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पठान में जॉन भी हैं, कोई पूछ नहीं रहा; टिकट खिड़की पर SRK की फिल्म के 'खटिया खड़ी' होने का संकेत!

    • आईचौक
    • Updated: 28 दिसम्बर, 2022 01:50 PM
  • 28 दिसम्बर, 2022 01:50 PM
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पठान अगले साल रिपब्लिक डे वीक पर रिलीज होने को है. मगर फिल्म के तमाम पहलुओं पर जिस तरह से ठंडा माहौल नजर आ रहा उसका संकेत तो यही है कि बेशरम रंग के साथ ही पठान का गुब्बारा फूट चुका है. आइए जानते हैं आखिर दाल में काला क्या है?

सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में बनी शाहरुख खान की एक और कमबैक फिल्म को लेकर जमीन पर माहौल तो खराब ही कहा जाएगा. फिलहाल का ट्रेंड यही है. पिछले आठ साल में शाहरुख ने कमबैक के करीब-करीब आधा दर्जन प्रयास किए हैं. इसमें अगर रईस को छोड़ दिया जाए तो सबकी सब नंबर लगाकर फ्लॉप हुई हैं और उन्होंने इसके साथ नाकामियों का बेंचमार्क ही बनाया है. यशराज फिल्म्स जिसने शाहरुख को बॉलीवुड में किंग खान का तमगा दिया, अब एक फुलप्रूफ कमबैक की जबरदस्त कोशिश कर रहा है. बावजूद पठान को लेकर जिस तरह विरोध का माहौल बन चुका है- सिनेमघरों में फिल्म के भविष्य को लेकर तमाम अनिश्चय नजर आने लगे हैं. अगर यह नाकाम होती है तो एटली के साथ 'जवान' किंग खान की कमबैक फिल्म बनेगी. या फिर जवान भी नाकाम होती है तो राजकुमार हिरानी की 'डंकी' को उनकी कमबैक फिल्म माना जाएगा.

पठान का पूरी तरह शाहरुख केंद्रित हो जाना भी निर्माताओं के लिए टिकट खिड़की पर एक भयावह खतरे का संकेत माना जा सकता है. असल में पठान के बहाने तमाम (कु) चर्चाओं को देखें तो सिर्फ शाहरुख ही निशाने पर हैं. बावजूद कि पठान एक फिल्म है. उसकी एक कहानी होगी. हीरो होगा. विलेन होंगे. हीरोइन होगी. पठान में कई कलाकार हैं. लेकिन कहीं भी शाहरुख के किरदार, पठान की कहानी, पठान की दूसरी स्टारकास्ट पर चर्चा नहीं हो रही है.

जॉन अब्राहम और शाहरुख खान.

कुल मिलाकर फिल्म के कॉन्टेंट पर कोई बात ही नहीं हो रही. जैसे लोगों को इससे फर्क ही नहीं पड़ता कि फिल्म में कौन-कौन है? कहानी में क्या है? जॉन अब्राहम हैं तो लेकिन सिर्फ पोस्टर पर नजर आ रहे हैं. उन्हें लेकर कोई चर्चा तैयार ही नहीं हो पाई. जबकि वे शाहरुख के अपोजिट मुख्य विलेन हैं. कोई दूसरी फिल्म होती तो जॉन के किरदार की ढेरों चर्चा होती. किसी प्रोजेक्ट को लेकर जमीन पर...

सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में बनी शाहरुख खान की एक और कमबैक फिल्म को लेकर जमीन पर माहौल तो खराब ही कहा जाएगा. फिलहाल का ट्रेंड यही है. पिछले आठ साल में शाहरुख ने कमबैक के करीब-करीब आधा दर्जन प्रयास किए हैं. इसमें अगर रईस को छोड़ दिया जाए तो सबकी सब नंबर लगाकर फ्लॉप हुई हैं और उन्होंने इसके साथ नाकामियों का बेंचमार्क ही बनाया है. यशराज फिल्म्स जिसने शाहरुख को बॉलीवुड में किंग खान का तमगा दिया, अब एक फुलप्रूफ कमबैक की जबरदस्त कोशिश कर रहा है. बावजूद पठान को लेकर जिस तरह विरोध का माहौल बन चुका है- सिनेमघरों में फिल्म के भविष्य को लेकर तमाम अनिश्चय नजर आने लगे हैं. अगर यह नाकाम होती है तो एटली के साथ 'जवान' किंग खान की कमबैक फिल्म बनेगी. या फिर जवान भी नाकाम होती है तो राजकुमार हिरानी की 'डंकी' को उनकी कमबैक फिल्म माना जाएगा.

