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International Kissing Day: बॉलीवुड के सबसे पहले किसिंग सीन की रोचक दास्तान!

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 06 जुलाई, 2021 08:37 PM
  • 06 जुलाई, 2021 08:37 PM
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एक जमाना था जब बॉलीवुड फिल्मों में अंतरंग दृश्यों जैसे 'किसिंग सीन' या 'बेडरूम सीन' के वक्त रोमांस को दो फूलों या पक्षी के जोड़ों के जरिए रुपहले पर्दे पर पेश किया जाता था, लेकिन आज हर फिल्म में 'किसिंग सीन' एक जरूरत बन चुका है. 'किस' करना एक्टर-एक्ट्रेस के लिए मजबूरी बन चुकी है.

'किस' यानि चुंबन प्रेम को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है. यह कई तरह का हो सकता है. यह मधुर हो सकता है, कामुक हो सकता है, रोमांटिक हो सकता है और अश्लील भी हो सकता है. लेकिन इन सभी में एक बात कॉमन ये है कि यह अंतरंग होता है. एक वक्त था जब फिल्मों में अंतरंग दृश्यों जैसे 'किसिंग सीन' या 'बेडरूम सीन' के वक्त रोमांस को दो फूलों या पक्षी के जोड़ों के जरिए रुपहले पर्दे पर पेश किया जाता था, लेकिन आज हर फिल्म में 'किसिंग सीन' एक जरूरत बन चुका है. किसी फिल्म को बनाने के फार्मूले में किसिंग और इंटीमेट सीन जरूर शामिल रहता है.

'किसिंग सीन' को लेकर फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों के साथ-साथ दर्शक भी सहज हो चुके हैं. हालांकि कुछ सीन्स पर अभी भी सेंसर बोर्ड की कैंची चल जाती है. आज International Kissing Day है. ऐसे मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भारतीय सिने इतिहास के सबसे पहले किसिंग सीन के बारे में जो आजादी से पहले शूट हुआ था. साल 1933 में एक फिल्म आई थी 'कर्मा', इसमें मशहूर अदाकारा देविका रानी ने अपने पति हिमांशु राय के साथ चार मिनट लम्बा किसिंग सीन शूट किया था. रूढ़िवादी भारत में उस वक्त रुपहले पर्दे पर इस दृश्य को देखकर हंगामा मच गया था.

देविका रानी ने ही दिलीप कुमार जैसे कोहीनूर से फिल्म इंडस्ट्री का परिचय कराया था.

देविका रानी को हिंदी फिल्मों की पहली नायिका के तौर पर देखा जाता है. फिल्म 'कर्मा' से अपने करियर की शुरूआत करने वाली इस अदाकारा ने उस दौर में अपने बोल्ड अंदाज से धमाका मचा दिया था. भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने अपने बलबूते अलग पहचान बनाई थी. साल 1930-1940 के दौरान फिल्म इंडस्ट्री में आधुनिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया. वो पहली सफल अभिनेत्री थी, जिनको दादा साहेब फाल्के और पद्म श्री अवॉर्ड मिला था. साल 1929 में...

'किस' यानि चुंबन प्रेम को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है. यह कई तरह का हो सकता है. यह मधुर हो सकता है, कामुक हो सकता है, रोमांटिक हो सकता है और अश्लील भी हो सकता है. लेकिन इन सभी में एक बात कॉमन ये है कि यह अंतरंग होता है. एक वक्त था जब फिल्मों में अंतरंग दृश्यों जैसे 'किसिंग सीन' या 'बेडरूम सीन' के वक्त रोमांस को दो फूलों या पक्षी के जोड़ों के जरिए रुपहले पर्दे पर पेश किया जाता था, लेकिन आज हर फिल्म में 'किसिंग सीन' एक जरूरत बन चुका है. किसी फिल्म को बनाने के फार्मूले में किसिंग और इंटीमेट सीन जरूर शामिल रहता है.

'किसिंग सीन' को लेकर फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों के साथ-साथ दर्शक भी सहज हो चुके हैं. हालांकि कुछ सीन्स पर अभी भी सेंसर बोर्ड की कैंची चल जाती है. आज International Kissing Day है. ऐसे मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भारतीय सिने इतिहास के सबसे पहले किसिंग सीन के बारे में जो आजादी से पहले शूट हुआ था. साल 1933 में एक फिल्म आई थी 'कर्मा', इसमें मशहूर अदाकारा देविका रानी ने अपने पति हिमांशु राय के साथ चार मिनट लम्बा किसिंग सीन शूट किया था. रूढ़िवादी भारत में उस वक्त रुपहले पर्दे पर इस दृश्य को देखकर हंगामा मच गया था.

देविका रानी ने ही दिलीप कुमार जैसे कोहीनूर से फिल्म इंडस्ट्री का परिचय कराया था.

