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Jhund Movie: नागराज मंजुले-अमिताभ बच्चन की जोड़ी से किस तरह की 5 उम्मीदें करनी चाहिए?

    • आईचौक
    • Updated: 21 फरवरी, 2022 01:06 PM
  • 21 फरवरी, 2022 01:06 PM
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किसी फिल्म में नागराज मंजुले और अमिताभ बच्चन का साथ होना मायने रखता है. आइए जानते हैं कि दर्शक सिनेम भारतीय सिनेमा जगत की दो बेजेदो हस्तियों के गठजोड़ में बनी झुंड से किस तरह की पांच उम्मीदें कर सकते हैं.

नागराज मंजुले की बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा झुंड अगले महीने 4 मार्च को रिलीज के लिए तैयार है. हालांकि 4 मार्च को झुंड के सामने बॉक्स ऑफिस पर एक और स्पोर्ट्स ड्रामा होगी- संजय दत्त, राजीव कपूर और मास्टर वरुण की तुलसीदास जूनियर. हालांकि तुलसीदास जूनियर के मुकाबले झुंड कई वजहों से मार्च के पहले हफ्ते में आ रही एक बड़ी फिल्म है. हिंदी में यह नागराज मंजुले की पहली फिल्म होगी. यह भी नागराज पहली बार एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं जिसमें टीसीरीज समेत कई निर्माताओं ने निवेश किया है.

मंजुले की फिल्म झुंड की सबसे ख़ास बात यह भी है कि इसमें सदी के महानायक के रूप में विख्यात अमिताभ बच्चन भी मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म दो साल से बनकर तैयार है. मेकर्स ने फिल्म की रिलीज अनाउंसमेंट भी मगर कोरोना महामारी की वजह से अब तक दो बार इसकी रिलीज टाली जा चुकी हैं. नागराज मंजुले किसी परिचय के मोहताज नहीं है. लेखक, निर्देशक, निर्माता और एक्टर के रूप में छोटे से करियर में उनका काम मील का पत्थर साबित हुआ है. वे भले ही मूल रूप से मराठी में ही सक्रिय रहे लेकिन उनके फिल्मों की संवाद शक्ति इतनी ताकतवर थी कि उसने भाषाओं का बंधन तोड़कर अलग-अलग क्षेत्रों के दर्शकों तक पहुंची और हाथोंहाथ ली गई.

नागराज मंजुले ने अपनी फिल्म मेकिंग में यह भी दिखाया कि फ़िल्में बनाने के लिए पैसे जरूरी हैं पर इतने भी नहीं कि उसके अभाव में फिल्म ही ना बनाई जा सके. अगर किसी में प्रतिभा है तो वह उसका काम खुद बी खुद दर्शकों तक पहुंच जाता है. वैसे तो उन्होंने अब तक कई फ़िल्में अपने बूते बनाई हैं. इनमें प्रमुख रूप से सैराट और फैंड्री उनकी दो ऐसी फ़िल्में हैं जिनसे हिंदी समेत कई भाषाओं के दर्शक भलीभांति परिचित हैं. इन दोनों फिल्मों को मंजुले ने गुमनाम कलाकारों और बहुत कम संसाधनों में बनाई. बावजूद इन्होंने किसी भी बड़ी फिल्म की तुलना में जबरदस्त कामयाबी बटोरी और बिना प्रचार प्रसार के भी व्यापक दर्शक पाने में कामयाब रही.

नागराज मंजुले की बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा झुंड अगले महीने 4 मार्च को रिलीज के लिए तैयार है. हालांकि 4 मार्च को झुंड के सामने बॉक्स ऑफिस पर एक और स्पोर्ट्स ड्रामा होगी- संजय दत्त, राजीव कपूर और मास्टर वरुण की तुलसीदास जूनियर. हालांकि तुलसीदास जूनियर के मुकाबले झुंड कई वजहों से मार्च के पहले हफ्ते में आ रही एक बड़ी फिल्म है. हिंदी में यह नागराज मंजुले की पहली फिल्म होगी. यह भी नागराज पहली बार एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं जिसमें टीसीरीज समेत कई निर्माताओं ने निवेश किया है.

मंजुले की फिल्म झुंड की सबसे ख़ास बात यह भी है कि इसमें सदी के महानायक के रूप में विख्यात अमिताभ बच्चन भी मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म दो साल से बनकर तैयार है. मेकर्स ने फिल्म की रिलीज अनाउंसमेंट भी मगर कोरोना महामारी की वजह से अब तक दो बार इसकी रिलीज टाली जा चुकी हैं. नागराज मंजुले किसी परिचय के मोहताज नहीं है. लेखक, निर्देशक, निर्माता और एक्टर के रूप में छोटे से करियर में उनका काम मील का पत्थर साबित हुआ है. वे भले ही मूल रूप से मराठी में ही सक्रिय रहे लेकिन उनके फिल्मों की संवाद शक्ति इतनी ताकतवर थी कि उसने भाषाओं का बंधन तोड़कर अलग-अलग क्षेत्रों के दर्शकों तक पहुंची और हाथोंहाथ ली गई.

