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झुंड में अमिताभ बच्चन जैसे दिख रहे हैं, क्या दलित कहानियों का नायक वैसा ही असहाय-भावुक होता है?

    • आईचौक
    • Updated: 25 फरवरी, 2022 05:52 PM
  • 25 फरवरी, 2022 05:52 PM
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झुंड (Jhund) में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की मुख्य भूमिका है. हालांकि वे सहयोगी कलाकारों की तुलना में बहुत सामान्य नजर आ रहे हैं. 4 मार्च को रिलीज हो रही फिल्म का ट्रेलर आज ही सामने आया है.

नागराज मंजुले के निर्देशन में बनी बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा झुंड का ट्रेलर आ चुका है. झुंड में अमिताभ बच्चन, विजय बरसे की भूमिका निभा रहे हैं जिन्हें स्लम सॉकर के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. फिल्म की कहानी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. विजय ने नागपुर के हिस्लोप कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर के रूप में उल्लेखनीय कार्य किया था. उनकी कहानी इससे पहले टीवी पर प्रसारित आमिर खान के चर्चित शो सत्यमेव जयते में भी दिखाई जा चुकी है. अब नागराज ने उनके समूचे जीवन को फिल्म का विषय बनाया है.

विजय ने साल 2001 में नागपुर में कार्य करने के दौरान ही झुग्गी के आवारा समझे जाने वाले बच्चों को फ़ुटबाल का प्रशिक्षण दिया. ऐसे बच्चे जो जातीय क्रम में सबसे निचले पायदान से आते हैं. हालांकि जब उन्होंने यह काम शुरू किया था उन्हें अपने कॉलेज से भी बहुत प्रोत्साहन नहीं मिला था. नागराज मंजुले को वैचारिक फिल्मों के लिए जाना जाता है. अभी तक उन्होंने मराठी में फ़िल्में बनाई. सैराट और फैंड्री उल्लेखनीय है- जिसमें जातीय रूप से समाज के सबसे निचले निचले क्रम पर मौजूद समाज की निजी जातीय पीड़ा को आवाज मिली है. झुंड की कहानी भी उसी पिच पर नजर आ रही है.

झुंड में अमिताभ बच्चन.

नागराज की फिल्म में फ्रेश तो नहीं दिख रहे अमिताभ

झुंड का ट्रेलर पहली नजर में असरदार कहा जा सकता है. झुंड का स्कोर और म्यूजिक भी झन्नाटेदार है जो पहले ही सामने आ चुका था. फिल्म में दर्जनभर से ज्यादा कलाकार नजर आ रहे हैं. नागराज ने सैराट की मुख्य स्टारकास्ट से रिंकू राजगुरु और आकाश तोशार को अहम भूमिकाओं में रिपीट किया है. गणेश देशमुख और विक्की जैसे कई दूसरे कलाकार भी बड़ी भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं मगर आकर्षण के केंद्र में अमिताभ बच्चन ही हैं. ये दूसरी बात है कि अमिताभ की भूमिका...

नागराज मंजुले के निर्देशन में बनी बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स ड्रामा झुंड का ट्रेलर आ चुका है. झुंड में अमिताभ बच्चन, विजय बरसे की भूमिका निभा रहे हैं जिन्हें स्लम सॉकर के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. फिल्म की कहानी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. विजय ने नागपुर के हिस्लोप कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर के रूप में उल्लेखनीय कार्य किया था. उनकी कहानी इससे पहले टीवी पर प्रसारित आमिर खान के चर्चित शो सत्यमेव जयते में भी दिखाई जा चुकी है. अब नागराज ने उनके समूचे जीवन को फिल्म का विषय बनाया है.

विजय ने साल 2001 में नागपुर में कार्य करने के दौरान ही झुग्गी के आवारा समझे जाने वाले बच्चों को फ़ुटबाल का प्रशिक्षण दिया. ऐसे बच्चे जो जातीय क्रम में सबसे निचले पायदान से आते हैं. हालांकि जब उन्होंने यह काम शुरू किया था उन्हें अपने कॉलेज से भी बहुत प्रोत्साहन नहीं मिला था. नागराज मंजुले को वैचारिक फिल्मों के लिए जाना जाता है. अभी तक उन्होंने मराठी में फ़िल्में बनाई. सैराट और फैंड्री उल्लेखनीय है- जिसमें जातीय रूप से समाज के सबसे निचले निचले क्रम पर मौजूद समाज की निजी जातीय पीड़ा को आवाज मिली है. झुंड की कहानी भी उसी पिच पर नजर आ रही है.

