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RRR की सफलता से क्यों शाहिद कपूर के दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई होगी?

    • आईचौक
    • Updated: 03 अप्रिल, 2022 02:10 PM
  • 03 अप्रिल, 2022 02:10 PM
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शाहिद कपूर की जर्सी इसी महीने 14 अप्रैल को रिलीज होगी. फिल्म KGF 2 के साथ मुश्किल क्लैश में फंसी दिख रही है. जबकि उसके सामने पहले से ही आरआरआर के रूप में एक मजबूत फिल्म होगी.

कोरोना महामारी के बाद भारतीय सिनेमा कारोबार में पहली बार जबरदस्त रौनक दिख रही है. यह वो चमक है जिसे शायद ही सिनेमा उद्योग खोना पसंद करेगा. पहले द कश्मीर फाइल्स और फिर आरआरआर ने कामयाबी के ऐसे बड़े-बड़े कीर्तिमान बना दिए जिन्हें भविष्य में दोहराना किसी भी फिल्म के लिए चुनौतीपूर्ण काम माना जा सकता है. हालांकि इन दोनों फिल्मों की कामयाबी को छोड़ दें, इनकी सफलता ने कई दूसरी फिल्मों को बेतहाशा नुकसान झेलने को भी विवश किया है.

उदाहरण के लिए प्रभास की राधेश्याम, अक्षय कुमार की बच्चन पांडे और जॉन अब्राहम की अटैक अब तक शिकार बन चुकी हैं. जबकि मनचाही कमाई के लिए आलिया भट्ट की गंगूबाई काठियावाड़ी को रुकना पड़ा. किसी ना किसी रूप में और भी फ़िल्में जद में आईं. स्वाभविक रूप से कई निर्माताओं के लिए दोनों फिल्मों का सिनेमाघरों में मजबूत बने रहना घाटे का सौदा साबित हुआ है. स्वाभाविक है कि कोरोना के बाद के दौर में पॉलिटिकल ट्रेंड, पब्लिक मैंडेट और बॉक्स ऑफिस का रुझान से जर्सी के निर्माताओं और शाहिद कपूर की रातों की नींद उड़ी होगी.

शाहिद कपूर.

यह स्वाभाविक भी है. असल में शाहिद कपूर की जर्सी ही क्यों, कोई भी निर्माता फिल्मों में बड़ा निवेश का जोखिम मुनाफा कमाने के लिए ही करता है. और रिलीज से पहले हर एक फिल्म असल में जोखिम का सौदा ही है. मनोरंजक फिल्म भी चल जाएगी इसकी भी गारंटी नहीं. ऊपर बच्चन पांडे के उदाहरण से समझना मुश्किल नहीं कि कैसे द कश्मीर फाइल्स के पक्ष में उठे भावनाओं के ज्वार ने अक्षय कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड खराब कर दिया. जहां तक बात बॉक्स ऑफिस ट्रेंड और साउथ रीमेक ड्रामा जर्सी की है- उसके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं.

शाहिद कपूर, मृणाल ठाकुर और पंकज कपूर की भूमिकाओं से सजी जर्सी 14 अप्रैल को आ रही है. इसी दिन यश की पैन...

कोरोना महामारी के बाद भारतीय सिनेमा कारोबार में पहली बार जबरदस्त रौनक दिख रही है. यह वो चमक है जिसे शायद ही सिनेमा उद्योग खोना पसंद करेगा. पहले द कश्मीर फाइल्स और फिर आरआरआर ने कामयाबी के ऐसे बड़े-बड़े कीर्तिमान बना दिए जिन्हें भविष्य में दोहराना किसी भी फिल्म के लिए चुनौतीपूर्ण काम माना जा सकता है. हालांकि इन दोनों फिल्मों की कामयाबी को छोड़ दें, इनकी सफलता ने कई दूसरी फिल्मों को बेतहाशा नुकसान झेलने को भी विवश किया है.

उदाहरण के लिए प्रभास की राधेश्याम, अक्षय कुमार की बच्चन पांडे और जॉन अब्राहम की अटैक अब तक शिकार बन चुकी हैं. जबकि मनचाही कमाई के लिए आलिया भट्ट की गंगूबाई काठियावाड़ी को रुकना पड़ा. किसी ना किसी रूप में और भी फ़िल्में जद में आईं. स्वाभविक रूप से कई निर्माताओं के लिए दोनों फिल्मों का सिनेमाघरों में मजबूत बने रहना घाटे का सौदा साबित हुआ है. स्वाभाविक है कि कोरोना के बाद के दौर में पॉलिटिकल ट्रेंड, पब्लिक मैंडेट और बॉक्स ऑफिस का रुझान से जर्सी के निर्माताओं और शाहिद कपूर की रातों की नींद उड़ी होगी.