नागराज मंजुले ने अपनी फिल्म मेकिंग में यह भी दिखाया कि फ़िल्में बनाने के लिए पैसे जरूरी हैं पर इतने भी नहीं कि उसके अभाव में फिल्म ही ना बनाई जा सके. अगर किसी में प्रतिभा है तो वह उसका काम खुद बी खुद दर्शकों तक पहुंच जाता है. वैसे तो उन्होंने अब तक कई फ़िल्में अपने बूते बनाई हैं. इनमें प्रमुख रूप से सैराट और फैंड्री उनकी दो ऐसी फ़िल्में हैं जिनसे हिंदी समेत कई भाषाओं के दर्शक भलीभांति परिचित हैं. इन दोनों फिल्मों को मंजुले ने गुमनाम कलाकारों और बहुत कम संसाधनों में बनाई. बावजूद इन्होंने किसी भी बड़ी फिल्म की तुलना में जबरदस्त कामयाबी बटोरी और बिना प्रचार प्रसार के भी व्यापक दर्शक पाने में कामयाब रही.

झुंड में अमिताभ बच्चन अहम भूमिका में हैं.

इन दो फिल्मों की डिमांड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लाखों गैर मराठी दर्शकों तक यह फिल्म पेन ड्राइव और पाइरेटेड डीवीडी कॉपीज के जरिए पहुंची. हिंदी दर्शकों ने किसी दूसरी भाषा की फिल्म को शायद ही कभी इतना खोज-खोजकर देखा हो. सैराट की कामयाबी का असर कुछ ऐसा था कि करण जौहर के प्रोडक्शन ने हिंदी में उसका आधिकारिक रीमेक धड़क बनाया. हालांकि तमाम संसाधनों को खर्च करने के बावजूद वैसी कामयाबी दोहरा नहीं पाए जो मंजुले ने अल्प साधनों से हासिल की थी.  

किसी फिल्म में नागराज मंजुले और अमिताभ बच्चन का साथ होना मायने रखता है. आइए जानते हैं कि दर्शक सिनेम भारतीय सिनेमा जगत की दो बेजेदो हस्तियों के गठजोड़ में बनी झुंड से किस तरह की पांच उम्मीदें कर सकते हैं.

#1. दर्शकों को मिलेगी रोचक और प्रेरक कहानी

झुंड की कहानी विजय बरसे के जीवन पर आधारित है जिन्हें स्लम सॉकर की स्थापना के लिए जाना जाता है. अमिताभ बच्चन उनकी भूमिका निभा रहे हैं. झुंड की कहानी यही है कि प्रतिभा किसी जाति और समाज की मोहताज नहीं. अगर उसे मौके मिले तो कुछ भी कर गुजर सकता है. अमिताभ दलित समाज से आने वाले बच्चों को एकजुट करते हैं. उन्हें फुटबाल के साथ जीवन का एक मकसद देते हैं. मकसद पाते ही बच्चों का असली हुनर बाहर निकलकर आता है.

#2. बॉलीवुड पर लगे आरोप कमजोर होंगे

कमर्शियल फिल्मों को लेकर बॉलीवुड पर आरोप लगते हैं कि वह हमेशा समाज के उच्च वर्ग की कहानियों को ही फोकस करता है. हाल के कुछ सालों में साउथ की फिल्मों के आने के बाद यह आरोप ज्यादा गहरे हुए हैं. और इसके पीछे एक वजह निर्माण निर्देशन में उच्च जाति के फिल्म मेकर्स का होना बताया जाता है. यह बहस बाद की बाद है बावजूद झुंड इन आरोपों को खारिज करती दिख रही है. नागराज खुद दलित समाज से हैं और बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के विचारों से प्रभावित रहे हैं. उनकी फिल्म मेकिंग की अपनी स्टाइल है. उनके सिनेमा पर अंबेडकरी विचारों का असर भी साफ दिखता है. वे जाति के सवाल को बहुत व्यवस्थित तरीके से रखते हैं. वैसे ही जैसे हाशिए का समाज अनुभव करता है. सैराट और फैंड्री जैसी फिल्मों में मंजुले ने जिस तरह से विजातीय प्रेम विवाह और हाशिए के समाज की परेशानियों को आवाज दी, झुंड में भी कुछ कुछ वैसी ही कहानी नजर आ रही है.

#3. झुंड ब्रांड नागराज फिल्म ही होगी

झुंड में नागराज के फिल्म मेकिंग ब्रांड की छाप देखने कोई मिलेगी. फिल्म की स्टारकास्ट से लेकर म्यूजिक तक नागराज की इस फिल्म में भी कलाकार, संगीतकार, गायक उनके पुराने साथी ही है. सैराट और फैंड्री की तमाम स्टारकास्ट झुंड में भी है. आकाश और रिंकू राजगुरु ने सैराट में मुख्य भूमिका निभाई थी. दोनों और तमाम दूसरे कलाकार झुंड में भी नजर आने वाले हैं. अजय-अतुल की जोड़ी के गाने और बैकग्राउंड स्कोर भी है.

#4. गाने मचाएंगे धूम

नागराज के फिल्मों की खासियत उनके गीत संगीत में भी नजर आती है. जो बॉलीवुड फिल्मों के पारंपरिक गानों से हटकर है. सैराट के गानों ने तो तहलका मचा दिया था. अजय अतुल की जोड़ी में झुंड के भी कई गाने इतिहास दोहराते दिख रहे हैं. खासकर आया ये झुंड है और लफड़ा झाला की बीट्स सुनने में बहुत अच्छे लग रहे हैं.

झुंड के गानों को नीचे सुन सकते हैं:-


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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