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हिंदी बेल्ट में साउथ सिनेमा की क्रांति रातों-रात नहीं हुई, तीन दशक की क्रोनोलॉजी समझिए

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 21 अप्रिल, 2022 07:28 PM
  • 21 अप्रिल, 2022 07:28 PM
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पहले केबल टीवी के जमाने में अपनी हिंदी डब फिल्मों की जरिए हिंदी बेल्ट के हर घर में अपनी जगह बनाने वाले साउथ सिनेमा ने रीमेक फिल्मों के जरिए लोगों के मुंह में स्वाद लगा दिया. उसके बाद पैन इंडिया फिल्मों के जरिए सीधे हिंदी मार्केट में उतर गए. देखा जाए तो ये यात्रा इतनी आसान नहीं रही है. इसके लिए तीन दशक का लंबा समय लगा है.

साउथ सिनेमा की सुनामी से हर कोई हैरान है. एक के बाद एक साउथ की फिल्में रिलीज हो रही हैं और बॉक्स ऑफिस पर कमाई के नित नए रिकॉर्ड बना रही हैं. पहले अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा: द राइज' ने तहलका मचाया, फिर एसएस राजामौली की फिल्म 'आरआरआर' ने बॉक्स ऑफिस पर तूफान ला दिया. इसके बाद प्रशांत नील के निर्देशन में बनी रॉकिंग स्टार यश की फिल्म 'केजीएफ चैप्टर 2' ओपनिंग वीकेंड में ही 30 नए रिकॉर्ड बना डाले. तेजी से कमाई करने वाली पहली पैन इंडिया फिल्म बनने के साथ ही हिंदी बेल्ट में ओपनिंग डे पर सर्वाधिक कमाई का रिकॉर्ड भी बना डाला. इसी बीच नंदामुरी बालकृष्ण की फिल्म 'अखंडा', धनुष की 'कर्णन', सूर्या की 'जय भीम', रवि तेजा की 'खिलाड़ी', अजिथ की 'वलिमै' और थलपति विजय की 'मास्टर' और 'बीस्ट' रिलीज हुईं, जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया. देखा जाए, तो पिछले पांच साल से साउथ की फिल्में लगातार धमाका कर रही हैं.

साउथ सिनेमा की इस क्रांति से हर कोई हैरान है. लोगों को लग रहा है कि सबकुछ बहुत कम समय में आसानी से हो गया है. लेकिन लोगों को पता नहीं है कि साउथ सिनेमा के पैन इंडिया उदय के पीछे तीन दशक का लंबा वक्त लगा है. इतिहास गवाह रहा है कि कोई भी बड़ी घटना रातों-रात नहीं हुई है. चाहे वो आजादी की लड़ाई हो या फिर विश्व युद्ध. किसी भी घटना के पीछे एक लंबी प्रक्रिया होती है. पैन इंडिया स्तर पर साउथ सिनेमा की सफलता की क्रोनोलॉजी समझने के लिए इसे तीन चरणों में बांटा जा सकता है. पहला चरण, जब केबल टीवी के जरिए साउथ सिनेमा की हिंदी डब फिल्में हिंदी बेल्ट में अपनी जगह बना रही थीं. दूसरा चरण, जब बॉलीवुड धड़ाधड़ साउथ की सफल फिल्मों का हिंदी रीमेक कर रहा था, जिसके जरिए साउथ सिनेमा का स्वाद दर्शकों को लगा. तीसरा चरण, जब उचित मौका देखकर साउथ के फिल्म मेकर्स ने अपनी फिल्मों को पैन इंडिया रिलीज कर दिया.

