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कंगना रनौत ने उर्मिला मातोंडकर को ‘सॉफ्ट पॉर्न स्टार’ कहकर जीती बाजी हार दी

    • ओम प्रकाश धीरज
    • Updated: 18 सितम्बर, 2020 02:03 PM
  • 18 सितम्बर, 2020 02:02 PM
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कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने उर्मिला मातोंडकर (Urmila Matondkar) को सॉफ्ट पॉर्न एक्ट्रेस कहकर ऐसा विवाद खड़ा कर दिया है. कंगना ने आवेश में आकर जिस तरह से बयानबाजी शुरू कर दी है, उससे पता चल रहा है कि बॉलीवुड माफियाओं (‌Bollywood Mafia) के खिलाफ जो लड़ाई उन्होंने शुरू की थी, उसमें वह हार रही हैं.

बॉलीवुड माफिया, नेपोटिज्म और बॉलीवुड ड्रग गैंग के खिलाफ लगातार हल्ला बोल रहीं कंगना रनौत ने अपने बड़बोलेपन में हदें पार करनी शुरू कर दी है और ये जताने की कोशिशें करने लगी हैं कि पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री उनकी दुश्मन हो गई है. ऐसे में उन्होंने जिस तरह से उर्मिला मातोंडकर को सॉफ्ट पॉर्न एक्ट्रेस कह दिया है, उससे लोग समझने लगे हैं कि कंगना जिस मुहिम को लेकर चल रही हैं, उसके पतन की शुरुआत हो चुकी है. और सच बताऊं तो उत्थान से पतन की यात्रा बेहद आसान है. कैसे, चलिए बताते हैं आपको! आप तो बखूबी समझते हैं कि जब किसी स्टार की फ़िेल्में लगातार फ्लॉप होने लगती है तो उसे ‘बीता हुआ स्टार’ कह दिया जाता है. किसी नेता की पार्टी द्वारा जब जरूरत से ज्यादा वादे कर दिए जाते हैं और उन वादों पर अमल करने की कवायद धीमी पड़ने लगती है तो लोगों को बदलाव की जरूरत महसूस होने लगती है और लोग किसी विकल्प को चुन लेते हैं, ऐसे में वह पार्टी समय के साथ अतीत की बुरी यादें बनकर रह जाती है. इसी तरह कोई एक्टिविस्ट अगर जरूरत से ज्यादा बोलने लगे और आवेश में किसी न किसी पर गैरजरूरी उंगलियां उठाने लगे तो सोच लीजिए कि उसके दिन लदने वाले हैं, क्योंकि क्रांति करने वाले बातों की हवा हवाई से ज्यादा धरातल पर काम करने में विश्वास रखते हैं.

कंगना पिछले काफी समय से एक्टिविस्ट के रूप में दिख रही थीं, जिन्हें लोग रानी लक्ष्मीबाई और न जाने कितने अलंकारों से सुशोभित करने में गर्व कर रही थी. चंडीगढ़ और मुंबई एयरपोर्ट पर जब सुरक्षाकर्मियों से घिरीं कंगना शेरनी की तरह चल रही थीं तो जैसे लाखों लोगों में उम्मीद जग रही थी कि आने वाले समय में कंगना बॉलीवुड माफियाओं की जड़ें हिला देंगी और आउटसाइडर्स की आवाज बनकर फ़िल्म इंडस्ट्री में व्याप्त गंदगी को साफ करेंगी. लेकिन कंगना ने आवेश में आकर जिस तरह से उर्मिला मातोंडकर को सॉफ्ट पॉर्न एक्ट्रेस कहकर विवाद खड़ा कर दिया है और जया बच्चन के खिलाफ तरह-तरह की बातें की हैं, उससे वह एक ऐसी लड़ाई हारती दिख रही है, जिसमें वह लाखों-करोड़ों लोगों का...