झुंड में अमिताभ बच्चन.

नागराज की फिल्म में फ्रेश तो नहीं दिख रहे अमिताभ

झुंड का ट्रेलर पहली नजर में असरदार कहा जा सकता है. झुंड का स्कोर और म्यूजिक भी झन्नाटेदार है जो पहले ही सामने आ चुका था. फिल्म में दर्जनभर से ज्यादा कलाकार नजर आ रहे हैं. नागराज ने सैराट की मुख्य स्टारकास्ट से रिंकू राजगुरु और आकाश तोशार को अहम भूमिकाओं में रिपीट किया है. गणेश देशमुख और विक्की जैसे कई दूसरे कलाकार भी बड़ी भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं मगर आकर्षण के केंद्र में अमिताभ बच्चन ही हैं. ये दूसरी बात है कि अमिताभ की भूमिका दूसरे सहयोगी कलाकारों के मुकाबले बहुत फ्रेश नजर नहीं आ रही है. कम से कम ट्रेलर में तो यही दिख रहा है. झुंड के लिए अमिताभ की कोई अलग तैयारी नहीं दिख रही. उनका मुस्कुराना, बैठना, भावुक होना, कमर पर हाथ रखना, बच्चों से लाड से बात करने आदि के अंदाज में विजय बरसे के मुकाबले अमिताभ बच्चन ज्यादा नजर आ रहे हैं.

जबकि नागराज की फिल्मों के किरदार बहुत असरदार और चटक दिखते हैं. नागराज जिस तरह के विषय चुनते हैं उनमें किरदारों के उभरने की गुंजाइश की जाती है. अमिताभ के भी किरदार से कुछ इसी तरह की गुंजाइश थी. बावजूद ट्रेलर में लुक से लेकर अभिनय तक महानायक खुद के फ्रेम से बाहर तो नजर नहीं आ रहे. खासकर कॉमिक और भावुक सीन्स में उन्हें देखना. झुंड की कहानी एक व्यक्ति और उसकी बनाई टीम के फौलादी इरादों की दास्तां है. एक ऐसे नायक की कहानी जिसे अपने मकसद के लिए सिस्टम-समाज हर जगह संघर्ष करना पड़ा होगा. करीब 3 मिनट लंबे ट्रेलर में विजय बरसे की भूमिका में अमिताभ के चेहरे पर कहीं भी उस संघर्ष की झलक तक नहीं दिखी. भावुक सीन्स में अमिताभ टाइप्ड हैं.

झुंड का ट्रेलर नीचे देख सकते हैं:-

झुंड प्रेरक करने वाली कहानी है. दलित कहानियों का नायक वैसे भी संघर्ष की भावना से लबरेज दिखता है और प्रेरित करता है. भले ही वह कमजोर क्यों ना हो और हालात उसके खिलाफ ही हों. नागराज की फिल्म होने से अपेक्षा की जाती है कि अमिताभ का किरदार परदे पर महानायक की तरह उभरेगा. हालांकि वह ट्रेलर में हालात से मजबूर होकर रोता-सिसकता नजर आ रहा है. दलित कहानियों के नायक हालात पर रोते नहीं उससे संघर्ष करते हैं. फिल्म का विषय जिस हिसाब से है उसमें अमिताभ को भावुक देखना अखरता है. खैर यह आगे फिल्म में देखने वाली बात होगी कि आखिर अमिताभ किन परिस्थितियों में भावुक हो जाते हैं. लेकिन जहां तक परफोर्मेंस की बात है ट्रेलर में दूसरे सपोर्टिंग आर्टिस्ट विषय के हिसाब से ज्यादा मौलिक और ताजे नजर आ रहे हैं. जबकि तमाम चेहरे पहचाने भी नहीं हैं.

झुंड अगले महीने 4 मार्च को रिलीज होगी. फिल्म की रिलीज पर महामारी ने बहुत बुरा असर डाला. यह फिल्म काफी पहले से बनकर तैयार थी. अब जाकर सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. झुंड साल 2022 में रिलीज हो रही अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म है. झुंड के कुछ गाने खूब लोकप्रिय हो रहे हैं. खासकर 'लफड़ा झाला' और 'आया ये झुंड' की धुन लुभाने वाली है.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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