• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

iChowk Web series Review: जुबली

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 07 अप्रिल, 2023 07:32 PM
  • 07 अप्रिल, 2023 07:26 PM
offline
Jubilee Web series Review in Hindi: अपारशक्ति खुराना, प्रोसेनजीत चटर्जी और अदिति राव हैदरी स्टारर 'जुबली' अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है. इस वेब सीरीज में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की त्रासदी के बीच भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर की दास्तान पेश की गई है. सीरीज में सिद्धांत गुप्ता, राम कपूर, वामिका गब्बी और अरुण गोविल भी अहम भूमिका में हैं.

भारतीय सिनेमा का ये मिलाजुला समय चल रहा है. एक तरफ साउथ सिनेमा अपने सबाब पर है, तो दूसरी तरफ हिंदी सिनेमा अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. तेलुगू सिनेमा के नामचीन निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म 'आरआरआर' को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद साउथ सिनेमा ने एक नई लकीर खींच दी है. इसे पार कर पाना बॉलीवुड के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन नजर आ रहा है. लेकिन हिंदी सिनेमा का भी एक दौर था. उस वक्त एक से बढ़कर एक कालजयी सिनेमा का निर्माण हुआ. उस वक्त के सुपर सितारों का स्टारडम भले ही आसमान पर होता था, लेकिन फिल्म मेकर्स उनके जन्मदाता माने जाते थे.

सही मायने में प्रोडक्शन हाउस के मालिकों की ही चलती थी. ऐसे ही एक प्रोडक्शन हाउस बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो का मालकिन देविका रानी थी, जिनको हिंदी सिनेमा की पहली महिला स्टार माना जाता है. बॉम्बे टॉकीज ने कई सुपरस्टार्स को जन्म दिया, जिनमें अशोक कुमार, दिलीप कुमार और किशोर कुमार का नाम प्रमुख है. वो वक्त हिंदी सिनेमा का सबसे सुनहरा दौर था. लेकिन उस दौर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए बंटवारे के बाद की त्रासदी भी देखी थी. उसी दौर की कहानी को समेटे एक वेब सीरीज 'जुबली' ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है. इस वेब सीरीज का निर्देशन विक्रमादित्य मोटवानी ने किया है.

पटकथा और संवाद

वेब सीरीज 'जुबली' में अपारशक्ति खुराना, सिद्धांत गुप्ता, अदिति राव हैदरी, वामिका गब्बी, प्रोसेनजीत चटर्जी, राम कपूर और अरुण गोविल जैसे कलाकार अहम रोल में हैं. इसकी कहानी सौमिक सेन, विक्रमादित्य मोटवानी और अतुल सभरवाल ने मिलकर लिखी है, जो कि इस सीरीज की जान है. पटकथा के साथ संवाद भी ऐसे हो जो कि अपने दौर की कहानी को बखूबी बयां करते हैं. एक तरफ सिनेमाई ग्लैमर तो दूसरी तरफ बंटवारे के बाद हुई त्रासदी से जूझते लोग को मनोदशा को इतनी बारीकी से पेश किया गया है कि लगता ही नहीं है कि ये इस दौर का सिनेमा है. इसके लिए इस सीरीज के निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी बधाई पात्र हैं.

निर्देशन और...

भारतीय सिनेमा का ये मिलाजुला समय चल रहा है. एक तरफ साउथ सिनेमा अपने सबाब पर है, तो दूसरी तरफ हिंदी सिनेमा अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. तेलुगू सिनेमा के नामचीन निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म 'आरआरआर' को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद साउथ सिनेमा ने एक नई लकीर खींच दी है. इसे पार कर पाना बॉलीवुड के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन नजर आ रहा है. लेकिन हिंदी सिनेमा का भी एक दौर था. उस वक्त एक से बढ़कर एक कालजयी सिनेमा का निर्माण हुआ. उस वक्त के सुपर सितारों का स्टारडम भले ही आसमान पर होता था, लेकिन फिल्म मेकर्स उनके जन्मदाता माने जाते थे.

सही मायने में प्रोडक्शन हाउस के मालिकों की ही चलती थी. ऐसे ही एक प्रोडक्शन हाउस बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो का मालकिन देविका रानी थी, जिनको हिंदी सिनेमा की पहली महिला स्टार माना जाता है. बॉम्बे टॉकीज ने कई सुपरस्टार्स को जन्म दिया, जिनमें अशोक कुमार, दिलीप कुमार और किशोर कुमार का नाम प्रमुख है. वो वक्त हिंदी सिनेमा का सबसे सुनहरा दौर था. लेकिन उस दौर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए बंटवारे के बाद की त्रासदी भी देखी थी. उसी दौर की कहानी को समेटे एक वेब सीरीज 'जुबली' ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है. इस वेब सीरीज का निर्देशन विक्रमादित्य मोटवानी ने किया है.