बॉलीवुड माफिया, नेपोटिज्म और बॉलीवुड ड्रग गैंग के खिलाफ लगातार हल्ला बोल रहीं कंगना रनौत ने अपने बड़बोलेपन में हदें पार करनी शुरू कर दी है और ये जताने की कोशिशें करने लगी हैं कि पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री उनकी दुश्मन हो गई है. ऐसे में उन्होंने जिस तरह से उर्मिला मातोंडकर को सॉफ्ट पॉर्न एक्ट्रेस कह दिया है, उससे लोग समझने लगे हैं कि कंगना जिस मुहिम को लेकर चल रही हैं, उसके पतन की शुरुआत हो चुकी है. और सच बताऊं तो उत्थान से पतन की यात्रा बेहद आसान है. कैसे, चलिए बताते हैं आपको! आप तो बखूबी समझते हैं कि जब किसी स्टार की फ़िेल्में लगातार फ्लॉप होने लगती है तो उसे ‘बीता हुआ स्टार’ कह दिया जाता है. किसी नेता की पार्टी द्वारा जब जरूरत से ज्यादा वादे कर दिए जाते हैं और उन वादों पर अमल करने की कवायद धीमी पड़ने लगती है तो लोगों को बदलाव की जरूरत महसूस होने लगती है और लोग किसी विकल्प को चुन लेते हैं, ऐसे में वह पार्टी समय के साथ अतीत की बुरी यादें बनकर रह जाती है. इसी तरह कोई एक्टिविस्ट अगर जरूरत से ज्यादा बोलने लगे और आवेश में किसी न किसी पर गैरजरूरी उंगलियां उठाने लगे तो सोच लीजिए कि उसके दिन लदने वाले हैं, क्योंकि क्रांति करने वाले बातों की हवा हवाई से ज्यादा धरातल पर काम करने में विश्वास रखते हैं.

कंगना पिछले काफी समय से एक्टिविस्ट के रूप में दिख रही थीं, जिन्हें लोग रानी लक्ष्मीबाई और न जाने कितने अलंकारों से सुशोभित करने में गर्व कर रही थी. चंडीगढ़ और मुंबई एयरपोर्ट पर जब सुरक्षाकर्मियों से घिरीं कंगना शेरनी की तरह चल रही थीं तो जैसे लाखों लोगों में उम्मीद जग रही थी कि आने वाले समय में कंगना बॉलीवुड माफियाओं की जड़ें हिला देंगी और आउटसाइडर्स की आवाज बनकर फ़िल्म इंडस्ट्री में व्याप्त गंदगी को साफ करेंगी. लेकिन कंगना ने आवेश में आकर जिस तरह से उर्मिला मातोंडकर को सॉफ्ट पॉर्न एक्ट्रेस कहकर विवाद खड़ा कर दिया है और जया बच्चन के खिलाफ तरह-तरह की बातें की हैं, उससे वह एक ऐसी लड़ाई हारती दिख रही है, जिसमें वह लाखों-करोड़ों लोगों का प्रतिनिधित्व करती थीं. लोग उस कंगना पर अब उंगलिया उठाने लगे हैं और कहने लगे हैं कि शायद कंगना अब लोगों से बेवजह खुन्नस निकालने लगी हैं, जिसकी जरूरत ही नहीं थी.

शुरुआत कहां से हुई?

सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच के दौरान जब ड्रग एंगल सामने आया और सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती से होते हुए बॉलीवुड के कई बड़े नाम के ड्रग रैकेट से संबंध की कथित खबरें आई तो फिर बॉलीवुड ड्रग गैंग्स की बातें सामने आने लगीं. कंगना तो पहले से ही बॉलीवुड स्टार्स की ड्रग की लत और फ़िल्म सेलेब्स के नशे में डूबे रहने के बारे में बोलती आ रही हैं. कंगना की मानें तो फ़िल्म इंडस्ट्री के अधिकतर लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं. कंगना ने जो आग भड़काई, वह पल भर में फैल गई. इसके बाद जहां सोशल मीडिया पर लोगों ने बॉलीवुड पर उंगलियां उठानी शुरू कर दी, वहीं बीजेपी सांसद रवि किशन ने संसद में बोल दिया कि जो भी बॉलीवुड में ड्रग्स के कारोबार को बढ़ावा दे रहा है या ड्रग्स के लत में डूब चुका है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. रवि किशन की इन बातों पर हंगामा हो गया और बॉलीवुड में फिर से दो फाड़ हो गया. जहां जया बच्चन ने रवि किशन की आलोचना में यहां तक बोल दिया कि रवि किशन जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं. काफी सारे स्टार्स बॉलीवुड के बचाव में आ गए, वहीं काफी सारे लोगों ने रवि किशन की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि रवि किशन ने सही मुद्दा उठाया है.