साउथ सिनेमा की सुनामी से हर कोई हैरान है. एक के बाद एक साउथ की फिल्में रिलीज हो रही हैं और बॉक्स ऑफिस पर कमाई के नित नए रिकॉर्ड बना रही हैं. पहले अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा: द राइज' ने तहलका मचाया, फिर एसएस राजामौली की फिल्म 'आरआरआर' ने बॉक्स ऑफिस पर तूफान ला दिया. इसके बाद प्रशांत नील के निर्देशन में बनी रॉकिंग स्टार यश की फिल्म 'केजीएफ चैप्टर 2' ओपनिंग वीकेंड में ही 30 नए रिकॉर्ड बना डाले. तेजी से कमाई करने वाली पहली पैन इंडिया फिल्म बनने के साथ ही हिंदी बेल्ट में ओपनिंग डे पर सर्वाधिक कमाई का रिकॉर्ड भी बना डाला. इसी बीच नंदामुरी बालकृष्ण की फिल्म 'अखंडा', धनुष की 'कर्णन', सूर्या की 'जय भीम', रवि तेजा की 'खिलाड़ी', अजिथ की 'वलिमै' और थलपति विजय की 'मास्टर' और 'बीस्ट' रिलीज हुईं, जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया. देखा जाए, तो पिछले पांच साल से साउथ की फिल्में लगातार धमाका कर रही हैं.

साउथ सिनेमा की इस क्रांति से हर कोई हैरान है. लोगों को लग रहा है कि सबकुछ बहुत कम समय में आसानी से हो गया है. लेकिन लोगों को पता नहीं है कि साउथ सिनेमा के पैन इंडिया उदय के पीछे तीन दशक का लंबा वक्त लगा है. इतिहास गवाह रहा है कि कोई भी बड़ी घटना रातों-रात नहीं हुई है. चाहे वो आजादी की लड़ाई हो या फिर विश्व युद्ध. किसी भी घटना के पीछे एक लंबी प्रक्रिया होती है. पैन इंडिया स्तर पर साउथ सिनेमा की सफलता की क्रोनोलॉजी समझने के लिए इसे तीन चरणों में बांटा जा सकता है. पहला चरण, जब केबल टीवी के जरिए साउथ सिनेमा की हिंदी डब फिल्में हिंदी बेल्ट में अपनी जगह बना रही थीं. दूसरा चरण, जब बॉलीवुड धड़ाधड़ साउथ की सफल फिल्मों का हिंदी रीमेक कर रहा था, जिसके जरिए साउथ सिनेमा का स्वाद दर्शकों को लगा. तीसरा चरण, जब उचित मौका देखकर साउथ के फिल्म मेकर्स ने अपनी फिल्मों को पैन इंडिया रिलीज कर दिया.

साउथ सिनेमा के पैन इंडिया उदय के तीन चरण और सफलता की क्रोनोलॉजी इस प्रकार है...

1. हिंदी डब फिल्में

भारत में टीवी की शुरुआत साल 1959 को हो चुकी थी, लेकिन साल 1982 को मद्रास से पहली बार रंगीन प्रसारण हुआ था. इसके बाद देश में लोगों के अंदर टीवी देखने का क्रेज बढ़ गया, जिसमें 'हम लोग' (1984), 'बुनियाद' (1986-87), 'रामायण' (1987-88) और 'महाभारत' (1988-89) जैसे टीवी सीरियल्स ने उत्प्रेरक का काम किया. इसी बीच 90 के दशक में उदारीकरण के दौर के बाद केबल टीवी देश में तेजी से फैलने लगा. केबल टीवी ने लोगों के सिनेमा देखने का अंदाज बदल दिया. उस वक्त जब 24 घंटे के सिनेमा चैनल शुरू हुए, तो फिल्मों का अकाल होने लगा. क्योंकि तब उतने बड़े पैमाने पर हिंदी फिल्मों का निर्माण नहीं होता था. ऐसे में रिपीट फिल्में दिखाने की वजह से दर्शकों को ऊबने का खतरा था. ऐसे में कुछ चैनल ने साउथ की फिल्मों को हिंदी में डब कराकर दिखाना शुरू कर दिया.