पटकथा और संवाद

वेब सीरीज 'जुबली' में अपारशक्ति खुराना, सिद्धांत गुप्ता, अदिति राव हैदरी, वामिका गब्बी, प्रोसेनजीत चटर्जी, राम कपूर और अरुण गोविल जैसे कलाकार अहम रोल में हैं. इसकी कहानी सौमिक सेन, विक्रमादित्य मोटवानी और अतुल सभरवाल ने मिलकर लिखी है, जो कि इस सीरीज की जान है. पटकथा के साथ संवाद भी ऐसे हो जो कि अपने दौर की कहानी को बखूबी बयां करते हैं. एक तरफ सिनेमाई ग्लैमर तो दूसरी तरफ बंटवारे के बाद हुई त्रासदी से जूझते लोग को मनोदशा को इतनी बारीकी से पेश किया गया है कि लगता ही नहीं है कि ये इस दौर का सिनेमा है. इसके लिए इस सीरीज के निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी बधाई पात्र हैं.

निर्देशन और तकनीक

उड़ान (2010), लूटेरा (2013), ट्रैप्ड (2017) और भावेश जोशी सुपरहीरो (2018) जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले विक्रमादित्य मोटवानी ने ओटीटी की सबसे पहली मशहूर वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स (2018) का निर्देशन किया है. उनके अनुभव का फैलाव व्यापक है, जो कि इस वेब सीरीज में परिलक्षित हो रहा है. उनके साथ तकनीकी टीम ने भी बेहतरीन काम किया है. चाहे वो सिनेमैटोग्राफर प्रतीक शाह या फिर एडीटर आरती बजाज, सबके समवेत प्रयास से ही ये सीरीज उम्दा बन पड़ी है. कॉस्ट्यूम डिजाइनर श्रुत्ति कपूर और आर्ट डायरेक्टर वाही शेख, योगेश बंसोडे, अब्दुल हामिद शेख और प्रीति गोले के शानदार काम की तारीफ भी बनती है.

सीरीज की कहानी कैसी है?

वेब सीरीज 'जुबली' की कहानी 'गुलाम भारत' से शुरू होकर 'आजाद भारत' के एक दशक बाद के समय तक जाती है. इस कहानी के केंद्र में पांच प्रमुख किरदार हैं. श्रीकांत रॉय, सुमित्रा कुमारी, मदन कुमार उर्फ बिनोद दास, जय खन्ना और नीलूफर कुरैशी. देश में आजादी की जंग अपने आखिरी पड़ाव पर थी. उस वक्त मुंबई में स्थित फिल्म निर्माण कंपनी रॉय टाकिज अपने अस्तित्व को बचाने का संघर्ष कर रही थी. स्टूडियो के दो मालिक श्रीकांत रॉय (प्रोसेनजित चटर्जी) और सुमित्रा कुमारी (अदिति राव हैदरी) उसे बचाने के लिए एक सुपरस्टार की तलाश में हैं, जो उनकी नई फिल्म 'संघर्ष' का प्रमुख चेहरा बन सके. ये तलाश जमशेद खान (नंदीश संधू) पर खत्म होती है.

जमशेद खान का स्क्रीन टेस्ट होने के बाद रॉय टाकिज उसके नाम मदन कुमार (फिल्म के किरदार का नाम) का ऐलान कर देता है. सुमित्रा कुमारी उसे लेने के लिए लखनऊ जाती है, लेकिन उसके प्यार में गिरफ्त होकर वही रह जाती है. ये बात श्रीकांत रॉय को पता चलती है, तो वो अपने सबसे वफादार कर्मचारी बिनोद दास ((अपारशक्ति खुराना) को उन दोनों को लाने के लिए लखनऊ भेजता है. बिनोद लखनऊ जाता है, तो उसे पता चलता है कि जमशेद तो कराची जाकर किसी नाटक कंपनी में काम करना चाहता है. इधर उस नाटक कंपनी के मालिक नारायण खन्ना (अरुण गोविल) का बेटा जय खन्ना (सिद्धांत गुप्ता) भी उसे लेने के लिए कराची से लखनऊ पहुंच जाता है. बिनोद दास जमशेद खान को मुंबई आकर रॉय टाकिज के लिए काम करने के लिए मनाने की कोशिश करता है, लेकिन हार जाता है. इधर अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारा हो जाता है.