उर्मिला मातोंडकर की कंगना को नसीहत

बॉलीवुड के ड्रग माफियाओं के खिलाफ जब सोशल मीडिया पर हंगामा शुरू हो गया तो बॉलीवुड सेलेब्स ने इसे फ़िल्म इंडस्ट्री की अस्मिता से जोड़ते हुए इसके बचाव में आए. इसी कड़ी में उर्मिला मातोंडकर ने कहा कि कंगना जिस फ़िल्म इंडस्ट्री के नशे में डूबने की बात करती हैं, वो ये कैसे भूल गईं कि वह जिस राज्य से आती हैं, वह हिमाचल प्रदेश ड्रग्स का गढ़ है, कंगना को पहले अपने राज्य से ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए. उर्मिला ने कहा कि पूरा देश ड्रग्स की समस्या से ग्रसित है, ऐसे में सिर्फ फ़िल्म इंडस्ट्री को टारगेट करना सही नहीं है. उर्मिला ने कंगना की आलोचना करते हुए कहा कि जिस इंडस्ट्री ने उन्हें पैसा, शोहरत और सारी चीजें दिलाई, आज वह उसी के बारे में भला बुला कह रही हैं और यद बर्दाश्त करने वाली बात नहीं है, क्योंकि कंगना मुंबई के बारे में बुरा बोलकर यहां रहने वालों का अपमान कर रही हैं. उर्मिला मातोंडर ने कंगना को लेकर कई और बातें कहीं, जो नसीहत के तौर पर ज्यादा थी.

कंगना ने तो ये बोलकर सारी हदें पार कर दीं

उर्मिला की ये बातें कंगना को नागवार गुजरी और उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि उर्मिला सॉफ्ट पॉर्न एक्ट्रेस हैं, जिनको दुनिया बेशक एक्टिंग के लिए नहीं जानती हैं. कंगना ने तो यहां तक कह दिया कि ये सब करके जब उर्मिला चुनाव के लिए टिकट ले सकती हैं तो मैं भी चुनावी टिकट हासिल कर सकती हूं. कंगना द्वारा उर्मिला को सॉफ्ट पॉर्न एक्ट्रेस कहने के बाद तो जैसे बवाल मच गया और अनुभव सिन्हा, रामगोपाल वर्मा और स्वरा भास्कर समेत फ़िल्म इंडस्ट्री के ढेरों बड़े-छोटे चेहरों ने कंगना की आलोचना करते हुए उर्मिला के समर्थन में आवाज उठाई. कंगना के इस भद्दे बयान का नुकसान ये हुआ कि जो लोग अब तक कंगना के बड़बोलेपन या निर्भिक बयान का दबी जुबान में या खुलकर समर्थन करते थे, वे कंगना से काफी नाराज हुए. कंगना ने भावावेश में ऐसा कुछ बोल दिया, जिससे उनकी छवि ऐसे शख्स की हो गई जो अपना आपा खो देती है और गुस्से में कुछ भी बोल देती है. खुद उर्मिला मातोंडकर ने कंगना की बातों का जवाब देते हुए कहा कि कंगना की भाषा से पता चलता है कि उनका लहजा क्या है. अगर वह किसी सिलेब्रिटी के ड्रग्स लेने की बात को साबित कर देती हैं तो मैं उनका जरूर समर्थन करूंगी, लेकिन जिस तरह वह खुद को विक्टिम बताते हुए विक्टिम कार्ड खेल रही हैं, इससे उनकी असलियत दुनिया के सामने आ रही है. कंगना पहले क्यों नहीं ये सब बोल रही थीं जो बीते कुछ महीनों में बोल रही हैं.

चिंगारी भड़क रही है...

उल्लेखनीय है कि ड्रग्स के मुद्दे पर फ़िल्म इंडस्ट्री कई हिस्सों में बंट गई है, जहां कुछ लोग इसे बॉलीवुड की अस्मिता के साथ खिलवाड़ समझकर रवि किशन और कंगना रनौत जैसे लोगों का विरोध कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग ड्रग्स को फ़िल्म इंडस्ट्री की कड़वी हकीकत बताकर बॉलीवुड के ड्रग्स गैंग के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और फ़िल्म इंडस्ट्री में सुधार की बात करते हैं. इन सबके बीच सोशल मीडिया पर लोग भी कई गुटों में बंट गए हैं. लेकिन इस वाकये में सबसे ज्यादा नुकसान कंगना रनौत का दिख रहा है, जिनकी अजीबोगरीब बयानबाजी की वजह से लोगों को लगने लगा है कि बॉलीवुड माफियाओं के खिलाफ जिस जंग की उन्होंने शुरुआत की थी, वो मुद्दा भटक गया है और ऐसे में कंगना उनलोगों को टारगेट कर रही है, जो उन्हें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नसीहत देते की कोशिश करते दिखते हैं. बाकी यह लड़ाई कहां तक जाती है और इसका अंजाम क्या होता है, इसपर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं.





इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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