देविका रानी को हिंदी फिल्मों की पहली नायिका के तौर पर देखा जाता है. फिल्म 'कर्मा' से अपने करियर की शुरूआत करने वाली इस अदाकारा ने उस दौर में अपने बोल्ड अंदाज से धमाका मचा दिया था. भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने अपने बलबूते अलग पहचान बनाई थी. साल 1930-1940 के दौरान फिल्म इंडस्ट्री में आधुनिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया. वो पहली सफल अभिनेत्री थी, जिनको दादा साहेब फाल्के और पद्म श्री अवॉर्ड मिला था. साल 1929 में उन्होंने इंडियन फिल्म प्रोडयूसर हिमांशू राय से शादी की थी. दोनों दुनिया की नजरों में किसी गोल्डन कपल से कम नहीं थे.

सबसे लंबे किसिंग सीन का है रिकॉर्ड

साल 1933 में हिमांशु राय के प्रोडक्शन में बनी फिल्म 'कर्मा' किसी भारतीय द्वारा बनाई गई पहली अंग्रेजी टॉकी थी. इसमें हिमांशु और देविका लीड एक्टर-एक्ट्रेस थीं. इस फिल्म के नाम पर एक बहुत बड़ा विवाद और रिकॉर्ड दोनों है. यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिसमें किसिंग सीन फिल्माया गया था. दिलचस्प बात यह है कि हिमांशु राय और देविका रानी द्वारा दिए गए इस किसिंग सीन की टाइमिंग 4 मिनट थी, जो करीब 90 साल बाद भी हिंदी सिनेमा में एक रिकॉर्ड है. इसे लेकर उस वक्त अपने देश में बहुत विवाद हुआ था. इतना ही नहीं देविका रानी की खूब आलोचना की गई थी.

किसिंग को बताया फिल्म की जरूरत

दरअसल, उन दिनों आम लोग फिल्म दुनिया से जुड़े हुए लोगों को सम्मान की नजर से नहीं देखते थे. भारतीय समाज की मर्यादा को बरकरार रखते हुए फिल्मों में प्रेम दृश्य पर्दे से नदारद रहते थे. ये वो वक्त था जब किसिंग सीन को प्रतीकात्मक चीजों से जोड़कर फिल्माया जाता था. लेकिन देविका ने सभी को चौंका दिया था. अपनी आलोचना का जवाब देते हुए देविका रानी ने कहा था कि वे सीन फिल्म की डिमांड थी. इस सीन में नायक बेहोश है. उसे होश में लाने के लिए नायिका को उसके होठों को चूसना पड़ता है. इस फिल्म के बाद ही देविका रानी ने हिमांशु राय से शादी कर ली थी.

सीन के लिए बॉडी डबल का प्रयोग

वैसे रूपहले पर्दे पर आज जितनी आसानी से किसिंग सीन दिखाया जाता है और उसे शूट किया जाता है, उतना एक दशक पहले आसान नहीं था. तब अभिनेत्रियां बहुत मुश्किल से किसिंग सीन शूट करने के लिए तैयार होती थी. चूंकि फिल्मों के चुंबन दृश्यों को दर्शक पैसा वसूल मानते रहे हैं, इसलिए धीरे-धीरे मेकर्स के लिए ये मजबूरी बनती चली गई. फिल्मों के अधिकांश किसिंग सीन रियल में फिल्माए जाते हैं. लेकिन यदि कोई अभिनेता या अभिनेत्री ऐसे सीन देने में आपत्ति करते हैं, तो मेकर्स इसके लिए बॉडी डबल का भी प्रयोग भी करते हैं. ऐसे में कहानी की डिमांड पर दूसरे तरीके से पूरी होती है.

किसिंग सीन का एक रोचक किस्सा

इससे जुड़ा एक बहुत रोचक किस्सा भी प्रचलित है. बात उनदिनों की है, डायरेक्टर सूरज बड़जात्या फिल्म 'मैंने प्यार किया' की शूटिंग कर रहे थे. इसमें सलमान खान और भाग्यश्री लीड रोल में थे. इन दोनों के बीच एक किसिंग सीन फिल्माया जाना था. लेकिन सलामन और भाग्यश्री ने एक-दूसरे को किस करने से मना कर दिया. इसके बाद परेशान सूरज बड़जात्या ने एक तरकीब निकाली. उन्होंने सलमान और भाग्यश्री के बीच एक शीशा लगा दिया. दोनों ने उस शीशे को किस किया. इस तरह बिना एक-दूसरे को किस किए सीन शूट हो गया. इस तरह कई अन्य फिल्मों में भी ऐसे प्रयोग किए गए.

वीडियो में देखिए भारतीय सिने इतिहास के सबसे पहले किसिंग सीन को...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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