हिंदी सिनेमा चैनल का ये प्रयोग क्रांतिकारी निकला. लोगों की साउथ की फिल्में बहुत ज्यादा पसंद आने लगीं. इनकी डिमांड तेजी से बढ़ने लगी. उस दौर में रजनीकांत, चिरंजीवी, कमल हासन, वेंकटेश दग्गुबाती और नागार्जुन अक्किनेनी जैसे साउथ के कलाकार हिंदी फिल्मों में काम करके अपनी पहचान बना चुके थे. ऐसे में उनकी हिंदी डब फिल्में लोगों को खूब पसंद आती थीं. सही मायने में देखा जाए तो रजनीकांत, चिरंजीवी, कमल हासन तब पैन इंडिया सुपरस्टार बन चुके थे. उनके बाद की पीढी़ में पवन कल्याण, थलपति विजय, नंदामुरी बालकृष्ण, मोहनलाल, महेश बाबू, अल्लू अर्जुन और रवि तेजा ने अपनी फिल्मों के जरिए लोगों को मनोरंजन किया. इनकी फिल्में भी हिंदी बेल्ट में खूब पसंद की जाती थीं. इस तरह अपनी हिंदी डब फिल्मों के जरिए साउथ सिनेमा हिंदी पट्टी के हर घर में पैठ बना चुका था.

2. रीमेक फिल्में

बॉलीवुड के कुछ फिल्म मेकर्स ने साउथ की हिंदी डब फिल्मों की लोकप्रियता को समझते हुए उनका रीमेक बनाने का फैसला किया. उनको लगा कि जब साउथ के स्टार की फिल्में डब होकर इतनी चल सकती हैं, तो बॉलीवुड के कलाकारों के साथ साउथ की इन फिल्मों का रीमेक जरूर हिट होगा. इससे बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार भी किया जा सकता है. उस वक्त साउथ की जिन फिल्मों का हिंदी रीमेक किया गया, उनमें सलमान खान की फिल्म 'जुड़वा' भी शामिल है. ये तेलुगू फिल्म 'हेल्लो ब्रदर' का हिंदी रीमेक है, जिसमें नागार्जुन लीड रोल में थे. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस जमकर कमाई की थी. महज 6 करोड़ में बनी इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 24 करोड़ रुपए है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि साउथ की हिंदी रीमेक फिल्मों का हिंदी बॉक्स ऑफिस पर कैसा रिस्पांस था. इसी तरह मलयालम फिल्म 'रामजी रॉव स्पीकिंग' का हिंदी रीमेक 'हेराफेरी' बना. ये फिल्म भी बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुई थी. इसके बाद 'हेराफेरी' फिल्म के डायरेक्टर प्रियदर्शन ने कॉमेडी फिल्मों की लाइन ही लगा दी. उन्होंने 'हलचल', 'हंगामा', 'ये तेरा घर ये मेरा घर', 'गरम मसाला', 'क्योंकि', 'छुप छुप के', 'भागम भाग', 'दे दनादन', 'ढोल', 'बिल्लू' जैसी फिल्में बनाई हैं. इनमें ज्यादातर फिल्में कॉमेडी, रोमांस और ड्रामा जॉनर की हैं.

इसी तरह एक्शन जॉनर की फिल्मों के रीमेक भी दौर शुरू हुआ, जिसने हिंदी पट्टी में तहलका मचा दिया. तमिल फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर निर्देशक ए.आर. मुरुगदास साल 2008 में हिंदी फिल्म गजनी लेकर आए, जो कि इसी नाम से तमिल में बनी थी. आमिर खान, जोया खान और आसिन स्टारर इस फिल्म ने खलबली मचा दी. फिल्म के लिए बनाए गए आमिर खान के सिक्स पैक एब के साथ धांसू एक्शन सीन खूब चर्चा में रहे. इसी बीच सलमान खान ने तेलुगू फिल्म 'पोकिरी' का हिंदी रीमेक 'वॉन्टेड' के नाम से बनाया, जिसे खूब पसंद किया गया. इस तरह 'सिंघम', 'राउडी राठौर', 'बॉडीगार्ड', 'फोर्स', 'हॉलिडे', 'किक', 'भूल भुलैया', 'रेडी', 'हाउसफुल 2' और 'सन ऑफ सरदार' जैसी फिल्में साउथ की सफल फिल्मों की हिंदी रीमेक हैं. इनमें ज्यादातर फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कारोबार किया है. इस तरह साउथ की हिंदी डब फिल्मों के बाद रीमेक फिल्में भी बड़े पैमाने पर सफल रही हैं.