इस बंटवारे के बाद दोनों मुल्कों में हिंसा फैल जाती है. हर तरफ मारपीट, हत्या और आगजनी होने लगती है. इसी दंगे में जमशेद खान मारा जाता है. बेरंग बिनोद वापस मुंबई आ जाता है. अपने परेशान मालिक श्रीकांत के सामने अपने अभिनय के जौहर का प्रदर्शन करके उसके सामने मदन कुमार के किरदार के लिए अपने नाम की पेशकश करता है. श्रीकांत उसके स्क्रीन टेस्ट से खुश होकर उसे स्टार बनाने का फैसला करता है, लेकिन उसका दोस्त फिल्म फाइनेंसर वालिया (राम कपूर) और उसकी पत्नी इसका विरोध करने लगते हैं. दूसरी तरफ दंगे में कराची स्थित खन्ना की नाटक कंपनी भी तबाह हो जाती है. उसे पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान में शरण लेना पड़ता है. अब यहां प्रमुख सवाल ये है कि क्या बिनोद दास स्टार बन पाएगा, हिंदुस्तान आए खन्ना परिवार का भविष्य क्या होगा, रॉय स्टूडियो क्या अपना अस्तित्व बचा पाएगा? इन सवालों के जवाब जानने के लिए सीरीज देखनी होगी.

कलाकारों का अभिनय प्रदर्शन

किसी भी फिल्म या वेब सीरीज को सफल बनाने में कहानी के बाद सबसे अहम रोल उसके किरदारों के अभिनय प्रदर्शन का होता है. इस मामले में भी ये सीरीज अव्वल है. हर कलाकार अपने किरदार में बिल्कुल फिट बैठता है. कई कलाकारों ने अपनी प्रतिभा के अनुसार शानदार अभिनय किया है, लेकिन कुछ ने चौंकाया भी हैं. इसमें सबसे पहला नाम अपारशक्ति खुराना का है. अभी तक उनकी पहचान आयुष्मान खुराना के भाई के तौर पर होती रही है. लेकिन यकीनन ये कहा जा सकता है कि ये सीरीज उनकी पहचान को बदल देगी. ज्यादातर साइड रोल में नजर आने वाले अपारशक्ति को इसमें केंद्रीय भूमिका निभाने को मिला है, जिसमें वो बखूबी खरे उतरे हैं.

आयुष्मान खुराना का सबसे ज्यादा यदि कोई प्रभावित करता है, तो वो अदिति राव हैदरी हैं. अदिति का एक अलग आभामंडल है. अपने हर किरदार में वो उभर कर सामने आती हैं. इस सीरीज में एक मूक नायिका के उस किरदार में हैं, जो बोलती कम है, लेकिन उसकी आंखें सबकुछ बयां कर देती हैं. एक स्टार एक्ट्रेस, एक प्रेमिका, एक पत्नी, एक विद्रोही महिला और किसी पुरुष को बर्बाद करने के लिए किसी भी हद तक जाने वाली एक महिला के किरदार में उन्होंने जान डाल दी है. नीलूफर कुरैशी के किरदार में वामिका गब्बी ने भी शानदार अभिनय किया है. उनकी मासूमियत मनमोह लेती है. एक वेश्या से एक फिल्म की स्टार एक्ट्रेस बनने तक का सफर उन्होंने खूब जिया है.

इन कलाकारों के अलावा सिद्धांत गुप्ता, प्रोसेनजीत चटर्जी, राम कपूर और अरुण गोविल ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. बस राम कपूर के किरदार वालिया का बार-बार बिना बात गाली देना अखरता है. यदि इस सीरीज में बेवजह गाली गलौच नहीं होती, तो इस फैमिल सीरीज कहा जा सकता था. वैसे भी आजकल गाली को वेब सीरीज का गहना बना दिया गया है या यूं कहे कि समझ लिया गया है, जिसके बिना उसकी सुंदरता अधूरी मानी जाती है. ओटीटी के लिए काम कर रहे है मेकर्स को इस सोच से अब उबरने की जरूरत है. 'पंचायत', 'निर्मल पाठक की घर वापसी' और 'गुल्लक' जैसी वेब सीरीज इस तरह के भ्रम को तोड़ने का काम किया है.

वेब सीरीज देखें या नहीं?

'जुबली' को इस साल रिलीज हुई अब तक की सबसे बेहतरीन सीरीज कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. कहानी, पटकथा, संवाद, अभिनय, निर्देशन, सिनेमैटोग्राफी, एडिटिंग और बैकग्राउंड स्कोर से लेकर हर स्तर पर ये एक बेहतरीन वेब सीरीज बन पड़ी है. यदि आप एक अच्छी सीरीज देखना चाहते हैं, तो 'जुबली' जरूर देखें.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 4 स्टार


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