर होगा कि एक कमेटी बनाई जाए, जो इस तरह के मामलों पर पैनी नजर रखे.

लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में मनोचिकित्सक डॉक्टर शांतनु भारती के मुताबिक, बेरोजगारी, ब्रेकअप, घटते स्टारडम और कुछ घरेलू-बाहरी वजहों से कई बार सेलिब्रिटीज डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. डिप्रेशन यानी अवसाद की स्थिति उनमें धीरे-धीरे विकसित होती है. उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि वे इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं. कई बार पता चलता भी है, तो बदनामी के डर से इसे छुपा जाते हैं. ऐसे समय में यदि असवाद से जूझ रहे इंसान को सही तरह से समय दिया जाए और उसकी बात सुनी जाए तो किसी भी अनहोनी को टाला जा सकता है. किसी भी काम में मन न लगना, थकान महसूस करना, नींद आते रहना, बहुत चिड़चिड़ापन, गुस्सा या रोने का मन करना आदि अवसाद के सामान्य लक्षण होते हैं.

डिप्रेशन एक बीमारी है. सही मायने में तो इसका इलाज ही कराया जाना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को खुद पहल करने की जरूरत होती है. आपको याद होगा रणबीर कपूर से ब्रेकअप के बाद दीपिका पादुकोण डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं. उन्होंने खुद अपनी बीमारी के बारे में लोगों को बताया था. दीपिका इस बीमारी से लड़ीं. इलाज कराया. इनदिनों दीपिका डिप्रेशन से निकलने के बाद मुहिम चला रही हैं. फिल्म इंडस्ट्री में पिछले कुछ समय से तनाव और निराशा पर खुलकर बातें होने लगी हैं. अनेक संस्थाएं और मनोरोग विशेषज्ञ भी इस दिशा में कार्यरत हैं. निश्चित ही जागरूकता आई है, लेकिन अब भी तनावग्रस्त व्यक्तियों और व्यापक समाज का रवैया इस समस्या के प्रति बहुत अधिक नहीं बदला है.

भारत में करीब 20 करोड़ लोग हैं मनोरोग के शिकार

देश में हर सात में से एक व्यक्ति किसी न किसी मनोरोग से ग्रस्त है. देश में 15 फीसदी यानी करीब 20 करोड़ लोग तनावग्रस्त या मनोरोग के शिकार हैं. सामान्य जीवन की यह स्थिति है, लेकिन उनके इलाज के मद में भारत सरकार अपने बजट का 1 फीसदी भी खर्च नहीं करती है. मानसिक रोगों को अपने देश में बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता. फिल्म इंडस्ट्री में हर पांच व्यक्ति में से एक व्यक्ति किसी न किसी मनोरोग से पीड़ित मिल जाएगा. भयंकर प्रतिस्पर्धा, बेरोजगारी, अनेदखी और व्यक्तिगत जीवन में चल रही समस्याओं की वजह से कलाकार अवसाद में चले जाते हैं. सुशांत सिंह राजपूत का केस ही देख लीजिए. उन्हें इंडस्ट्री के रसूखदार लोगों की तरफ से लगातार दरकिनार और नजरअंदाज किया जा रहा था.

तिरस्कार, अपमान और विरोध है डिप्रेशन की वजह

सुशांत सिंह राजपूत अपनी लगातार उपेक्षा और सुनियोजित रूप से चलाए जा रहे उनके खिलाफ अभियान से परेशान थे. इस वजह से डिप्रेशन में चले गए. वह डिप्रेशन का इलाज भी करा रहे थे, लेकिन अकेलेपन की वजह से उनका अवसाद इतना गहरा हो गया कि वह जिंदगी की जंग हार गए. फिल्म इंडस्ट्री में तिरस्कार, अपमान और विरोध का ये खेल लंबे समय से चल रहा है, जिसके शिकार आउटसाइडर होते रहते हैं. इरफान खान, मनोज बाजपेयी, आशुतोष राणा, नवाजुद्दीन सिद्दकी और पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकारों को अपनी जगह बनाने में लंबा संघर्ष करना पड़ा. आज भले ही इनके अभिनय की तूती बोलती हो, लेकिन एक वक्त ऐसा था, जब छोटा रोल पाने के लिए भी ये दर-दर भटकते थे.