3. पैन इंडिया फिल्में

फिल्म मेकिंग में अग्रणी भूमिका निभाने वाले साउथ के कुछ फिल्म मेकर्स ने सोचा कि उनकी फिल्मों का हिंदी रीमेक बनाकर बॉलीवुड जब इतना पैसा कमा सकता है, तो वो अपनी फिल्में सीधे क्यों नहीं रिलीज कर देते हैं. इस दिशा सोचकर पहली बार अपनी फिल्म पैन इंडिया रिलीज करने का फैसला दिग्गज निर्देशक एसएस राजामौली ने लिया. उन्होंने अपनी ड्रीम फिल्म 'बाहुबली' को पैन इंडिया हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ में रिलीज किया. साल 2015 में फिल्म 'बाहुबली: द बिगिनिंग' के रिलीज के बाद उसकी सफलता और लोकप्रियता ने फिल्म मेकर्स का ध्यान पैन इंडिया फिल्मों की तरह आकर्षित किया. इस फिल्म ने पूरे देश में बॉक्स ऑफिस पर 1000 करोड़ से अधिक की कमाई की थी. इतना ही नहीं इस फिल्म के सीक्वल 'बाहुबली 2' का ग्लोबल कलेक्शन 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा था. फिल्म ने प्रभास, राणा दग्गुबाती तमन्ना भाटिया और अनुष्का शेट्टी जैसे साउथ के कलाकारों को पूरे देश में रातों-रात सुपरस्टार बना दिया. केवल तमिल फिल्म इंडस्ट्री के लिए काम करने वाले डायरेक्टर राजामौली का नाम हर किसी के जुबान पर आ गया.

अभी लोग बाहुबली के खुमार से उबर ही रहे थे कि तभी साल 2018 में प्रशांत नील के निर्देशन में बनी फिल्म 'केजीएफ' रिलीज हो गई. मूल रूप से कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में बनी इस फिल्म में रॉकिंग स्टार यश के शानदार प्रदर्शन ने दर्शकों को अपना दीवान बना लिया. रॉकी भाई पूरे हिंदी पट्टी के हीरो बन गए. इसके बाद साल 2019 में साहो और सई रा नरसिम्हा रेड्डी रिलीज हुई. कोरोना की वजह से एक साल के गैप के जब सिनेमाघर खुले तो साउथ की दो फिल्में रिलीज हुई, जिन्होंने हलचल मचा दी. इसमें मोहनलाल की फिल्म मरक्कर: अरब सागर का शेर ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई, जबकि अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा: द राइज थियेटर में. इसमें फिल्म पुष्पा: द राइज ने पैन इंडिया बॉक्स ऑफिस पर जमकर कमाई की है.

फिल्म के हिंदी वर्जन ने 108 करोड़ रुपए की कमाई करके रिकॉर्ड बना दिया है. इसके बाद यश, संजय दत्त, रविना टंडन की फिल्म 'केजीएफ 2', एन.टी.आर जूनियर, राम चरण की फिल्म 'आरआरआर' (राइज, रिवोल्ट और रॉर); प्रभास, पूजा हेगड़े, कुणाल रॉय कपूर, भाग्यश्री की फिल्म 'राधे श्याम' भी रिलीज हुई है. इनमें आरआरआर और केजीएफ ने जमकर कमाई की है. आने वाले वक्त में प्रभास की फिल्म 'आदिपुरुष', विजय देवरकोंडा की फिल्म 'लीगर', वरुण तेज की फिल्म 'घनी' पैन इंडिया रिलीज होने वाली हैं. इन सभी फिल्मों में साउथ फिल्म इंडस्ट्री और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों को भी शामिल किया गया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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