पठान का पूरी तरह शाहरुख केंद्रित हो जाना भी निर्माताओं के लिए टिकट खिड़की पर एक भयावह खतरे का संकेत माना जा सकता है. असल में पठान के बहाने तमाम (कु) चर्चाओं को देखें तो सिर्फ शाहरुख ही निशाने पर हैं. बावजूद कि पठान एक फिल्म है. उसकी एक कहानी होगी. हीरो होगा. विलेन होंगे. हीरोइन होगी. पठान में कई कलाकार हैं. लेकिन कहीं भी शाहरुख के किरदार, पठान की कहानी, पठान की दूसरी स्टारकास्ट पर चर्चा नहीं हो रही है.

जॉन अब्राहम और शाहरुख खान.

कुल मिलाकर फिल्म के कॉन्टेंट पर कोई बात ही नहीं हो रही. जैसे लोगों को इससे फर्क ही नहीं पड़ता कि फिल्म में कौन-कौन है? कहानी में क्या है? जॉन अब्राहम हैं तो लेकिन सिर्फ पोस्टर पर नजर आ रहे हैं. उन्हें लेकर कोई चर्चा तैयार ही नहीं हो पाई. जबकि वे शाहरुख के अपोजिट मुख्य विलेन हैं. कोई दूसरी फिल्म होती तो जॉन के किरदार की ढेरों चर्चा होती. किसी प्रोजेक्ट को लेकर जमीन पर ऐसी धारणा किसी फिल्म के पक्ष में नहीं मान सकते.

मेकर्स की कोशिश पठान के दूसरे टॉपिक पर भी बात हो, लोग हैं कि ध्यान ही नहीं दे रहे

जबकि पठान के मेकर्स बार-बार कोशिश कर रहे हैं कि जॉन की चर्चा हो. दीपिका की चर्चा हो. पठान के जासूसों की चर्चा हो. निश्चित ही कहानी में देशभक्ति की चासनी भी होगी- पर चर्चा नहीं है. यहां तक कि निर्देशक और फिल्म के क्रू लगातार बात कर रहे हैं बावजूद किसी के कान पर पठान की स्टारकास्ट या स्क्रिप्ट को लेकर जूं तक नहीं रेंग रही. अभी सिद्धार्थ आनंद ने भी कहा- उनकी फिल्म में जॉन अब्राहम एक दमदार किरदार में है. जो किसी भी मामले में शाहरुख से कम नहीं हैं. बल्कि बराबर है. क्या क्सिई ने ध्यान दिया. दीपिका भी संभवत: जासूस के किरदार में ही हैं. उनके करियर में शायद पहली फिल्म होगी जिसे लेकर चर्चा ना के बराबर है.

ये दूसरी बात है कि बेशरम रंग की वजह से उन्हें खूब देखा गया. लेकिन वे आलोचनाओं के केंद्र में भी नहीं नजर आईं. जबकि दीपिका को समकालीन अभिनेत्रियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. पहले भी उनकी कई फिल्मों पर खूब विवाद हुए. बवाल भी मचे, लेकिन एक एक्टर के तौर पर ऐसा नहीं दिखा कि उनकी चर्चा जी ना हुई हो. यह पहली बार है कि पठान जैसी बड़ी फिल्म का हिस्सा होने के बावजूद वह आकर्षण गंवा चुकी दिख रही हैं. इससे कहीं ज्यादा चर्चा तो उनकी पिछली फिल्म गहराइयां के लिए हुई थी. लोगों को दीपिका का काम पसंद आया था. मगर पठान में दीपिका के होने के बावजूद लग ही नहीं रहा कि उनकी कोई फिल्म आ रही है.

बेशरम रंग के साथ ही पठान का गुब्बारा फूट चुका है, लेकिन दाल में काला क्या है?  

शाहरुख ट्विटर पर लगातार फिल्म प्रमोट कर रहे हैं. स्टारकास्ट को चर्चा में लाने की कोशिश भी कर रहे हैं. उनकी कोशिशें भी बेकार दिख रही हैं. राजनीतिक विवाद की वजह से बेशरम रंग को मिली हाइप को छोड़ दें तो फिल्म के और भी गाने रिलीज हुए. किसी ने ध्यान ही नहीं दिया. यह बात भी सोशल मीडिया पर पठान का गुब्बारा फूट जाने के रूप में देखा जा रहा है. कुल मिलाकर अगर देखें तो बात बेशरम रंग से आगे बढ़ती नजर ही नहीं आ रही है. तमाम चर्चाओं के बावजूद निर्माताओं ने क्रिसमस पर फिल्म का ट्रेलर रिलीज नहीं किया. फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होने वाली है. पठान की एडवांस बुकिंग भी नहीं शुरू हुई है. दाल में कुछ काला तो है. तो क्या मान लिया जाए कि बेशरम रंग ने पठान का एजेंडा सेट कर दिया है? क्या यह भी मान लिया जाए कि पठान की पहली और आख़िरी कामयाबी बेशरम रंग थी और अब शाहरुख या यशराज फिल्म्स के लिए चीजें बहुत सकारात्मक नहीं हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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