सुशांत सिंह राजपूत के मौत की गुत्थी आजतक अनसुलझी है.

फाइनेंशियल सिक्योरिटी के साथ काउंसलिंग की जरूरत

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि फिल्म इंडस्ट्री में लगातार हो रहे खुदकुशी के मामलों को रोका कैसे जाए? सामाजिक विश्लेषक दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रो. संजीव कुमार का कहना है कि इसके लिए इंडस्ट्री में एक ऐसी कमेटी बनाई जानी चाहिए, जो कलाकारों की काउंसलिंग के साथ ही उन्हें फाइनेंशियल सिक्योरिटी प्रदान कर सके. ज्यादातार कलाकार अपने प्रोफेशन से जुड़ी किसी समस्या से ही जूझ रहे होते हैं. ऐसे में उनकी काउंसलिंग करके उसका समाधान किया जा सकता है. इतना ही नहीं आर्थिक समस्या से परेशान कलाकारों की मदद करके उनको बचाया जा सकता है. हालही में कोविड के कारण लगे लॉकडाउन से कई कलाकार आर्थिक रूप से परेशान हो गए थे. इसकी वजह से भी कुछ लोगों ने खुदकुशी कर ली थी.

डिप्रेशन की वजह से इन कलाकारों ने गंवाई अपनी जान

खुदकुशी करने वाले कलाकारों में सिर्फ बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत और कन्नड एक्ट्रेस जयश्री का नाम ही शामिल नहीं है. इससे पहले भी कई प्रतिभावान कलाकार असमय काल गाल में समां गए. इस फेहरिस्त में अपने जमाने की मशहूर एक्ट्रेस सिल्क स्मिता, जिया खान, टीवी एक्ट्रेस सेजल शर्मा, प्रत्युषा बनर्जी, शिखा जोशी, कुलजीत रंधावा और टीवी एक्टरक कुशल पंजाबी, राहुल दीक्षित का नाम शामिल है. भारत में सिल्‍क स्मिता के नाम से मशहूर एक्ट्रेस विजयालक्ष्‍मी वाडलापति ने 23 सितंबर 1996 को अपने घर में आत्‍महत्‍या कर ली थी. वह अपनी घटती लोकप्रियता और उपेक्षा की वजह से डिप्रेशन में चली गई थीं. वहीं, जिया खान और प्रत्युषा बनर्जी ने निजी जिंदगी से परेशान होकर मौत को गले लगा लिया.

इन कलाकारों ने डिप्रेशन से किया जमकर मुकाबला

एक तरफ जहां कुछ कलाकारों ने डिप्रेशन की वजह से अपनी जान दे दी, तो वही कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बीमारी से जमकर मुकाबला किया और आज हमारे बीच सफल है. इसमें सबसे पहला नाम आता है बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का. फिल्म इंडस्ट्री में दीपिका पादुकोण उन चंद लोगों में से हैं, जिन्होंने खुले तौर पर अपने डिप्रेशन की बात स्वीकार की थी. इतना ही नहीं उन्होंने इसे लेकर एक मुहिम शुरू कर दी. मशहूर निर्माता-निर्देश करण जौहर, आलिया भट्ट की बहन शाहीन भट्ट, एक्ट्रेस इलियाना डिक्रूज, सिंगर नेहा कक्कड़, टीवी एक्ट्रेस रश्मि देसाई और मॉडल शमा सिकंदर भी अवसाद के शिकार रहे हैं. लेकिन इन्होंने डिप्रेशन से बाहर निकल कर अपने जीवन को एक नई दिशा दी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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