शाहिद कपूर.

यह स्वाभाविक भी है. असल में शाहिद कपूर की जर्सी ही क्यों, कोई भी निर्माता फिल्मों में बड़ा निवेश का जोखिम मुनाफा कमाने के लिए ही करता है. और रिलीज से पहले हर एक फिल्म असल में जोखिम का सौदा ही है. मनोरंजक फिल्म भी चल जाएगी इसकी भी गारंटी नहीं. ऊपर बच्चन पांडे के उदाहरण से समझना मुश्किल नहीं कि कैसे द कश्मीर फाइल्स के पक्ष में उठे भावनाओं के ज्वार ने अक्षय कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड खराब कर दिया. जहां तक बात बॉक्स ऑफिस ट्रेंड और साउथ रीमेक ड्रामा जर्सी की है- उसके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं.

शाहिद कपूर, मृणाल ठाकुर और पंकज कपूर की भूमिकाओं से सजी जर्सी 14 अप्रैल को आ रही है. इसी दिन यश की पैन इंडिया केजीएफ 2 आ रही है. केजीएफ के पहले पार्ट ने हिंदी में बिना किसी तामझाम के बेहतरीन कमाई की थी. इस बार हिंदी बेल्ट में इसे व्यापक रूप से लाने की तैयारी है.

1) जर्सी की पहली चुनौती तो क्लैश ही है

शाहिद कपूर की पहली चुनौती तो केजीएफ 2 के साथ क्लैश ही है.  केजीएफ 2 मास एंटरटेनर है. पहले तो मसाला एंटरटेनर के सामने एक स्पोर्ट्स ड्रामा को ऑडियंस खींचने में बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी.  केजीएफ 2 का ट्रेलर जिस तरह साउथ में बवाल मचा रहा है उसे धीरे-धीरे नॉर्थ भी महसूस करने लगा है. साउथ की सभी भाषाओं में ट्रेलर ने माहौल बना दिया है. उसे सोशल मीडिया और वहां की मीडिया रिपोर्टिंग में महसूस किया जा सकता है. जबकि जर्सी को लेकर हिंदी पट्टी में वैसा शोर बिल्कुल नहीं दिख रहा है. शाहिद की जर्सी के लिए केजीएफ वैसी ही फिल्म साबित हो सकती है जैसे जॉन अब्राहम की अटैक के लिए आरआरआर दिख रही है इस वक्त.

केजीएफ चैप्टर 2

2) आरआरआर का सिनेमाघरों में मौजूद रहा

शाहिद कपूर की फिल्म के लिए दूसरी बड़ी दिक्कत होगी आरआरआर का सिनेमाघरों में मौजूद रहना. अभी फिल्म का दूसरा हफ्ता है. जर्सी की रिलीज के वक्त आरआरआर का चौथा हफ्ता होगा और ट्रेंड बताने के लिए पर्याप्त हैं कि पहले केजीएफ 2 और फिर आरआरआर की मौजूदगी में जर्सी को दर्शक जुटाने में काफी मशक्कत करनी होगी. फिल्म को मनचाहे तरीके से स्क्रीन और शो केसिंग भी पाने में मुश्किल का समाना करना पड़ेगा.

3) मूल जर्सी की लोकप्रियता से भी नुकसान

शाहिद को इस चीज के लिए बहुत परेशान होना चाहिए कि वो जिस फिल्म की रीमेक लेकर आ रहे हैं दर्शकों ने बहुत पहले ही मूल फिल्म देख ली है. कहानी लगभग वही है. नानी स्टारर जर्सी शायद साउथ की इकलौती फिल्म हो- बॉलीवुड में जिसका रीमेक बनने से पहले ही हिंदी दर्शकों ने उसे देख लिया है. फिल्म को टीवी पर प्रीमियर किया जा चुका है और इसे खूब पसंद किया गया. यहां तक कि इसे टीवी पर कई मर्तबा दिखाया जा चुका है. अब जब लोगों ने पहले ही फिल्म देख ली है तो भला उस कहानी को दोबारा देखने में उनकी क्या दिलचस्पी होनी चाहिए वह भी तब जब सिनेमाघरों में उनके लिए बेहतर विकल्प मौजूद है. सिवाय इसके कि जर्सी को थोड़ा बहुत फेरबदल और फ्रेश स्टारकास्ट के साथ बनाया गया है.

कुल मिलाकर शाहिद के लिए चुनौतियां बड़ी हैं. बॉक्स ऑफिस पर जर्सी कैसे इनसे पार पाती है यह देखना दिलचस्प होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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